#गर��वर
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे कृष्णा*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (तृतीया तिथि )*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👨👩👦 *गणगौर पूजन अभीजित---11:55से12:45*👨👩👧
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*भारतीय संस्कृति में विवाहित मातृशक्ति के अखंड सौभाग्य तथा कुंवारी कन्याओं द्वारा मनचाहा वर प्राप्त करने की कामना के महापर्व गणगौर तृतीया की आत्मीय शुभकामनाएं*
❖═══🚩🕉️🚩═══❖
*तृतीयं चंद्रघंटा पूजन (तृतीय दिवस) :-*
*चन्द्रघन्टा : मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप :-*
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन और आराधना क�� जाती है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण इन देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है। मन, वचन, कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि-विधान के अनुसार मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना एवं आराधना में तत्पर होना चाहिए। इनकी उपासना से समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-11-अप्रैल-2024
वार:-------गुरुवार
तिथी :------03तृतीया15:03
पक्ष :---------शुक्लपक्ष
माह:-------चैत्र
नक्षत्र :-----कृतिका:-25:35
योग:-----प्रीति:-07:18/आयु:------28:28
करण:-----गर:-15:03
चन्द्रमा:---मेष:-08:48/वृषभ
सूर्योदय:------06:22
सूर्यास्त:------18:56
दिशा शूल-----दक्षिण
निवारण उपाय:-----राई का सेवन
ऋतु :----बसंत ग्रीष्म ऋतु
गुलीक काल:-----09:30से11:00
राहू काल:-----14:00से15:30
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:----कलयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-06:22से07:56तक
चंचल:-11:05से12:39तक
लाभ:-12:39से14:13तक
अमृत:-14:13से15:48तक
शुभ:-17:22से18:56तक
🌓चोघङिया रात🌗
अमृत:-18:56से20:22तक
चंचल:-20:22से21:47तक
लाभ:-00:50से02:15तक
शुभ:-03:30से04:55तक
अमृत:-04:55से06:21तक
🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 385वा दिन, भद्रा प्रारंभ 26:03से, मन्वादि, मत्स्य जयंती, अरुंधती-व्रत- पूजन, गणगौर पूजन, गौरी तृतिया, आन्दोलन तृतिया (बिहार), सारहुल (बिहार), यमघण्टयोग सूर्योदय से 25:37, स्थिरयोग 15:03 से 25:37, रवियोग समाप्त 25:37, सौभाग्यशयन व्रत, शिवशक्ति पूजन, मेवाड उत्सव प्रा.(3दिन), ईश्वर-गौरी विसर्जन,
🙏🪷टिप्स🪷🙏
नवरात्रि में कुमकुम या रोली का टीका अवश्य लगाए।
सुविचार
जिस व्यक्ति का मन का भाव सच्चा होता है, उस व्यक्ति का हर काम अच्छा होता है।👍🏻
सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*नवदुर्गा के औषधि रूप :-*
*तृतीय चंद्रघंटा (चन्दुसूर) -*
दुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चनदुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है। ये कल्याणकारी है। इस औषधि से मोटापा दूर होता है। इसलिये इसको चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली एवं हृदयरोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
चंद्रसूर वात, बलगम, और दस्त को ठीक करता है | यह बलवर्धक और पुष्टिकारी है |
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
नई योजना में लाभ प्राप्ति के योग हैं। पराक्रम की वृद्धि होगी। समाज, परिवार में आदर मिलेगा। पूंजी निवेश बढ़ेगा। वाहन सावधानी से चलाएं।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यक्षेत्र में हितकारकों की पूर्ण कृपा रहेगी। क्रोध पर संयम आवश्यक है। आपको कई आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। साहित्यिक रुचि बढ़ेगी। आय-व्यय बराबर रहेंगे। सुसंगति से लाभ होगा। अनावश्यक कार्यों से दूर रहें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
संतान की ओर से अच्छे समाचार मिलेंगे। किसी समस्या का हल आपके प्रयत्नों से निकलेगा। किसी अच्छे मित्र से भेंट होगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
परिवार में सुख-शांति बढ़ेगी। आपकी बुद्धि एवं तर्क से आपके कार्य में सफलता मिलने के योग हैं। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा से दूर रहें।
👩🏻🏫 *राशि फलादेश कन्या* :-
आर्थिक स्थिति मनोबल में वृद्धि करेगी। दृढ़ निश्चय से कठिन कार्य भी हल होंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलने के योग बनेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
नवीन कार्य के अवसर बनेंगे। परिवार के सदस्यों पर विशेष ध्यान दें। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन में शांति रहेगी। वाहन सावधानी से चलाएं।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
पारिवारिक जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी। व्यापार-व्यवसाय मध्यम रहेगा। महत्वपूर्ण कार्यों को टालना ही ठीक रहेगा। आर्थिक हानि हो सकती है।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
स्वास्थ्य पर ध्यान दें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायी रहेगा। कार्य में व्यस्तता बढ़ेगी। घरेलू उलझनें आपके प्रयासों से ही सुलझेंगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
कार्य व्यवसाय में विशेष लाभ मिलने की संभावना है। आमदनी से अधिक खर्च नहीं करें। धन संबंधी मामलों में अधिक सचेत रहना आवश्यक है।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
दिन उत्साहवर्धक एवं मनोरंजनमयी रहेगा। कई दिनों के रुके कार्य पूर्ण होने के अवसर हैं। प��रिवारिक संबंध मधुर एवं प्रगाढ़ होंगे।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
अधिकारी वर्�� विशेष सहयोग करेंगे। आपकी बुद्धिमत्ता सामाजिक सम्मान दिलाएगी। परिवार में कलह का माहौल रहेगा। ऋण लेना पड़ सकता है।
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गर शब्द बनूँ, तो कुछ यूँ मैं बनूँ, कि हर कविता में मेरा ज़िक्र मिले!!
