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झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा, इन तारीखों में होगा मतदान और मतगणना
रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे और 23 नवंबर को चुनावी परिणाम आयेगा। इसकी घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को की। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 20 नवंबर को मतदान, नतीजे 23 नवंबर को आयेंगे केंद्रीय चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस कर झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि झारखंड…
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मुंबई में I.N.D.I.A. की मीटिंग का संदेश, थोड़ा है, थोड़ी की जरूरत है
मुंबई: 28 विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. की दो दिनों की मीटिंग मुंबई में हुई। इस दौरान सियासत की गतिविधियों का केंद्र मुंबई रहा। वहीं, दूसरी ओर केंद्र दो दिनों में लगातार दो फैसले लेकर उस सियासी हलचल के केंद्र को मुंबई के साथ-साथ दिल्ली भी बनाता दिखा। बैठक को विपक्षी गठबंधन ने पूरी तरह सफल बताया। लेकिन अगर नजदीक से देखें तो संकेत है कि-थोड़ा है थोड़ की जरूरत है: रैलियों-सभााओं को लेकर स्पष्टता मीटिंग में तय हुआ कि अगले कुछ दिनों बाद I.N.D.I.A. गठबंधन की हर महीने रैली होगी। शुरुआत इसी महीने से हो सकती है। रैली कहां होगी और इसमें क्या मुद्दे होंगे इससे भी आगे की राह तय होगी। साल के अंत में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। क्या वहां I.N.D.I.A. एकजुट रैली करेगा? क्योंकि इन राज्यों में कांग्रेस सीधे मुकाबले में है। I.N.D.I.A. गठबंधन दल के नेताओं का कहना है कि यह सियासी तालमेल लोकसभा चुनाव के लिए है। क्षेत्रीय राज्यों के चुनाव में अपने सियासी स्पेस को बचाकर रखेंगे। सीट शेयरिंग का मामला मीटिंग के बाद कहा गया कि अब सीट शेयरिंग की बात शुरू होगी। I.N.D.I.A. गठबंधन ने 450 सीटों पर एक कॉमन उम्मीदवार बनाने की महत्काकांक्षी योजना बनाई है। हालांकि, बैठक में भाग लेने वाले एक नेता ने कहा कि अगर वे 375 सीटों पर भी एक उम्मीदवार देने में सफल हो जाते हैं तो इससे बड़ा संदेश जाएगा। लेकिन यह अभी आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश की 80, प. बंगाल की 42 और पंजाब-दिल्ली की 20 सीटों को लेकर असली चुनौती है। अगर इन सीटों पर गठबंधन ने रास्ता निकाला लिया तो जरूर सफलता मानी जाएगी। इस पर औपचारिक बात शुरू करने का संकेत दिया है। ऐसे में कुछ दिनों में इस मोर्चे पर स्पष्टता आ जाएगी, नेतृत्व को लेकर भी स्पष्टता लानी होगी। मुंबई मीटिंग में इसे लेकर कोई बात नहीं हुई। कई मुद्दों पर सहमति अभी बाकी है गठबंधन की मीटिंग विपक्ष के लिए मेक या ब्रेक मोमेंट बताई जा रही थी। कुल मिलाकर दो दिनों की मीटिंग में आगे का रोडमैप बताने की जरूर कोशिश हुई। गठबंधन की ओर से अच्छी शुरूआत का दावा किया गया। कई फैसलों का हवाला देकर बताया गया कि गठबंधन सही दिशा में बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी कुछ सवाल बाकी हैं। मसलन, गठबंधन के लिए संयोजक का चुनाव भी होना था। बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस पद के लिए सबसे आगे बताए जा रहे थे। लेकिन इस पद की नियुक्ति का ऐलान नहीं हुआ। वहीं, मुद्दों को लेकर संकेत गया कि सहमति बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, इसमें ज्यादातर दल जाति जनगणना को भी शामिल करना चाहते थे लेकिन आम सहमति नहीं बनी। अडाणी के मुद्दे पर विपक्ष में एक राय नहीं है कि इसे चुनावी मुद्दा बनाया जाए। कई दल रोजगार-महंगाई पर ही अपना पूर��� फोकस रखना चाहते हैं। गठबंधन के 'लोगो' पर भी नहीं बनी सहमति विपक्षी गठबंधन इंडिया की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को मुंबई में संपन्न हो गई। 28 दलों के 63 नेताओं की कई दौर की मैराथन बैठक हुई , लेकिन गठबंधन में संयोजक पद पर सहमति नहीं बन सकी। मुंबई में बैठक से पहले चर्चा थी कि यहां संयोजक का ऐलान होगा और लोगो भी जारी किया जाएगा। लेकिन बैठक के आखिरी दिन कई कमिटियों की घोषणा हुई, लेकिन संयोजक और लोगो की घोषणा नहीं हो सकी।सूत्रों के मुताबिक गठबंधन के नेताओं के बीच संयोजक पद को लेकर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई। कहा जा रहा है कि किसी विवाद से बचने के लिए संयोजक पद पर नेताओं ने ज्यादा जोर नहीं दिया। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का नाम भी इस पद के लिए चर्चा में रहा। कहा यह भी जा रहा है कि हो सकता है कि गठबंधन में संयोजक का पोस्ट ही न रखा जाए। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में संयोजक की कोई जरूरत नहीं है। ममता की नाराजगी भी रही चर्चा में लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को हराने के लिए बनी I.N.D.I.A. गठबंधन की मुंबई बैठक पर विवादों का भी साया रहा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कांग्रेस से और कांग्रेस की कपिल सिब्बल को लेकर नाराजगी चर्चा में रही। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बात से नाराज हो गईं कि राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में अडाणी का मुद्दा उठा दिया। ममता इतनी नाराज हो गईं कि प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में ही छोड़कर चली गईं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि ममता ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जब प्रेस कॉन्फ्रेंस गठबंधन की हो रही थी तो कांग्रेस ने बिना सहमति के अपना अजेंडा क्यों आगे बढ़ाया। वहीं, सूत्रों का कहना है कि गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल में चुनाव को लेकर लेफ्ट पार्टियों के साथ कांग्रेस के रुख से भी ममता नाराज हैं। http://dlvr.it/SvWTxM
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अपना वादा निभाएं, नहीं तो सीट खाली कर दो.... कृष्णासामी एक्शन...! keep your promise, Otherwise vacate the seat.... Krishnasamy Action...!
