#चिता की भस्म
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Manikarnika Ghat Ke Rahasya (Mystery of Manikarnika Ghat)
Manikarnika Ghat : काशी को वाराणसी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है। यहां के घाट बहुत पुराने और प्रसिद्ध हैं। यहां आप गंगा घाट, दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट सहित कई ऐतिहासिक घाट देख सकते हैं। अस्सी घाट पर गंगा आरती देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। यहां का मणिकर्णिका घाट विशेष रूप से पवित्र और महत्वपूर्ण है।
इस घाट के बारे में दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी कहती है कि भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या करते हुए अपने सुदर्शन चक्र से यहां एक तालाब खोदा था। उनकी प्रार्थना से आया पसीना तालाब के पानी में मिल गया और जब शिव उसे देखने आए तो वे प्रसन्न हुए। विष्णु के कान से कुंड में गिरी मणिकर्णिका (कान की बाली) उस घटना की याद दिलाती है।
दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव अपने भक्तों के बीच इतने लोकप्रिय हैं कि उन्हें उनसे फुर्सत ही नहीं मिलती। इस बात से देवी पार्वती नाराज हो जाती हैं, । इसलिए वह शिवजी को रोके रखने के लिए अपने कान की मणिकर्णिका वहीं छुपा दी और शिवजी को उसे ढूंढने के लिए बोलती है । जो शिवजी नहीं कर पाए। तब से, मणिकर्णिका घाट पर जिस किसी का भी अंतिम संस्कार किया जाता है, वह उस व्यक्ति से पूछता है कि क्या उसने इसे देखा है। मणिकर्णिका घाट विशेष रूप से उस स्थान के लिए प्रसिद्ध है जहां हिंदू अंत्येष्टि लगातार आयोजित की जाती है और चिता हमेशा जलती रहती है। यहां जानिए इससे जुड़े 10 राज।
मणिकर्णिका घाट के रहस्य (Mystery of Manikarnika Ghat)
1. स्नान करने से पापों से मिलती है मुक्ति
2. श्मशानभूमि है यह घाट
3. जलती चिताओं के बीच नगरवधुएं करती है नृत्य
4. चिता भस्म की होली
5. देवी का शक्तिपीठ है यहां पर
6. मणिकर्णिका कुंड
7. भगवान विष्णु ने किया था पहला स्नान
8. कुंड से निकली मूर्ति
9. माता सती का अंतिम संस्कार
10. मृत शरीर से पूछते हैं कि कहां है कुंडल
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यदि आप किसी की शादी को तोडना या रोकना चाहते है तो इस टोटके को करे
SHADI TODNE KE UPAY की सामग्री…. सूखा बरगद का पत्ता सिंदूर लड्डू लवंग दो चिता की भस्म मुर्गे का रक्त लकड़ी का आसन आटे का पुतला काला कपड़ा मिट्टी का दीपक सरसों का तेल
विधि….अमावस्या के दिन आप बरगद के सूखे पत्ते पर सिंदूर से उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसका रिश्ता या शादी आप तोडना चाहते हैं और उस पर एक लड्डू रख कर उसे श्मशान में किसी पेड़ के नीचे दबा कर रख दें ! शाम को आप वहां से दबाया हुआ पत्ता निकालकर उस पर थोड़ी चिता की भस्म और उस लड्डू को साथ ले आए और रात्रि में आप काले कपड़े को किसी लकड़ी के आसन पर बिछा लें और उस पर आटे के पुतले की आकृति को रख दें ! अब मुर्गे के रक्त में चिता के भस्म मिलाकर पुतले पर उस व्यक्ति का नाम लिख दे जिसका रिश्ता या शादी आप तोडना चाहते हैं ! इसके पश्चात आप मिट्टी के दीपक को सरसों के तेल की सहायता से उस पुतले के समीप जला दें और उस लड्डू पर बचा हुआ सिंदूर डालकर बरगद के पत्ते सहित उसे दीपक के ऊपर से 51 बार घुमाकर निम्न मंत्र का उच्चारण करके उसे पुतले के ऊपर रख दें व लवंग को उस पुतले के मस्तक में दबा दें !