गर कविता बनूँ, तो कुछ यूँ मैं बनूँ, कि हर भाषा में वो कंठस्थ मिले!!
गर भाषा बनूँ, तो कुछ यूँ मैं बनूँ, हर भावों में उसका सन्दर्भ मिले!!
हे मात सरस! कुछ ऐसा वर दे, अब हर वाणी में तेरा 'हुँकार' मिले!!
हुँकार
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भारतद्वारा अतिक्रमित सीमा क्षेत्रमा विप्लव माओवादीले लगायो काँढेतार
९ माघ, काठमाडौं । नेत्रविक्रम चन्द ‘विप्लव’ सम्बद्ध अखिल क्रान्तिकारीले भारतबाट अतिक्रमित सीमा क्षेत्रमा काँढेतार लगाएको छ । चितवनको माडीस्थित सोमेश्वरगढी नजिकै मर्चरी भन्ने स्थानमा काँढेतार लगाएको हो ।
माडी क्षेत्रमा भारतले दुई सय मिटर वर सीमा स्तम्भ सारेको स्थानीयबासी बताउँछन् । त्यही ठाउँमा विप्लव नेतृत्वको माओवादीसम्बद्ध विद्यार्थी संगठन अखिल क्रान्तिकारीले तारबार गरेको हो ।
अखिल क्रान्तिकारीका अध्यक्ष चिरञ्जिवी ढकालले ३० मिटर लामो तारबार गरेको जानकारी दिए । खुल्ला सिमानाका कारण बिभिन्न आपराधिक गतिविधि बढेकाले बोर्डर सिल गर्नुपर्ने र भारतीय सीमा अतिक्रमण रोकिनुपर्ने सन्देश दिन तारबार गरेको उनले बताए ।
यस्तो अभियान अन्य जिल्लामा पनि जारी राख्ने उनको भनाइ छ । अध्यक्ष ढकालले भने, ‘हाम्रो विद्यार्थी संगठनले राष्ट्रिय स्वाधिनताको आन्दोलनलाई अगाडि बढाइरहेको छ, त्यही अभियान अन्तर्गत माडी क्षेत्रमा काँढेतार लगायौं । यस्तो अभियान लिएर हामी अरु जिल्लामा पनि जान्छौं । लिपुलेक पनि पुग्छौं ।’
तारबार लगाउन स्थानीयबासीसहित करिब १४५ जनाको टोली खटिएको थियो । उनीहरुले नेपालको राष्ट्रिय झण्डा र सीमा अतिक्रमण विरुद्ध नारा लेखिएको ब्यानर बोकेका थिए । ब्यानरमा ‘सीमा मिच्न बन्द गर’, ‘अतिक्रमित भूमि फिर्ता गर’, ‘राष्ट्रिय स्वाधिनताको रक्षा गर’ नारा लेखिएको थियो ।
एक तथ्यांकअनुसार भारतले नेपालका ��१ ठाउँमा ७८ हजारभन्दा बढी हेक्टर नेपाली भूमि अतिक्रमण गरेको छ । तर अतिक्रमित भूमि फिर्ता गराउन पहल नगरेको भनेर सरकारको आलोचना हुँदै आएको छ ।
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बहावा – निसर्गाचे लेणे
या गर्भश्रीमंत झाडाची आणि माझी पहिली ओळख कशी झाली आणि त्या नंतर आमचे एकतर्फी प��रेमप्रकरण (अर्थातच माझ्या बाजूने!) कसे सुरु झाले याची मजेशीर कहाणी आहे, पण त्या अगोदर मला माझ्या पार्श्वभूमीबद्दल सांगा��े लागेल.
