#किसान पुत्र
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लखनऊ 11.01.2023 | भारत माता के सच्चे सपूत व "जय जवान, जय किसान" का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी की 57वी पुण्यतिथि के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरानगर स्थित कार्यालय में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया | इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी सिर्फ हमारे देश के प्रधानमंत्री ही नहीं थे बल्कि वह एक सहृदय व सच्चे दिल इंसान थे | वे कहा करते थे कि "देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा"| उनके अनुसार "देश के प्रति निष्ठा, सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा होनी चाहिए" | आज शास्त्री जी के सिद्धांतों को अपनाते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही समाज में फैली गरीबी, अज्ञानता एवं बीमारी को दूर करने हेतु प्रयासरत है जिसके लिए समय-समय पर अनेकों समाज हित कार्यक्रमों का आयोजन जनहित में निरंतर कर रहा है तथा आगे भी करता रहेगा | हमें तो श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी को देखने या सुनने का अवसर नहीं मिला क्योंकि हम तब इस दुनिया में आए ही नहीं थे | लेकिन हमें शास्त्री जी के दोनों पुत्रों श्री सुनील शास्त्री जी और श्री अनिल शास्त्री जी से मिलने का अवसर अवश्य मिला | श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी के दोनों पुत्र उनकी ही तरह सौम्य, सरल व अद्भुत प्रतिभा के धनी है | हम सभी भारतवासी देश के प्रति श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी के समर्पण व त्याग हेतु हमेशा उनके ऋणी रहेंगे | “जय हिंद, जय भारत" #LalBahadurShastri #LalBahadurShastriJi #LalBahadurShastriPunyatithi #anilshastri #sunilshastri #HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust www.helputrust.org #kiranagarwal #harshvardhanagarwal #drrupalagarwal
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चंबा के किसान को डिजिटल अरेस्ट करके शातिरों ने उड़ाए 61 हजार रुपए, पुलिस ने दर्ज किया केस
Chamba News: मुबई से आई एक अज्ञात कॉल ने हिमाचल प्रदेश के चंबा के किसान को जहां पूरी रात वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट किया। इसके बाद सुबह उसके खाते से 61,000 रुपये उड़ा लिए। ठगी का शिकार हुए किसान ने पुलिस चौकी तेलका में शिकायत दर्ज करवाई है। साथ ही पुलिस से गुहार लगाई है कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जाए। ताकि उसकी राशि वापस आ सकें। पीड़ित दिनेश कुमार पुत्र ज्ञान चंद शर्मा, गांव अंद्राल,…
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आदर्श धन वितरण प्रणाली आंदोलन एवं गरिबी उन्मूलन आंदोलन
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विद्युत पोल में 11000 वोल्टेज बिजली उतरने से दो लोगों की हुई मौत
दुबौलिया – बस्ती ,सुबह खेत में कार्य करने गये दोनों किसानों की बिजली की चपेट में आने से हुई मौत एक किसान खेत में प्रवेश करते ही बिजली से झूलझा दूसरे किसान द्वारा पहले किसान को बचाने के चक्कर में दूसरे किसान की हुई मौत किशन लाल पुत्र राम दुलारे उम्र – 64 वर्ष , भलाई यादव पुत्र राम अचल – उम्र 42 वर्ष की हुई मौत 11/33 विद्युत उपकेन्द्र एकडेगवा के अन्तर्गत राजस्व गांव भिखरिया में हुई घटना पीड़ित…
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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के थाना कासना क्षेत्र के ग्राम सलेमपुर गुर्जर में बीती रात घेर में सो रहे बुजुर्ग की गोली मारकर हत्या कर दी गई। परिजनों ने शुक्रवार की सुबह इस मामले की सूचना पुलिस को दी।
एडीसीपी ग्रेटर नोएडा अशोक कुमार ने ��ताया कि (73 वर्षीय) श्याम सिंह के पुत्र ने आज सुबह पुलिस को सूचना दी कि वह अपने पिता के साथ खेत के पास बने अपने घेर में सो रहे थे। रात में उसे तेज धमाके की आवाज सुनाई दी उसने उठकर देखा लेकिन कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया। आज सुबह जब वह सोकर उठा तो उसके पिता चारपाई पर लहूलुहान हालत में मृत पड़े हुए थे।एडीसीपी ने बताया कि सूचना मिलने पर थाना कासना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच पड़ताल की है। जांच में पता चला है की वृद्ध को एक गोली लगी है। परिजनों के बयानों में भी विरोधाभास है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच पड़ताल की जा रही है।
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पति थे MLA तो सब्जी बेचती थीं जोबा मांझी, 6 CM के साथ रहीं मंत्री, MP बनने के बाद अब भी बेटे के साथ करती हैं खेती
चाईबासाः झारखंड में से जेएमएम की जोबा मांझी पहली बार सांसद बनीं, लेकिन इससे पहले जोबा मांझी छह मुख्यमंत्रियों की सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। लेकिन जोबा मांझी की सादगी की चर्चा अब भी पूरे इलाके में होती है। पांच बार विधायक रह चुकीं 60 वर��षीय जोबा मांझी अपने बेटे के साथ अब भी खेती करते देखी जा सकती हैं। लोकसभा के मॉनसून सत्र में शामिल होने के पहले भी इस बार भी जोबा मांझी अपने बेटे के साथ खेती का जायजा लेने पहुंची। शादी के बाद भी जोबा मांझी का जमीन से नहीं टूटा रिश्ता सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत रानीगंज गांव में जन्मी जोबा मांझी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी साधारण आदिवासी परिवारों की तरह रही। बचपन में वो अपनी मां और पिता के साथ खेतों पर जाती थीं। के साथ शादी होने के बाद भी जोबा मांझी का जमीन से नाता-रिश्ता टूटा नहीं। उनके पति देवेंद्र मांझी की गिनती 90 के दशक में झाखंड के प्रमुख आंदोलनकारी नेता के रूप में होती थी। ऐसे में जब देवेंद्र मांझी अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में व्यस्त रहते थे। उस वक्त जोबा मांझी ही घर का सारा कामकाज के साथ खेती की जिम्मेदारी संभालती थीं। पति एमएलए थे, इतवारी बाजार में बेचती थीं सब्जी प्रारंभ से ही जोबा मांझी बेहद साधारण जीवन जीती हैं। जब उनके पति देवेंद्र मांझी विधायक थे, तब जोबा मांझी चक्रधरपुर के इतवारी बाजार में सब्ज़ी बेचती थीं। आज भी राजनीति में इतना ऊंचा मुकाम हासिल करने के बाद भी वह घर का काम खुद करती हैं। अपने खेतों में वह एक आम किसान की तरह काम करती नज़र आती हैं। उनकी सादगी और सरलता ही उनकी पहचान है। पति देवेंद्र मांझी की शहादत के बाद सक्रिय राजनीति में जोबा मांझी के पति देवेंद्र मांझी जल, जंगल और जमीन आंदोलन के प्रणेता थे। 