मंत्र…. श्��ीं ह्रीं ऐं कालरूपिणी कलिकाये हूं जूं फट स्वः !
इस विधि को पूर्ण करने के बाद आप उस काले कपड़े में सभी सामग्री पुतले सहित बांधकर उसे अगले दिन श्मशान में ले जाकर उसी पेड़ के नीचे दबा दे जहा पर आपने टोटके के शुरू में बरगद का पत्ता और लड्डू दबाया था ! इस विधि को मंत्र सहित श्रद्धाभाव करने से आप अपना या अपने प्रेमी का रिश्ता या सगाई तोड़ सकते है !
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श्मशान की ताजी चिता की राख से की गई भगवान महाकाल की भस्म आरती
इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navgraha Temple) लक्कडग़ंज इटारसी (Itarsi) में चौथे सोमवार को श्री महाकाल पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक हुआ। भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए सावन मास के अवसर पर द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं अभिषेक मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Pt. Vinod Dubey) एवं मंदिर के पूजारी पं. सत्येन्द्र पांडेय (Pt. Satyendra Pandey) एवं पीयूष पांडेय…
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Bharat Ek Khoj
*🌳 हमारा पौराणिक विज्ञान 🌳*
रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा।
यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा।
अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए।
राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की।
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?
राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं ?
ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तब तक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर 27 चतुर्युग बीत चुके हैं और 28 वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।
इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु 66 वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे।
यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी-
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
प्रेत यह ��ुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है। तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे।
अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया।
हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना।
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काशी नगरी में महाश्मशान घाट पर बाबा की आरती के पश्चात चिता भस्म की होली खेली गयी। जय शंकर महाराज 🙏
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शिव जी भस्म क्यों लगाते हैं
महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं?.शिव जी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी से कहते हैं की, हे देवी! जो व्यक्ति एक बार ‘राम’ कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूं।.पार्वती जी ने एक बार शिव जी से पूछा आप श्मशान में क्यूं जाते हैं और ये चिता की भस्म शरीर पे क्यूं लगते हैं?.उसी समय शिवजी पार्वती जी को श्मशान ले गए। वहां एक शव…
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🙏🙏🔔🔔🪔🪔🛕🛕🌎🌍📡📡🎙️🎙️🇮🇳🇮🇳🌹🌹AUGUST 10 : भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर मंगलमय बुधवार 🌹 हरिबोल 🌹 प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹 जय जय श्री राधे राधे 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा (गंतव्य से आगे) :- श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! श्री मैत्रेयजी ने कहा - विदुरजी! दक्ष प्रजापति अपने पिता ब्रह्माजी का बड़ा सम्मान करता था। परंतु जैंसे ही उसकी दृष्टि महादेव पर पड़ी वह आग बबूला हो गया लेकिन वह अन्य सभी से सम्मान प्राप्त कर अपने आसन पर विराजमान हो गया। महादेव का उसे नमन ना करना चुभ गया। उसने अन्य सभी उपस्थित सभागणों को संबोधित करते हुए कहा -सभी देवगण और ब्रह्मर्षिगण मेरी बात ध्यान से सुनें। यह निर्लज्ज महादेव समस्त लोकपालों की पवित्र कीर्ति को मिट्टी में मिला रहा है। इसने मेरी कन्या से विवाह किया है। इसलिए यह मेरे पुत्र समान है? फिर भी इसने मेरा सम्मान करना उचित नहीं समझा। इसे सत्पुरुषों का सम्मान करना और शिष्टाचार नहीं आता। इसने मेरे सम्मान में प्रणाम करना तो दूर उठ कर सम्मान तक नहीं किया। यह सदा अपवित्र रहता है और बड़ा घमंडी 😏 है। यह श्मशान में नग-धड़ंग घूमता रहता है। चिता की भस्म अपने शरीर में लपेटे रहता है..... To be continued.... आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की ।