मी लग्नाअगोदरची सरिता शर्मा आणि आता सरिता भावे. ७ वी ते पदवी पर्यंतचे शिक्षण धुळ्याला झाले. तोपर्यंत मला खानदेशातल्या रणरणत्या उन्हाळ्याला पुरून उरणारी वड, पिंपळ, उंबर, चिंच, शिरीष (पिवळट हिरवा!) अशीच झाडे माहित होती. फक्त गुलमोहरच काय तो त्याच्या पिवळट नारिंगी ते गडद लाल अशा विविध रंगच्छटानी सहज नजरेला आकर्षित करणारा होता. ते कडक ऊन पिऊन जणू गुलमोहराची सुळसुळीत पाने जास्तच हिरवी आणि फुले अधिकच लाल वाटायची आणि चक्क डोळ्यांना थंडावा द्यायची. माझ्यासाठी गुलमोहर ‘नंबर वन’ होता याविषयी काही शंकाच नव्हती!
मग सूक्ष्मजीवशास्त्रातील पदव्युत्तर शिक्षणासाठी मला पुणे विद्यापीठात प्रवेश मिळाला. विद्यापीठाच्या मुख्य इमारतीच्या परिसरात मी प्रथमच गुलाबी शिरीष, कैलासपती, काटेसावर (हिचे ‘शाल्मली’ हे संस्कृत प्रचुर नाव मला फारच छान वाटते!) इत्यादी नाविन्यपूर्ण झाडे पाहिली. त्यावेळी तिथल्या बागेत मला एका मध्यम उंचीच्या झाडाला २-३ चुकार पिवळे घोस लटकलेले दिसले (बहुदा जून महिना असेल तो). मी असे झाड आधी पाहिले नव्हते म्हणून लगेचच तिथे काम करणाऱ्या माळीदादांना त्याचे नाव विचारले. पुण्याचे असूनही (!) माळीदादांनी आपल्या कामातून लगेच मान वर करून, झाडाकडे निर्देश करणाऱ्या माझ्या हाताकडे पाहिले आणि उत्तरले, ‘हा तर भाव्या’! मला तर या नावाचे झाड ऐकून किंवा वाचनातूनही माहित नव्हते. तरी मला पटकन हसूच आले. कारण आताच्या भाषेत सांगायचे तर, तेव्हा माझ्या यजमानांशी माझी ओळख ‘just good friend’ या सदरात मोडत होती! त्यांच्या आडनावाचा अपभ्रंश एखाद्या झाडाचे नाव असू शकते याची मला फार मौज वाटली (पण झाडासाठी मात्र वाईट वाटले, इतक्या सुंदर फुलांना असं काय नाव?). झाड मात्र कायमचे माझ्या मनात वसले.
पुढच्या वसंत ऋतूत, एप्रिल-मे च्या दरम्यान जेव्हा मी त्याला पहिल्यांदा अनेक सोनेरी-पिवळ्या घोसानी नटलेले पाहिले, तेव्हा मला काय वाटले हे सांगण्या/लिहिण्या इतकी प्रतिभा माझ्यात नाही. गुलमोहर कधी ‘नंबर दोन’ झाला हे मला ही कळले नाही इतकी मी त्या झाडाच्या प्रेमात आकंठ बुडाले! कालांतराने त्याचे नाव ‘बहावा’ आहे असे कळले आणि मला त्या माळीदादांची आठवण आली. पु. लं. म्हणतात तसं खेडयाकडची माणसे शब्दांचे टोचरे कोपरे घासून जसं ‘स्टेशन’ चं ‘ठेसन’ करतात, तसं या माळीदादांनी ‘बहावा’ चे ‘भाव्या’ करून त्याला जास्त आपलेसे केले होते! पण त्यांच्यामुळे आता आयुष्यभरासाठी तो प्रसंग माझ्या मनात घर करून राहिला आहे!
या झाडासाठी अनेक नावे प्रचलित आहेत. ‘अमलतास’ हे नांव मराठी, हिंदी, उर्दू, बंगाली आणि नेपाळी भाषेत सुपरिचित आहे. संस्कृत मधील ‘सुवर्णक’ हे नाव इंग्रजीतल्या ‘गोल्डन शॉवर ट्री’ या नावाशी खूप जवळीक साधणारे आणि झाडाचे अतिशय चपखल वर्णन करणारे आहे! माझ्या दुर्दैवाने ३०० मार्कांचे (८ ते १० वी) संस्कृत ‘शिकूनही’ (?!) एकाही सुभाषितमालेत या झाडाचा उल्लेख असणारे पद मी शिकलेले नाही! बंगालीतले ‘सोनारू’ आणि ‘ओरिया’ भाषेतील ‘सुनारी’ नाव नक्कीच त्याच्या सोनेरी पिवळ्या फुलांवरुन आले असेल. याशिवाय ‘कॅशिया’, ‘इंडियन लॅबर्नम’ या नावाने इंग्रजीत आणि Cassia fistula या लॅटिन नावाने वनस्पतीशास्त्रात याची ओळख आहे.
