#कार क�� चपेट में
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मद्य निषेध कथा अथ बेवड़ो की व्यथा
हमारा एक पड़ोसी राज्य मद्य निषेध के चपेट में है। तृषित नागरिक हाहाकारी अवस्था में आ चुके।सरकारी खजाने को 6000 करोड़ का सालाना नुकसान हो रहा।जनता के पीने-खाने की व्यवस्था करना सरकार का धर्म है।जाहिर है, इसमें खाद्य पदार्थों के साथ पेय पदार्थों की भी व्यवस्था शामिल होगी।पर सरकार निस्पृह है, जब की सरकार में शामिल कुछ घटक दल भी मध्यम सुर में सुर मिला श्वान राग छेड़ रहे।
“उच्च कोटि की मदिरा,समुचित मात्रा में,औषधि का कार्य करती है।मेहनतकश वर्ग अगर रात्रि में उचित मात्रा में मदिरा का सेवन करें,तो सुबह तरोताज़ा महसूस करेंगे।” ये महामहिम श्री जीतन राम जी मांझी जी, (बिहार वाले), के विचार हैं, जो परोपकार हेतु उन्होने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर साझा किये थे। यह एक अति स्वागत योग्य विचार था। परन्तु महामहिम ने इनकी भी सुनी अनसुनी कर दी।मद्य निषेध कानून पर कोई पुनर्विचार नहीं हो हुआ।अब कानून भीरू सभ्य नागरिक क्या करें?उन बेचारों को प्यास बुझाने खातिर राज्य की सीमा पार करनी पड़ रही। वहां भी शराब मंहगी हो गई तो थोड़ी थोड़ी ही पी रहे।
ऐसे ही प्राचीन काल में एक बार लखनऊ के एक नवाब साहब ने होली मे शराब बंदी करवा दी थी। उन्हे शिकायत मिली थी कि कायस्थ लोग होली में शराब पी कर हुडदंग मचाते हैं।कायस्थों ने अपनी जातिगत परंपरा के हनन के विरोध में तत्काल आपातकालिन बैठक बुलाई और गहन मंथन के बाद निर्णय लिया कि नवाब साहब के पास एक होलियाना पुनर्विचार याचिका दायर की जाए। तो नवाब के दीवान, जो खुद भी कायस्थ थे, ने ये पंक्तियां रची ,और जान की अमाल पा, नवाब साहब को सुनाई:
"कुर्क मय ओ अय्याम होली में कहो क्या कीजिए/जी में आता है ऐसी सूरत में कि कंठी लीजिये/ गर तमाशा कायस्थों का देखना मंजूर है /तो शाह द�� दिन के लिए मय की इजाज़त दीजिये/"। नवाब साहब सुन प्रसन्न भये और कायस्थों को विधि पूर्वक होली मनाने की इजाज़त मिल गई।
कायस्थ जाति तो वैसे ही 'क कार' शब्दों यथा, कलिया,कबाब,कोरमा, कोफ्ता, कटलेट,कागज, कलम, किताब, कर्जा तथा कलाली से विशेष रूप से संबद्ध रही है।कायस्थजातिआराध्य श्री चित्रगुप्त भगवान भी गुड़-अदरक का रस सहर्ष स्वीकारतेे हैं।
पड़ोसियों को भी मद्य निषेध से निजात पाने के लिए कायस्थों की इसी सर्वांगीण विशेषता से लाभ लेना चाहिए। क्या पता, महामहिम भी कायस्थ जीवन दर्शन से प्रभावित हो कर 'क कार' जीवन पद्धति से संबद्ध हो जाएं।
वैसे भी अभाव में organic महुआ अथवा गृह निर्मित हड़िया का सेवन वर्ज्य नहीं है।शास्त्रों में भी लिखा है "अभावे शालिचूर्ण वा शर्करा वा गुडं तथा"। तद्नुसार, सुधी जन अंतरिम में शास्त्रानुसार आचरण कर तृप्ति पा सकते हैं।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
।। ऊँ शांति:शांति:शांति:।।
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रुहेलखंड के दिग्गज एसपी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद का कोरोना से निधन Divya Sandesh
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रुहेलखंड के दिग्गज एसपी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद का कोरोना से निधन
देश दीपक गंगवार, पीलीभीत रुहेलखंड के दिग्गज एसपी नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद की कोरोना संक्रमण ने जान ले ली। 24 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के चलते जिला अस्पताल स्थित एल-टू अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार न होने पर नोएडा ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टर हाजी रियाज अहमद को बचा नही सके, उनके निधन की सूचना मिलते ही एसपी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पीलीभीत में शोक की लहर दौड़ गई है।
हाजी रियाज अहमद की गिनती रुहेलखंड के कद्दावर राजनेताओं में होती थी। वह पीलीभीत से पांच बार विधायक रहे थे। यूपी में एसपी की सरकार बनने पर पहली बार राज्यमंत्री और बाद में ��ैबिनेट मंत्री रहे थे। संजय विचार मंच से सबसे पहले विधायक बनने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विधायकी चुनाव जीतने की हैट्रिक बनाई थी। वह पीलीभीत से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके थे। एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव एवं पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बेहद करीब माने जाने वाले हाजी रियाज अहमद कुछ दिन पहले कोरोना की चपेट में आ गए थे।