आरती अति पावन पुराण की ।धर्म भक्ति विज्ञान खान की ।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि ।जन्म मृत्यु मय भव भय हारिनि ।सेवत सतत सकल सुखकारिनि ।समहौषधि हरि चरित्र ज्ञान की। आरती.... विषय विलास विमोह विनाशिनि। विमल विराग विवेक विकाशिनि ।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि। परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती.... परमहंस मुनि मन उल्लासिनि ।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि ।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि ।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती..... प्रणाम : जय श्री राधे 🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌎🌍📡📡🎙️🎙️🌹🌹🇮🇳🇮🇳🙏🙏 https://www.instagram.com/p/ChDYc3QBBNi/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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चिता भस्म की होली: महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा विश्वनाथ ने भक्तों के साथ धधकती चिताओं के बीच खेली होली
*Holi of Chita Bhasma: Holi played with the ashes of burning pyres at Manikarnika Ghat*
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#Viral_Breaking": महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बुधवार को जलती चिताओं के ऊपर से अलौकिक आकृतियां देख हर कोई हतप्रभ है। ऐसा कहा गया है कि मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार जिसका होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे भी विश्व में यह पहला ऐसा घाट है जहां चिताएं 24 घंटे जलाई जाती हैं। यहीं नहीं नगर वधुएं भी यहां चिता भस्म के साथ होली खेलती हैं। बुधवार को आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने यहां जलती चिताओं की दो तस्वीरों को अपने कैमरे में न केवल कैद किया बल्कि उन्होंने उसे ट्वीट भी किया है। अपने ट्वीट में प्रो. मिश्र ने लिखा है कि जब भी मैने घाट वॉक पर मणिकर्णिका महातीर्थ के फोटो लिया तो कुछ ना कुछ अलग ही दिखा। उन्होंने एक तस्वीर पिछले साल की डाली है और दूसरी मंगलवार की खींची हुई है। https://www.instagram.com/p/CUwQVusI7Mx/?utm_medium=tumblr
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कुंडलिनी ही शिव को भीतर से सत्त्वगुणी बनाती है, बेशक वे बाहर से तमोगुणी प्रतीत होते हों
कुंडलिनी ही शिव को भीतर से सत्त्वगुणी बनाती है, बेशक वे बाहर से तमोगुणी प्रतीत होते हों
दोस्तो, भगवान शिव के बारे में सुना जाता है कि वे तमोगुणी हैं। तमोगुण मतलब अंधेरे वाला गुण। शिव भूतों के साथ श्मशान में रमण करते हैं। अपने ऊपर उन्होंने चिता की भस्म को मला होता है। साथ में यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव परम सतोगुण स्वरूप हैं। सतोगुण मतलब प्रकाश वाला गुण। इस तरह दोनों विरोधी गुण शिव के अंदर दिखाए जाते हैं। फिर इसको जस्टिफाई करने के लिए कहा जाता है कि शिव बाहर से तमोगुणी हैं, पर…
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Shadi Todne Ke Upay मात्र 48 घंटे में रिजल्ट
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ऐसे कौनसे उपाय है जिनसे शादी को तोड़ सकते है? अगर आप ऐसे उपाय करना चाहते है जो की शादी तोड़ने के में सहायता कर सकते है तो हम आपको Shadi Todne Ke Upay बताने जा रहे है. Shadi Todne Ke Upay जानने से पहले हम आपको यह बताना चाहते है की यदि आप किसी भी उपाय या टोटके को कर रहे है या कोई साधना कर रहे है तो आपको योग्य गुरु के देखरेख में ही उपाय करना चाहिए। यदि आप किसी भी लकड़ी या लड़की की शादी को तुड़वाना चाहते है तो हम आपके लिए ऐसी विधियां लिख रहे है जिनसे आप किसी भी व्यक्ति की शादी को आसानी से तोड़ सकते है.