वनस्पतीशास्त्रानुसार हे झाड चिंच, गुलमोहर, शंकासूर, कांचन (कचनार), यांच्या कुटुंबातील सदस्य आहे (Family Fabaceae (Leguminosae), subfamily Cesalpiniaceae). मूलतः जरी हे झाड भारतीय उपखंड आणि आग्नेय आशिया खंडातील देशात आढळणारे असले तरी जगभर याची जोपासना केली जाते. आपल्या केरळ राज्याचा हा ‘राज्यवृक्ष’ आहे. त्यांच्या ‘बिशू’ या सणात याचे विशेष महत्त्व आहे. जेव्हा मला कळले की हे झाड आणि फूल थायलंड देशाचे ‘राष्ट्रीय वृक्ष’ आणि ‘राष्ट्रीय फूल’ आहे, तेव्हा तर या देशाच्या सौंदर्यदृष्टीकोनाबद्दलचा माझा आदर जास्तच दुणावला! आपल्याकडेही, विशेषतः उत्तर भारतात, रस्त्यांच्या सुशोभीकरणासाठी आवर्जून या झाडाची लागवड केली जाते.
हे झाड पानगळीचे असून साधारण मध्यम, १०-२० मी. उंचीपर्यंत वाढते. खोड तसे टणक असते आणि कलाकुसरीच्या कामात वापरले जाते. पाने संयुक्तपर्णी असून, देठाच्या दोन्ही बाजूला ३-८ लंबगोलाकार पर्णिक�� असतात. फूलाला मोहक पिवळ्या, एकसारख्या आकाराच्या ५ पाकळ्या असतात. १० पैकी ७ पुंकेसर सारखे असतात आणि बाकी ३ पुंकेसर मिळून एक पुंकेसर बनतो. स्त्रीकेसर एकच आणि लांबट असतो.
आपल्याकडे साधारणपणे चैत्र-वैशाख (एप्रिल-मे) महिन्यात झाड पूर्ण फुलते. एखाद्या वनदेवतेने आपल्या अंगाखांद्यावर सोन्याची अनेक झुंबरे तोलून धरली आहेत असा भास व्हावा अशा पिवळ्याधमक घोसांनी झाड बहरून येते. घोस खाली लोंबणारे आणि लांबलचक असतात, कधी कधी फुटभर सुद्धा! घोसाचे, तळाशी पूर्ण उमललेली फुले, मधल्या भागात अर्धस्फुट कळ्या आणि अगदी टोकाशी मुक्या कळ्या, असे स्वरूप असते. काही झाडे अगदी पर्णहीन पण पिवळ्या घोसांनी खच्चून लगडलेली तर काही झाडे, हिरवी पाने आणि पिवळे घोस, अशी चतुर चित्रकारासारखी छान रंगसंगती साधणारी असतात. लावण्य मात्र सगळ्यांचेच अप्रतिम असते! खरं तर पिवळा काही माझा विशेष आवडता रंग नाही. म्हणून मी माझ्या मनात या घोसांना गुलाबी, लाल, आकाशी, जांभळा असे रंग ‘लावून’ पाहिले आहेत (तसा जाकारांडा आहेच की जांभळी-हिरवी रंगसंगती साधणारा, लेकीन वो बात कहाँ......!), पण छे......त्या अतिसुंदर, सोनेरी पिवळ्याची जागा कोणीच घेऊ शकत नाही, हे त्रिवार सत्य मी मान्य केले आहे! हे झाड तसे शालीन आहे, नुसतेच रूपाचा गर्व करणारे नाही! अगदी रातराणी, चमेली सारखा भपकारा नसू देत, पण घोसांच्या जवळ गेले की मंद, गोडसर सुवास नक्की जाणवतो. त्याच्या या मुद्दामहून आकर्षित न करून घेण्याच्या वृत्तीमुळे आपण नकळत त्याच्याकडे आकर्षिले जातो! त्याच्या या परिपूर्ण सौंदर्यासाठी याला ‘राजवृक्ष’ या नावाने पण संबोधले जाते.