1994 में देवेंद्र मांझी की हत्या कर दी गई। जिसके बाद जोबा मांझी सक्रिय राजनीति में आई हैं। उस समय कोई नहीं जानता था कि जोबा मांझी इतनी बड़ी नेता बनेंगी। जोबा मांझी 1995 में पहली बार विधायक बनीं। इसके बाद 2000, 2005, 2014 और 2019 में भी जोबा मांझी ने मनोहरपुर विधानसभा सीट से हासिल की। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सिंहभूम लोकसभा सीट से जोबा मांझी ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी की गीता कोड़ा को एक लाख 68 हज़ार से ज्यादा वोटों से हराया। यह ��ीत उनके लिए बहुत ख़ास है क्योंकि वह पहली बार सांसद बनी हैं। पति से सीखी सादगी, बनीं संघर्ष की प्रतिमूर्ति 1982 में जब स्वर्गीय देवेंद्र मांझी से जोबा मांझी की शादी हुई, तब से लेकर आज तक वो सादगी की शर्तों पर ही राजनीति करती हुई दिख रहीं हैं। ऐसे में जब कि मुखिया जैसे पद के नेता भी बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियों से चलने को स्टेटस सिंबल समझते हैं, वैसे दौर में जोबा मांझी की यह तस्वीर याद दिलाती है कि राजनीति में सादगी और संघर्ष जिंदा है। जोबा मांझी को अच्छी तरह से जानने वाले बड़े-बुजुर्गो का कहना है कि 90 के दशक में जब देवेंद्र मांझी मनोहरपुर के विधायक थे, तो जोबा मांझी हर रविवार को हाट में जाकर सब्जी बेचा करती थीं। राजनीति में ऐसी सादगी अब विलुप्त हो चुकी है। जोबा मांझी उन गिने-��ुने नेताओं में हैं, जिन्होंने संघर्ष को ना सिर्फ जिया है, बल्कि जिंदा भी रखा है। छह मुख्यमंत्रियों के साथ 7 सरकारों में रहीं मंत्री जोबा मांझी के लिए सिंहभूम सीट से जीत उनके राजनीतिक सफ़र का एक अहम पड़ाव है। मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से वे पांच बार विधायक रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्हें 7 बार कैबिनेट मंत्री बनने का भी मौका मिला है। अब सांसद बनकर उन्होंने सिंहभूम की दूसरी महिला सांसद होने का गौरव भी हासिल किया है। उनका संघर्ष महिला सशक्तीकरण की एक मिसाल है। 1995 में पहली बार मनोहरपुर सीट से जीत हासिल करने के बाद उन्हें राबड़ी देवी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। झारखंड बनने के बाद भी बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन की सरकारों में उन्हें मंत्री पद मिला। वह अपनी साफ़ छवि और ईमानदारी के लिए जानी जाती हैं। राजनीतिक विरासत संभालने के लिए पुत्र जगत मांझी तैयार जोबा मांझी ने इस बार झारखंड की सिंहभूम लोकसभा सीट से भारी अंतर से जीत हासिल की। इस जीत में उनके बेटे जगत मांझी का भी बहुत बड़ा योगदान है। जोबा मांझी सातवीं बार चुनाव जीती हैं लेकिन यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था। जगत मांझी ने चुनाव प्रचार की पूरी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली थी। उन्होंने बूथ मैनेजमेंट से लेकर स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम तक, हर चीज़ का बखूबी ध्यान रखा। नामांकन के दौरान और रैलियों में भीड़ जुटाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। उन्होंने कार्यकर्ताओं और समर्थकों का भी पूरा ख्याल रखा। जगत के इस काम से यह साफ़ है कि वह अपनी माँ के उत्तराधिकारी बनने के लिए तैयार हैं। जोबा के छोटे बेटे उदय मांझी और बबलू मांझी ने भी अलग-अलग… http://dlvr.it/TBNXKf
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खेत में पानी चलाने गए किसान की गला रेतकर हत्या, पुलिस ने शव को कब्जे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा*
सहारनपुर के नागल में आधी रात को खेत में पानी देने गए गांव पहाड़पुर निवासी किसान संजय पुत्र दिलेराम की धारदार हथियारों से हमला कर हत्या की घटना को अंजाम दिया गया । सूचना के बाद पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। पुलिस ने शव को कब्जे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सहारनपुर के एसपी देहात सागर जैन ने बताया कि आज 24 जून को थाना नागल क्षेत्रान्तर्गत खेत पर सो रहे एक व्यक्ति को…
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं दे��ा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत र���मदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
#SantRampalJiBodhDiwas
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खेत से खनन वाहन निकालने को लेकर भिड़े दो पक्ष, वाहन सवार लोगों ने किसान को मारी गोली
Uttarakhand News: खेत को जाने वाले रास्ते से खनन वाहन को निकालने को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया। विरोध करने पर वाहन सवार लोगों ने एक किसान को गोली मार दी। गोली किसान के टखने में लगी। घायल किसान को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले में चार आरोपियों पर केस दर्ज किया गया है। यूपी के ग्राम कुंदनपुर, मसवासी जिला रामपुर निवासी 33 वर्षीय देवराज पुत्र बाबूराम का उत्तराखंड की सीमा पर…
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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( #Muktibodh_part202 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part203
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 386-387
प्रश्न : (बाबा जिन्दा रुप में भगवान जी का) हे धर्मदास जी! गीता शास्त्र आप के परमपिता भगवान कृष्ण उर्फ विष्णु जी का अनुभव तथा आपको आदेश है कि इस गीता शास्त्र में लिखे मेरे अनुभव को पढ़कर इसके अनुसार भक्ति क्रिया करोगे तो मोक्ष प्राप्त
करोगे। क्या आप जी गीता में लिखे श्री कृष्ण जी के आदेशानुसार भक्ति कर रहे हो? क्या गीता में वे मन्त्र जाप करने के लिए लिखा है जो आप जी के गुरुजी ने आप जी को जाप करने के लिए दिए हैं? (हरे राम-हरे राम, राम-राम हरे-हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे, ओम नमः शिवाय, ओम भगवते वासुदेवाय नमः, राधे-राधे श्याम मिलादे, गायत्री
मन्त्र तथा विष्णु सहंस्रनाम) क्या गीता जी में एकादशी का व्रत करने तथा श्राद्ध कर्म करने, पिण्डोदक क्रिया करने का आदेश है?
उत्तर :- (धर्मदास जी का) नहीं है।
प्रश्न :- (परमेश्वर जी का) फिर आप जी तो उस किसान के पुत्र वाला ही कार्य कर रहे हो जो पिता की आज्ञा की अवहेलना करके मनमानी विधि से गलत बीज गलत समय पर फसल बीजकर मूर्खता का प्रमाण दे रहा है। जिसे आपने मूर्ख कहा है। क्या आप जी उस किसान के मूर्ख पुत्र से कम हैं?