शादी तोड़ने के 20 शक्तिशाली महा-उपाय
1. हंसमाहेश्वरतंत्र के अनुसार Shadi Todne Ke Upay करना उत्तम है. इस तंत्र के अनुसार अमावस्या वाले दिन शमशान से जलती चिता का गर्म अंगारा लाकर उस घर के बाहर रख दें जहाँ शादी हो रही है. एक सप्ताह के अंदर उस घर में होने वाली शादी टूट जाएगी।
2. Shadi Todne Ka Upay गांधर्वतंत्र में वर्णित है. गांधर्वतंत्र के अनुसार यदि शमशान में बने कुवें का जल लेकर उसमे शादी वाले घर की मिट्टी मिलाकर उस जल को शमशान में लगे पेड़ में सात दिन तक दिया जाये तो किसी शादी घर में होने वाली शादी को तोड़ सकते है.
3. महामाहेश्वरीत्तरतंत्र के अनुसार Shadi Todne Ka Totka करना श्रेष्ठ है. इस तंत्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की शादी तोड़नी हो तो उस व्यक्ति के किसी एक कपडे को शमशान में बने कुवें में फेंक देंगे तो उस व्यक्ति की शादी टूट जाएगी।
4. Shadi Todne Ke Totke त्रिशक्तितंत्र में उल्लेखित है. यदि प्रेमी या प्रेमिका की शादी तोड़नी हो तो उस इंसान के सिर के बाल को लेकर उस स्थान पर दबा दें जहाँ मुर्दे को दबाया जाता है. इस टोटके से किसी भी मनुष्य की शादी टाली जा सकती है.
5. Shadi Rokne Ke Upay कौनसे है? यदि आप किसी की शादी रोकना चाहते है तो शनिवार वाले दिन किसी ��र्थी पर चढ़ाये गए कपडे पर सिंदूर से उस व्यक्ति का नाम लिखकर उस कपडे को चौराहे पर ले जाकर जला दें जिसकी शादी रोकनी हो.
6. Shadi Rokne Ka Upay कुटकुटेश्वरतंत्र वर्णित है. यदि आप किसी की शादी रोकना चाहते है तो अमावस्या के दिन 7 चौराहों की मिट्टी लाकर उस व्यक्ति के घर में फेंक दें जिसकी शादी रोकनी हो.
7. Shadi Rokne Ka Totka तारिणीतंत्र के अनुसार कर सकते है. यदि शादी को कुछ ही दिन बचे है और उसको रोकना चाहते है तो अमावस्या के दिन शमशान की लकड़ी पर सिंदूर से उस व्यक्ति का नाम लिखकर चौराहे पर जला दें. शादी रुक जाएगी।
8. कालीतंत्र के अनुसार Sagai Todne Ke Upay करना अचूक है. यदि आप सगाई को तोडना चाहते है तो शनिवार के दिन शमशान में लगे इमली के पेड़ की सूखी लकड़ी पर अपने रक्त से उस व्यक्ति न नाम लिखकर किसी जलती चिता पर जला दें.
9. Sagai Todne Ka Totka करने हेतु नीलतंत्र को अवश्य पढ़ें। इस तंत्र के अनुसार यदि सगाई तोड़नी हो तो शमशान में अशोक वृक्ष के पत्ते को जलाकर उसकी भस्म को सगाई वाले घर में फेंक देंगे तो उस घर के विवाह के कार्य रुक जायेगें।
10. Sagai Todne Ka Upay फेत्कारिणीक्षेत्र में लिखित है. इस तंत्र के अनुसार यदि किसी शव यात्रा में अर्थी पर डाले गए फूलों को निचोड़कर उनके रस से किसी व्यक्ति को तिलक कर दिया जाये तो उसकी सगाई टूट जाएगी।
11. Kisi Ki Shadi Todne Ka Upay भैरवतंत्र मैं लिखित है. भैरवतंत्र के अनुसार यदि किसी बगुले के पंख पर शमशान की मिट्टी की किसी भी व्यक्ति का नाम लिखकर शमशान में उस पंख को दबा देंगे तो किसी भी इंसान की शादी तोड़ सकते है.
