#कोविड महामारी
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#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा
कोरोना महामारी के समय जब बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी पीछे हट गईं थीं और सरकार के पास लोगों के इलाज़ के लिए अस्पताल कम पड़ रहे थे। तब संत रामपाल जी महाराज ने सरकार से अपने आश्रमों को कोविड सेंटर में तब्दील करने का आग्रह किया। उन्होंने न केवल कोविड सेंटर में आने वाले सभी खर्चों का वहन करने का भी वादा किया
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समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूलसकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपारही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करनेमें आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कमपड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिएसंत रामपाल जी व उनके अनुयायी सामनेआए थे और संत रामपाल जी के मार्गदर्शनमें सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) वसतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) मेंअस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससेमानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
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*#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा*🔹 समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी जो मानव ज���ति को तबाह करने में आमादा थी। तब संत रामपाल जी व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे।
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#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा
🔹कोरोना महामारी के समय जब बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी पीछे हट गईं थीं और सरकार के पास लोगों के इलाज़ के लिए अस्पताल कम पड़ रहे थे। तब संत रामपाल जी महाराज ने सरकार से अपने आश्रमों को कोविड सेंटर में तब्दील करने का आग्रह किया। उन्होंने न केवल कोविड सेंटर में आने वाले सभी खर्चों का वहन करने का भी वादा किया बल्कि इसके साथ-साथ अनेकों प्रवासी मजदूरों के लिए भी आश्रमों के द्वार खोल दिए थे। जो समाज हित में किये जाने वाले उनके सामाजिक कार्यों में योगदान को प्रदर्शित करता है।
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#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा
कोरोना महामारी के समय जब बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी पीछे हट गईं थीं और सरकार के पास लोगों के इलाज़ के लिए अस्पताल कम पड़ रहे थे तब संत रामपाल जी महाराज ने सरकार से अपने आश्रमों को कोविड सेंटर में तब्दील करने का आग्रह किया।सभी खर्च का वहन करने का भी वादा किया
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Under the able leadership of Prime Minister Narendra Modi, India is emerging as a ray of hope amidst global uncertainty: Colonel Rajyavardhan Rathore
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को डोमिनिका का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान दिए जाने की घोषणा पर कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने दी शुभकामनाएं
डोमिनिका का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान मिलना प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रेरणादायी दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत आशा की किरण बनकर उभर रहा है : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने गुरुवार को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को कैरेबियाई द्वीप देश डोमिनिका द्वारा अपने देश का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान दिए जाने की घोषणा करने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को एक और अद्वितीय सम्मान। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है कि Dominica ने अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान The Dominica Award of Honour से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को सम्मानित किए जाने की घोषणा की है। यह प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए 16वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है, जो उनके प्रेरणादायी दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक है। हार्दिक शुभकामनाएं मोदी जी। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की काफी मदद की थी। मोदी जी के इस योगदान से डोमिनिका और भारत की साझेदारी और मजबूत हुई है। यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में स्वास्थ्य, सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को भी मान्यता देता है। मोदी जी डोमिनिका के सच्चे साथी रहे हैं। माननीय मोदी जी के कुशल नेतृत्व में वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत आशा की किरण बनकर उभर रहा है
