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#कुत्ते की शक्ति
pradeepdasblog · 2 months
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart58 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart59
"श्री नानक देव जी द्वारा श्राद्ध भ्रम खण्डन"
* अन्य उदाहरण सिक्ख धर्म के प्रवर्तक श्री नानक देव साहेब जी की जीवनी में एक घटना ऐसी है जिसका वर्णन करता हूँ जो पवित्र पुस्तक "भाई बाले वाली जन्म साखी श्री नानक देव" में लिखी है जिसकी हैडिंग है "आगे साखी दुनिचंद खत्री नाल होई"।
* संक्षिप्त प्रकरण इस प्रकार है:
श्री नानक जी को परमात्मा (परम अक्षर ब्रह्म) बेई नदी पर उस समय मिले थे, जिस समय श्री नानक जी सुलतानपुर शहर से सुबह के समय प्रतिदिन की तरह बेई नदी में स्नान करने के लिए गए थे। अन्य नगरवासी भी स्नान कर रहे थे। उस समय परमेश्वर कबीर जी बाबा जिंदा के वेश में आए और श्री नानक जी के साथ दरिया में स्नान करने के बहाने प्रवेश हुए। अन्य उपस्थित व्यक्ति देख रहे थे। दोनों ने दरिया में डुबकी लगाई, परंतु बाहर नहीं आए। दोनों को दरिया में डूबा मान लिया गया था। परमेश्वर जी श्री नानक जी की आत्मा को लेकर (शरीर को दूर जंगल में छोड़कर) अपने साथ अपने निवास स्थान सतलोक (सच्चखण्ड) में ले गए। तीन दिन तक काल ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों, अक्षर पुरूष के सात शंख ब्रह्माण्डों तथा अपने सतलोक के असंख्य ब्रह्माण्डों की स्थिति को आँखों दिखाया, यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान बताया तथा यथार्थ मोक्ष मंत्र सतनाम (जो दो अक्षर का है जिसमें एक ॐ मंत्र है तथा दूसरा गुप्त है जो उपदेशी को बताया जाता है।) से मुक्ति होना बताया। फिर एक नाम (सारनाम) का विशेष योगदान मानव के मोक्ष की साधना में है, उससे परिचित कराया तथा सतनाम और सारनाम को कलयुग के पाँच हजार पाँच सौ पाँच (5505) वर्ष बीत जाने तक गुप्त रखने की आज्ञा दी। श्राद्ध-पिण्डदान आदि कर्मकाण्ड को व्यर्थ बताया और स्वर्ग-नरक को दिखाया।
तीसरे दिन श्री नानक जी की आत्मा को शरीर में प्रवेश करके अंतर्ध्यान हो गए। उसके पश्चात् श्री नानक जी ने अपने दो शिष्यों "भाई बाला तथा मर्दाना" को साथ लेकर प्रभु से प्राप्त यथार्थ ज्ञान व आँखों देखी ऊपर के लोकों की व्यवस्था का प्रचार करने के उद्देश्य से देश-प्रदेश में बारह वर्ष भ्रमण किया। उसी दौरान लाहौर में एक धनी व्यक्ति दुनिचन्द खत्री की प्रार्थना पर उनके घर गए। उस दिन सेठ दुनिचन्द खत्री ने अपने पिता जी का श्राद्ध किया था। कई ब्राह्मणों को भोजन करवाया तथा वस्त्र व हजारों रूपये दक्षिणा दी थी। श्री नानक जी ने पूछा कि हे दुनिचन्द ! आज किस उपलक्ष्य में इतने पकवान बनाऐ हैं। दुनिचन्द ने बताया कि महाराज जी! आज मेरे पिता जी का श्राद्ध किया है। श्री नानक जी ने पूछा कि आपके पिता जी कहाँ है? उत्तर दुनिचन्द का कि वे स्वर्गवासी हो चुके हैं। श्राद्ध करने से उनको एक वर्ष तक स्वर्ग में भूख नहीं लगती।
यह बात सुनकर श्री नानक जी ने कहा कि हे दुनिचन्द ! आपको आपके अज्ञानी गुरूओं ने भ्रमित कर रखा है। आपका पिता जी तो बाघ (Lion) के शरीर को प्राप्त होकर उस जंगल में एक वृक्ष के नीचे भूख से व्याकुल बैठा है। यदि मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो जाँच कर सकते हैं। तू एक व्यक्ति का भोजन तैयार कर, उस जंगल में जा, तेरी दृष्टि पड़ते ही मेरे आशीर्वाद से उस बाघ (सिंह) को मनुष्य बुद्धि आ जाएगी। उसको अपना पूर्व जन्म भी याद आ जाएगा। दुनिचन्द जी को श्री नानक जी पर पूर्ण विश्वास था कि इन्होंने जो बोल दिया, वह सिद्ध है। इस महात्मा में लोग बड़ी शक्ति बताते हैं। दुनिचन्द सेठ एक व्यक्ति का भोजन जो श्राद्ध के बाद बचा था, लेकर उस बताए जंगल में उसी झाड़ के पास गया तो एक सिंह दिखाई दिया जो दुनिचन्द की ओर कुत्ते की तरह दुम हिला हिलाकर भाव प्रकट करने लगा कि मैं कोई हानि नहीं करूंगा, आ जा मेरे पास। दुनिचन्द सेठ ने भोजन बाघ के सामने थाली में रख दिया। सर्व भोजन बाघ खा गया। दुनिचन्द ने पूछा कि हे पिता जी! आप तो बड़े धर्म-कर्म करते थे। आप तो सदा शाकाहारी रहे थे। आपकी यह दशा कैसे हुई? श्री नानक महाराज जी की शक्त्ति से सिंह ने कहा कि बेटा! जब मेरे प्राण निकल रहे थे, उसी समय साथ वाले मकान में माँस पकाया जा रहा था। उसकी गंध मेरे तक आई, मेरे मन में माँस खाने की इच्छा हुई। उसी समय मेरे प्राण निकल गए। जिस कारण से मुझे शेर का शरीर मिला। बेटा दुनिचन्द ! आप किसी पूर्ण संत से दीक्षा लेकर अपने जीव का कल्याण करा लेना। मानव जीवन बड़ी कठिनता से मिलता है। यह कहकर शेर जंगल की ओर गहरा चला गया। दुनिचन्द ने उन अज्ञानी धर्मगुरूओं को धिक्कारा जो सबको भ्रमित कर रहे हैं। अब विश्वास हुआ कि श्राद्ध करने से कोई लाभ मृतक को नहीं मिलता। घर आकर श्री नानक जी के चरणों में गिरकर अपने कल्याण के लिए यथार्थ भक्ति का ज्ञान तथा मंत्र लेकर आजीवन स्मरण किया तथा सर्व अंधविश्वास वाली साधना त्याग दी जो शास्त्रों के विरूद्ध कर रहा था। मानव जीवन सफल किया।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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animalvidoes · 3 months
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आज यह बिल्ली मेरी आवाज सुन कर मेरी ओर आने लगी #cat #cutecat #catlover #cute
बिल्ली के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about cat)
हमारी पालतू बिल्लियों का DNA टाइगर से 96% मिलता है।
बिल्लियों को ठंड में आग के पास बैठना बहुत पसंद होता है।
बिल्लियां 50 डिग्री के तापमान तक आराम से रह सकती हैं।
अपना इलाका निश्चित करने के लिए बिल्लियां अपनी गंध छोड़ते हैं।
इन्सानों की तुलना में बिल्लियों की सूंघने की शक्ति चौदह गुना ज़्यादा होती है।
बिल्लियों की गंध में फेरोमोन्स होते हैं जो मादा को नर की ओर आकर्षित करते हैं।
यूरोप में घरेलू बिल्लियां सिर्फ एक साल में लगभग 8 करोड़ चूहों का शिकार करती है।
बिल्लियों के मूंछ के बाल उन्हे बहुत नजदीक के शिकार को पकड़ने मे सहायक होते हैं।
दुनिया मे पाई जाने वाली सभी बिल्लियों के पूर्वज का जन्म स्थान साउथ ईस्ट एशिया है।
बिल्लियां मीठा खाना पसंद नहीं करती हैं, क्‍योंकि उन्हे मीठे के स्वाद का पता ही नहीं चलता।
घरेलू बिल्लियां पानी से नफरत करती है इसलिए उन्हें नहलाने पर वे तरह-तरह की आवाज़ें निकलती है।
बिल्लियां अपनी पूंछ ऊपर की ओर सीधी करके इन्सानों से प्यार जताती है और पूंछ हिलाकर चेतावनी देती है।
बेहद ठंडे इलाकों से बहुत गरम इलाकों तक और धरती की सतह से सबसे ऊंचे पहाड़ों तक बिल्लियों का बसेरा है।
बिल्लियां कैट फैमिली कि सबसे आखिरी और लाजवाब सदस्य हैं, जो आज जंगलों में नहीं बल्कि हमारे घरों में रहती है।
बिल्लियां लगभग 1,000 तरह की आवाजें निकलने में सक्षम हैं जबकि कुत्ते सिर्फ 10 प्रकार की आवाजें निकाल सकते है।
रीसर्च बताती है कि अगर बिल्लियों का आकार और वज़न शेरों जितना हो जाए तो वे इन्सानों को ही खाना शुरू कर देगी।