अपना वादा निभाएं, नहीं तो सीट खाली कर दो.... न्यू तमिलनाडु पार्टी के कंपनी नेता कृष्णासामी ने डीएमके सरकार की आलोचना की है।
कृष्णास्वामी ने एक बयान में कहा, "देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें दिन-ब-दिन लगातार बढ़ रही हैं। आम लोगों से लेकर बड़े निगमों तक सभी पार्टियों को बढ़ती कीमतों से तगड़ा झटका लग रहा है. इस प्रकार सभी वस्तुओं की कीमत में वृद्धि। मध्यम वर्ग, जिन्हें काम के लिए अपने स्वयं के वाहनों में प्रतिदिन कई किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, इन कीमतों में वृद्धि के कारण परिवार की बढ़ती लागतों से बहुत प्रभावित हुए हैं।
द्रमुक अपने चुनावी ��ोषणा पत्र में सत्ता में आने के बाद 5 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और 4 रुपये प्रति लीटर डीजल कम करने के वादे के साथ सत्ता में आई है। सत्ता में आने के डेढ़ महीने से अधिक समय के बाद, द्रमुक सरकार के साथ अपने वादे को निभाने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने के लिए कोई कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए व्यापक जन असंतोष है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें तमिलनाडु के लोगों पर एक अतिरिक्त बोझ हैं क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के दौरान कोई आय नहीं है।
पिछले पांच साल में सत्ता में आने से पहले द्रमुक ने पेट्रोल और डीजल पर राज्य कर को कम करके और कर को जीएसटी में लाकर 25 रुपये से 30 रुपये प्रति लीटर की कमी के लिए अभियान चलाया था। सत्ता में आने के बाद से जीएसटी परिषद की दो बार बैठक हो चुकी है। हालांकि, उन दो बैठकों में तमिलनाडु की ओर से पेट्रोल और डीजल टैक्स को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई मांग नहीं की गई। इसके उलट पलानीवेल त्यागराजन पिछले 45 दिनों से केंद्र सरकार की बार-बार सिर्फ 'क्लिपर' कहकर आलोचना करने का काम कर रहे हैं.
'राज्य सरकार के कराधान को कम करना; हम पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करेंगे ”डीएमके का चुनावी वादा है। तमिलनाडु की तमाम जनता का सवाल है कि इसे लागू क्यों नहीं किया गया. इतना ही नहीं कल की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वह सारा दोष केंद्र सरकार पर मढ़ देते हैं और पूरे कद्दू को शब्दों में छिपा देते हैं जैसे कि राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है और राज्य सरकार कोई कर नहीं लगाती है।
साथ ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती को लेकर पत्रकारों से नाराज हैं। क्या इसका मतलब यह है कि वे अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी नहीं करने जा रहे हैं? या वे सिर्फ अगले पांच साल के लिए संघीय सरकार को दोष दे रहे हैं, अगले चुनाव से पांच दिन पहले रुपये में कटौती कर रहे हैं और यह कहकर लोगों को फिर से धोखा देने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, "देखो, हमने अपना वादा निभाया है"?