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कोरोना महामारी के समय जब बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी पीछे हट गईं थीं और सरकार के पास लोगों के इलाज़ के लिए अस्पताल कम पड़ रहे थे। तब संत रामपाल जी महाराज ने सरकार से अपने आश्रमों को कोविड सेंटर में तब्दील करने
#GodMorningMonday
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🔹कोरोना महामारी के समय जब बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी पीछे हट गईं थीं और सरकार के पास लोगों के इलाज़ के लिए अस्पताल कम पड़ रहे थे। तब संत रामपाल जी महाराज ने सरकार से अपने आश्रमों को कोविड सेंटर में तब्दील करने का आग्रह किया। उन्होंने न केवल कोविड सेंटर में आने वाले सभी खर्चों का वहन करने का भी वादा किया बल्कि इसके साथ-साथ अनेकों प्रवासी मजदूरों के लिए भी आश्रमों के द्वार खोल दिए थे। जो समाज हित में किये जाने वाले उनके सामाजिक कार्यों में योगदान को प्रदर्शित करता है।
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कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने में आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
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#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा
जब देश वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों से जूझ रहा था। ऐसे में संत रामपाल जी महाराज जी ने आगे आकर सरकार को अपना आश्रम सौंपकर उसे कोविड सेंटर बनाने का आग्रह किया।
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समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने में आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
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कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने में आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
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#समाज_सुधारक_संत_रामपालजी
जब देश वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों से जूझ रहा था तब कोई भी धर्मावलम्बी चाहे वह किसी भी धर्म का पीर, फकीर, गुरु, पादरी इत्यादि हो आगे नहीं आया। किंतु इन कठिन परिस्थितियों में संत रामपाल जी महाराज जी ने खुद आगे आकर सरकार को अपने आश्रम सौंपकर उन्हें कोविड सेंटर बनाने का आग्रह किया और कोविड सेंटर में आने वाले सभी खर्चों को चाहे वह दवाई, खाना-पीना, शौचालय, पंखा, बिस्तर, पलंग इत्यादि का खर्च खुद ही वहन करने का वादा किया।
↪️🔮PlayStore से Install करें :-
"Sant Rampal Ji Maharaj" ऐप्प🙏
↪️🔮अवश्य सुनिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन निम्न टीवी चैनलों पर :-
➜ साधना चैनल 📺 शाम 7:30 से 8:30
➜ श्रद्धा चैनल 📺 दोपहर - 2:00 से 3:00
Visit- "Satlok Ashram" on YouTube.
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29.01.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्धारा संचालित ‘वस्त्र वितरण अभियान’ के अंतर्गत जनहित में इंदिरा नगर के विभिन्न क्षेत्रों में ट्रस्ट के सूचना, शिक्षा एवं जागरूकता अभियान वाहन के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को उपयोगी वस्त्रों का वितरण किया गया l साथ ही आमजन को कोरोना महामारी की गंभीरता तथा लक्षणों के बारे में जागरूक किया, मास्क जरूर लगाने व सोशल डिस्टेन्सिंग नियमावली का पालन करने तथा कोविड-19 वैक्सीन का टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया गया l
जनहित में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्धारा "वस्त्र वितरण अभियान" विगत दिनांक 31.10.2012 से संचालित किया जा रहा है l इस अभियान के तहत सक्षम एवं संपन्न महानुभाव उपयोगी वस्त्र ट्रस्ट को दान करते हैं l दान किये गए वस्त्रों का परीक्षण करके, उन्हें व्यवस्थित करने के उपरान्त जरूरतमंद लोगों विशेषकर गरीबों में वितरित किया जाता है l
#ClothDistribution
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#HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
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अभिनेता सोनू सूद की हाई वोल्टेज फिल्म ‘फतेह’ देशभर में रिलीज