बिल्लियां हमेशा अपने इलाकों से दूर जाकर प्रजनन करती हैं और इसी कारण आज ये धरती के सभी जगहों पर पाई जाती है।
बिल्लियों की दूर की नज़र तो बहुत तेज़ होती है मगर बहुत नजदीक (लगभग 20 सेंटीमीटर) आने पर उन्हे सब धुंधला नज़र आता है।
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glitteryalpacaartisan · 7 months
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कबीर परमात्मा की सतभक्ति मर्यादा में रहकर करने से कैंसर, एड्स जैसी बीमारी भी ठीक होती हैं।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
🔅सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है।
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
🔅 सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 07:30 बजे।
🔅वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
🔅 संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
🔅सतभक्ति करने से जीवन सुखी हो जाता है। पापों से बचाव होता है, गृह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।
🔅जो माता पिता सतभक्ति कर���े हैं फिर उनके बच्चे उनकी विशेष सेवा किया करते हैं।
🔅 भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी आत्माऐं सतभक्ति करने वाले परिवार के आसपास नहीं आती। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं।
🔅सतभक्ति करने से नशा अपने आप छूट जाता है। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति घृणा हो जाती है।
🔅सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
🔅पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
🔅सतभक्ति करने से शरीर स्वस्थ रहता है और भक्ति के प्रभाव से परिवार अपने-आप आदर करता है।
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
🔅सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🔅सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
🔅सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
🔅सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
🔅सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
🔅सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
🔅मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
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nalinisawant889 · 7 months
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( #Muktibodh_part212 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part213
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 407-408
प्रश्न :- (धर्मदास जी का):- हे जिन्दा! आप जी ने तीनों देवताओं (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिवजी) की भक्ति करने वालों की दशा तो श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा अध्याय 9 श्लोक 23 में प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया कि तीनों गुणों (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) की भक्ति करने वाले
राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझ (गीता ज्ञान दाता ब्रह्म) को भी नहीं भजते। अन्य देवताओं की भक्ति पूजा करने वालों का सुख
समय (स्वर्ग समय) क्षणिक होता है। स्वर्ग की प्राप्ति करके शीघ्र ही पृथ्वी पर जन्म धारण करते हैं। हे महात्मा जी! कृपया कोई संसार में हुए बर्ताव से ऐसा प्रकरण सुनाइए जिससे
आप जी की बताई बातों की सत्यता का प्रमाण मिले।
उत्तर :- (जिन्दा जगदीश का) y ने रजगुण ब्रह्मा जी देवता को भक्ति करके प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने कहा कि पुजारी! माँगो क्या माँगना चाहते हो? हिरण्यकश्यप ने माँगा कि सुबह मरूँ न शाम मरुँ, बाहर मरूँ न भीतर मरूँ, दिन मरूँ न रात मरुँ, बारह मास में न मरुँ, न आकाश में मरुँ, न धरती पर मरुँ। ब्रह्माजी ने कहा तथास्तु। इसके पश्चात् हिरण्यकश्यप ने अपने आपको अमर मान लिया और अपना नाम जाप करने को कहने लगा। जो विष्णु का नाम जपता, उसको मार देता। उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु जी की भक्ति करता था। उसको कितना सताया था। हे धर्मदास! कथा से तो आप परिचित हैं। भावार्थ है कि रजगुण ब्रह्मा का भक्त राक्षस कहलाया, कुत्ते वाली मौत मारा गया।
2. तमगुण शिवजी के उपासकों का चरित्र : लंका के राजा रावण ने तमगुण शिव की भक्ति की थी। उसने अपनी शक्ति से 33 करोड़ देवताओं को कैद कर रखा था। फिर देवी सीता का अपहरण कर लिया। इसका क्या हश्र हुआ, आप सब जानते हैं। तमगुण शिव का उपासक रावण राक्षस कहलाया, सर्वनाश हुआ। निंदा का पात्र बना।
◆ अन्य उदाहरण :- आप जी को भस्मासुर की कथा का तो ज्ञान है ही। भगवान शिव (तमोगुण) की भक्ति भस्मागिरी करता था। वह बारह वर्षों तक शिव जी के द्वार के सामने ऊपर को पैर नीचे को सिर (शीर्षासन) करके भक्ति तपस्या करता रहा। एक दिन
पार्वती जी ने कहा हे महादेव! आप तो समर्थ हैं। आपका भक्त क्या माँगता है? इसे प्रदान करो प्रभु। भगवान शिव ने भस्मागिरी से पूछा बोलो भक्त क्या माँगना चाहते हो। मैं तुझ पर अति प्रसन्न हूँ। भस्मागिरी ने कहा कि पहले वचनबद्ध हो जाओ, तब माँगूंगा। भगवान शिव वचनबद्ध हो गए। तब भस्मागिरी ने कहा कि आपके पास जो भस्मकण्डा(भस्मकड़ा) है, वह
मुझे प्रदान करो। शिव प्रभु ने वह भस्मकण्डा भस्मागिरी को दे दिया। कड़ा हाथ में आते ही भस्मागिरी ने कहा कि होजा शिवजी होशियार! तेरे को भस्म करुँगा तथा पार्वती को पत्नी
बनाउँगा। यह कहकर अभद्र ढ़ंग से हँसा तथा शिवजी को मारने के लिए उनकी ओर दौड़ा।
भगवान शिव उस दुष्ट का उद्देश्य जानकर भाग निकले। पीछे-पीछे पुजारी आगे-आगे ईष्टदेव शिवजी (तमगुण) भागे जा रहे थे।
विचार करें धर्मदास! यदि आपके देव शिव जी अविनाशी होते तो मृत्यु के भय से नहीं डरते। आप इनको अविनाशी कहा करते थे। आप इन्हें अन्तर्यामी भी कहते थे। यदि भगवान शिव अन्तर्यामी होते तो पहले ही भस्मागिरी के मन के गन्दे विचार जान लेते। इससे सिद्ध हुआ कि ये तो अन्तर्यामी भी नहीं हैं। जिस समय भगवान शिव जी आगे-आगे और भस्मागिरी पीछे-पीछे भागे जा रहे थे, उस समय भगवान शिव ने अपनी रक्षा के लिए परमेश्वर को पुकारा। उसी समय ‘‘परम अक्षर ब्रह्म’’ जी पार्वती का रुप बनाकर भस्मागिरी दुष्ट के सामने ख���़े हो गए तथा कहा हे भस्मागिरी! आ मेरे पास बैठ। भस्मागिरी को पता था कि अब शिवजी निकट स्थान पर नहीं रुकेंगे। भस्मागिरी तो पार्वती के लिए ही तो सर्व उपद्रव कर रहा था। हे धर्मदास! आपको सर्व कथा का पता है। पार्वती रुप में परमात्मा ने भस्मागिरी को गण्डहथ नाच नचाकर भस्म किया। तमोगुण शिव का पुजारी भस्मागिरी अपने गन्दे कर्म से भस्मासुर अर्थात् भस्मा राक्षस कहलाया।
इसलिए इन तीनों देवों के पुजारियों को राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है।
3. अब सतगुण श्री विष्णु जी के पुजारियों की कथा सुनाता हूँ।