"अपना वादा निभाएं; पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करें, ”उन्होंने कहा, प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक श्वेत पत्र तैयार किया जा रहा है। क्या श्वेत पत्र की एक प्रति दिखाना और पेट्रोल और डीजल की कीमत कम करना संभव है? क्या परिवार के मुखिया को प्रति माह 1000 रुपये मिल सकते हैं? परिवार के मुखिया महीना 1000 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये किया जा सकता है? क्या बैंकों में आभूषण ऋण रद्द करना संभव है? ऐसे लोगों के बड़बड़ाहट पर चौथी पीढ़ी के त्यागराजन की क्या प्रतिक्रिया है? कुछ को लंबे समय तक धोखा दिया जा सकता है; बहुतों को कुछ समय के लिए धोखा दिया जा सकता है; लेकिन, हर समय हर किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।
कागज के फूल से गंध नहीं आती; सादा सफेद रिपोर्ट पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम नहीं करता है। अपना वादा निभाने की कोशिश करो, नहीं तो सीट छोड़ दो!" कृष्णासामी ने एक बयान में कहा।
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Assembly elections 2021: किस राज्य में कब और कितने चरणों में होगी वोटिंग, पढ़ें यहां
Assembly elections 2021: किस राज्य में कब और कितने चरणों में होगी वोटिंग, पढ़ें यहां
नई दिल्ली: Assembly elections 2021 : पश्चिम बंगाल, त���िलनाडु, असम, केरल और पुदुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम चुनाव आयोग ने घोषित किया है. राज्यों में 27 मार्च से 29 अप्रैल तक ��तदान और दो मई को चुनावी नतीजे आएंगे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को विज्ञान भवन में प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव तारीखों का एलान किया. चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव खर्च 10 प्रतिशत बढ़ा दिया…
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बजट में एक्टिव मोड में वादे, चुनावी इम्तिहान के लिए योगी सरकार ने की तैयारी Divya Sandesh
#Divyasandesh
बजट में एक्टिव मोड में वादे, चुनावी इम्तिहान के लिए योगी सरकार ने की तैयारी
लखनऊ योगी सरकार ने सोमवार को मौजूदा कार्यकाल का अंतिम और पहला पेपरलेस बजट पेश किया। 5.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का यह बजट 2022 के विधानसभा चुनावों में विपक्ष के वायरस अटैक पर एंटी वायरस का काम करे, इसके लिए बजट के फोकस में किसान, युवा, महिलाओं के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को रखा गया है।
बजट के जरिए सरकार की पूरी कोशिश है कि जिन पुरानी योजनाओं को सरकार ने शुरू किया था उन परियोजनाओं को 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले जमीन पर उतार दिया जाए। यही वजह है कि 5.50 लाख करोड़ रुपये के इस बजट में 27,598.40 करोड़ रुपये की नई योजनाएं शुरू की गई हैं।
चुनावी साल देखते हुए बजट में किसानों, युवाओं और श्रमिकों कुछ नई योजनाएं भी शुरू की गई हैं। यूपी में बढ़ते युवा वोटरों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के पात्र छात्र-छात्राओं को टैबलेट दिए जाने का ऐलान किया है। साथ ही 12 जिलों में मॉडल कैरियर सेंटर बनाए जाएंगे। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की अवधारणा के चार स्तंभ होंगे- अवस्थापना विकास, जनस्वास्थ्य, मानव संपदा, सामाजिक-सांस्कृतिक विकास और कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलापों का विकास।
योगी ने दी वित्त मंत्री को बधाई विधानसभा में सोमवार सुबह 11 बजे वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने यूपी के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा 5,50,270 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट भाषण के बाद प्रेस कांफ्रेंस में सीएम योगी आदित्यनाथ ने वित्त मंत्री को बधाई देते हुए कहा कि यह समग्र और समावेशी बजट है। कोरोना के बाद पेश हुए इस बजट में सरकार के सामने राजस्व वसूली बढ़ाने की एक बड़ी चुनौती थी। बजट सरकार की पूरी कोशिश रही कि इस बजट के माध्यम से हर सेक्टर को कुछ न कुछ दिया जाए। यह करने में सरकार काफी हद तक सफल भी रही है।
नई योजनाएं जो बदलेंगी प्रदेश का चेहराकिसान – आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना – 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान। – सामाजिक सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत 600 करोड़ रुपये, किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा के लिए 700 करोड़
महिला – कुपोषण का एंटी वायरस बनेगी मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना – 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था – महिला सामर्थ्य योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है। इस योजना 200 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
श्रमिक – श्रमिक शुरू करेंगे स्वरोजगार – श्रमिकों और कामगारों को स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग 100 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था – पल्लेदारों, श्रमिक परिवारों और असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों के लिए मुख्यमंत्री दुर्घटना बीमा योजना शुरू, 12 करोड़ रुपये की व्यवस्था
स्वास्थ्य- 13 जिलों में नए मेडिकल कॉलेजों के लिए 1950 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था – आठ मेडिकल कॉलेज जुलाई, 2021 से शुरू होंगे 900 सीटें बढ़ेंगी – असाध्य रोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए इस बार 100 करोड़, ढाई गुना बढ़ा बजट, पिछली बार मिले थे 40 करोड़
स्वच्छता – 2024 तक हर घर नल कनेक्शन पहुंचाने के लिए 15,000 करोड़ – स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए 2031 करोड़
एक्सप्रेस-वे- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए 1107 करोड़ रुपये – गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए 7689 करोड़ रुपये
सड़क – सड़कों के लिए 12,441 करोड़ रुपये – सड़क और पुल की मरम्मत के लिए 4135 करोड़ रुपये
सिंचाई- 2021-22 में 8 सिंचाई परियोजनाएं पूरा करने का लक्ष्य – मध्य गंगा नहर परियोजना के लिए 1137 करोड़, राजघटा नहर के लिए 976 करोड़
एयरपोर्ट – अयोध्या में बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डे के लिए 101 करोड़ – जेवर एयरपोर्ट के लिए 2000 करोड़ रुपये