झालावाड जिले के रायपुर निवासी शुभम व निखिल गुप्ता की स्टार्टअप कंपनी संभाल रही सोशल मीडिया प्रबंधन न्यूजवेव @ मुंबई बॉलीवुड के निर्देशक व एक्शन अभिनेता सोनू सूद की सुपरहिट हिंदी फिल्म ‘फतेह’ 10 जनवरी को देशभर में रिलीज हो गई। साइबर क्राइम के खिलाफ लडाई पर फोकस यह फिल्म कोविड, 2019 महामारी के दौरान आम आदमी की रोजमर्रा की घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म को इंटरनेशनल स्टंट डायरेक्टर ली विटट्कर ने निर्देशित किया ��ै। सूद ने बताया कि उन्होंने अभिनय से पहले ढाई माह तक एक्शन सीन स्वयं लिखे हैं। इसकी शूटिंग इस्तानबुल, दुबई एवं यूएस में हुई है।
झालावाड जिले के रायपुर कस्बे से दो युवा शुभम गुप्ता एवं निखिल गुप्ता अभिनेता सोनू सूद के सोशल मीडिया मैनेजमेंट की जिम्मेेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस माह रिलीज हुई बहुप्रतीक्षित हाई वोल्टेज हिंदी फिल्म ’’फतेह’ ने हिंदी बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी है। पहले सप्ताह में ही 16.5 करोड रू से अधिक बिजनेस किया है। युवाओं को यह एक्शन मूवी खूब पंसद आ रही है। निखिल ने बताया कि अभिनेता सोनू सूद लीक से हटकर अभिनय करते हैं। उनसे समर्पित होकर लक्ष्य के प्रति कडी मेहनत करने की सीख मिली है। स्टार्टअप से बढ़ाया राजस्थान का गौरव
Actor Sonu Sood with Shubham & Nikhil Gupta हाडौती अंचल के दोनो युवा अपनी स्टार्टअप कंपनी ‘प्रोमो डैडी डिजिटल एलएलपी’ (PromoDaddy digital LLP) के माध्यम से बॉलीवुड में अलग पहचान बनाकर राजस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं। वे भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के पब्लिक रिलेशन मैनेजर के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। पिछले दिनों मुंबई में अभिनेता सोनू सूद ने निखिल के जन्मदिन पर ऑफिस में आकर उनको बधाई दी और उनकी कड़ी मेहनत व अनूठी कार्यशैली को सराहा। दोनो युवाओं ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद और विधायक प्रत्याशियों के सोशल मीडिया कैम्पेन संभालकर खुद को विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है। उनकी रण��ीति और प्रबंधन कौशल से कई राजनीतिक अभियानों को सफलता मिली है। छोटे से गांव से विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों का सामना करते हुये नवाचार करने वाले शुभम व निखिल गुप्ता नये क्षेत्र में अपनी उद्यमिता की छाप छोडने में सफल रहे। Read the full article
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How 3 Major Countries in Recession Are Affecting the World
Introduction
Countries Struggling With Recession: पिछले कई सालों से मंदी के शोर से अमेरिका और जर्मनी समेत दुनिया भर के देश परेशान हैं. जानकारों का मानना है कि वर्ष 2024 में मंदी ने एक बार पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. बड़े से बड़े देश भी इस समय मंदी से जूझ रहे हैं. ऐसे में कई सेक्टरों की बुरी हालत हो गई है. महंगाई को कंट्रोल करने की सभी कोशिशें नाकाम होती नजर आ रही हैं. कच्चे तेल की कीमतें हों या खाद्य वस्तुओं को दाम, हर चीज पर महंगाई का असर है. पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में आज हम जानेंगे कौन से ऐसे 3 देश हैं जो इस समय महामंदी से जूझ रहे हैं. इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ रहा है.
Table Of Content
श्रीलंका
आर्थिक मंदी
हालात खराब होने की क्या है वजह?
सेलोन बैंक कर्मचारी ने दिया बयान
जर्मनी
प्रमुख उद्योग संघ ने दी चेतावनी
जर्मनी में महामंदी की शुरुआत
जर्मनी में मंदी का क्या है कारण?
सुस्त रिकवरी
जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी में सुधार कब ?
जापान
क्या है बड़ी वजह?
श्रीलंका
श्रीलंका ऐतिहासिक रूप से सीलोन के रूप में जाना जाता है. मई, 2024 में पहली बार श्रीलंका ने अपने लोन का भुगतान नहीं किया. इसके बाद हालात बदतर हो गए. यहां तक कि जनता सड़कों पर उतर आई. श्रीलंका इस समय 70 वर्षों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. श्रीलंका में मंदी साल 2019 से चल रही है और दिन पर दिन स्थिति खराब होती जा रही है. इस दौरान ईंधन की कीमतों में भी उछाल देखा गया, जो कमोबेश अब भी जारी है. खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसकी वजह से हजारों लोग रोजाना भूखे रह रहे हैं. सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी ऋण अब 101 प्रतिशत है और साल 2023 में इसका आंकड़ा 120 प्रतिशत तक पहुंच गया था. श्रीलंका विकास अद्यतन में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि श्रीलंका में महंगाई में कमी आई है. नई नीतियों के लागू होने की वजह से कर में वृद्धि हुई है. 5 दशकों में पहली बार चालू खाता अधिशेष हुआ है, जिसे बढ़ी हुई धनराशि और पर्यटन में पुनः वृद्धि से बल मिला है. इसके बावजूद श्रीलंका के हालात सामान्य बेहद खराब स्थिति में हैं.