धर्मदास जी बोले : हे जिन्दा! आप मुसलमान फकीर हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म की भक्ति क्रिया व मन्त्रों में दोष निकाल रहे हो।
उत्तर : (कबीर जी का जिन्दा रुप में) हे स्वामी धर्मदास जी! मैं कुछ नहीं कह रहा, आपके धर्मग्रन्थ कह रहे हैं कि आपके धर्म के धर्मगुरु आप जी को शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण करवा रहे हैं जो आपकी गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में भी कहा
है कि हे अर्जुन! जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है अर्थात् मनमाने मन्त्र जाप कर रहा है, मनमाने श्राद्ध कर्म व पिण्डोदक कर्म व व्रत आदि कर रहा
है, उसको न तो कोई सिद्धि प्राप्त हो सकती, न सुख ही प्राप्त होगा और न गति अर्थात् मुक्ति मिलेगी, इसलिए व्यर्थ है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कर्त्तव्य अर्थात् जो भक्ति कर्म करने चाहिए तथा अकर्त्तव्य (जो भक्ति कर्म न करने चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। उन शास्त्रों में बताए भक्ति कर्म को करने से ही लाभ होगा।
धर्मदास जी : हे जिन्दा! तू अपनी जुबान बन्द कर ले, मुझसे और नहीं सुना जाता। जिन्दा रुप में प्रकट परमेश्वर ने कहा, हे वैष्णव महात्मा धर्मदास जी! सत्य इतनी कड़वी
होती है जितना नीम, परन्तु रोगी को कड़वी औषधि न चाहते हुए भी सेवन करनी चाहिए। उसी में उसका हित है। यदि आप नाराज होते हो तो मैं चला। इतना कहकर परमात्मा (जिन्दा रुप धारी) अन्तर्ध्यान हो गए। धर्मदास को बहुत आश्चर्य हुआ तथा सोचने लगा कि यह कोई सामान्य सन्त नहीं था। यह पूर्ण विद्वान लगता है। मुसलमान होकर हिन्दू शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। यह कोई देव हो सकता है। धर्मदास जी अन्दर से मान रहे थे कि मैं गीता
शास्त्र के विरुद्ध साधना कर रहा हूँ। परन्तु अभिमानवश स्वीकार नहीं कर रहे थे। जब परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए तो पूर्ण रुप से टूट गए कि मेरी भक्ति गीता के विरुद्ध है। मैं भगवान की आज्ञा की अवहेलना कर रहा हूँ। मेरे गुरु श्री रुपदास जी को भी वास्तविक
भक्ति विधि का ज्ञान नहीं है। अब तो इस भक्ति को करना, न करना बराबर है, व्यर्थ है। बहुत दुखी मन से इधर-उधर देखने लगा तथा अन्दर से हृदय से पुकार करने लगा कि मैं
कैसा नासमझ हूँ। सर्व सत्य देखकर भी एक परमात्मा तुल्य महात्मा को अपनी नासमझी तथा हठ के कारण खो दिया। हे परमात्मा! एक बार वही सन्त फिर से मिले तो मैं अपना
हठ छोड़कर नम्र भाव से सर्वज्ञान समझूंगा। दिन में कई बार हृदय से पुकार करके रात्रि में सो गया। सारी रात्रि करवट लेता रहा। सोचता रहा हे परमात्मा! यह क्या हुआ। सर्व साधना शास्त्र विरुद्ध कर रहा हूँ। मेरी आँखें खोल दी उस फरिस्ते ने। मेरी आयु 60 वर्ष हो चुकी है। अब पता नहीं वह देव (जिन्दा रुपी) पुनः मिलेगा कि नहीं।
प्रातः काल वक्त से उठा। पहले खाना बनाने लगा। उस दिन भक्ति की कोई क्रिया नहीं की। पहले दिन जंगल से कुछ लकडि़याँ तोड़कर रखी थी। उनको चूल्हे में जलाकर भोजन बनाने लगा। एक लकड़ी मोटी थी। वह बीचो-बीच थोथी थी। उसमें अनेकां चीटियाँ थीं। जब वह लकड़ी जलते-जलते छोटी रह गई तब उसका पिछला हिस्सा धर्मदास जी को
दिखाई दिया तो देखा उस लकड़ी के अन्तिम भाग में कुछ तरल पानी-सा जल रहा है। चीटियाँ निकलने की कोशिश कर रही थी, व�� उस तरल पदार्थ में गिरकर जलकर मर रही
थी। कुछ अगले हिस्से में अग्नि से जलकर मर रही थी। धर्मदास जी ने विचार किया। यह लकड़ी बहुत जल चुकी है, इसमें अनेकों चीटियाँ जलकर भस्म हो गई है। उसी समय अग्नि
बुझा दी। विचार करने लगा कि इस पापयुक्त भोजन को मैं नहीं खाऊँगा। किसी साधु सन्त को खिलाकर मैं उपवास रखूँगा। इससे मेरे पाप कम हो जाएंगे। यह विचार करके सर्व भोजन एक थाल में रखकर साधु की खोज में चल पड़ा। परमेश्वर कबीर जी ने अन्य वेशभूषा बनाई जो हिन्दू सन्त की होती है। एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। धर्मदास जी ने साधु को देखा। उनके सामने भोजन का थाल रखकर कहा कि हे महात्मा जी! भोजन खाओ। साधु रुप में परमात्मा ने ��हा कि लाओ धर्मदास! भूख लगी है। अपने नाम से सम्बोधन सुनकर धर्मदास को आश्चर्य तो हुआ परंतु अधिक ध्यान नहीं दिया। साधु रुप में विराजमान परमात्मा ने
अपने लोटे से कुछ जल हाथ में लिया तथा कुछ वाणी अपने मुख से उच्चारण करके भोजन पर जल छिड़क दिया। सर्वभोजन की चींटियाँ बन गई। चींटियों से थाली काली हो गई। चींटियाँ अपने अण्डों को मुख में लेकर थाली से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
परमात्मा भी उसी जिन्दा महात्मा के रुप में हो गए। तब कहा कि हे धर्मदास वैष्णव संत! आप बता रहे थे कि हम कोई जीव हिंसा नहीं करते, आपसे तो कसाई भी कम हिंसक है। आपने तो करोड़ों जीवों की हिंसा कर दी। धर्मदास जी उसी समय साधु के चरणों में गिर गया तथा पूर्व दिन हुई गलती की क्षमा माँगी तथा प्रार्थना की कि हे प्रभु! मुझ अज्ञानी को क्षमा करो। मैं कहीं का नहीं रहा क्योंकि पहले वाली साधना पूर्ण रुप से शास्त्र विरुद्ध है।
उसे करने का कोई लाभ नहीं, यह आप जी ने गीता से ही प्रमाणित कर दिया। शास्त्र अनुकूल साधना किस से मिले, यह आप ही बता सकते हैं। मैं आपसे पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान सुनने का इच्छुक हूँ। कृपया मुझ किंकर पर दया करके मुझे वह ज्ञान सुनाऐ जिससे मेरा मोक्ष हो सके।
क्रमशः__________)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज ज�� इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 386-387
प्रश्न : (बाबा जिन्दा रुप में भगवान जी का) हे धर्मदास जी! गीता शास्त्र आप के परमपिता भगवान कृष्ण उर्फ विष्णु जी का अनुभव तथा आपको आदेश है कि इस गीता शास्त्र में लिखे मेरे अनुभव को पढ़कर इसके अनुसार भक्ति क्रिया करोगे तो मोक्ष प्राप्त
करोगे। क्या आप जी गीता में लिखे श्री कृष्ण जी के आदेशानुसार भक्ति कर रहे हो? क्या गीता में वे मन्त्र जाप करने के लिए लिखा है जो आप जी के गुरुजी ने आप जी को जाप करने के लिए दिए हैं? (हरे राम-हरे राम, राम-राम हरे-हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे, ओम नमः शिवाय, ओम भगवते वासुदेवाय नमः, राधे-राधे श्याम मिलादे, गायत्री
मन्त्र तथा विष्णु सहंस्रनाम) क्या गीता जी में एकादशी का व्रत करने तथा श्राद्ध कर्म करने, पिण्डोदक क्रिया करने का आदेश है?
उत्तर :- (धर्मदास जी का) नहीं है।
प्रश्न :- (परमेश्वर जी का) फिर आप जी तो उस किसान के पुत्र वाला ही कार्य कर रहे हो जो पिता की आज्ञा की अवहेलना करके मनमानी विधि से गलत बीज गलत समय पर फसल बीजकर मूर्खता का प्रमाण दे रहा है। जिसे आपने मूर्ख कहा है। क्या आप जी उस किसान के मूर्ख पुत्र से कम हैं?