◆◆ एक समय हरिद्वार में हर की पोडियों पर कुंभ का मेला लगा। उस अवसर पर तीनों गुणों के उपासक अपने-अपने समुदाय में एकत्रित हो जाते है। गिरी, पुरी, नागा-नाथ ये भगवान तमोगुण शिव के उपासक होते हैं तथा वैष्णव सतगुण भगवान विष्णु जी के उपासक होते हैं। हर की पोडि़यों पर प्रथम स्नान करने पर दो समुदायों ‘‘नागा तथा वैष्णवों‘‘ का झगड़ा हो गया। लगभग 25 हजार त्रिगुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा
तमगुण शिव) के पुजारी लड़कर मर गये, कत्लेआम कर दिया। तलवारों, छुरों, कटारी से एक-दूसरे की जान ले ली। सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
तीर तुपक तलवार कटारी, जमधड़ जोर बधावैं हैं।
हर पैड़ी हर हेत नहीं जाना, वहाँ जा तेग चलावैं हैं।।
काटैं शीश नहीं दिल करुणा, जग में साध कहावैं हैं।
जो जन इनके दर्शन कूं जावैं, उनको भी नरक पठावैं हैं।।
हे धर्मदास! उपरोक्त सत्य घटनाओं से सिद्ध हुआ कि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिवजी की पूजा करने वालों को गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है।
◆ परमेश्वर जिन्दा जी के मुख कमल से उपरोक्त कथा सुनकर धर्मदास जी का सिर फटने को हो गया। चक्कर आने लगे। हिम्मत करके धर्मदास बोला हे प्रभु! आपने तो मुझ ज्ञान के अँधे को आँखें दे दी दाता। उपरोक्त सर्व कथायें हम सुना तथा पढ़ा करते थे परन्तु कभी विचार नहीं आया कि हम गलत रास्ते पर चल रहे हैं। आपका सौ-सौ बार धन्यवाद। आप जी ने मुझ पापी को नरक से निकाल दिया प्रभु!
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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freshcrusadeexpert · 9 months
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Aniruddhacharya ji Vs Sant Rampal Ji | Episode-06 | नकली व असली मंत्रों ...
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[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परि���ार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 7:30 बजे
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
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ironconnoisseurpoetry · 10 months
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क्या सतलोक में बुढ़ापा नहीं है? Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: करवा चौथ की असली सच्चाई
करवा चौथ के व्रत से कोई लाभ नहीं, इसलिए शास्त्रों में इसे व्यर्थ बताया है । (गीता जी अध्याय 6 श्लोक 16 ) करवा चौथ के व्रत को संतो ने भी निषेध किया है ।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: करवा चौथ का व्रत पति की लम्बी आयु के लिए रखते हैं । लेकिन मृत्यु को केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही टाल सकते हैं ।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 7:30 बजे
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
[3/11, 7:11 am] +91 99248 50248: सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
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mohanrathore · 11 months
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#Godkabir
#santrampalji
#kabirisgod
#india
🔅सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है।
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
🔅 सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 07:30 बजे।
🔅वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
🔅 संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
🔅 भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी आत्माऐं सतभक्ति करने वाले परिवार के आसपास नहीं आती। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं।
🔅सतभक्ति करने से नशा अपने आप छूट जाता है। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति घृणा हो जाती है।
🔅सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
🔅पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
🔅सतभक्ति करने से शरीर स्वस्थ रहता है और भक्ति के प्रभाव से परिवार अपने-आप आदर करता है।
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
🔅सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🔅सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
🔅सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
🔅सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
🔅सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
🔅सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
🔅मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
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abhinews1 · 11 months
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जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस ने मथुरा में अपने सस्वर काव्य-पाठ से जमाया रंग
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जाने-माने कवियों ने जी.एल. बजाज में जमाया रंग
उत्तर प्रदेश के जाने-माने कवियों कांची सिंघल (श्रृंगार रस), लटूरी लट्ठ (हास्य रस) तथा मोहित सक्सेना (वीर रस) ने जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में अपने सस्वर काव्य-पाठ से ऐसा रंग जमाया कि हर प्राध्यापक, विद्यार्थी और कर्मचारी लगभग तीन घंटे तक झूमता नजर आया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने कवियों का स्वागत करते हुए किया। जी.एल. बजाज मथुरा द्वारा आयोजित कवि सम्म���लन में वाणी के सरताजों ने जहां ब्रज की खूबियों का बखान किया वहीं देश के वीर जवानों शहीद विक्रम बत्रा, नारी शक्ति व अन्य सामाजिक विकृतियों पर तंज भी कसे। कवि सम्मेलन का संचालन कांची सिंघल ने किया। उन्होंने सरस्वती वन्दना के साथ-साथ नारी शक्ति पर अपनी स्वरचित कविताएं सुनाईं। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि एक कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ मौजूदा सामाजिक परिवेश को इंगित करता है बल्कि कई कमियों को भी अपनी रचना के माध्यम से उजागर करता है। उन्होंने कहा कि मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। कवि मोहित सक्सेना का काव्य-पाठ शहीद विक्रम बत्रा तथा नारी शक्ति को समर्पित रहा। उन्होंने नारी शक्ति को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा- मां भारती के भाव पर जब कील गाड़ी जा रही हो, और कुरुसभा में रोज पांचाली उघाड़ी जा रही हो। तो दुशासनों का रक्षक फाड़ें क्यूं नहीं, सिंहनी के पुत्र हैं तो हम दहाड़े क्यूं नहीं। उन्होंने अपनी अगली कविता में कहा- जो भाई अपने भाई के काम नहीं आते, कुत्ते भी ऐसे कायर का मांस नहीं खाते। कवयित्री कांची सिंघल ने श्रृंगार रस तथा नारी शक्ति पर कविताएं और कुछ गजलें पेश कीं। उन्होंने कहा- मोहब्बत की मेरे बच्चों अलग तासीर होती है, ये कच्ची डोर की मजबूत एक जंजीर होती है। लहू आंखों से बहता है, जुबां पर उफ नहीं होती, मोहब्बत की बस एक अजब तस्वीर होती है। उन्होंने अपनी दूसरी कविता में कहा- वो मुझसे प्यार करता है, मगर कहने से डरता है। कभी फरियाद करता है, कभी आहें वो भरता है। हास्य कवि लटूरी लट्ठ ने कहा कि जीवन में हंसना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें सफलता प्राप्ति के लिए अपने बड़ों का अनुसरण करना चाहिए। साथ ही उन्होंने छात्र-छात्राओं से मोबाइल का कम से कम उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा- प्रेमवती रूपवती गुणवती अधिक मतवाला मन को भाय गई, हम आंखन बीच फंसे ऐसे हमें आ��खन को रोग लगाय गई। चंचितवंचा हाथचतउ नैनों के तीर चलाय गई, फिर प्यार का पैक लगाय करके दिल में तूफान उठाय गई, हमसे वादा था शादी का, चाची बन घर में आय गई। अंखियन अंखियन बतलाय गई, फिर आंख की डोर लगाय गई, उन आंखन से उभरें कैसे, इन आंखन बीच समाय गई, अब ये आंखें ढूंढ़ रही वाको जो जूतों से पिटवाय गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सताक्षी मिश्रा ने किया। अंत में संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कवियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