आर्थिक मंदी
वर्ष 2022 की शुरुआत में श्रीलंका की स्थिति बद से बदतर नजर आई थी. महंगाई की दर आसमान छू रही थी. ��स्तुओं की कीमतें अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गईं. विश्व बैंक की मानें तो श्रीलंका में 500,000 से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए. देश में खाने, दवा और ईंधन की कमी के साथ-साथ दैनिक ब्लैकआउट और अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी जा गई थी. ऐसी स्थिति को देखते हुए वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी थी. इससे जूझ रहे लोगों के मन में गुस्सा भरा पड़ा. पुलिस और सुरक्षाबलों के तैनाती के बावजूद श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन जारी रहा. इसके बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया और सिंगापुर भाग गए. इन घटनाओं के बाद से तत्कालीन प्रधानमंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को 21 जुलाई को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति चुना गया. विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई और कर्फ्यू लगा दिया गया.
हालात खराब होने की क्या है वजह?
गौरतलब है कि सरकार ने इस संकट के लिए कोविड महामारी को जिम्मेदार ठहराया. कहा गया कि कोविड की वजह से पर्यटन उद्योग बर्बाद हो गया. श्रीलंका की विनाशकारी आर्थिक नीतियों को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया. टैक्स में बड़ी कटौती के चलते सरकार को राजस्व में सालाना 1.4 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. रासायनिक फर्टिलाइज़र पर 2021 में प्रतिबंध से घरेलू स्तर पर खाद्य पदार्थों की कमी हुई. खर्च को कम करने के लिए सरकार ने सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों, जैसे श्रीलंका एयरलाइंस, श्रीलंका इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन और श्रीलंका टेलीकॉम का निजीकरण करना शुरू कर दिया.
सेलोन बैंक कर्मचारी ने दिया बयान
सेलोन बैंक के कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष अनुपा नानदुला ने मंदी पर बात करते हुए कहा कि सरकार को सुधारों का बोझ वेतन लेने वाले वर्ग और मध्यम वर्ग पर नहीं डालना चाहिए, जो पहले से ही आर्थिक संकट से प्रभावित हैं. उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंका इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के निजीकरण के खिलाफ हाल ही में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. वो मानते हैं कि निजीकरण से नौकरियां कम होंगी और कर्मचारी वर्ग पर ज्यादा बोझ पड़ेगा. पिछले साल आर्थिक संकट के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से खत्म करने के बाद से ही श्रीलंका में प्रशासन बल का प्रयोग कर रही है.
जर्मनी
दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला देश जर्मनी एक बार फिर मंदी का शिकार है. जर्मनी की इकोनॉमी में दूसरी तिमाही में अचानक गिरावट देखने को मिली. जर्मनी की सकल घरेलू उत्पाद में पहली तिमाही की तुलना में 0.1 प्रतिशत गिरावट देखने को मिली. यहां बता दें कि लगातार दो तिमाही में गिरावट को मंदी कहा जाता है. जर्मनी की अर्थव्यवस्था इन दिनों गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. कच्चे माल जैसे कि लिथियम पर बढ़ती निर्भरता और ऑर्डर की कमी से उसकी हालत साल 2009 की मंदी के बाद से सबसे खराब स्तर पर है. ऑर्डर की कमी से आर्थिक परेशानी और बढ़ रही है.
प्रमुख उद्योग संघ ने दी चेतावनी
जर्मनी के प्रमुख उद्योग संघ, फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज ने इस मुद्दे को लेकर चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि जर्मनी की कच्चे माल, खासकर लिथियम के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ रही है. उन्होंने आगे बताया कि अगर चीन से लिथियम का आयात रुक जाता है तो इससे जर्मनी की अर्थव्यवस्था को लगभग 115 अरब यूरो (122 अरब डॉलर) का नुकसान हो सकता है. जो औद्योगिक उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत है. वहीं, एक प्रमुख दैनिक समाचार ने बताया कि जर्मन सरकार को लगता है कि अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल भी सिकुड़ेगी और उसने अपने पूर्वानुमानों में कटौती की है. औद्योगिक मंदी, कम निर्यात और बढ़ती ऊर्जा लागत को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्रालय को उम्मीद है कि 2024 में अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे वर्ष सिकुड़ेगी. अब 0.3 प्रतिशत वृद्धि के अपने पूर्व अनुमान के बजाय 0.2 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया गया है.