तबीयत खराब होने पर परिवार ने उनको बरेली के एक अस्पताल में भर्ती कराया था। हालात में सुधार न होने पर गुरुवार को उनको नोएडा के अस्पताल ले जाया गया था, जहां देर रात उनकी मौत हो गई। हाजी रियाज अहमद के इंतकाल की खबर पीलीभीत पहुंचते ही पूरा जिला शोक में डूब गया है, उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव गौहर, न्यूरिया पीलीभीत में किया जाएगा।
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लॉकडाउन से कितना अलग है सीलिंग, जानिए सील इलाके में क्या-क्या बदल जाएगा - Lockdown vs sealing coronavirus covid 19 hotspots seal area uttar pradesh delhi india law rule legal news
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लॉकडाउन से कितना अलग है सीलिंग, जानिए सील इलाके में क्या-क्या बदल जाएगा - Lockdown vs sealing coronavirus covid 19 hotspots seal area uttar pradesh delhi india law rule legal news
सील वाले इलाके में राशन, दूध, फल और सब्जियों की दुकानें रहेंगी बंद
मीडिया कवरेज पर भी बैन, मरीज को सिर्फ एंबुलेंस से जा सकेंगे हॉस्पिटल
चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया है. इस वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन कर दिया, लेकिन इसके बावजूद कुछ इलाकों में हालात काबू होते नहीं दिख रहे हैं. लिहाजा अब कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी और मध्य प्रदेश के कोरोना हॉटस्पॉट इलाकों को सील कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि जिन कोरोना हॉटस्पॉट को सील किया जा रहा है, वहां किसी प्रकार की आवाजाही नहीं होगी. इन इलाकों में सप्लाई की व्यवस्था सिर्फ होम डिलीवरी के जरिए ही होगी. फल, सब्जी, दवा, राशन समेत अन्य रोजमर्जा की चीजों की व्यवस्था होम डिलीवरी के जरिए घर तक पहुंचेगी. ��न्होंने बताया कि कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हर इलाके और लोगों को चिन्हित कर क्वारनटीन व सैनिटाइज करने का काम किया जा रहा है. इन इलाकों में ड्रोन की सहायता से निगरानी की जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सीलिंग को लेकर जारी गाइडलाइन के मुताबिक सीलिंग वाले इलाके में सिर्फ पुलिस कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों और सफाई कर्मियों को जाने की अनुमति होगी. मीडिया को भी इलाके में जाने नहीं दिया जाएगा. हालांकि अगर कोई मीडिया कर्मी सीलिंग वाले इलाके में रहता है, तो उसको अपने दफ्तर जाने और आने की इजाजत होगी. इसके अलावा मरीजों को सिर्फ एंबुलेंस में ही ले जाया जाएगा. किसी निजी वाहन में मरीज को ले जाने की इजाजत नहीं होगी.
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सीलिंग की कार्रवाई लॉकडाउन का अगला कदम है. इसका मतलब यह हुआ कि लॉकडाउन में लोगों के मूवमेंट को रोका जाता है. इसके लिए यातायात यानी ट्रेन, मेट्रो, फ्लाइट, बस और कार समेत सभी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ने बताया सीलिंग और लॉकडाउन में फर्क
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि सीलिंग की कार्रवाई लॉकडाउन का अगला स्टेज है. लॉकडाउन के दौरान फलों, सब्जियों, राशन, दूध और दवाइयों की दुकानें खुली होती हैं. हालांकि सीलिंग होने पर इलाके में सभी सेवाएं पूरी तरह बंद हो जाती हैं.
उन्होंने बताया कि सिर्फ प्रशासन की इजाजत से ही फलों, सब्जियों, राशन, दूध और दवाइयों की सप्लाई की जा सकती है. इसके साथ ही किसी को इलाके से बाहर जाने या फिर इलाके में घुसने की इजाजत नहीं होती है. यहां तक की लोग अपनी गलियों में भी नहीं निकल सकते हैं और लोगों को घर के अंदर खुद को बंद रखना पड़ता है.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें…
सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा के मुताबिक अगर किसी को खाने-पीने या रोजमर्रा की किसी चीज की जरूरत होती है, तो उसको प्रशासन की इजाजत से ही मुहैया कराया जा सकता है. अगर सीलिंग वाले इलाके में किसी की तबीयत खराब होती है, तो एंबुलेंस से ही हॉस्पिटल ले जाने की इजाजत होती है. यहां तक कि निजी वाहन में भी मरीज को ले जाने की इजाजत नहीं होती है. इसी तरह दवाइयों या फिर इलाज के लिए भी प्रशासन की इजाजत लेनी होती है.
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