मेट्रो – कानपुर मेट्रो के लिए 597 करोड़ रुपये, आगरा मेट्रो के लिए 478 करोड़ रुपये – दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए 1326 करोड़ रुपये – वाराणसी-गोरखपुर में मेट्रो रेल के लिए 100 करोड़ रुपये
आवास – प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 4 लाख घर बनेंगे – ग्रामीण क्षेत्रों में आवास निर्माण के लिए 7000 करोड़ रुपये
रोजगार – ओडीओपी योजना के लिए 250 करोड़ रुपये की व्यवस्था – मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के लिए 100 करोड़ रुपये
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क्या है बिहार में राहुल का चुनावी समीकरण
बिहार चुनाव को लेकर कई अटकले है महागठबंधन ने अपना मैनिफेस्टो भी जारी कर दिया है लेकिन इस दौरान राहुल गांधी मौजूद नही थे वैसे तो राहुल गांधी के प्रतिनिधि के रूप में रणदीप सिंह सुरजेवाला प्रेस कांफ्रेंस थे लेकिन शायद ये कहना गलत नही होगा की राहुल गाधी को प्रेस कांफ्रेंस में होना चाहिए read more
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अमित शाह की वर्चुअल रैली के बाद तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर साधा निशाना, कही यह बात…
RJD नेता तेजस्वी यादव. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को वर्चुअल रैली के माध्यम से बिहार की जनता को संबोधित किया. रैली में उन्होंने घोषणा की कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में ही बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. अमित शाह की रैली के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘वर्चुअल रैली में खोली नोटों की थैली, लेकिन ख़ाली है ग़रीबों की थाली. जनता आपको घर बैठायेगी हाथ ख़ाली, तब करना हज़ारों डिजिटल चुनावी रैली. उन्होंने आगे लिखा, ‘किसान, नौजवान व ग़रीब विरोधी सरकार के विरुद्ध आज बिहार ने थाली बजाकर विरोध प्रकट किया, क्योंकि ग़रीबों का पेट और थाली, है ख़ाली.
वर्चुअल रैली में खोली नोटों की थैली लेकिन ख़ाली है ग़रीबों की थाली जनता आपको घर बैठायेगी हाथ ख़ाली तब करना हज़ारों डिजिटल चुनावी रैली किसान, नौजवान व ग़रीब विरोधी सरकार के विरुद्ध आज बिहार ने थाली बजाकर विरोध प्रकट किया क्योंकि ग़रीबों का पेट और थाली, है ख़ाली। pic.twitter.com/AQVaD85BUA
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 7, 2020
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बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सुबह से ही थाली पीटकर आभासी विरोध शुरू कर दिया था. पटना में अपने आ��ास के बाहर तेज प्रताप यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रताप थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन करते देखे गए. इस दौरान आरजेडी ने प्रवासी मजदूरों के मामले को मुख्यरुप से उठाया. जोकि विपक्ष की ओर से प्रमुख मुद्दों में से एक है.
शनिवार को तेजस्वी यादव पार्टी दफ्तर पहुंचे थे और नीतीश कुमार से सवाल पूछने वाले कुछ पोस्टरों को कार्यकर्ताओं के संग मिलकर पार्टी दफ्तर की दीवारों पर चिपकाया थे. तो वहीं नीतीश कुमार, जिन्होंने पिछले 75 दिनों में एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं आजकल पार्टी के कार्यकर्ताओं के संग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर रहे हैं जाहिर है चुनाव से पहले नीतीश पार्टी के एक एक कार्यकर्ता की नब्ज टटोलना चाहेंगे.
वहीं दूसरी तरफ केंद्र में बीजेपी की साथी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का मानना है कि प्रवासी मजदूरों के मामले ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सुशासन बाबू की छवि को चोट पहुंचाई है. राज्य में 8 हजार 500 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद मार्च में छात्रों को रोकना और प्रवासियों की ट्रेन यात्रा के भुगतान से इनकार करने की वजह से लोगों में उनके प्रति गुस्सा पैदा हो गया है.
VIDEO: अमित शाह की रैली के खिलाफ RJD का ‘गरीब अधिकार दिवस’
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावी नतीजे 24 अक्टूबर को सामने आ गये थे। लेकिन तब से ही राजनीतिक विवदो के चलते महाराष्ट्र में अब तक सरकार नहीं बन पाई है। इसी बीच खबरे आ रही हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी बीजेपी और शिवसेना के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र की जनता का आभार व्यक्त किया हैं। इस मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस में बातचीत के दौरान फडणवीस ने कहा कि पिछले 5 सालों में किसानों के हित के लिए काम किया। मुंबई में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का भी काम किया। साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को जीत मिली थी।
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चुनाव आयोग ने किया तारीखों का ऐलान, 7 चरण में होंगे मतदान, जाने किस तारीख को होगा आपके इलाके में मतदान : जगदीश तेली की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2019 का चुनावी बिगुल बज चुका है। देश के सबसे बड़े चुनावों के लिए घण्टी बज चुकी है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ आचार संहिता लग चुकी है।
चुनाव आयोग ने रविवार शाम हुई प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट कर दिया कि देश में आम चुनाव सात चरणों में संपन्न होंगे। 23 मई को मतगणना के साथ ही देश में नई सरकार तय हो जाएगी। इसके साथ ही आयोग…
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EVM Hacking Drama: क्या झूठ पर झूठ बोल रहा हैकर, ECIL और कॉलेज ने दावा किया खारिज - Evm hacking drama hacker syed shuja ecil eci decline
दिल्ली से करीब 6700 किलोमीटर दूर लंदन में हुई हैकर की प्रेस कॉन्फ्रेस ने देश की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हैकर की प्रेस कांफ्रेंस को कांग्रेस प्रायोजित सर्कस करार दिया तो कांग्रेस ने हैकर के दावों की जांच की मांग की है. इस बीच EVM बनाने वाली कंपनी ECIL ने कहा है कि सैयद शुजा नाम का कोई शख्स कभी ईवीएम डिजाइनिंग टीम का हिस्सा नहीं रहा. वहीं उस कॉलेज ने भी शुजा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस नाम का कोई स्टूडेंट उसके कॉलेज में नहीं पढ़ा. इधर चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस में हैकॉथन के आयोजकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है.