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जर्मनी में महामंदी की शुरुआत
जर्मनी में महामंदी की शुरुआत साल 1930 के दशक में आई. यह एक गंभीर वैश्विक आर्थिक मंदी थी, जिसमें जर्मनी सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था.
जर्मनी में मंदी का क्या है कारण?
जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि साल 2024 में भी जर्मनी की अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी. उसे अगले वर्ष में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जो पिछले पूर्वानुमान में 1 प्रतिशत थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 तक अर्थव्यवस्था में 1.6% की वृद्धि होने की उम्मीद है. हालांकि, इस समय जिस तरह के हालात चल रहे हैं उससे इस आंकड़े को हासिल करना बेहद मुश्किल लग रहा है. जर्मनी में मंदी के कई वजह हो सकते हैं.
सुस्त रिकवरी
साल 2023 में जर्मनी संकुचन वाली एकमात्र प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्था होगी, जिसकी बड़ी वजह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध है. औद्योगिक मंदी, कम निर्यात ऑर्डर और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के प्रभाव से जूझ रही है. ऐसा माना जा रहा था कि महंगाई में कमी और यूरोपीय केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती से इस साल एक बार फिर अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, लेकिन घरेलू और विदेशी स्तर पर कमजोर मांग ने इन सकारात्मक कारकों को काफी हद तक नकार दिया.
जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी में सुधार कब ?
मंदी पर बात करते हुए जर्मनी के अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने बताया कि सरकार की प्रस्तावित विकास पहल आर्थिक सुधार लाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी.
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जापान
जापान की अर्थव्यवस्था के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा है. देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती हुई नजर आ रही है. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जापान ने अपना स्थान खो दिया है. जापान अब चौथे स्थान पर आ गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जापान धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता को खो रहा है. देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक साल की तुलना में 2023 के अंतिम तीन महीनों में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई है. इससे पहले पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत गिरावट आई थी. गौरतलब है कि जापान के कैबिनेट कार्यालय के आंकड़े भी संकेत देते हैं कि जापान ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना स्थान खो दिया है.
क्या है बड़ी वजह?
युवा आबादी
जापान की अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी गिरावट की सबसे मुख्य वजह ��ुवा आबादी है. जापान में बच्चों के कम जन्म की वजह से जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है. ऐसे में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने अनुमान जताया है कि जापान चौथे स्थान पर आने वाला है. फिलहाल जापान की GDP, पिछले साल कुल 4500 अरब अमेरिकी डॉलर या लगभग 591000 अरब येन थी. जर्मनी ने पिछले महीने जीडपी 4400 अरब अमेरिकी डॉलर या 45000 अरब अमेरिकी डॉलर होने की घोषणा की थी.
जीडीपी में गिरावट
लगातार जीडीपी में गिरावट जापान को मंदी का शिकार बना रहा है. कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जापानी अर्थव्यवस्था में 0.4 प्रतिशत की सालाना दर से सिकुड़ गई है. ये पिछली तिमाही से 0 से 0.1 प्रतिशत कम है. साल 2023 के लिए जीडीपी पिछले साल की तुलना में 1.9 प्रतिशत बढ़ी थी. जापान ने अपने अर्थव्यवस्था को स्मॉल और मिड साइज के बिजनेस के माध्यम से आगे बढ़ाया है.
कोर इनफ्लेशन हाई
जापान में महंगाई बीते कुछ दिनों में कम हुई है, लेकिन कोर इनफ्लेशन रेट के आंकडे बढ़ते जा रहे हैं. केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत लक्ष्य से 15वें महीने भी ऊपर रही है. ऐसे में अब GDP के आंकड़े भी अनुमान से कम रहे हैं.Conclusion
कोविड महामारी के बाद से ही जापान, जर्मनी और श्रीलंका समेत कई देशों पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है. इसका असर सिर्फ 3 देशों पर ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. मंदी का असर महंगाई और बेरोजगारी पर पर हो रहा है. इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग देशों के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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