फुलपाखरे, मधमाश्या आणि छोट्या पक्ष्यांसाठी या फुलांचा बहर पर्वणीच असतो. फुलांचे परागीभवन झाल्यावर तलवारीच्या पात्यासारख्या लांब पण नळीसारख्या (पाईप किंवा fistula) गर्द तपकिरी रंगाच्या शेंगा झाडाला लटकतात. तेव्हासुद्धा हिरवा-पिवळा-तपकिरी अशी दुर्मिळ तरीही एकमेकांना पूरक अशी रंगसंगती हे झाड साधते. शेंगांमध्ये कप्प्याकप्प्यात चपट्या बिया असतात, त्यांची संख्या १०० पर्यंत ही असू शकते. त्यांचा गर अस्वलं, कोल्हे, डुकरे याप्राण्यांशिवाय माकडांनाही विशेष प्रिय असतो. यावरून हिंदी आणि बंगालीत हे झाड ‘बंदर लाठी’ या नावाने पण प्रचलित आहे. आयुर्वेदात या गराचा ऊपयोग ‘सार��’ म्हणून आणि सालीचा ऊपयोग त्वचारोगावर केला जातो. म्हणून संस्कृत भाषेत याला ‘आरग्वध’ (रोग नष्ट करणारा) या नावाने ही गौरवले जाते.
बहाव्याचे घोस साधारण २ आठवडे ताजे वाटावे असे फुललेले राहतात. पावसाळ्यात पावसाचे १-२ तडाखे ते सहन करतात, नंतर मात्र झाड फक्त हिरव्या पानांनी भरून जाते. हिवाळ्यापर्यंत सगळी पानेही झडून जातात. चुकूनमाकून राहिलेल्या शेंगांमुळे झाड काही काळ ओळखता येते. आपले मन आणि डोळे मात्र पुढच्या वसंत ऋतूची आसुसून वाट पाहत राहतात! जर सोनेरी लोलकानी नटलेला बहावा कायम दर्शन देणार असेल तर वर्षभर मला उन्हाळा ऋतू ही मान्य आहे! पण नकोच.... मग त्याची वाट पाहण्यातली आतुरता आणि मजा नाहीशी होईल. निसर्गाने आपल्या हाताने, फुरसतीने घडवलेले, हे मुग्ध करणारे, सुंदर लेणे माझ्या सुदैवाने माझ्या आयुष्यात अगदी वेळेवर आले. याला ‘नंबर दोन’ करणारे झाड माझ्या प्रत्यक्ष पाहण्यात अजूनतरी नाही. याची जागा घेऊ शकेल अशी थोडी फार शक्यता मला फक्त ‘चेरी ब्लॉसम’ ची वाटते! पण मी जपानला केव्हा जाईन............?! तोपर्यंत तरी या ‘भाव्याशी’ माझे एकतर्फी प्रेमप्रकरण असेच चालू राहील याविषयी मला तरी काहीच शंका नाही!
डॉ. सरिता शर्मा भावे
गुरुवार, २० एप्रिल २०१७
{या लेखाचा संपादित अंश, २५ एप्रिल २०१५ (अंक २९, पृष्ठ क्र. ४०-४१), साप्ताहिक सकाळ मध्ये प्रकाशित झाला होता}
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झटपट स्ट्रॉबेरी जाम |Easy instant Strawberry Jam Marathi Recipe
एक काळ होता ज्यात किसान जाम ने धुमाकूळ घातला होता आणि त्या आय लव्ह सील जॅम्स ची ऍड तर क्या कहने त्यातला त्यात फळांचा गर असलेला जाम मात्र फक्त महाबळेश्वर ��ाच मिळायचा महाबळेश्वर आणि स्ट्रॉबेरीज च आणि वर्षातून एकदा तरी तो आपल्या घरी यायचा पण हा जॅम बनवणे फार सोपे आहे तर आपण बनवूया स्ट्राबेरी जाम स्ट्रॉबेरीज जॅम बनवण्यासाठी आपल्याला लागेल १/ २ किलो स्ट्रॉबेरी ३०० ग्राम साखर ३ कप दालचिनी चा १ इंच हा तुकडा अर्धा लिंबू सर्व प्रथम स्ट्रॉबेरी वाहत्या पाण्यात स्वच्छ धुऊन घ्या मग याची देठ चिरून घ्या व याच्या ४ फोडी करून घ्या चिरलेल्या स्ट्रॉबेरीज तापलेल्या पण मध्ये घाला वरून साखर घाला आणि १ १/२ ग्लास पाणी घाला व मंद याचे वर या स्ट्रॉबेरीज शिजू द्या साधारणतः ५ मिनिटांनंतर यात दालचिनीचा तुकडा घाला व लिंबू पिळा आणि झाकण लावूंन जाम शिजू द्या ३० ते ४० मिनिट तरी स्ट्रॉबेरी शिजायला वेळ लागेल या दरम्यान सतत ढवळत राहा जो पर्यंत घट्ट होत नाही तो पर्यंत हे मिश्रण शिजू द्या ४५ मिनीनातांतर आप्ल्यालाल जो घट्ट पणा हवा आहे तो मिळेल एका प्लेट वर या सिरप चे काही थेम्ब ओता जर ते ओघळले तर आणखीन शिजवा जर मिश्रण ओघळला नाही तर गॅस बंद करा मग यातून दालचिनीचा तुकडा बाहेर काढून घ्या आता एका चाळणीने हे मिश्रण गाळून घ्या व स्ट्रॉबेरीज घोटून घ्या उरलेला लगदा हि यात मिसळा तुम्ही या साठी हॅन्ड ब्लेंडर चा वापर हि करून शकता आता तयार जॅम एका बरणीत भरा व एका तासा साठी फ्रिज मध्ये सेट व्हाय ल ठेवा तास भरानी तयार झाला दैवी चवीचा स्ट्रॉबेरी जॅम