कॉलेज ने हैकर के दावे को किया खारिज
इस मामले में शादान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल डॉ. अतीक का कहना है कि 1995 से 2002 तक का कॉलेज का रिकॉर्ड चेक किया गया है. इसमें सैय्यद हैदर अहमद नाम के किसी भी स्टूडेंट का नाम नहीं है. स्टूडेंट के माता-पिता का नाम भी चेक किया गया, लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला. कॉलेज सैयद शुजा उर्फ सैय्यद हैदर अहमद के दावे की जांच कर रहा है. उनसे कहा गया है कि अगर उन्होंने किसी ऐसे कॉलेज से पढ़ाई की है जो शादान कॉलेज का हिस्सा है तो उसकी डिटेल भेजें. कॉलेज ने कहा कि अगर वे डॉक्यूमेंट भेजेंगे तो हम उसकी जांच करेंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
ECIL ने कहा- शुजा कभी डिजाइनिंग टीम में नहीं रहा
लंदन में ईवीएम को हैक करने का दावा करने वाले सैय्यद शुजा के दावे को EVM बनाने वाली कंपनी ECIL (इलेक्टॉनिक कॉरपोशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) ने भी नकार दिया है. कंपनी ने अपने रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि इस नाम का कोई भी शख्स कभी भी डिजाइनिंग टीम का हिस्सा नहीं रहा है. गौरतलब है कि ECIL में तकरीबन दो हजार कर्मचारी हैं. इनमें 80 फीसदी इंजीनियर ईवीएम पर ही काम कर रहे हैं. ECIL में इस नाम का कोई भी कर्मचारी नहीं मिला जो बाद में अमेरिका शिफ्ट हो गया हो.
ECI बोले- VVPAT से EVM और सुरक्षित
इधर इस मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि सभी लोगों की तरह मैं भी उस पीसी को लेकर उत्सुक था, लेकिन हैकर अपने किसी भी दावे को साबित नहीं कर सका. कुरैशी ने कहा कि ईवीएम बनाने में एक पूरी टेक्निकल टीम थी, जिसमें आईआईटी के पा��च प्रोफेसर भी शामिल थे. ऐसे में ये कहना कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, ये पूरी तरह गलत है. कुरैशी ने कहा कि मुझे भी आयोजकों ने निमंत्रण भेजा था, लेकिन मैंने जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि मुझे अगले सप्ताह जाना है. कुरैशी ने बताया कि ईवीएम को लगातार अपडेट किया जाता है. VVPAT इसी अपडेशन का एक हिस्सा है, जिससे यह और अधिक सुरक्षित हो गया है.
हैकर के दावे से कांग्रेस को मिली ताकत
अमेरिकी हैकर के दावे से ईवीएम का विरोध करने वाली पार्टियों को नई ताकत मिली है. कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा है कि वे चाहते हैं कि 50 फीसदी VVPAT की गिनती हो. मतपत्र से चुनाव की बात पर हम आज भी कायम हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इनकी पराजय निश्चित है.
कौन है भारतीय मूल का हैकर सैयद शुजा
भारतीय मूल का सैयद शुजा खुद को साइबर एक्सपर्ट बताता है. इस वक्त वो अमेरिका में रह रहा है. खुद को ईवीएम डिजाइनिंग टीम का हिस्सा बताने वाले सैयद शुजा का दावा है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है. 2014 में हैकिंग से बीजेपी को जीत मिली. शुजा ने ये भी दावा किया कि हाल के राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में भी ईवीएम हैकिंग की कोशिश हुई, लेकिन उसने इसे इंटरसेप्ट कर दिया.
बीजेपी ने कहा- कांग्रेस प्रायोजित कार्यक्रम
बीजेपी ने सीधे-सीधे हैकाथॉन को कांग्रेस प्रायोजित आयोजन बता दिया. लंदन के हैकाथॉन में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की मौजूदगी ने बीजेपी को हमले का और मौका दे दिया. हालांकि, बीजेपी इसे कांग्रेस का प्रायोजित हैकिंग हॉरर शो बताने की कोशिश कर रही है.
अमेरिकी हैकर ने ये दावे किए थे
-EVM को ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर से हैक किया जा सकता है.
-बिना ब��लूटूथ और वाईफाई के EVM को हैक किया जा सकता है.
-हैकिंग के लिए EVM के चिपसेट को बाइपास करना होता है.
-2014 चुनाव में ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर वाले EVM इस्तेमाल हुए.