धर्मदास जी बोले : हे जिन्दा! आप मुसलमान फकीर हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म की भक्ति क्रिया व मन्त्रों में दोष निकाल रहे हो।
उत्तर : (कबीर जी का जिन्दा रुप में) हे स्वामी धर्मदास जी! मैं कुछ नहीं कह रहा, आपके धर्मग्रन्थ कह रहे हैं कि आपके धर्म के धर्मगुरु आप जी को शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण करवा रहे हैं जो आपकी गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में भी कहा
है कि हे अर्जुन! जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है अर्थात् मनमाने मन्त्र जाप कर रहा है, मनमाने श्राद्ध कर्म व पिण्डोदक कर्म व व्रत आदि कर रहा
है, उसको न तो कोई सिद्धि प्राप्त हो सकती, न सुख ही प्राप्त होगा और न गति अर्थात् मुक्ति मिलेगी, इसलिए व्यर्थ है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कर्त्तव्य अर्थात् जो भक्ति कर्म करने चाहिए तथा अकर्त्तव्य (जो भक्ति कर्म न करने चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। उन शास्त्रों में बताए भक्ति कर्म को करने से ही लाभ होगा।
धर्मदास जी : हे जिन्दा! तू अपनी जुबान बन्द कर ले, मुझसे और नहीं सुना जाता। जिन्दा रुप में प्रकट परमेश्वर ने कहा, हे वैष्णव महात्मा धर्मदास जी! सत्य इतनी कड़वी
होती है जितना नीम, परन्तु रोगी को कड़वी औषधि न चाहते हुए भी सेवन करनी चाहिए। उसी में उसका हित है। यदि आप नाराज होते हो तो मैं चला। इतना कहकर परमात्मा (जिन्दा रुप धारी) अन्तर्ध्यान हो गए। धर्मदास को बहुत आश्चर्य हुआ तथा सोचने लगा कि यह कोई सामान्य सन्त नहीं था। यह पूर्ण विद्वान लगता है। मुसलमान होकर हिन्दू शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। यह कोई देव हो सकता है। धर्मदास जी अन्दर से मान रहे थे कि मैं गीता
शास्त्र के विरुद्ध साधना कर रहा हूँ। परन्तु अभिमानवश स्वीकार नहीं कर रहे थे। जब परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए तो पूर्ण रुप से टूट गए कि मेरी भक्ति गीता के विरुद्ध है। मैं भगवान की आज्ञा की अवहेलना कर रहा हूँ। मेरे गुरु श्री रुपदास जी को भी वास्तविक
भक्ति विधि का ज्ञान नहीं है। अब तो इस भक्ति को करना, न करना बराबर है, व्यर्थ है। बहुत दुखी मन से इधर-उधर देखने लगा तथा अन्दर से हृदय से पुकार करने लगा कि मैं
कैसा नासमझ हूँ। सर्व सत्य देखकर भी एक परमात्मा तुल्य महात्मा को अपनी नासमझी तथा हठ के कारण खो दिया। हे परमात्मा! एक बार वही सन्त फिर से मिले तो मैं अपना
हठ छोड़कर नम्र भाव से सर्वज्ञान समझूंगा। दिन में कई बार हृदय से पुकार करके रात्रि में सो गया। सारी रात्रि करवट लेता रहा। सोचता रहा हे परमात्मा! यह क्या हुआ। सर्व साधना शास्त्र विरुद्ध कर रहा हूँ। मेरी आँखें खोल दी उस फरिस्ते ने। मेरी आयु 60 वर्ष हो चुकी है। अब पता नहीं वह देव (जिन्दा रुपी) पुनः मिलेगा कि नहीं।
प्रातः काल वक्त से उठा। पहले खाना बनाने लगा। उस दिन भक्ति की कोई क्रिया नहीं की। पहले दिन जंगल से कुछ लकडि़याँ तोड़कर रखी थी। उनको चूल्हे में जलाकर भोजन बनाने लगा। एक लकड़ी मोटी थी। वह बीचो-बीच थोथी थी। उसमें अनेकां चीटियाँ थीं। जब वह लकड़ी जलते-जलते छोटी रह गई तब उसका पिछला हिस्सा धर्मदास जी को
दिखाई दिया तो देखा उस लकड़ी के अन्तिम भाग में कुछ तरल पानी-सा जल रहा है। चीटियाँ निकलने की कोशिश कर रही थी, वे उस तरल पदार्थ में गिरकर जलकर मर रही
थी। कुछ अगले हिस्से में अग्नि से जलकर मर रही थी। धर्मदास जी ने विचार किया। यह लकड़ी बहुत जल चुकी है, इसमें अनेकों चीटियाँ जलकर भस्म हो गई है। उसी समय अग्नि
बुझा दी। विचार करने लगा कि इस पापयुक्त भोजन को मैं नहीं खाऊँगा। किसी साधु सन्त को खिलाकर मैं उपवास रखूँगा। इससे मेरे पाप कम हो जाएंगे। यह विचार करके सर्व भोजन एक थाल में रखकर साधु की खोज में चल पड़ा। परमेश्वर कबीर जी ने अन्य वेशभूषा बनाई जो हिन्दू सन्त की होती है। एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। धर्मदास जी ने साधु को देखा। उनके सामने भोजन का थाल रखकर कहा कि हे महात्मा जी! भोजन खाओ। साधु रुप में परमात्मा ने कहा कि लाओ धर्मदास! भूख लगी है। अपने नाम से सम्बोधन सुनकर धर्मदास को आश्चर्य तो हुआ परंतु अधिक ध्यान नहीं दिया। साधु रुप में विराजमान परमात्मा ने
अपने लोटे से कुछ जल हाथ में लिया तथा कुछ वाणी अपने मुख से उच्चारण करके भोजन पर जल छिड़क दिया। सर्वभोजन की चींटियाँ बन गई। चींटियों से थाली काली हो गई। चींटियाँ अपने अण्डों को मुख में लेकर थाली से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
परमात्मा भी उसी जिन्दा महात्मा के रुप में हो गए। तब कहा कि हे धर्मदास वैष्णव संत! आप बता रहे थे कि हम कोई जीव हिंसा नहीं करते, आपसे तो कसाई भी कम हिंसक है। आपने तो करोड़ों जीवों की हिंसा कर दी। धर्मदास जी उसी समय साधु के चरणों में गिर गया तथा पूर्व दिन हुई गलती की क्षमा माँगी तथा प्रार्थना की कि हे प्रभु! मुझ अज्ञानी को क्षमा करो। मैं कहीं का नहीं रहा क्योंकि पहले वाली साधना पूर्ण रुप से शास्त्र विरुद्ध है।
उसे करने का कोई लाभ नहीं, यह आप जी ने गीता से ही प्रमाणित कर दिया। शास्त्र अनुकूल साधना किस से मिले, यह आप ही बता सकते हैं। मैं आपसे पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान सुनने का इच्छुक हूँ। कृपया मुझ किंकर पर दया करके मुझे वह ज्ञान सुनाऐ जिससे मेरा मोक्ष हो सके।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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"जागो रे परमात्मा के चाहने वालों........हिंदुस्तान में "अवतरित हो चुका है दुनिया का मुक्तिदाता"
संत रामपाल जी महाराज कोई मामूली संत नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी के अवतार हैं जो धरती पर मानव जाति के कल्याण के लिए अवतरित हुए हैं। संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म भारत देश की पवित्र धरती पर जाट किसान श्री नंदराम जाटयाण के घर माता भक्तमति इंद्रो देवी जी गाँव धनाना धाम, तहसील गोहाना, जिला - सोनीपत (तत्कालीन रोहतक) प्रांत - हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) में 8 सितंबर 1951 को हुआ था। वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत है जो शास्त्रों के आधार पर सतभक्ति बताते हैं और ऐसा केवल पूर्ण परमात्मा या उनके कृपा पात्र संत ही कर सकते हैं। ��ज हम आपको कुछ भविष्यवक्ताओं कि भविष्यवाणी से साबित करके बताएंगे कि संत रामपाल जी ही पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं जो जगत के उद्धार के लिए अवतरित हुए हैं। जिसको सुनने के बाद आपकी सभी शंकाए समाप्त हो जाएंगी।