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(तृतीया तिथि)*📖
*👨👩👧👦 गणगौर पूजन महूर्त सुबह 08:12से 11:12बजे तक*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩🏵️ऊँ गं गणपतयेनमः🏵️🚩*
*🌹सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*भारतीय संस्कृति में विवाहित मातृशक्ति के अखंड सौभाग्य तथा कुंवारी कन्याओं द्वारा मनचाहा वर प्राप्त करने की कामना के महापर्व गणगौर तृतीया की आत्मीय शुभकामनाएं*
※══❖═══🚩🔱🕉️🔱🚩═══❖══※
*तृतीयं चंद्रघंटा पूजन (तृतीय दिवस) :-*
*चन्द्रघन्टा : मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप :-*
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन और आराधना की जाती है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण इन देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है। मन, वचन, कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि-विधान के अनुसार मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना एवं आराधना में तत्पर होना चाहिए। इनकी उपासना से समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
※══❖═══▩जयमातादी▩═══❖══※
दिनांक:-24-मार्च-2023
वार:-------शुक्रवार
तिथी:------03तृतिया:-17:00
पक्ष:-------शुक्लपक्ष
माह:-------चैत्र
नक्षत्र:------अश्विनी:-13:21
योग :--------वैधृति:-25:42
करण:-------गर:-17:00
चन्द्रमा:------मेष
सुर्योदय:-------06:42
सुर्यास्त:--------18:47
दिशा शूल--------पश्चिम
निवारण उपाय:---दही का सेवन
ऋतु :--------------बंसत ऋतु
गुलीक काल:---08:12से 09:42
राहू काल:------11:12से12:42
अभीजित-------12:04से12:58
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-06:42से08:12तक
लाभ:-08:12से09:42तक
अमृत:-09:42से11:12तक
शुभ:-12:42से14:12तक
चंचल:-17:16से18:47तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-21:45से23:15तक
शुभ:-00:42से02:12तक
अमृत:-02:12से03:42तक
चंचल:-03:42से05:12तक
आज के विशेष योग
वर्ष का003 रा दिन, भद्रा प्रारंभ 28:36 से दि.25/03/2023 को 16:23 तक स्वर्ग-लोक शुभ पश्चिम, मत्स्य जयंती, गणगौर (राज.), गौरी-आन्दोलन
तृतीया मनोरथ तृतीया व्रत, मन्वादि, रवियोग प्रारंभ 13:31, राजयोग 13:21से 17:00, अरुंधती व्रत-पूजन, मेला गणगौर, मेवाड उत्सव प्रारंभ (3दिन उदयपुर), ईश्वर -गौरी विसर्जन, वैधृति पुण्यम्॒
👉वास्तु टिप्स 👈
नवरात्रि में रोली या कुमकुम रोज मस्तक पर लगाएं।
सुविचार
जिस व्यक्ति का मन का भाव सच्चा होता है, उस व्यक्ति का हर काम अच्छा होता है।👍🏻राधे राधे
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*नवदुर्गा के औषधि रूप :-*
*तृतीय चंद्रघंटा (चन्दुसूर) -*
दुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चनदुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है। ये कल्याणकारी है। इस औषधि से मोटापा दूर होता है। इसलिये इसको चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली एवं हृदयरोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
चंद्रसूर वात, बलगम, और दस्त को ठीक करता है | यह बलवर्धक और पुष्टिकारी है |
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