-इससे 2014 लोकसभा चुनाव में EVM में हेरफेर की गई.
-यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र चुनाव में भी EVM में छेड़छाड़ हुई.
गोपीनाथ मुंडे की मौत पर भी सवाल
हैकर ने ये भी दावा किया कि EVM में हैकिंग की बात बीजेपी के पूर्व नेता गोपीनाथ मुंडे जानते थे. इसीलिए उनकी हत्या की गयी थी. दरअसल, लंदन में प्रेस कॉन्फ्रेस का आयोजन इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से किया गया, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व के��द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी मौजूद थे.
चुनाव आयोग ने अपना पक्ष तो रख दिया, लेकिन चुनावी साल में ईवीएम पर उछला ये विवाद यूं ही खत्म होगा, ऐसा लगता नहीं है. अभी शुजा ने कोई सबूत पेश नहीं किए हैं. अब देखना है कि अमेरिका से लंदन की प्रेस कॉफ्रेंस महज हवा-हवाई थी या फिर इसमें कोई दम भी है.
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नितीश के साथ मतभेद पर बोले PK, गांधी-गोडसे एक साथ नहीं चल सकते - HW News Hindi
नितीश के साथ मतभेद पर बोले PK, गांधी-गोडसे एक साथ नहीं चल सकते – HW News Hindi
राजनीति समाचार
नई दिल्ली:जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से बर्खास्त होने के बाद जब पहली बार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने जमकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सरकार के कामकाज को कोसा। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रशांत ने सबसे पहले नीतीश कुमार के साथ अपने संबंधों के लेकर खुलासा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार मेरे पितातुल्य हैं। उनसे मेरा राजनीतिक संबंध नहीं है। उन्होंने…
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बंगाल समेत इन राज्यों में बजा चुनावी बिगुल, जानें कब कहां होगी वोटिंग
बंगाल समेत इन राज्यों में बजा चुनावी बिगुल, जानें कब कहां होगी वोटिंग
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई. दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को कहा कि 4 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के चुनाव के नतीजे एक ही दिन आएंगे. चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का किया ऐलान (Photo Credit: ANI) नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल विधानसभा…
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Maharashtra Elections: Important meeting between BJP-Shiv Sena for seat sharing
महाराष्ट्र : शिवसेना-बीजेपी में सीट शेयरिंग पर बोले राउत, ये भारत-पाक बंटवारे से भी भयंकर
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हाईलाइट
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-शिवसेना में फंसा पेंच
सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी-शिवसेना के बीच अहम बैठक आज
दोनों पार्टियों के बीच होना है 288 सीटों का बंटवारा
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है, लेकिन अब तक शिवसेना-बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। 288 सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों ही पार्टियों के बीच पेंच फंसा हुआ है। चुनावी मंथन के लिए आज (मंगलवार) दोनों पार्टियों ने अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर गहन चर्��ा की जाएगी। इस बैठक के बाद बीजेपी एक प्रेस कांफ्रेंस भी करेगी। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि बैठक के बाद होने वाली प्रेस कांफ्रेस में बीजेपी सीटों का ऐलान कर सकती है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति
आजाद भारत के इतिहास में बहुत कम ऐसे मौके आए हैं, जब राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीति का मुद्दा बनाया गया है। इंदिरा गांधी 1971 का लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं तब आज के बांग्लादेश और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में हालात बहुत बिगड़ गए थे और भारत सैन्य दखल की तैयारी कर रहा था। पर इंदिरा गांधी ने इस नाम पर चुनाव नहीं लडा था कि वे पूर्वी पाकिस्तान को अलग करा देंगी। उन्होंने चुनाव गरीबी हटाओ के नारे पर लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप किया और पाकिस्तान का बंटवारा करा कर बांग्लादेश का निर्माण कराया। हमारे पास कौन सी मिसाइल है, कौन से टैं�� हैं, कौन सी तोप है, कितने लड़ाकू विमान हैं, कौन सा लड़ाकू विमान होता तो क्या हो जाता या कितने सैनिक हैं यह वोट मांगने का जरिए कभी नहीं रहा है। दुर्भाग्य से भाजपा सरकार का मौजूदा नेतृत्व इन्हीं मसलों पर वोट मांग रहा है। तभी एंटी सेटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद टेलीविजन पर आकर प्रधानमंत्री भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं। तभी