✨ फ्रांस के विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां
फ्रांस देश के सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता श्री नास्त्रेदमस जी ने सन् 1555 में एक हजार श्लोकों में संसार में भविष्य में घटने वाली घटनाओं की सांकेतिक सत्य भविष्यवाणियां लिखी हैं। जिसे सौ-सौ श्लोकों के दस शतकों (Ten Centuries) में लिखा था। जिनमें से बहुत सी भविष्यवाणियां पूर्व में स��्य सिद्ध हो चुकी हैं। उसमें नास्त्रेदमस ने एक ऐसे महापुरुष के लिए भी भविष्यवाणी की है जो सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करके सर्व का उद्धार करेगा। नास्त्रेदमस ने कहा है:-
◆ विश्व को सच्चा नया आध्यात्मिक ज्ञान बताकर मुक्ति दिलाने वाला महान धार्मिक नेता (Great Chyran) उस देश में पैदा होगा जिस देश का नाम एक सागर के नाम पर होगा यानि हिंद महासागर के नाम पर (हिन्दुस्तान) होगा। हम सभी जानते हैं कि विश्व में हिन्दुस्तान ही एकमात्र देश है जिसका नाम सागर के नाम पर है।
◆ फिर नास्त्रेदमस ने कहा है कि उस महापुरुष का जन्म उस देश के उस प्रान्त में होगा जिसमें पाँच नदियाँ बहती हैं। भारत का एकमात्र पंजाब प्रान्त है जिसमें पाँच नदियाँ सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम बहती है। इस कारण से इसका नाम पंजाब पड़ा है।
◆ श्री नास्त्रेदमस ने यह भी कहा है कि उस ग्रेट शायरन यानि महान धार्मिक नेता की माता तीन बहनें होंगी और उसकी चार संतानें दो पुत्र तथा दो पुत्री होंगी।
◆ नास्त्रेदमस ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि वह न तो क्रिश्चन (ईसाई) होगा, न मुसलमान, न ज्यू धर्म से होगा, वह निःसंदेह हिन्दु होगा।
◆ अपनी भविष्यवाणी के शतक पांच के अंत में तथा शतक छः के प्रारंभ में नास्त्रेदमस जी ने लिखा है कि आज अर्थात् सन् 1555 से ठीक 450 वर्ष पश्चात् अर्थात् सन् 2006 में एक हिन्दू सन्त (शायरन) प्रकाश में आएगा अर्थात् पूरे विश्व में उसकी चर्चा होगी। उस समय उस हिन्दू धार्मिक सन्त (शायरन) की आयु 50 व 60 वर्ष के बीच यानि 55 वर्ष होगी।
◆ फ्रांस के “नास्त्रेदमस” के अनुसार विश्व भर में सैनिक क्रांतियों के बाद थोड़े से ही अच्छे लोग संसार को अच्छा बनाऐंगे। जिसका महान धर्मनिष्ठ विश्वविख्यात नेता 20वीं सदी के अन्त और 21वीं सदी की शुरुआत में किसी पूर्वी देश से जन्म लेकर भ्रातृवृत्ति व सौजन्यता द्वारा सारे विश्व को एकता के सूत्र में बांध देगा। तीन ओर से सागर से घिरे द्वीप में उस महान संत का जन्म होगा। उस समय तत्वज्ञान के अभाव से अज्ञान अंधेरा होगा। नैतिकता का पतन होकर, हाहाकार मचा होगा। वह शायरन (धार्मिक नेता) गुरुवर अर्थात् गुरुजी को श्रेष्ठ मानकर अपनी साधना करेगा तथा करवाएगा। वह धार्मिक नेता (तत्वदर्शी सन्त) अपने धर्म को बल अर्थात् भक्ति की शक्ति से तथा तत्वज्ञान द्वारा सर्व राष्ट्रों को नतमस्तक करेगा। एशिया में उसे ���ोकना अर्थात् उसके प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा। (शतक-1, श्लोक-50)
◆ नास्त्रेदमस जी ने भविष्यवाणी के शतक 6 श्लोक 71 में कहा है कि वह हिन्दु शायरन अपने तत्वज्ञान से दैदिप्यमान उतुंग ऊँचा भक्ति विधान फिर से बिना शर्त उजागर करेगा। Chyren will be chief of the world. Loved feared and unchalanged even at the death. His name and praise will reach beyond the skies and he will be content to be known only as victor.
वह शायरन विश्व का प्रमुख सतगुरू यानि जगतगुरु होगा। जनता में प्रिय होगा। उसकी कीर्ति आसमानों के पार त्रिखण्ड में होगी यानि देव लोकों के वासी भी उसके आध्यात्मिक नए ज्ञान की प्रशंसा करेंगे। वह विश्व महान नेता (Great Chyren) अपने तर्कशुद्ध, अचूक आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति तेज से विख्यात होगा।
◆ श्री नास्त्रदेमस ने कहा है कि मैं छाती ठोककर गर्व से कहता हूँ कि उस दिव्य महापुरूष (ग्रेट शायरन) के ज्ञान का उदय होते ही सभी पहले वाले विद्वान कहलाने वाले धार्मिक नेताओं को निष्प्रभ होकर उसके सामने नम्र बनना पड़ेगा। वह महान नेता (ग्रेट शायरन) सभी को समान कानून, अनुशासन पालन करवाकर सत्य पथ पर लाएगा। नास्त्रेदमस ने कहा है कि मैं एक बात निर्विवाद सिद्ध करता हूँ कि वह ग्रेट शायरन नया ज्ञान आविष्कार करेगा, जिसे ना किसी ने सुना, न बताया है। सर्वप्रथम वह अपने धर्म बन्धुओं यानि हिन्दुओं को अध्यात्म ज्ञान से परिचित करवाएगा। उस अद्वितीय सत्यज्ञान को सुन-समझकर व तब तक अज्ञान निंद्रा में गाढ़े सोये हिन्दु समाज को तत्वज्ञान की रोशनी से जगाएगा। फिर विश्व भर का मानव समाज हड़बड़ाकर जागेगा। उसके बताए तत्वज्ञान के अनुसार साधना करेगा। शायरन (तत्वदर्शी संत) के सानिध्य में उस भूतल की पवित्र भूमि (हिन्दुस्तान) पर स्वर्ण युग का अवतरण होगा, उसके पश्चात् वह पूरे विश्व में फैलेगा। उस विश्वनेता के शालीनता, विनम्रता, उदारता का रल-पेल बोलबाला होगा।
◆ नास्त्रेदमस जी ने कहा है कि मैं बड़े दुःख के साथ कह रहा हूँ कि प्रारम्भ में शायरन को ठीक से न समझकर उस पर राजद्रोह का केस लगा देंगे। उससे लोग नफरत करेंगे। फिर जानने के पश्चात् उससे बेहद प्रेम करेंगे। उसके सद्गुणों का बोलबाला होगा।
◆ नास्त्रेदमस ने कहा है कि निःसंदेह मेरी भविष्यवाणी का शब्दा-शब्द केव�� उसी शायरन पर खरा उतरेगा। मेरी भविष्यवाणी को अन्य धर्मनेताओं तथा राजनेताओं पर तर्क-वितर्क करके देखेंगें, परंतु उसके अतिरिक्त कोई खरा नहीं उतरेगा।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों का सटीक समर्थन अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने भी किया है।
✨ अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की महत्त्वपूर्ण भविष्यवाणी
अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणियों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल ऑफ सेंसेशनल कल्चर’ नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा। पश्चिमी देशों के विलासिता पूर्ण जीवन जीने वालों में निराशा, बेचैनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेंगी, जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा कि चारों ओर हाहाकार मच जाएगा। लेकिन भारत से उठने वाली एक नई विचारधारा इस घातक वातावरण को समाप्त कर देगी। वह विचारधारा वैज्ञानिक दृष्टि से सामंजस्य और भाईचारे का महत्व समझाएगी। वह यह भी समझाएगी कि धर्म और विज्ञान में आपस में कोई विरोध नहीं है। आध्यात्मिकता की उच्चता और भौतिकता का खोखलापन सबके सामने उजागर करेगी। मध्यमवर्ग उस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित होगा। यह वर्ग समाज के सभी वर्गों को अच्छे समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करेगा। यह विचारधारा पूरे विश्व में चमत्कारी परिवर्तन लाएगी।
मुझे यह एहसास हो रहा है कि उस विचारधारा को जन्म देने वाला वह महान संत भारत में जन्म ले चुका है। उस संत के ओजस्वी व्यक्तित्व का प्रभाव सब को चमत्कृत करेगा। उसकी विचारधारा आध्यात्म के कम होते जा रहे प्रभाव को फिर से नई स्फूर्ति देगी। चारों ओर आध्यात्मिक वातावरण होगा। उस संत की विचारधारा से पूरा विश्व प्रभावित होगा और उनके चरण चिन्हों पर चलेगा। पश्चिमी देश के लोग उन्हें ईसा, मुसलमान उन्हें एक सच्चा रहनुमा और एशिया के लोग उन्हें भगवान का अवतार मानेंगे। फ्लोरेंस ने अपनी एक दूसरी पुस्तक ‘गोल्डन लाइट ऑफ न्यू एरा‘ में भी लिखा है:
“जब मैं ध्यान लगाती हूँ तो अक्सर एक संत को देखती हूँ जो गौर वर्ण का है, उसके सफेद बाल हैं, उसके मुख पर न दाढ़ी है, न मूंछ है। उस संत के ललाट पर गजब का तेज होता है। उनके ललाट पर आकाश से एक नक्षत्र के प्रकाश की किरणें निरंतर बरसती रहती हैं। मैं देखती हूं कि वह संत अपनी कल्याणकारी विचारधारा तथा ��पने सत चरित्र प्रबल अनुयायियों की शक्ति से संपूर्ण विश्व में नए ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं।” वह संत अपनी शक्ति निरंतर बढ़ा रहे हैं। उनमें इतनी शक्ति है कि वह प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं। मैं उस पवित्र स्थान पर एक प्रचंड तपस्वी को देख रही हूँ। जिसका तेज बड़ी तेजी से फैल रहा है। मनुष्य में सोए देवत्व को जगाने तथा धरती को स्वर्ग जैसा बनाने के लिए वह संत दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। भविष्यवक्ता फ्लोरेंस बताती हैं कि मैं भविष्य के विषय में एक बहुत महत्वपूर्ण बात बता रही हूँ। 20वीं शताब्दी के अंत में भारतवर्ष से प्रकाश निकलेगा। यह प्रकाश पूरी दुनिया को उन दैवीय शक्तियों के विषय में जानकारी देगा जो अब तक हम सभी के लिए रहस्यमय बनी हुई हैं। एक दिव्य महापुरुष द्वारा यह प्रकाश पूरे विश्व में फैलेगा। वह सभी को सत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा। समस्त दुनिया में एक नई सोच की ज्योति फैलेगी। जब मैं ध्यानावस्था में होती हूँ तो अक्सर यह दिव्य महापुरुष मुझे दिखाई देते हैं। फ्लोरेंस ने बार-बार इस संत या दिव्य महापुरुष का जिक्र किया है। साथ ही यह भी बताया है कि उत्तरी भारत वर्ष में एक पवित्र स्थान पर वह मौजूद हैं। उसका आध्यात्मिक ज्ञान सर्व को अचंभित करने वाला है।
✨ एक महापुरुष के विषय में जयगुरुदेव पंथ के श्री तुलसीदास जी की भविष्यवाणी
◆ जयगुरूदेव पंथ के संस्थापक श्री तुलसीदास जी ने सन् 1971 में जो प्रवचन किए थे, उन्हें उनके शिष्यों द्वारा पुस्तक "जय गुरूदेव की अमृतवाणी भाग-2" में संग्रह किया गया है। जिसके पृष्ठ 59 पर लिखा है कि महापुरूष का जन्म भारत के एक छोटे से गाँव में हो चुका है और वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। उसे जनता का इतना बड़ा समर्थन प्राप्त होगा कि आज तक किसी को नहीं मिला है। वह महापुरूष नए सिरे से विधान को बनाएगा और वह विश्व के सम्पूर्ण देशों पर लागू होगा। उसका एक झण्डा होगा। उसकी एक भाषा होगी। (शाकाहारी पत्रिका 28 अगस्त 1971)
◆ इसी पुस्तक में पृष्ठ 50 पर लिखा है कि वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, 20 वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूँ तो लोग उसके पीछे पड़ जाऐंगे। अभी ऊपर से आदेश बताने के लिए नहीं हो रहा है। मैं समय का इंतजार कर रहा हूँ और सभी महात्माओं ने समय का इंतजार किया है। समय आते ही सबको सब कुछ मालूम हो जाएगा। (शाकाहारी पत्रिका 7 सितम्बर 1971 )
✨ भाई बाले वाली जन्म साखी में दिव्य शक्ति युक्त महापुरुष के लिए भविष्यवाणी
भाई बाले वाली जन्म साखी में पृष्ठ नं 305 पर भक्त प्रहलाद द्वारा की गई भविष्यवाणी में प्रमाण है कि नानक देव जी के सैंकड़ो वर्षो के ��ाद पंजाब की धरती पर जाट जाति में जन्मा सन्त, कबीर जी व नानक देव जी तरह ही दिव्य शक्ति युक्त होगा, उसका प्रचार क्षेत्र बरवाला होगा।
विश्व विजेता संत के लिए अन्य भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियाँ
✨ इंग्लैंड के ज्योतिषी ‘कीरो‘ ने सन् 1925 में लिखी पुस्तक में भविष्यवाणी की है, “बीसवीं सदी अर्थात् सन् 2000 ई. के उत्तरार्द्ध में (सन 1950 के पश्चात् उत्पन्न संत) ही विश्व में एक नई सभ्यता लाएगा जो संपूर्ण विश्व में फैल जाएगी। भारत का वह एक व्यक्ति सारे संसार में ज्ञानक्रांति ला देगा।”
✨ भविष्यवक्ता “श्री वेजीलेटिन” के अनुसार, “20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में विश्व में आपसी प्रेम का अभाव, मानवता का ह्रास, माया संग्रह की दौड़, लूट व राजनेताओं का अन्यायी हो जाना, आदि बहुत से उत्पात देखने को मिलेगें। परन्तु भारत से उत्पन्न हुई शांति भ्रातृत्व भाव पर आधारित नई सभ्यता, संसार में, देश, प्रांत और जाति की सीमायें तोड़कर विश्वभर में अमन व चैन उत्पन्न करेगी।”
✨ अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता “जीन डिक्सन” के अनुसार, “20 वीं सदी के अंत से पहले विश्व में घोर हाहाकार तथा मानवता का संहार होगा। वैचारिक युद्ध के बाद आध्यात्मिकता पर आधारित एक नई सभ्यता सम्भवतः भारत के ग्रामीण परिवार के व्यक्ति के नेतृत्व में जन्म लेगी और संसार से युद्ध को सदा-सदा के लिए विदा कर देगी।”
✨ अमेरिका के “श्री एण्डरसन” के अनुसार, “20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21 वीं सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा तांडव होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और एक झंडा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा सन् 1999 तक विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिए धर्म व सुख-शांति भर देगा।"