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digital-morcha · 11 months
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Hindi Moral Stories for Class 6 | हिंदी नैतिक कहानियाँ
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Table of Contentsशीर्षक: "दो मेंढक" | Hindi Moral Stories for Class 6 Read More : Small Motivational Story in Hindi | Small Moral Stories in Hindi Read More : Very Short stories in Hindi Language | लघु कथाएँ हिंदी में शीर्षक: "लालची कुत्ता" Hindi Moral Stories for Class 6 शीर्षक: "शेर और चूहा" शीर्षक: "द बॉय हू क्राईड वुल्फ" शीर्षक: "चींटी और टिड्डा" शीर्षक: "लोमड़ीऔर अंगूर" Hindi Moral Stories for Class 6
शीर्षक: "दो मेंढक" | Hindi Moral Stories for Class 6
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Hindi Moral Stories for Class 6 : एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में, दो मेंढक रहते थे - एक छोटा मेंढक जिसका नाम टिम था और एक बड़ा मेंढक जिसका नाम टॉम था। वे दोनों उम्र और अनुभव में बहुत भिन्न थे। एक धूप भरी सुबह, उन्होंने अपने तालाब से परे की दुनिया का पता लगाने का फैसला किया। वे लम्बी घास और घास के मैदानों के पार अपना रास्ता बनाते गए। उन्हें एक गहरा कुआँ मिला। अंदर देखने पर उन्हें पानी दिखाई दिया, चमकीला और ठंडा। जैसे ही उन्होंने इसमें कूदने का फैसला किया, उनमें उत्साह भर गया। जैसे ही वे कुएं में कूदे, उन पर जोरदार धमाका हुआ। वे ताजे पानी का आनंद लेते हुए इधर-उधर तैरते रहे। हालांकि, उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि वे कुएं के अंदर फंसे हुए हैं। वहाँ ऊँची-ऊँची दीवारें थीं और उनके बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।
Read More : Small Motivational Story in Hindi | Small Moral Stories in Hindi
जैसे ही वे फिसलन भरी दीवारों पर उछल-कूद करने लगे तो घबराहट फैल गई। दिन बीतते गए और मेंढक कमज़ोर और थके हुए होते गए। उन्हें एहसास हुआ कि कोई रास्ता नहीं है। टिम, छोटा मेंढक, आशा खोने लगा और भागने की कोशिश करना बंद कर दिया। लेकिन टॉम, बड़ा मेंढक, लगातार बना रहा और कूदना जारी रखा, भले ही यह निराशाजनक लग रहा था। फिर, एक दिन, कुछ चमत्कारी घटित हुआ। टॉम ने इतनी ऊंची छलांग लगाई कि वह कुएं की दीवार के शीर्ष तक पहुंच गया। वह बाहर की दुनिया देख सकता था - नीला आकाश, ऊँचे-ऊँचे पेड़ और अंतहीन घास के मैदान। नई ऊर्जा और दृढ़ संकल्प के साथ, उसने कूदना जारी रखा और आख़िरकार, वह कुएं से बाहर निकलने में कामयाब रहा। टिम, जो टॉम के अथक प्रयासों को देख रहा था, अपने दोस्त को आज़ाद देखकर बहुत खुश हुआ। टॉम एक सलाह के साथ कुएं पर वापस आया, "कभी उम्मीद मत खोना, टिम। अगर तुम कोशिश करते रहोगे, तो तुम्हें कोई रास्ता मिल जाएगा।
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टॉम के दृढ़ संकल्प से प्रेरित होकर, टिम ने कूदना जारी रखा। कुछ और कोशिशों के बाद वह भी कुएं से बाहर निकलने में सफल हो गया। दोनों मेंढक अपनी आज़ादी के लिए आभारी होकर वापस अपने तालाब में कूद पड़े। उन्हें एहसास हुआ कि यह टॉम का अटूट दृढ़ संकल्प था जिसने उन्हें बचाया था। टिम ने हार न मानने के बारे में एक महत्वपूर्ण सबक सीखा था, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। कहानी का सार: दृढ़ता और दृढ़ संकल्प आपको जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण बाधाओं को भी दूर करने में मदद कर सकता है। यह कहानी छात्रों को कभी हार न मानने का महत्व और विपरीत परिस्थितियों में दृढ़ता की शक्ति सिखाती है, जो कक्षा 6 के छात्रों सहित सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए मूल्यवान जीवन सबक है।
शीर्षक: "लालची कुत्ता" Hindi Moral Stories for Class 6
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एक बार की बात है, एक लालची कुत्ता था जिसे एक रसदार हड्डी मिली। उसने उसे अपने मुँह में पकड़ लिया और शांति से उसका आनंद लेने के लिए घर वापस भागने लगा। वापस जाते समय, उसे एक साफ नदी पर बने पुल को पार करना पड़ा। जैसे ही उसने पानी में देखा, उसे अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया। यह विश्वास करते हुए कि पानी में उससे भी बड़ी हड्डी वाला एक और कुत्ता था, वह लालची हो गया और दोनों हड्डियाँ चाहता था।वह अपने ही प्रतिबिंब पर भौंका और जैसे ही उसने दूसरी हड्डी पकड़ने के लिए अपना मुंह खोला, वह हड्डी जो वह ले जा रहा था नदी में गिर गई। बेचारे कुत्ते के पास कुछ भी नहीं बचा था। कहानी का सार: लालच आपको वह खो सकता है जो आपके पास पहले से है।यह कहानी कक्षा 6 के छात्रों को संतोष और लालची न होने का महत्वपूर्ण सबक सिखाती है,क्योंकि इससे उनके पास जो पहले से है उसे खोने का खतरा हो सकता है।
शीर्षक: "शेर और चूहा"
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एक बार, एक शक्तिशाली शेर जंगल में सो रहा था। एक छोटा सा चूहा शेर की नाक के पास दौड़ा और उसे जगाया। शेर चूहे को खाने ही वाला था कि तभी छोटे से जीव ने दया की भीख माँगी। चूहे ने बदले में एक दिन शेर की मदद करने का वादा किया। इस विचार से प्रसन्न होकर शेर ने चूहे की जान बख्श दी। कुछ समय बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। खुद को छुड़ाने में असमर्थ होकर वह जोर से दहाड़ने लगा। चूहे ने शेर की चीख सुनी, वह दौड़कर वहां पहुंचा और जाल कुतरकर शेर को आज़ाद कर दिया। कहानी का सार: दयालुता कभी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे काम कितना भी छोटा क्यों न हो।
शीर्षक: "द बॉय हू क्राईड वुल्फ"