नई योजना में लाभ प्राप्ति के योग हैं। पराक्रम की वृद्धि होगी। समाज, परिवार में आदर मिलेगा। पूंजी निवेश बढ़ेगा। वाहन सावधानी से चलाएं।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यक्षेत्र में हितकारकों की पूर्ण कृपा रहेगी। क्रोध पर संयम आवश्यक है। आपको कई आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। साहित्यिक रुचि बढ़ेगी। आय-व्यय बराबर रहेंगे। सुसंगति से लाभ होगा। अनावश्यक कार्यों से दूर रहें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
संतान की ओर से अच्छे समाचार मिलेंगे। किसी समस्या का हल आपके प्रयत्नों से निकलेगा। किसी अच्छे मित्र से भेंट होगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
परिवार में सुख-शांति बढ़ेगी। आपकी बुद्धि एवं तर्क से आपके कार्य में सफलता मिलने के योग हैं। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा से दूर रहें।
👩🏻🏫 *राशि फलादेश कन्या* :-
आर्थिक स्थिति मनोबल में वृद्धि करेगी। दृढ़ निश्चय से कठिन कार्य भी हल होंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलने के योग बनेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
नवीन कार्य के अवसर बनेंगे। परिवार के सदस्यों पर विशेष ध्यान दें। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन में शांति रहेगी। वाहन सावधानी से चलाएं।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
पारिवारिक जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी। व्यापार-व्यवसाय मध्यम रहेगा। महत्वपूर्ण कार्यों को टालना ही ठीक रहेगा। आर्थिक हानि हो सकती है।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
स्वास्थ्य पर ध्यान दें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायी रहेगा। कार्य में व्यस्तता बढ़ेगी। घरेलू उलझनें आपके प्रयासों से ही सुलझेंगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
कार्य व्यवसाय में विशेष लाभ मिलने की संभावना है। आमदनी से अधिक खर्च नहीं करें। धन संबंधी मामलों में अधिक सचेत रहना आवश्यक है।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
दिन उत्साहवर्धक एवं मनोरंजनमयी रहेगा। कई दिनों के रुके कार्य पूर्ण होने के अवसर हैं। पारिवारिक संबंध मधुर एवं प्रगाढ़ होंगे।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
अधिकारी वर्ग विशेष सहयोग करेंगे। आपकी बुद्धिमत्ता सामाजिक सम्मान दिलाएगी। परिवार में कलह का माहौल रहेगा। ऋण लेना पड़ सकता है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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आज हरितालिका तीज, पुरुषले पनि व्रत बस्न सक्ने
२७ भदौ, काठमाडौं । भाद्र शुक्ल तृतीयाका दिनमा मनाइने हरितालिका (तीज) पर्व आज उमा महेश्वरको पूजाराधना गरी मनाइँदैछ । भाद्र शुक्ल तृतीयामा व्रत बसी शिवपार्वतीको पूजा र उपासना गरेमा सुख, शान्ति र कल्याण प्राप्ति हुने धार्मिक विश्वास छ । यो व्रत गर्ने पुरुषले विधुर हुनु नपर्ने तथा नारीले अटल सौभाग्य र अविवाहित केटाकेटीले गुण सम्पन्न वर वा वधु पाउने मान्यता छ ।
सत्ययुगमा हिमालयपुत्री पार्वतीले गौरीघाटमा बसी तपस्या गरेर श्रीमहादेव पति पाउने कामना गरेकी थिइन् । पिता हिमालयले पार्वतीको इच्छा विपरीत विष्णुसित विवाह गरिदिन खोजेपछि उनले साथीहरुलाई आफ्नो समस्या सुनाइन् । पार्वती समस्यामा परेको थाहा पाएपछि उनका साथीहरुले उनलाई हरण गरेर लगी कसैले नदेख्ने ठाउँमा लुकाएर राखिदिए । साथीहरुले लुकाएकै ठाउँमा पार्वतीले निराहार व्रत गरी महादेवलाई प्राप्त गरिन् । यसरी पार्वती साथीहरुद्वारा हरण भएको दिन भाद्र शुक्ल तृतीयाको दिन भएकाले त्यही समयदेखि हरितालिकाको व्रत लिने प्रचलन शुरु भएको धर्मशास्त्रीय मत छ ।