12. Kisi Ki Shadi Todne Ka Totka करने हेतु सनत्कुमारतंत्र का अध्यन्न करें। इस तंत्र के अनुसार किसी पानी वाले नारियल को छिलकर उस पर शमशान के पानी से उस मनुष्य का नाम लिख दें जिसकी शादी तोड़नी हो तथा उस नारियल को किसी शमशान में दबा देंगे तो उस इंसान की शादी टूट जाएगी।
13. Apni Shadi Todne Ka Upay छिन्मस्तिका तंत्र से करना उत्तम है. यदि कोई अपनी शादी तोडना चाहता/चाहती है तो अमावस्या के दें हाथ व पैर के सभी नाख़ून उतारकर शमशान में लगे बरगद के पेड़ के निचे दबा दें. 03 दिन में शादी टूट जाएगी।
14. Rishta Todne Ka Totka पुरधरणचंद्रिका तंत्र के अनुसार करें। इस तंत्र के हिसाब से यदि किसी व्यक्ति के केश को नारियल पर बांधकर चौराहे पर रख दिया तो उस इंसान के शादी के ���िश्ते को तोड़ा जा सकता है.
15. Rishta Todne Ka Upay कैसे करें? रिश्ता तोड़ने का टोटका करने हेतु आप अपने प्रेमी या प्रेमिका के पांव की मिट्टी को सूखे नारियल में भरकर शमशान में जलती चिता के पावों की तरफ रखकर अपनी मनोकामना बोल दें.
16. Premi Ki Shadi Todne Ke Totke In Hindi को कैसे करें? प्रेमी की शादी तोड़ने हेतु आप अपने प्रेमी की एक फोटो पर काली मुर्गी के रक्त से उसकी मंगेतर का नाम लिखकर उस फोटो को शमशान में ले जाकर कपूर से जला देंगे तो शादी टूट जाएगी।
17. तत्रचूड़ामणि तंत्र के अनुसार Shadi Todne Ke Achuk Upay कर सकते है. अगर किसी की शादी तुड़वानी हो तो शनिवार के दिन शमशान में लगे बरगद के पेड़ के पत्ते पर बगुले के रक्त से उस इंसान का नाम लिखकर किसी नदी में प्रवाहित कर दें.
18. Shadi Tudwane Ka Totka करने हेतु धूमावती साधना कर सकते है. इस साधना के अनुसार यदि सांप के केंचुली में काली बिल्ली का रक्त मिलाकर किसी इंसान को तिलक कर दिया जाए तो उस इंसान की शादी तोड़ सकते है.
19. Shadi Tudwane Ka Upay करने हेतु मसान साधना करना श्रेष्ठ है. मसान साधना हेतु आप शमशान से किसी चिता में ��े मृत शरीर की अस्थि लेकर उस पर उस कमियां सिंदूर से उस व्यक्ति का नाम लिखकर शमशान में गाड़ देंगे तो 07 दिन में शादी टूट जाएगी।
20. Kisi Ki Shadi Todne Ke Upay हेतु आप घटाबरी योगिनी की विधि कर सकते है. इस योगिनी के अनुसार यदि किसी की शादी तोड़नी हो तो उल्लू की विष्ठा में काली बिल्ली का रक्त मिलाकर यदि किसी की तिलक कर दिया जाये तो उसकी शादी टूट जाएगी।
यदि आप भी अपनी किसी समस्या को लेकर बार बार पंडितों या तांत्रिकों से पूजा करवाकर अपना धन व समय नष्ट करके थक चुके है और इतना करने भी बाद भी आपका कार्य नहीं हो पा रहा है तो आप हमारे आश्रम में सम्पर्क करें जहाँ आपके कार्य को शत-प्रतिशत निःशुल्क किया जायेगा इसलिए अभी अभी सम्पर्क करें…… पंडित जी (+91–9529528500)
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वाराणसी में होलीक अनोखी हैं गंगा से कुछ प्राचीन
वाराणसी में होलीक अनोखी हैं गंगा से कुछ प्राचीन