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वहाँ एक चरवाहा लड़का था जो भेड़ों की रखवाली करता था। कुछ मज़ा लेने के लिए, वह अक्सर झूठ बोलता था और चिल्लाता था, "भेड़िया! भेड़िया!" जब कोई भेड़िया नहीं था. गाँव वाले उसे बचाने आये, लेकिन वहाँ कोई भेड़िया नहीं था। उन्होंने उसे चेतावनी दी कि झूठे अलार्म के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हालाँकि, लड़के ने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया। एक दिन, एक असली भेड़िया आया और भेड़ों पर हमला करने लगा। लड़का मदद के लिए चिल्लाया, लेकिन इस बार कोई नहीं आया क्योंकि उन्हें लगा कि वह फिर से झूठ बोल रहा है। भेड़िया भेड़ को खा गया। कहानी का सार: ईमानदारी और सच्चाई महत्वपूर्ण हैं। झूठ मत बोलो अन्यथा जब तुम सच बोलोगे तो लोग तुम पर भरोसा नहीं करेंगे।
शीर्षक: "चींटी और टिड्डा"
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एक बार, एक मेहनती चींटी थी जो सर्दियों के लिए भोजन जमा करने के लिए कड़ी मेहनत करती थी। वह दिन-रात मेहनत करके अनाज इकट्ठा करती थी। दूसरी ओर, एक टिड्डा था जो भविष्य के बारे में सोचे बिना सारी गर्मियों में गाता और नाचता रहा। जब सर्दी आई, तो टिड्डा भूखा और ठंडा था, जबकि चींटी के पास जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन था। कहानी का सार: कड़ी मेहनत करें और भविष्य के लिए जिम्मेदार बनें; केवल वर्तमान का आनंद न लें.
शीर्षक: "लोमड़ीऔर अंगूर" Hindi Moral Stories for Class 6
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एक दिन, एक लोमड़ी ने एक बेल पर कुछ रसीले अंगूर लटके हुए देखे। वह उन्हें बुरी तरह चाहता था, लेकिन कितनी भी कोशिश करने के बावजूद वह उन तक नहीं पहुंच सका। कई प्रयासों के बाद, लोमड़ी ने हार मान ली और यह कहते हुए चली गई, "वे अंगूर शायद वैसे भी खट्टे हैं।" कहानी का सार: कभी-कभी, लोग उस चीज़ को महत्व नहीं देते जो उनके पास नहीं है। किसी चीज़ का अवमूल्यन सिर्फ इसलिए न करें क्योंकि आप उसे हासिल नहीं कर सकते। https://www.youtube.com/watch?v=Hp0PAAUDkco
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thedhongibaba · 1 year
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गिद्ध,कुत्ते,सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में द्वापर का सबसे महान योद्धा देवब्रत भीष्म शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था अकेला .... !तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची ,"प्रणाम पितामह" .
भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी , बोले , " आओ देवकीनंदन .. ! स्वागत है तुम्हारा .... !!
मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था" .... !!
कृष्ण बोले , "क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप" ....
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले , " पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव .... ? उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !
भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ?
बड़े अच्छे समय से आये हो .... ! सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!
कृष्ण बोले - कहिये न पितामह .... ! एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?
कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह .... ईश्वर नहीं ...."
भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "
कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... " कहिये पितामह .... !"
भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?" "किसकी ओर से पितामह .... ?पांडवों की ओर से .... ?" "कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था...आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार,दुःशासन की छाती का चीरा जाना,
ठीक था क्या..?यह सब उचित था क्या..?"इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह..! इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया.!! उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम,उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाल अर्जुन.. !!
मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !!
"अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ? अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... ! मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !" "तो सुनिए पितामह .... ! कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ..! वही हुआ जो हो होना चाहिए ..!"
"यह तुम कह रहे हो केशव...? मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ..? यह क्षल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा , फिर यह उचित कैसे गया....?
"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... ! हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !! राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... !
हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!"
" राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... ! राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !!
तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण और कुम्भकर्ण जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !!
इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!"
"तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ? क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ? और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??" " भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह .
कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... !
वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा .... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !
जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों , तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह .... !
तब महत्वपूर्ण होती है विजय , केवल विजय .... ! भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह ..... !!"
"क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ?
और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?"
"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !
ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... !
सब मनुष्य को ही करना पड़ता है .... !
आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... !
तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ?
सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ?
यही प्रकृति का संविधान है .... !
युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से..यही परम सत्य है..!!"
भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे..!
उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... !
उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है..कल सम्भवतः चले जाना हो..अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !"
कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था ...!
*जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों , तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है*.... !!