✨ हॉलैण्ड के भविष्यवक्ता “श्री गेरार्ड क्राइसे” के अनुसार, “20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में भयंकर युद्ध के कारण कई देशों का अस्तित्व ही मिट जावेगा। परन्तु भारत का एक महापुरुष संपूर्ण विश्व को मानवता के एक सूत्र में बांध देगा। वह हिंसा, फूट-दुराचार, कपट आदि को संसार से सदा के लिए मिटा देगा।”
✨ अमेरिका के भविष्यवक्ता “श्री चार्ल्स क्लार्क” के अनुसार, “20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परंतु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी जिसे पूरा विश्व अपना लेगा। यह धार्मिक क्रांति 21वीं सदी के प्रथम दशक में संपूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।”
✨ हंगरी की महिला ज्योतिषी “बोरिस्का” के अनुसार, “सन् 2000 ई. से पहले-पहले की परिस्थितियों, हत्या और लूटमार के बीच ही मानवीय सद्गुणों का विकास एक ��ारतीय फरिश्ते के द्वारा भौतिकवाद से सफल संघर्ष के फलस्वरूप होगा जो चिरस्थाई रहेगा, इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे छोटे लोग ही अनुयायी बनकर भौतिकवाद को आध्यात्मिकता में बदल देंगे।”
✨ फ्रांस के “डॉ. जुलर्वन” के अनुसार, “सन् 1990 के बाद यूरोपीय देश भारत की धार्मिक सभ्यता की ओर तेजी से झुकेंगे। सन् 2000 तक विश्व की आबादी 640 करोड़ के आस-पास होगी। भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रांति नास्तिकता का नाश करके आँधी, तूफान की तरह सम्पूर्ण विश्व को ढक लेगी। उस महान भारतीय आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयाई देखते-देखते एक संस्था के रूप में ‘आत्मशक्ति’ से सम्पूर्ण विश्व पर प्रभाव जमा लेंगे।”
✨ इजरायल के “प्रो. हरार” के अनुसार: “भारत देश का एक दिव्य महापुरुष मानवतावादी विचारों से सन् 2000 ई. से पहले-पहले आध्यात्मिक क्रांति की जड़ें मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उनके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा। भारत के अधिकतर राज्यों में राष्ट्रपति शासन होगा पर बाद में नेतृत्व धर्मनिष्ठ वीर लोगों पर होगा जो एक धार्मिक संगठन के आश्रित होंगे।”
✨ नार्वे के श्री “आनन्दाचार्य” की भविष्यवाणी के अनुसार: सन् 1998 के बाद एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था भारत में प्रकाश में आयेगी, जिसके स्वामी एक गृहस्थ व्यक्ति की आचार संहिता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा। धीरे-धीरे भारत औद्योगिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से विश्व का नेतृत्व करेगा और उसका विज्ञान (आध्यात्मिक तत्वज्ञान) ही पूरे विश्व को मान्य होगा।”
आइये अब जानते हैं कि उस महापुरुष के बारे में जिसके विषय में विश्वप्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणियां की हैं। वे सभी भविष्यवाणियां संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती हैं। पाठकों को ज्ञात है कि संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर, 1951 को पंजाब प्रांत के छोटे से गांव धनाना में हिंदू जाट किसान परिवार में हुआ था, जो एक नवंबर 1966 में पंजाब के हुए विभाजन के बाद हरियाणा प्रांत में आ गया। संत रामपाल जी की माता तीन बहनें थी जिनका नाम इन्द्रो देवी, लक्ष्मी देवी व रामप्यारी देवी है। उनकी चार संतान दो पुत्र (विरेन्द्र तथा मनोज) तथा दो पुत्री (अंजु बाला तथा मंजु बाला) हैं। सर्व विदित है 12 जुलाई 2006 में हुए करौंथा काण्ड के बाद संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में प्रकाश में आये थे। उस समय उनकी आयु 50-60 के मध्य यानि 55 वर्ष थी। साथ ही 2006 से वर्तमान तक संत रामपाल जी उपेक्षा के पात्र बने हैं। झूठी अफवाहों के शिकार हुए हैं। जनता नफरत करती है, परंतु जो बुद्धिजीवी उनके अद्वितीय अध्यात्म ज्ञान को ठीक सुन-समझ लेता है, वह संत शायरन रामपाल जी पर कुर्बान हो जाता है। उसके परिणामस्वरूप संत रामपाल जी के अनुया�� दिनों-दिन पूरे विश्व में बढ़ रहे हैं तथा 18 नवंबर 2014 को हुए बरवाला कांड में संत रामपाल जी पर बरवाला थाना (जिला-हिसार, प्रान्त - हरियाणा) में राष्ट्रद्रोह का झूठा मुकदमा नं. 428/2014 बनाया गया है। हम सभी जानते हैं कि संत रामपाल जी महाराज ने सर्व धर्मग्रंथों से प्रमाण सहित सृष्टि रचना में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा, ब्रह्म, परब्रह्म और पूर्णब्रह्म (परम अक्षर ब्रह्म) का भिन्न भिन्न भेद बताया, सर्व ब्रह्मांडो की सत्य जानकारी दी है तथा मोक्ष प्राप्ति के उन सांकेतिक मंत्रों की भी जानकारी दी और सर्व दैवीय शक्तियों का रहस्य उजागर किया, जिनकी जानकारी आज तक किसी को नहीं थी। उनके तत्वज्ञान से आज पूरे विश्व में आध्यात्मिक ज्ञान की क्रांति आई हुई है तथा उनके ज्ञान से चोरी, जारी (दुराचार), रिश्वतखोरी, जातीय व धार्मिक भेदभाव, सर्व नशा जड़ से समाप्त हो रहा है जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है। वहीं जयगुरुदेव पंथ के तुलसीदास जी की भविष्यवाणी के अनुसार 7 सितंबर 1971 को संत रामपाल जी महाराज पूरे 20 वर्ष के हुए थे। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, जयगुरुदेव पंथ समेत अन्य सभी भविष्यवक्ताओं के अनुसार वह महापुरुष, जगत का तारणहार कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान और विचारधारा से एक बार पुनः पूरा विश्व एक होगा, भारत पुनः सोने की चिड़िया बनेगा।
✴️उपसंहार:- इस तरह हमने पाया कि सभी भविष्यवक्ता भारत व उस भारतीय महापुरुष की ओर संकेत कर रहे हैं जिसके तत्वज्ञान से पूरा विश्व एक होगा, भारत विश्वगुरु बनेगा। इन भविष्यवाणियों के आधार से हमने ��थाकथित महापुरुषों, संतों व आचार्यों को देखा और इन भविष्यवाणियों से उनकी तुलना की और उनमें एक ऐसा सन्त पाया जिस पर ये सभी भविष्यवाणियां खरी उतर रहीं थी। वह कोई ओर नहीं तत्कालीन पंजाब के छोटे से गाँव में जाट के घर अवतरित संत रामपाल जी महाराज जी हैं। कहते है हाथी का वस्त्र हाथी पर ही फिट हो सकता है बैल पर नहीं। अर्थात जिसके लिए भविष्यवाणी की गई हैं ये सभी भविष्यवाणी उसी महापुरुष पर फिट बैठ सकती है अन्य पर नहीं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:- +91 8222880541
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#SantRampalJi_IncarnationDay
