#करोड़ों की ठगी
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thakuram · 2 years ago
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AimOfSantRampalJi
संत रामपाल जी महाराज का मूल उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी शाम 7:30 बजे
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rightnewshindi · 18 days ago
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क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड मामले में 73 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर, अब तक 35 करोड़ की संपत्ति जब्त
Crypto Currency Fraud Himachal: हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने क्रिप्टो करंसी ठगी मामले में अब तक 73 आरोपियों के चार्जशीट दायर की है। एसआईटी ने अब तक क्रिप्टो रैकेट के आरोपियों की 35 करोड़ की संपत्ति भी फ्रीज की है। करोड़ों की ठगी मामले की जांच एसआईटी ने अब एसपी कांगड़ा को सौंप दी है। इससे पहले आईजी उत्तरी रेंज अभिषेक दुल्लर की अध्यक्षता में गठित की गई एसआईटी मामले की जांच कर रही थी। अब इस मामले की…
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asr24news · 2 months ago
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महिला दरोगा को भी प्रेमजाल में फंसाकर राजन वर्मा ने की थी ठगी
लखनऊ, 7 सितंबर 2024: बरेली में फर्जी पुलिसवाला बनकर ठगी करने वाले शातिर ठग राजन वर्मा ने कन्नौज की महिला दरोगा सहित 12 महिला पुलिसकर्मियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनसे करोड़ों की ठगी की है। राजन पहले अपनी शिकार महिलाओं पर खूब पैसा खर्च करता था और उनका भरोसा जीतकर उनसे ठगी करता। पुलिस की जांच में सामने आया है कि वह अब तक लगभग तीन करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। राजन वर्मा ने पूछताछ में स्वीकार…
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sharpbharat · 4 months ago
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Jharkhand cid action : झारखंड सहित 18 राज्यों में करोड़ों की ठगी का आरोपी साइबर अपराधी हैदराबाद से गिरफ्तार, रांची में 1.4 करोड़ की ठगी के मामले में झारखंड सीआइडी ने की कार्रवाई
रांची :  झारखंड सहित कुल 18 राज्यों में आम लोगों से करीब करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले साइबर अपराधी एम सुजीत कुमार को सीआइडी ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है. उसके खिलाफ 18 राज्यों में साइबर ठगी के 94 मामले दर्ज हैं. झारखंड सीआइडी ने उसको रांची साइबर सेल थाना में 1.40 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में गिरफ्तार किया है. सीआइडी के सूत्रों ने मंगलवार के दिन इसकी जानकारी दी. (नीचे भी पढ़ें) बता दें…
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dainiksamachar · 4 months ago
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दुबई के 'ठगी सेमिनार' में सीखे पैंतरे, देश भर में किया करोड़ों का फ्रॉड, गाजियाबाद में दो अरेस्‍ट
अंकित त‍िवारी, गाजियाबाद: कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी से जुड़े 2 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों के तार देशभर में हुए 168 से ज्यादा ठगी के मामलों से जुड़े हैं। इनका गैंग अब तक 22 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है। इसके लिए बकायदा दुबई में सेमिनार भी अटेंड की, जहां ठगी के बारे में सिखाया गया। अडिशनल सीपी दिनेश पी. ने बताया कि साइबर थाने में दर्ज हुए 70 लाख, 24 लाख 81 हजार और 52 लाख रुपये की ठगी के केस में कार्रवाई करते हुए टीम ने दोनों आरोपियों को पकड़ा है। उनकी पहचान मथुरा के रहने वाले चेतन शर्मा और राजस्थान के राहुल कुमार रूप में हुई है। उनके पास से 5 मोबाइल, लैपटॉप समेत अन्य बैंकिंग से जुड़ा सामान बरामद किया गया है। इसके साथ ही ठगी के 2 मामलों में 36 लाख रुपये की रिकवरी की गई है। बदमाशों का कनेक्शन 23 राज्यों में हुए 168 फ्रॉड के मामलों में भी सामने आया है। आईपीओ और शेयर में निवेश का देते थे झांसा आरोपियों ने बताया कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से हुसैन नाम के व्यक्ति से मिले थे। वह शेयर ट्रेडिंग के नाम पर होने वाली ठगी के नेटवर्क में शामिल था। उनकी उससे मुलाकात तो नहीं हुई, लेकिन वह उन्हें काम देता था। दोनों गैंग को अकाउंट उपलब्ध करवाते थे। इसके लिए वह लोगों की आईडी पर फर्जी कंपनी तैयार कर करंट अकाउंट खोल रहे थे। इनकी जिम्मेदारी केवल इतनी थी कि नजर रखें कि सोशल मीडिया पर विडियो देखकर कितने लोग ग्रुप में एड हो रहे हैं। इसके बाद उन्हें अकाउंट खुलवाने के बाद तेजी से भागने वाले शेयर और आईपीओ दिलवाने का झांसा देकर ठगी की जाती है। ठग टेकस्टार और यूआईसीआईआर नाम के ऐप इंस्टॉल करवा फर्जी ट्रेडिंग से रुपये लेते हैं। सबसे ज्यादा ठगी शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ही की जाती है। दुबई में सेमिनार में बता थे ठगी के फायदे पूछताछ में सामने आया है कि राहुल ठगों के नेटवर्क के सेमिनार को अडेंट करने के लिए दुबई गया था। मई में 15 दिन दुबई रह��र उसने ठगों के नेटवर्क के बारे में जानकारी की थी। इस दौरान 100 से अधिक लोग उसमें शामिल हुए थे, जहां उन्हें बताया गया कि अकाउंट देने के बाद ईमानदारी दिखाने से उन्हें काफी फायदा हो सकता है। उनके नेटवर्क में पुलिस से पकड़े जाने का खतरा भी काफी कम है। क्रिप्टोकरेंसी में होती है पेमेंट अडिशनल सीपी ने बताया कि ठग अकाउंट की ���िटेल देने के साथ ओटीपी फॉरवर्डर की मदद से रियल टाइम में अकाउंट के ओटीपी शेयर करते हैं, ताकि ठगी के रुपये कुछ समय में इधर से उधर किए जा सकें। इन रुपयों को विभिन्न ऐप के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता है। आरोपियों को 17 हजार 33 यूएसडी टोकन ट्रांसफर किए गए हैं, जिसकी कीमत करीब 15 लाख रुपये है। देशभर में 168 मामलों में 22 करोड़ से अधिक की ठगी शुरुआती जांच में सामने आया है कि गैंग पूरे देश में एक्टिव है। उन्होंने 23 राज्यों में 168 मामलों में 22 करोड़ 42 लाख 38 हजार रुपये की ठगी की है। अन्य केस के बारे में पुलिस जानकारी कर रही है। सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 21 केस दर्ज हुए हैं। गुजरात और तेलंगाना में 20-20 और दिल्ली 21 मामले सामने आए हैं। उत्तरप्रदेश के भी 7 मामले सामने आए हैं। http://dlvr.it/T92WHN