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kavitajakhar · 1 year
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*🎺बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎺*
07/05/23
*☎️Twitter Trending सेवा☎️*
🌸 *मालिक की दया से अब सतभक्ति से लाभ से संबंधित Twitter पर सेवा करेंगे जी।*
"लोगों को बताना है कि संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गयी सतभक्ति से सर्व सुख प्राप्त होते हैं।"
⤵️ *अपने Tag और Keyword के साथ सेवा करेंगे।*
*#Power_Of_TrueWorship*
*Sant Rampal Ji Maharaj*
🛒 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो वेबसाइट पर हैं डाऊनलोड कर लें जी।*
*Hindi*⤵️
https://www.satsaheb.org/sat-bhakti-se-labh-hindi/
https://news.jagatgururampalji.org/miracles-of-true-worship/
*English*⤵️
https://www.satsaheb.org/sat-bhakti-se-labh-english/
https://news.jagatgururampalji.org/english-miracles-of-true-worship/
*🎯Sewa Points🎯* ⤵
🔅 कबीर परमात्मा की सतभक्ति मर्यादा में रह���र करने से कैंसर, एड्स जैसी बीमारी भी ठीक होती हैं।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
🔅सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है।
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
🔅 सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 7:30 बजे
🔅वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
🔅 संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
🔅सतभक्ति करने से जीवन सुखी हो जाता है। पापों से बचाव होता है, गृह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।
🔅जो माता पिता सतभक्ति करते हैं फिर उनके बच्चे उनकी विशेष सेवा किया करते हैं।
🔅 भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी आत्माऐं सतभक्ति करने वाले परिवार के आसपास नहीं आती। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं।
🔅सतभक्ति करने से नशा अपने आप छूट जाता है। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति घृणा हो जाती है।
🔅सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई ��हीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
🔅पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
🔅सतभक्ति करने से शरीर स्वस्थ रहता है और भक्ति के प्रभाव से परिवार अपने-आप आदर करता है।
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
🔅सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🔅सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
🔅सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
🔅सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
🔅सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
🔅सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
🔅मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
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pradeepdasblog · 1 year
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( #MuktiBodh_Part33 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part34
हम पढ़ रहे है मुक्तिबोध (65-66)
◆ वाणी नं. 77 से 87 :-
गरीब, महिमा अबिगत नाम की, जानत बिरले संत। आठ पहर धुनि ध्यान है, मुनि जन रटैं अनंत।।77।।
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।78।।
गरीब, काल करम करै बदंगी, महाकाल अरदास। मन माया अरु धरमराय, सब सिर नाम उपास।।79।।
गरीब, काल डरै करतार सै, मन माया का नास। चंदन अंग पलटे सबै, एक खाली रह गया बांस।।80।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अबिगत अन्यत न जाइ। बाहिर भीतर एक है, सब घट रह्या समाइ।।81।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अचल अभंगी एक। आदि अंत जाके नहीं, ज्यूं का त्यूंही देख।।82।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अचल अभंगी ऐंन। महिमा कही न जात है, बोले मधुरै बैन।।83।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अचल अभंगी आदि। सतगुरु मरहम तासका, साखि भरत सब साध।।84।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अचल अभंगी पीर। चरण कमल हंसा रहे, हम हैं दामनगीर।।85।।
गरीब, सजन सलौना राम है, अचल अभंगी आप। हद बेहद सें अगम है, जपो अजपा जाप।।86।।
गरीब, ऐसा भगली जोगिया, जानत है सब खेल। बीन बजावें मोहिनी, जुग जंत्र सब मेल।।87।।
◆ सरलार्थ :- उस परमात्मा को प्राप्त करने के लिए अनन्त मुनिजन मनमाने नामों की
रटना लगा रहे हैं(जाप कर रहे हैं), परंतु अविगत नामों (दिव्य मंत्रों) को तथा उनकी महिमा
को बिरला संत ही जानता है।(77)
◆ उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले सेवक यानि दास
हैं।(78)
◆ उस परमेश्वर की बंदगी यानि नम्र प्रणाम करके नम्र भाव से स्तुति ब्रह्म काल (करम)
दया की याचना करते हैं तथा महाकाल (अक्षर पुरूष) भी उस परमेश्वर से अरदास यानि
प्रार्थना करके अपने-अपने लोक चला रहे हैं। मन (काल ब्रह्म), माया (देवी दुर्गा) और
धर्मराय (काल का न्यायधीश) सबके सिर पर नाम उपासना है यानि सबको भक्ति करना
अनिव��र्य है, तब उनका पद सुरक्षित रहता है।(79)
(नोट :- अक्षर पुरूष को महाकाल इसलिए कहा है क्योंकि जब इसका एक दिन जो
एक हजार युग कहा है, पूरा होता है तो काल ब्रह्म-दुर्गा सहित एक ब्रह्मण्ड का विनाश हो
जाता है। सर्व प्राणी अक्षर पुरूष के लोक में रखे जाते हैं।)
‘‘सुमिरन के अंग’’ का सरलार्थ
◆ ज्योति निरंजन काल भी परमेश्वर कबीर जी से भय मानता है। उस परमेश्वर के दिव्य
मंत्रों के जाप से मन में विकार उत्पन्न नहीं होते तथा माया का नाश हो जाता है यानि
संसारिक पदार्थों का संग्रह करने वाला स्वभाव समाप्त हो जाता है। परमात्मा के आध्यात्म
ज्ञान के प्रवचनों का प्रभाव अच्छी आत्माओं यानि पूर्व जन्म में शुभ संस्कारी प्राणियों पर ही
पड़ता है। जो अन्य प्राणियों के शरीरों (कुत्ते-गधे, सूअर के शरीरों) को त्यागकर मानव शरीर प्राप्त करते हैं। उन पर सत्संग वचन का प्रभाव शीघ्र नहीं पड़ता। उदाहरण दिया है कि जैसे वन में चंदन के वृक्ष होते हैं। उनके आसपास अन्य नीम, बबूल, आम, शीशम आदि-आदि वृक्ष भी होते हैं और बाँस भी उगा होता है। चंदन की महक आसपास के अन्य वृक्ष ग्रहण कर लेते हैं और चंदन की तरह खुशबूदार बन जाते हैं, परंतु बाँस के ऊपर चंदन की महक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।(80)
◆ वाणी नं. 81 से 87 तक एक जैसा ही ज्ञान है। परमेश्वर की महिमा सामान्य रूप में
बताई है कि वह परमात्मा सज्जन यानि नेक मानव जैसा है। अविगत यानि दिव्य है।
(अन्यत न जाई) उसकी खोज में अनेकों स्थानों पर ना जाऐं, उसकी प्राप्ति सतगुरू द्वारा
होगी। उस परमात्मा की शक्ति बाहर यानि शरीर से बाहर तथा भीतर यानि शरीर के अंदर
एक समान है। सबके घट (शरीर रूपी घड़े) में रहा समाई यानि व्यापक है।(81)
◆ अचल (स्थिर-स्थाई) अभंगी (जो कभी नहीं टूटे यानि अविनाशी) वह तो एक ही प्रभु
(परम अक्षर ब्रह्म) है। उसका आदि (जन्म अर्थात् प्रारम्भ) तथा अंत (मृत्यु) नहीं है। वह तो
सदा से ज्यों का त्यों ही दिखाई देता है। आप भी साधना करके उसे देखो।(82)
◆ उस अविनाशी सज्जन परमात्मा की महिमा सम्पूर्ण रूप से कोई नहीं कह सकता
क्योंकि वह अचल (स्थिर) तथा अभंगी ऐंन यानि वास्तव में अविनाशी स्थाई परमात्मा है।
वह जब मुझे (संत गरीबदास जी को) मिला था तो बहुत प्रिय भाषा बोली थी। (मधुरे माने
मीठे, बैन माने वचन।)(83)
◆ उस अचल अभंगी राम का महरम यानि गूढ़ ज्ञान केवल सतगुरू यानि तत्वदर्शी संत
ही जानता है। इस बात के साक्षी सब साध (संत जन) हैं।(84)
◆ उस सज्जन सलौने (शुभदर्शी यानि जिसके दर्शन से आनन्द हो) अचल अभंगी राम
जो पीर यानि गुरू रूप में प्रकट होते हैं, के चरण कमल यानि शरण में हंसा यानि मोक्ष प्राप्त भक्त रहते हैं। हम (संत गरीबदास जी) उस परमात्मा के साथ ऐसे हैं (दामनगीर) जैसे चोली-दामन का साथ होता है यानि हम उस परमेश्वर के अत्यंत निकट हैं।(85)
वह अचल अभंगी सज्जन सलौना (शुभदर्शी) राम (परमेश्वर कबीर) हद (काल की
सीमा) बेहद (सत्यलोक की सीमा) के पार अकह लोक में मूल रूप से रहता है। उसकी
प्राप्ति के लिए सतगुरू जी से दीक्षा लेकर अजपा (श्वांस-उश्वांस से) जाप जपो यानि नाम
का सुमरन (स्मरण) करो।(86)
वह परमेश्वर ऐसा भगति (जादूगर) जोगिया (योगी=साधु रूप में प्रकट होने वाला)
है। वह सब खेल जानता है कि कैसे जीव की रचना हुई? कैसे यह काल जाल में फँसा?