🔮भार��� में उत्पन्न वह पूर्ण संत गौर वर्ण के हैं, उनके न दाढ़ी है, ना मूछें हैं और उनके सर पर सफेद बाल हैं। - फ्लोरेंस
अमेरिका की इस प्रसिद्ध भविष्यवक्ता की उपरोक्त भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज पर बिल्कुल खरी उतरती है।
🔮भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि
उस ग्रेट शायरन (तत्वदृष्टा संत) की चार संतान, दो पुत्र तथा दो पुत्री होंगी। उस महान शायरन की माता तीन बहनें होंगी। यह भविष्यवाणी भी संत रामपाल जी महाराज पर बिल्कुल खरी उतरी है, संत रामपाल जी महाराज के चार संतानें हैं, दो पुत्र तथा दो पुत्री। संत रामपाल जी महाराज जी की माता तीन बहनें हैं।🔮"वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह 20 वर्ष का हो चुका है।" - जयगुरुदेव
जय गुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी द्वारा 7 सितंबर 1971 को लिखी उपरोक्त भविष्यवाणी सिर्फ संत रामपाल जी महाराज पर ही सही बैठती है क्योंकि 8 सितंबर 1951 को अवतरित हुए संत रामपाल जी महाराज 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हो गए थे।
🔮नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि स्वतंत्रता के चार वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो विश्व को नए ज्ञान से परिचित कराएगा।
वर्ष 1951, 8 सितम्बर संत रामपाल जी महाराज का जन्म दिवस है।
उनके द्वारा दिया गया ज्ञान दूसरे संतों से हटकर है और शास्त्र प्रमाणित है।
🔮राजस्थान के रुणीचा वाले बाबा रामदेव जी ने अपनी पुस्तक
‘चौबीस प्रमाण' में लिखा है कि, वो तारणहार संत जाट जाति से होगा, वह कलयुग में सतयुग लाएगा, उस संत की एक पहचान और भी होगी कि वह कविर्देव के गुण गाएगा, वह तारणहार संत हरियाणा में होगा। यह भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज जी के लिए ही हुई है, क्योंकि एकमात्र संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जो जाट जाति में हैं और अपने आध्यात्मिक तत्वज्ञान से सतयुग जैसा माहौल बना रहे हैं।
🔮विष्णु-विष्णु भण अजर जरी जै, धर्म हुवै पापां छुटिजै।
हरि पर हरि को नाम जपीजै, हिरयालो हरि आण हरूं, हरि नारायण देव नरूं।
आशा सास निरास भइलो, पाइलो मोक्ष दवार खिंणू।।
विश्नोई धर्म के संस्थापक संत जम्भेश्वर जी ने शब्द वाणी सं. 102 में कहा है कि हरि अर्थात परमात्मा हरियाणा में प्रकट होंगे। उनके द्वारा बताई शास्त्रोक्त भक्ति की साधना से मोक्ष का मार्ग प्राप्त होगा तथा निराशों की आशा जागेगी कि अब हमें यहाँ भी सुख मिलेगा तथा प्रलोक में भी तथा मोक्ष प्राप्ति अवश्य होगी। यह वाणी संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती है।
🔮भक्त प्रह्लाद जी ने एक महापुरुष के विषय में भविष्यवाणी की है कि वह महापुरुष पंजाब की धरती पर जाट वर्ण में जन्म लेगा उसका प्रचार क्षेत्र बटाला (बरवाला) होगा।
प्रमाण प्रसिद्ध पुस्तक "भाई बाले वाली जन्म साखी"
संत रामपाल जी महाराज के अतिरिक्त अन्य कोई संत नहीं है जिनका जन्म जाट परिवार में हुआ हो और उनका प्रचार क्षेत्र बरवाला (हरियाणा) रहा हो।
🔮 संत रामपाल जी महाराज जी ने जाति, धर्म व ऊंच नीच से मुक्त मार्ग बताया है। संत रामपाल जी के यहाँ कोई भी जाति, धर्म, उच्च पद या सामान्य वर्ग का कोई भाई बन्धु जाए वे सभी से प्यार और ��मभाव से पेश आते हैं। वहां न किसी को अपनी जाति का अभिमान होता है, न ही धर्म का और न किसी पद प्रतिष्ठा का।
🔮 धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज
इजरायल के प्रो. हरार के अनुसार भारत देश का एक दिव्य महापुरूष मानवतावादी विचारों से सन् 2000 ई. से पहले-पहले आध्यात्मिक क्रांति की जड़ें मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उनके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा। भारत के अधिकतर राज्यों में राष्ट्रपति शासन होगा, पर बाद में नेतृत्व धर्मनिष्ठ वीर लोगों पर होगा। जो एक धार्मिक संगठन के आश्रित होगें।
🔮संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितम्बर हुआ जिनके विषय में हंगरी की महिला ज्योतिषी ‘‘बोरिस्का’’ ने लिखा है कि 21 वीं सदी में मानवीय सद्गुणों का विकास एक भारतीय संत के द्वारा होगा, जो चिरस्थाई रहेगा, इस आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयायी भौतिकवाद को आध्यात्मिकता में बदल देगें।
🔮नास्त्रेदमस ने कहा था स्वतंत्रता के चार वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो विश्व को नए ज्ञान से परिचित कराएगा। वह महान संत बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी हैं जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को हुआ और आज तक किसी ने नहीं बताया, ऐसा शास्त्र प्रमाणित ज्ञान वो बता रहे हैं।
🔮 संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव- धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के परिवार में हुआ। अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा राज्य में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की सरकारी पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे।
🔮नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की है कि "ठहरो राम - राज्य आ रहा है। एक महापुरुष पूरे विश्व में स्वर्ण युग लायेगा। जिसके नेतृत्व में भारत विश्व गुरु बनेगा।"
वह महापुरुष और कोई नहीं संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।🔮पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने 600 वर्ष पहले धर्मदास जी से कहा था कि 5505 वर्ष जब कलियुग बीत जायेगा तब महापुरुष विश्व के कल्याण के लिए प्रकट होगा। वह महापुरुष संत रामपाल जी महाराज हैं।
पांच सहंस अरु पांच सौ पांच, जब कलयुग बीत जाए।
महापुरुष फरमान तब, जग तारण को आये।।
🔮 एक धार्मिक नेता ऐसा नया ज्ञान बताएगा जो न किसी ने न सुना, न बताया है। - नास्त्रेदमस
गुप्त बनी हुई दैवीय शक्ति समेत काल जाल से निकलने का प्रमाणित ज्ञान व सतलोक के स्थाई सुख की जानकारी देना संत रामपाल जी महाराज ने 1994 से प्रारंभ किया जोकि कोई नहीं जानता था।
🔮संत रामपाल जी महाराज जी को 37 वर्ष की आयु में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि के समय नाम दीक्षा प्राप्त हुई। और तन-मन से सक्रिय होकर भक्ति साधना करके परमात्मा का साक्षात्कार किया।
धरती पर अवतार
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