आलोक कुमार त्रिपाठी, अमर उजाला, वाराणसी द्वारा प्रकाशित: हरि उपयोगकर्ता Updated Sun, 28 Mar 2021 10:54 AM IST देश भर में काशी की अमूर्त होली का रंग निराला है। जबकि बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों के साथ रंगों में होली खेलते हैं, तो चिता-भस्म के साथ अपने गणों के साथ। इसी तरह काशी की होलिका की भी अपनी शैली है। गंगा घाट से लेकर वरुणा के पार तक काशी ने अपनी प्राचीनता को बरकरार रखा है। दुनिया के सबसे…
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MANAN KARNE YOGY KATHA Shiv Ji Ki:
*🌳 महादेव के भक्त 🌳*
*भील-भीलनी की अद्भुत कथा*
चण्ड नामक एक सरल हृदय का भील जंगल में रहता था। वहाँ टूटा-फूटा पुराना शिवालय था। उसमें कोई पूजा नहीं करता था। चण्ड उस मूर्ति को उठाकर अपने घर ले आया और किसी से पूछकर जल, चिताभस्म, बेलपत्र और धतूरे के फूल आदि से श्रद्धापूर्वक भगवान शिव जी की पूजा करने लगा।
जल, बेलपत्र, धतूरे के फूल तो जंगल में थे ही। श्मशान से जाकर वह सात दिनों के लिए चिताभस्म की पोटली बाँध लाता। एक दिन रात को इतनी जोर की वर्षा हुई कि श्मशान की सारी राख बह गई ।
उसी दिन चण्ड की पूजा के लिए लायी हुई चिताभस्म समाप्त हो गई थी। उसने बहुत प्रयत्न किया, कोसों भटक आया; पर कहीं चिता की भस्म नहीं मिली। उसके मन में बड़ा ही द��:ख था, आज भगवान की पूजा कैसे होगी? उसके नेत्रों से आँसू बहने लगे और वह सिर पकड़कर बैठ गया।
उसकी यह दशा देखकर चण्ड की पत्नी ने विनय से पूछा--- 'आप आज इतने दु:खी क्यों हैं?'
उसने कहा---'क्या बताऊँ, मैं बड़ा अभागा हूँ। आज कहीं भी चिताभस्म नहीं मिली। आज भगवान की पूजा कैसे होगी? भला, पूजा किये बिना मैं जल भी कैसे पी सकता हूँ ? आज भगवान विना पूजा के रहेंगे,
पति की विषाद भरी बात सुनकर उसको तुरंत एक युक्ति सूझी और वह बोली---बस, इतनी सी बात के लिये आप इतने व्याकुल हैं? स्नान कीजिए। चिताभस्म अभी मिल जायगी।'
तदनन्तर वह वहाँ से चल दी और द्वार के सम्मुख थोड़ी दूरी पर एक पीपल का वृक्ष था, वहाँ जाकर उसने मिट्टी की वेदी बनायी और झोंपड़ी का सब सामान निकाल-निकालकर उस वृक्ष के नीचे रखने लगी।
पत्नी की इस चेष्टा को देखकर चण्ड ने पूछा---'तुम यह सब क्या कर रही हो?' और वह हक्का-बक्का होकर पत्नी की ओर देखने लगा। उसके कुछ भी समझ में नहीं आया।
पत्नी बोली---'आप जल्दी स्नान करके भगवान को पीपल के नीचे वेदी पर बैठा दें। झोंपड़ी तो दूसरी आज आप संध्या तक बना ही लेंगे। उसमें अग्नि लगाकर मैं जल जाती हूँ। आपके भगवान की पूजा के लिए बहुत दिनों की चिताभस्म हो जायगी ।'
जिस निरपेक्षता से भील वन पशुओं का आखेट करता था, उसी निरपेक्षता से भीलनी अपने शरीर की आहुति देने की बात कह रही थी। जैसे वह एक साधारण खेल करने जा रही है।
चञ्ड ने पत्नी के मुख की ओर देखा। पत्नी के त्याग, प्रेम और भक्ति ने उसे प्रेम- विह्वल कर दिया। भरे कण्ठ से उसने कहा---' शरीर ही सुख, धर्म और पुण्य का कारण है । तुम अपने शरीर को मत जलाओ।'