कैसे काल ब्रह्म ने इसको अज्ञान में अंधा कर रखा है? काल का जीव को अपने जाल में फँसाए रखने का क्या उद्देश्य है? (उसको एक लाख मानव शरीरधारी प्राणियों को नित
खाना पड़ता है) कैसे जीव को काल जाल से छुड़वाया जा सकता है? बीन बजावैं मोहिनी
यानि काल प्रेरित सुंदर स्त्रियाँ भक्तों को कैसे मधुर वाणी बोलकर आकर्षित करती हैं। बीन बजाने का भावार्थ यह है कि जैसे सपेरा बीन यंत्र बजाकर सर्प को वश में करता है। ऐसे ही काल के आदेश से सुंदर परियाँ सुरीले गाने गाकर साधकों को अपने जाल में फँसाती हैं। वे सब जोग यानि सब विधि (जुगत से) तथा जंत्र यानि अन्य अदाओं के जंत्र से अपनी ओर खींचती हैं यानि सब आकर्षणों को मिलाकर जीव को फँसाती हैं।(87)
क्रमशः..........
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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animalvidoes · 3 months
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आज मुझे पार्क के पास मस्ती करती बिल्ली देखी दो बच्चे बिल्ली के मस्ती कर ...
बिल्ली के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about cat)
हमारी पालतू बिल्लियों का DNA टाइगर से 96% मिलता है।
बिल्लियों को ठंड में आग के पास बैठना बहुत पसंद होता है।
बिल्लियां 50 डिग्री के तापमान तक आराम से रह सकती हैं।
अपना इलाका निश्चित करने के लिए बिल्लियां अपनी गंध छोड़ते हैं।
इन्सानों की तुलना में बिल्लियों की सूंघने की शक्ति चौदह गुना ज़्यादा होती है।
बिल्लियों की गंध में फेरोमोन्स होते हैं जो मादा को नर की ओर आकर्षित करते हैं।
यूरोप में घरेलू बिल्लियां सिर्फ एक साल में लगभग 8 करोड़ चूहों का शिकार करती है।
बिल्लियों के मूंछ के बाल उन्हे बहुत नजदीक के शिकार को पकड़ने मे सहायक होते हैं।
दुनिया मे पाई जाने वाली सभी बिल्लियों के पूर्वज का जन्म स्थान साउथ ईस्ट एशिया है।
बिल्लियां मीठा खाना पसंद नहीं करती हैं, क्‍योंकि उन्हे मीठे के स्वाद का पता ही नहीं चलता।
घरेलू बिल्लियां पानी से नफरत करती है इसलिए उन्हें नहलाने पर वे तरह-तरह की आवाज़ें निकलती है।
बिल्लियां अपनी पूंछ ऊपर की ओर सीधी करके इन्सानों से प्यार जताती है और पूंछ हिलाकर चेतावनी देती है।
बेहद ठंडे इलाकों से बहुत गरम इलाकों तक और धरती की सतह से सबसे ऊंचे पहाड़ों तक बिल्लियों का बसेरा है।
बिल्लियां कैट फैमिली कि सबसे आखिरी और लाजवाब सदस्य हैं, जो आज जंगलों में नहीं बल्कि हमारे घरों में रहती है।
बिल्लियां लगभग 1,000 तरह की आवाजें निकलने में सक्षम हैं जबकि कुत्ते सिर्फ 10 प्रकार की आवाजें निकाल सकते है।
रीसर्च बताती है कि अगर बिल्लियों का आकार और वज़न शेरों जितना हो जाए तो वे इन्सानों को ही खाना शुरू कर देगी।
बिल्लियां हमेशा अपने इलाकों से दूर जाकर प्रजनन करती हैं और इसी कारण आज ये धरती के सभी जगहों पर पाई जाती है।
बिल्लियों की दूर की नज़र तो बहुत तेज़ होती है मगर बहुत नजदीक (लगभग 20 सेंटीमीटर) आने पर उन्हे सब धुंधला नज़र आता है।
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glitteryalpacaartisan · 7 months
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कबीर परमात्मा की सतभक्ति मर्यादा में रहकर करने से कैंसर, एड्स जैसी बीमारी भी ठीक होती हैं।
🔅सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
🔅सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है।
🔅 वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जीने की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ही सतभक्ति बताते हैं।
🔅 सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 07:30 बजे।
🔅वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
🔅 संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
🔅सतभक्ति करने से जीवन सुखी हो जाता है। पापों से बचाव होता है, गृह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।
🔅जो माता पिता सतभक्ति करते हैं फिर उनके बच्चे उनकी विशेष सेवा किया करते हैं।
🔅 भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी आत्माऐं सतभक्ति करने वाले परिवार के आसपास नहीं आती। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं।
🔅सतभक्ति करने से नशा अपने आप छूट जाता है। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति घृणा हो जाती है।
🔅सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
🔅पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
🔅सतभक्ति करने से शरीर स्वस्थ रहता है और भक्ति के प्रभाव से परिवार अपने-आप आदर करता है।
🔅सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
🔅सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से ���ार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🔅सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
🔅सतभक्ति करने से चौरासी लाख योनियों का कष्ट दूर हो जाता है।
🔅सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
🔅सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
🔅सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
🔅मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
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hardas64 · 1 year
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🦋अहंकारी शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर को 52 बार जान से मारने की कुचेष्टा🦋
कहते हैं कि अहंकार इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है। अहंकार इंसान के सोचने समझने की शक्ति को भी नष्ट कर देता है। जिसके कारण विनाश को प्राप्त होता है। और कुछ ऐसा ही हुआ दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के धर्मगुरु शेखतकी के साथ। आइए जानते हैं:-
कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले सन् 1398 में काशी के लहरतारा तालाब में बालक रूप में आकर प्रकट हुए थे। और सन् 1518 तक यानि 120 वर्ष तक इस धरती पर रह कर अनेकों आश्चर्यजनक लीलाएं की। अनेकों चमत्कार किए, मानव समाज को कविताओं, शब्दों, दोहों, चौपाइयों द्वारा ऐसा अनमोल ज्ञान बताया जो आज तक किसी ने नहीं बताया।