प्रधानमंत्री की सभा में मंच पर पुलवामा के शहीद सैनिकों की फोटो लगाई जा रही है। प्रधानमंत्री टैंक पर चढ़ कर प्रचार का वीडिया बना रहे हैं। उनकी पार्टी के नेता विमानों और टैंकों की फोटो लगा कर प्रचार सामग्री तैयार कर रहे हैं। यह राजनीति के सैन्यीकरण की बहुत खतरनाक और घातक प्रवृत्ति है, जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। भारत सरकार गोपनीयता के नाम पर राफेल लड़ाकू विमान के बारे में नहीं बता रही है। कहा जा रहा है कि विमान के स्पेशिफिकेशन नहीं दिए जा सकते हैं क्योंकि इससे दुश्मन को इस बारे में पता चल जाएगा। यहां तक की राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राफेल की कीमत भी नहीं बताई जा रही है। लेकिन भारत जब एंटी सेटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण करता है तो प्रधानमंत्री खुद टेलीविजन पर आकर उसके बारे में विस्तार से बताते हैं। ध्यान रहे भारत के पास यह क्षमता कई बरस पहले से है पर इसका ढिंढोरा नहीं पीटा जाता है। पर ऐन चुनाव से पहले परीक्षण की अनुमति देकर और खुद टेलीविजन पर आकर प्रधानमंत्री का इसके बारे में जानकारी देना क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बहुत अच्छा कदम है? प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद चीन और पाकिस्तान दोनों को यह कहने का मौका मिला कि बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनी रहनी चाहिए। बहरहाल, भारत सामरिक नीति और कूटनीति के बेसिक सिद्धांतों को भूला कर राजनीति के लिए सुरक्षा से जुड़े मुद्दे का ढिंढोरा पीटा। भाजपा नेताओ द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को उठाने का नतीजा यह हो गया है कि सेना के बड़े अधिकारियों की प्रेस कांफ्रेंस का सिलसिला बढ़ गया है। पहले जो काम कभी कभार होता था, वह आए दिन होने लगा है। सेना प्रमुख के बयान भी अक्सर आने लगे हैं। भाजपा नेता सेना पर बयानबाजी करते हैं, जिसका फिर चुनावी इस्तेमाल करती हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। ध्यान रहे भारत की सेना हमेशा अराजनीतिक रही है। दूसरे कई पड़ोसी देशों के मुकाबले भारत में ��भी भी नागरिक मामलों में सेना की भूमिका नहीं रहती है, राजनीति में तो बिल्कुल ही नहीं। पर पिछले 5 बरस में राजनीतिक फायदे के लिए सेना का इस्तेमाल होने लगा है। कई बार विवादों को उभार कर, सेना के साजो सामान की जरूरत के नाम पर या सीमा पर सेना की कार्रवाई को लेकर अक्सर राजनीति होने लगी है। इसको तत्काल रोकना होगा नहीं तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर नतीजे निकलेंगे। सेना का पराक्रम चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आमतौर पर देश के लोग भी इसे पसंद नहीं करते। ध्यान रहे 1962 में भारत के चीन से हारने के बाद के चुनावों में कांग्रेस जीत गई थी और 1971 में लड़ाई जीतने के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस हार गई थी। इसका मतलब है कि सेना की जीत हार का राजनीति पर असर नहीं होता था। पहली बार 1999 में कारगिल में सेना के शौर्य का परोक्ष रूप से चुनाव में इस्तेमाल हुआ और भाजपा जीती थी। संभवतः वैसी किसी संभावना को देख कर मोदी और भाजपा के दूसरे नेता सेना के शौर्य, पराक्रम और उसकी कार्रवाई का चुनावी इस्तेमाल कर रहे हैं बालाकोट की एयर स्ट्राइक पर वोट मांगे जा रहे हैं। सेना के दम पर पाकिस्तान को ठोक देने का दम भरा जा रहा है। इसका इस्तेमाल विपक्ष को चुप कराने और उसे देशद्रोही ठहराने के लिए भी किया जा रहा है। इस चुनाव में यह काम खुल कर हो रहा है जो देश के लीये खतरा हे
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प्रियंका गांधी की राजनीति में आधिकारिक एंट्री के साथ ही राजनितिक हलकों में यह चर्चा गर्म हो गई है कि क्या प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक हैं? ऐसा इसलिए भी है क्योंकि प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई. पूर्वी उत्तर प्रदेश वही इलाका है जहां के गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ आते हैं, जहां की वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री मोदी सांसद हैं. जहां की 30 संसदीय सीटों में सिर्फ एक आजमगढ़ ही 2014 में बीजेपी के पास नहीं थी, उसे मुलायम सिंह यादव ने जीता था. दूसरी मिर्जापुर बीजेपी की ही सहयोगी अपना दल के पास थी. बाकि सभी 28 सीटें BJP के खाते में गयीं थीं. लेकिन वो मोदी लहर का मामला था, इस बीच फूलपुर और गोरखपुर बीजेपी के हाथ से निकल चुके हैं. इससे पहले 2009 के चुनाव पर नजर डालें, उस समय मोदी पीएम उम्मीदवार नहीं थे, और इसी इलाके में कांग्रेस ने सात सीटें हासिल कीं थी जबकि BJP के खाते में सिर्फ चार सीटें गईं. ये भी पढ़ें: क्या 'कमल' को 'पंजे' से उखाड़ने की ताकत रखती हैं प्रियंका? 