भीलनी ने पति के चरणों पर सिर रखकर कहा---'मेरे मालिक! एक दिन तो मैं मरूंगी ही। मेरा शरीर भगवान की सेवा में लगे, इससे बड़ा पुण्य और क्या होगा? मैं बड़ी भाग्यवती हूँ कि मेरा शरीर भगवान की पूजा में लगेगा। मुझे रोको मत! आज्ञा दो।' भील के नेत्रों से आँसू बहने लगे। वह बोलने में असमर्थ हो गया।
भीलनी ने फिर स्नान किया। शंकरजी को पीपल के नीचे वेदी पर बैठाया और झोंपड़ी में अग्नि लगा दी। पति को पुनः प्रणाम करके वह भगवान शंकर की स्तुति करने लगी।
श्रद्धा, पातिव्रत्य एवं त्याग ने उसके हृदय को शुद्ध बना दिया। उसके सारे आवरण ध्वस्त हो गये। विशुद्ध ज्ञान तो अन्तःकरण में ही है। उस दिव्य ज्ञान से परिपूत उसकी वाणी प्रेम से गद्गद हो रही थी--
"वाञ्छामि नाहमपि सर्वधनाधिपत्यं
न स्वर्गभूमिमचलां न पदं विधातुः।
भूयो भवामि यदि जन्मनि नाथ नित्यं
त्वत्पादपङ्कजलसन्मकरन्द भृङ्गी।।
किं जन्मना सकलवर्णजनोत्तमेन
किं विद्यया सकलशास्त्रविचा-रवत्या।
यस्यास्ति चेतसि सदा परमेशभक्तिः
कोऽन्यस्ततस्त्रिभुवने पुरुषोऽस्ति धन्यः।।"
'हे प्रभो! न तो मैं कुबेर का पद चाहती हूँ; न स्वर्ग, न ब्रह्मलोक और न मोक्ष ही। मेरे चाहे जितने जन्म हों, मैं सदा आपके चरणकमलों की रज की भ्रमरी रहूं। आपके चरणों में मेरा नित्य अनुराग बना रहे। सर्वोच्च वर्ण में जन्म लेने, सम्पूर्ण शास्त्र विचार में समर्थ होने, विद्या पढ़ने आदि से क्या लाभ? जिसका चित्त आप परमेश्वर की भक्ति में लगा है, उससे अधिक त्रिभुवन में और कौन धन्य है ।'
प्रार्थना करते हुए उसने प्रज्जवलित अग्नि में प्रवेश किया, शरीर भस्म हो गया। चण्ड ने स्नान किया, पुष्प एकत्र किये। जल डालकर थोड़ी चिताभस्म शीतल करके उससे पूजा की। आज उसके हृदय में अपूर्व भाव था। अन्तर में पत्नी के त्याग ने प्रेम की धारा प्रवाहित कर दी थी।
नैवेद्य लगाकर वह उन्मत्त की भाँति भगवान के सन्मुख नृत्य करने खड़ा हुआ। आज से पूर्व पति-पत्नि दोनों भगवान के सम्मुख नाचते थे। आज वह अकेले नाचेगा।
'हैं! मैं स्वप्न तो नहीं देख रहा हूँ? तुम यहाँ कैसे? तुम तो अग्नि में जल गयीं थीं न?' चण्ड चौंक पड़ा। उसने देखा कि उसकी बायीं ओर नित्य की भाँति नाचने को उसकी पत्नी खड़ी है।
'सपना काहे का? आपके सामने आपकी दासी मैं ही तो खड़ी हूँ । मुझे तो स्मरण नहीं कि मैं कब आग में जली?' भीलनी ने पति की बातों से आश्चर्य प्रकट किया।
भील दम्पति अभी आश्चर्य से छुटकारा नहीं पा सके थे कि एक दिव्य विमान आकाश से उतरा और भगवान शंकर के एक पार्षद ने दोनों से प्रार्थना की---'आप लोग कैलास पधारें।
भगवान गंगाधर आपका स्मरण कर रहे हैं।' और आदरपूर्वक दोनों को विमान में बैठाकर शिवपार्षद उन्हें शिवलोक ले गये।
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आज हम बात करेंगे भगवान शिव की नगरी काशी में खेली जाने वाली चिता की भस्म होली की। एक ओर पूरे भारतवर्ष में प्रेम के रंगों की होली खेली जाती हैं तो वही भगवान शिव की नगरी में जली हुई चिताओं की राख से होली खेलने का विधान हैं लेकिन ऐसा क्यों? आइए काशी की चिता भस्म होली के बारे में जाने सबकुछ।
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इसलिए लानी चाहिए अगले दिन घर पर होली की राख !