कबीर परमेश्वर ने लोगों को सत्य ज्ञान से अवगत कराया। पाखंडवाद का पुरजोर विरोध किया करते थे। उनके सत्य ज्ञान और बढ़ती महिमा के कारण काशी के विद्वान पंडित और मुस्लिम धर्मगुरु शेखतकी तथा मुल्ला, काजी कबीर साहेब से ईष्या करने लगे थे। क्योंकि कबीर साहेब ने 5 वर्ष की आयु से ही अपने ज्ञान से उनके छक्के छुड़ा दिए थे। उनके सत्य ज्ञान को स्वीकार करके उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सभी को पराजित कर दिया था। लोगों में अपनी पोल खुलती देखकर काशी के पंडितों को साथ लेकर शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए 52 बार असफल प्रयास किये। जिसे बावन कसनी और बावन बदमाशी भी कहते हैं। शेखतकी हर बार असफल रहा। क्योंकि शेखतकी अहंकार में इतना चूर था कि, वह ये तक नहीं जान पाया कि जो अविनाशी है उसका नाश वह कैसे कर सकता है। कोई भी सक्षम नहीं है जो उस अविनाशी परमात्मा का नाश कर सके। वो तो पूर्ण ब्रह्म अजर अमर अविनाशी परमात्मा है।
"खूनी हाथी से कुचलवाकर मारने की कुचेष्टा"
शेखतकी ने जुल्म गुजारे, बावन करी बदमाशी। खूनी हाथी आगे डाले, बांध जूड अविनाशी।।
एक बार शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को मारने के उद्देश्य से कबीर परमेश्वर के हाथ पैर बांध कर खूनी हाथी को शराब पिलाकर छोड़ दिया। लेकिन जैसे ही हाथी कबीर परमेश्वर के पास आया तो कबीर परमेश्वर के स्थान पर बब्बर शेर दिखाई दिया। हाथी शेर को देखकर डरके मारे वहां से उल्टे पैर भाग गया। तथा सिकंदर लोधी को भी वहां परमात्मा का विराट रुप दिखाई दिया। तब सिकंदर लोधी भी थर्र थर्र कांपता हुआ नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम करके क्षमा मांगी।
"जहरीला सांप और बिच्छू से मारने की कुचेष्टा" एक बार कबीर परमेश्वर सत्संग कर रहे थे। तो शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को मारने के लिए सिपाही से कहकर एक जहरीला सांप कबीर परमेश्वर के गले में डाल दिया और जहरीले बि���्छू छोड़ दिये। लेकिन जैसे ही कबीर साहेब के गले में वह सांप सुगंधित फूलों की माला बन गया। और बिच्छू फूल बन गए।
"गंगा नदी में डूबो कर मारने की कुचेष्टा" शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए गंगा नदी के बीच में ले जाकर कबीर परमेश्वर के जंजीर से हाथ पैर बांध कर शरीर पर बड़े-बड़े पत्थर बांध कर नदी में फेंक दिया। लेकिन कबीर परमेश्वर पानी में नहीं डूबे। पानी में ऐसे बैठे रहे जैसे पृथ्वी पर बैठे हों।
"तोप के गोले दाग कर मारने की कुचेष्टा"
एक बार शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। और ऐसा ही किया गया, तोप यंत्र से गोले चलाए गए। परंतु कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाये। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। तो कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी नहीं गया।
"तांत्रिक विद्या से मूठ छोड़कर जान से मारने की कोशिश"
एक बार शेखतकी ने कबीर परमेश्वर पर जंत्र-मंत्र (तांत्रिक विद्या) करके मूठ छोड़ी। उस मूठ का कबीर परमेश्वर पर कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा है। थोड़ी दूरी पर एक कूत्ते को लगी जिससे कुत्ता वहीं मर गया। तब कबीर परमेश्वर ने उस कुत्ते का कान पकड़ा और कहा कि चल उठ। ऐसा कहते ही कुत्ता उठकर दौड़ कर चला गया और उस मूठ से कहा कि, जिसने तुझे छोड़ी थी वापस उसके पास जा। इतना कहते ही वह मूठ वापस जाकर शेखतकी को लगी। इस तरह से शेखतकी अपनी हर कोशिश में नाकामयाब रहा, क्योंकि कबीर साहेब एक संत ही नहीं बल्कि सर्वशक्तिमान पूर्ण परमात्मा है। जिनका नाश कोई नहीं कर सकता।
ऐसी ऐसी अनेकों कठिन यातनाएं दी गईं कबीर परमेश्वर को शेखतकी ने। जिसके बारे में सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वह तो पूर्ण परमात्मा थे। इसलिए शेखतकी बाल भी बांका नहीं कर पाया।
अंहकारी शेखतकी अपने अहंकार के कारण किए गए कर्मों का फल अंत में कई दिनों तक भुगत कर मरा।
वर्तमान में कबीर परमेश्वर के अवतार इस धरती पर संत रामपाल जी महाराज के रुप में अवतरित हैं। जो कठिन संघर्ष करते हुए, अनेकों अत्याचार सहते हुए कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से सर्व मानव समाज को अवगत करा रहे हैं। मानव कल्याण के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया।
सर्व मानव समाज से अनुरोध है कि आप भी संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षा लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण करायें।
KabirPrakatDiwas
SantRampalJiMaharaj
परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
कबीरभगवानके_चमत्कार
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️
Download करें पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर" https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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freshcrusadeexpert · 9 months
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गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य किस प्रभु की शरण में जाने के लिए कहता है? |...
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[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति मर्यादा में रह कर करने से सभी रोगों का नाश हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात्रि 7:30 बजे
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: वेद बताते हैं पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से रोगियों के रोग नाश होते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों को ये लाभ मिल भी रहे हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक जी��े की शक्ति भी दे सकता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसी ��ी सतभक्ति बताते हैं।
[11/1, 6:14 PM] +91 93166 44856: सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
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