2009 का चुनाव एक ऐसा चुनाव था जिसमें कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. हालांकि प्रियंका ने अमेठी-रायबरेली की सीटों पर ही फोकस किया, लेकिन इस कामयाबी का श्रेय उन्हें भी मिला, इसकी एक वजह चुनाव अभियान के दौरान टीवी पर बार-बार नजर आया प्रियंका का चेहरा और उनके कुछ बयान भी थे. इन्हीं बयानों में तबके सीएम नरेंद्र मोदी को दिया उनका जवाब भी था. मोदी ने एक सभा में ललकार��े हुए कहा, 'ये 124 साल की बुढिया कांग्रेस.' जब मीडिया ये सवाल प्रियंका के पास लेकर पहुंचा तो प्रियंका ने छूटते ही पूछा, 'क्या मैं आपको बुढ़िया दिखती हूं.' बताने की जरूरत नहीं कि प्रियंका में एक स्पार्क है जिसे जनता भी समझती है, और कांग्रेस का कार्यकर्ता भी. यही वजह है कि उन्हें बार-बार मैदान में उतारने की मांग होती रही, लेकिन कांग्रेस इससे लगातार बचती रही. लेकिन इस बार सवाल ये था कि अब नहीं तो कब? इस वक्त प्रियंका को मैदान में उतारने से कांग्रेस की रणनीति भी साफ होने लगी है. कांग्रेस 17वीं लोकसभा का चुनाव जीतने से ज्यादा बीजेपी को हराने के लिए लड़ रही है. ये बात सिर्फ दो बयानों से साफ हो जाती है. पहला बयान अखिलेश यादव का, जिसमें उन्होने साफ कहा, 'राहुल के लिए अपार सम्मान है मगर चुनावी अंकगणित ठीक रखने के लिए कांग्रेस को गठबंधन से दूर रखा है.' दूसरा बयान प्रियंका को महासचिव बनाए जाने का ऐलान होते ही राहुल गांधी का, जिसमें एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा, 'हमारी अखिलेश जी और मायावती जी से कोई दुश्मनी नहीं, प्यार है. अगर आगे वो बात करना चाहेंगे हम करेंगे.' जबकि मीडिया का सवाल था कि क्या प्रियंका को महागठबंधन को टक्कर देने के लिए लाया गया. अब आइए पूर्वी उत्तर प्रदेश की ‘डेमोग्राफी’ पर एक नजर डालें. जैसे-जैसे आप लखनऊ से आगे बढ़ते जाते हैं सवर्ण, खासतौर पर ब्राह्मण आबादी सघन होती जाती है (यूपी में 12 फीसदी के करीब ब्राह्मण हैं). फैजाबाद से सटे अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, बस्ती संत कबीर नगर से लेकर गोरखपुर, देवरिया और वाराणसी तक. जनता में असंतोष मिटा कर फिर से कनेक्ट होने की तैयारी में कांग्रेस इस आबादी का कांग्रेस से पुराना कनेक्शन रहा है जो फिलहाल बीजेपी के साथ है. लेकिन 2014 से लेकर अब तक उनका बीजेपी से ये जुड़ाव कुछ वजहों से कमजोर हुआ है. जिनमें एससी-एसटी बिल से लेकर अवसरों की कमी तक सब शामिल है. कांग्रेस दरअसल इसी असंतोष को भुनाने और अपने कनेक्शन को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है. कांग्रेस के रणनीतिकारों को पता है कि ये कनेक्शन किसी मामूली किरदार के सहारे नहीं जिंदा किया जा सकता. चाहे वो जीतेन प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद हों, कमला पति त्रिपाठी के पड़पोते ललितेश पति त्रिपाठी हों या फिर बनारस वाले राजेश मिश्रा (तीनो ब्राह्मण). लिहाजा प्रियंका गांधी में दिखने वाली इंदिरा गांधी की छवि को दांव पर लगाया गया है. प्रियंका कांग्रेस के लिए ही जगह बनाने का काम नहीं करेंगी, उनक�� कोशिश महागठबंधन को भी अच्छी खासी मदद कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस आखिरकार काटेगी बीजेपी के ही वोट. याद रखिए मायावती का अखिलेश के साथ प्रेस कांफ्रेंस में दिया गया बयान, 'कांग्रेस के वोट हमें ट्रांसफर नहीं होते.' ये भी पढ़ें: सिंधिया को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाकर कौन से समीकरण साध रही है कांग्रेस? बहरहाल राहुल गांधी ने तो ऐलान कर दिया है कि अब वो फ्रंट फुट पर खेलेंगे. लेकिन सवाल उससे बड़ा एक और है, प्रियंका गांधी को कांग्रेस परिवार की बंद मुठ्ठी कहा जाता था जो मां और भाई के चुनाव क्षेत्र तक ही सीमित थीं. इस चुनाव में उन्हें उतार कर कांग्रेस ये बंद मुठ्ठी खोल देगी, ऐसे में अगर प्रियंका के सहारे पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो चुनाव बाद की उन बहसों का जवाब कौन देगा जिनमें ये बात जोर-शोर से उठेगी कि- प्रियंका का जादू नहीं चला! from Latest News राजनीति Firstpost Hindi http://bit.ly/2DtaXoB
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LJP की चेतावनी-राम मंदिर और तीन तलाक NDA के लिए है खतरनाक
LJP की चेतावनी-राम मंदिर और तीन तलाक NDA के लिए है खतरनाक
लोजपा ने राम मंदिर और तीन तलाक के मुद्दे को एनडीए के लिए खतरनाक बताते हुए भाजपा को चेतानवी दी है। लोजपा का मानना है कि ये दोनों मुद्दे विवादित हैं और इन्हें चुनावी मुद्दा बनाने से एनडीए को नुकसान हो सकता है।
ये बातें लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष तथा क्षेत्रीय सांसद चिराग पासवान ने शनिवार को शेखपुरा में प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। साथ ही उन्होंने मुंगेर संसदीय सीट पर अपने दावे को भी बरकरार बताया…
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