संस्कृत भाषाका ‘हरित’ र ‘आलिका’ दुई शब्द मिलेर हरितालिका शब्द बनेको छ जसमा ‘हरित’ शब्दको अर्थ हरण गरिएको र ‘आलिका’ शब्दको अर्थ साथी भन्ने हुन्छ । सत्ययुगमा आजैको दिन निराहार व्रत बसी पार्वतीले श्रीमहादेव स्वामी पाएकीले आजको दिनमा व्रत बस्दा मनोकामना पूरा हुने विश्वास छ । यसको अर्थ सबै नारी निराहार व्रत बस्नुपर्छ भन्ने नरहेको नेपाल पञ्चांग निर्णायक समितिका अध्यक्ष प्रा. डा. रामचन्द्र गौतम बताउँछन् । ‘निराहार, जलाहार र फलाहार गरी व्रतका तीन किसिम छन्, सक्नेले निराहार, नसक्नेले जलाहार र जलाहार पनि नसक्नेले फलाहार व्रत गर्नु उत्तम हुन्छ,’ उनले भने ।
‘सर्वतः आत्मानं गोपायेत्’ अर्थात् सबैतिरबाट आत्माको रक्षा गर अनि मात्र व्रत गर भन्ने धर्मशास्त्रीय वाक्यलाई पनि विचार गरेर व्रत गर्नु उत्तम हुने अध्यक्ष गौतमको भनाइ छ ।
श्रीमानको दीर्घायुको कामना भनेर गलत प्रचार
व्रत बस्नेले आफ्नो क्षमतानुसार पानी, कन्दमूल (सखरखण्ड, पिँडालु आदि), फलफूल, दूध, हवनीय वस्तु, श्रोत्रीय ब्राहृमणले खान हुने चिज, गुरुको वचनानुसारका खानेकुरा र औषधि गरी आठ कुरा खान हुने शास्त्रीय मान्यता छ । श्रीमानको दीर्घायुको कामनाका लागि मात्र तीजको व्रत बसिने भनेर गलत प्रचार भइरहेको पनि गौतमले बताए । ‘अटल सौभाग्यको कामना, सन्तान प्राप्ति, अविवाहित केटी एवं केटाहरुले असल वर र ��धू प्राप्तिका लागि पनि तीजको व्रत बस्ने शास्त्रीय विधान छ’, उनले भने ।
नारीले परिवारको अभिभावकका रुपमा प्रतिनिधित्व गरी व्रत बस्ने भएकाले नसकेका अवस्थामा अथवा रजस्वला भएका बेलामा पुरुषले पनि व्रत बस्ने गरेका छन् । यस अर्थमा अहिले केही नारीवादीले उठाएजस्तो विभेदकारी व्रत परम्परा पनि तीज नभएको धर्मशास्त्रविदको भनाइ छ ।
समग्रमा मनोकामना पूर्ण गराउने र सम्पूर्ण परिवारको कल्याणका लागि व्रतको प्रयोजन रहेकोे धर्मशास्त्रीको मत छ । आत्मावादी र ईश्वरवादी दुवैले यो व्रत लिने गरेका छन् । समग्रमा परिवारको यस लोकमा सुख, शान्ति र पारलौकिक सदगतिका लागि तीजको व्रतको महत्व छ ।
व्रत सकाम, निष्काम, नित्य, नैमित्तिक, र काम्य गरी पाँच किसिमका छन् । तीजको व्रत नित्य र काम्य दुवै खालको भएको प्रा. डा. गौतमले बताए । तीजको व्रत हिन्दू मात्रका लागि नभई मानव मात्रका लागि भएको धर्मशास्त्रीय ग्रन्थमा उल्लेख गरिएको पनि उनले जानकारी दिए ।
‘अकरणे प्रत्यवाय श्रवणात् करणे फल श्रवणाच्च हरितालिका व्रतं नित्यं काम्यं च भवति’ (यो व्रत नगर्दा दोष लाग्छ, गरेमा फल प्राप्त हुन्छ, यो व्रत नित्य र नैमित्तिक दुवै हो) भनी धर्मशास्त्रीय ग्रन्थमा उल्लेख गरिएकाले पनि यस व्रतलाई संकुचित अर्थमा लिन नहुने अध्यक्ष गौतमले बताए ।
यो व्रत सक्नेले निराहार बस्ने भएकाले मंगलबार व्रतालुले मीठा एवं आडिला-दरिला परिकार दरका रुपमा खाई आजको व्रतका लागि पूर्व तयारीसमेत गर्छन् । विशेषगरी माइती तथा दाजुभाइले छोरी, चेली, दिदीबहिनीलाई बोलाई दर खुवाउने गर्छन् । दर दुई भाग रात हुँदै खाइसक्नुपर्ने शास्त्रीय विधान छ । महिलाले वर्षदिनभर आफूलाई परेका दुःख, पीर, मर्कालाई पोख्ने पर्वका रुपमा समेत उपयोग गर्ने गरेका छन् । तीजको अवसरमा गीतका माध्यमबाट यस्ता मर्कालाई महिलाले सार्वजनिक गर्छन् ।
पछिल्लो समय तीजका नाममा उच्छृंखलता र तडकभडक आएको छ । एक महिनाअघि देखि दर खाने, गरगहना एवं फेशन प्रदर्शन गर्नेजस्ता गतिविधिले तीजको संस्कृतिलाई विकृतिका रुपमा लैजान खोजेको संस्कृतिविद एवं पशुपति क्षेत्र विकास कोषका पूर्वसदस्य सचिव डा. गोविन्द टण्डन बताउँछन् । यस्ता गतिविधिले नहुनेलाई खिन्न बनाउने भएकाले पनि विकृति रोकिनुपर्नेमा संस्कृतिविद् एवं धर्मशास्त्रीले जोड दिएका छन् ।
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