इसलिए लानी चाहिए अगले दिन घर पर होली की राख ! #Holi2021
कहते हैं कि होली शब्द हिरण्याकश्यप की बहन होलिका के नाम पर पड़ा है। होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था, जिसे पहनने पर आग में नहीं जलते थे। होलिका ने अपने भाई की बात मानते हुए हिरण्याकश्यप के बेटे प्रह्लाद को लेकर होलिका चिता पर बैठ गई थी। मगर, भगवान विष्णु की कृपा से होली जल कर भस्म हो गई और प्रह्लाद उससे सकुशल निकल आए थे। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है। इसके साथ ही…
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🙏🙏🔔🔔🪔🪔🛕🛕🌎🌍📡📡🎙️🎙️🇮🇳🇮🇳🌹🌹AUGUST 10 : भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर मंगलमय बुधवार 🌹 हरिबोल 🌹 प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹 जय जय श्री राधे राधे 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा (गंतव्य से आगे) :- श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! श्री मैत्रेयजी ने कहा - विदुरजी! दक्ष प्रजापति अपने पिता ब्रह्माजी का बड़ा सम्मान करता था। परंतु जैंसे ही उसकी दृष्टि महादेव पर पड़ी वह आग बबूला हो गया लेकिन वह अन्य सभी से सम्मान प्राप्त कर अपने आसन पर विराजमान हो गया। महादेव का उसे नमन ना करना चुभ गया। उसने अन्य सभी उपस्थित सभागणों को संबोधित करते हुए कहा -सभी देवगण और ब्रह्मर्षिगण मेरी बात ध्यान से सुनें। यह निर्लज्ज महादेव समस्त लोकपालों की पवित्र कीर्ति को मिट्टी में मिला रहा है। इसने मेरी कन्या से विवाह किया है। इसलिए यह मेरे पुत्र समान है? फिर भी इसने मेरा सम्मान करना उचित नहीं समझा। इसे सत्पुरुषों का सम्मान करना और शिष्टाचार नहीं आता। इसने मेरे सम्मान में प्रणाम करना तो दूर उठ कर सम्मान तक नहीं किया। यह सदा अपवित्र रहता है और बड़ा घमंडी 😏 है। यह श्मशान में नग-धड़ंग घूमता रहता है। चिता की भस्म अपने शरीर में लपेटे रहता है..... To be continued.... आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की ।आरती अति पावन पुराण की ।धर्म भक्ति विज्ञान खान की ।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि ।जन्म मृत्यु मय भव भय हारिनि ।सेवत सतत सकल सुखकारिनि ।समहौषधि हरि चरित्र ज्ञान की। आरती.... विषय विलास विमोह विनाशिनि। विमल विराग विवेक विकाशिनि ।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि। परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती.... परमहंस मुनि मन उल्लासिनि ।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि ।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि ।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती..... प्रणाम : जय श्री राधे 🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌎🌍📡📡🎙️🎙️🌹🌹🇮🇳🇮🇳🙏🙏 https://www.instagram.com/p/ChDV95hhwS8/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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