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guddudas · 9 months ago
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान ��नकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मिलता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे समाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अ��्भुत अद्वितीय कार्य को शि��र पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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superbobservationyouth · 9 months ago
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं ���ह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान बनकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मिलता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे समाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अद्भुत अद्वितीय कार्य को शिखर पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
#SantRampalJiBodhDiwas
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hariramnishad · 9 months ago
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान बनकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मिलता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे समाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अद्भुत अद्वितीय कार्य को शिखर पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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sweetcomputermagazine · 9 months ago
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान बनकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मिलता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे समाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अद्भुत अद्वितीय कार्य को शिखर पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
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gagandeepkaur92 · 9 months ago
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, ज��ला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग ��शा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
#SantRampalJiBodhDiwas
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rightnewshindi · 2 months ago
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प्यार में मिला धोखा तो ठग बन गई ट्रां��जेंडर महिला, मर्दों से लूटे 7.35 करोड़ रुपए; पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार
Thailand News: थाईलैंड की एक ट्रांसजेंडर महिला ने बेवफाई का बदला लेने के लिए 73 लोगों से करीब 7.35 करोड़ रुपये ठग लिए। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को सालों पहले एक जापानी शख्स से प्यार हो गया था, लेकिन यह प्यार ज्यादा दिनों तक नहीं चला। इसके बाद उसने एक के बाद एक जापानी पुरुषों को अपने प्रेम जाल में फंसाया और उनसे करोड़ों की ठगी की। पुलिस का कहना है कि मामला तब सामने आया जब एक जापानी शख्स ने ठगी…
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dharmarajdas · 9 months ago
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
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alpeshsstuff · 9 months ago
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं के अज्ञान का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
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#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
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#TheMission_Of_SantRampalJi
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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sharpbharat · 7 months ago
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indias big cyber criminals arrested from jamshedpur : जमशेदपुर के कदमा से पकड़े गये देश के बड़े तीन साइबर क्रिमिनल, एक दिन में किये है करोड़ों के ट्रांजैक्शन, देश भर से मिली शिकायत के बाद सीआइडी ने छापामारी कर पकड़ा, जानें जमशेदपुर से कैसे कर रहे थे ये लोग साइबर क्राइम, केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक्शन के बाद पकड़ा गया
जमशेदपुर : जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र से झारखंड सीआइडी ने तीन बड़े साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. ये लोग देश के कई हिस्सों के लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी किये थे, जिनको सीआइडी की टीम ने पकड़ा है. उनके कारस्तानियों की जानकारी कई बार नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में दर्ज किया गया था. करीब सौ से अधिक लोगों को इन लोगों ने ठगा है. महाराष्ट्र, तमिलनाडू, गुजरात, हरियाणा के लोगों को ठगा गया…
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icnnetwork · 10 months ago
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#UP: नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड सहित 5 ठगों को UP STF ने दबोचा!!
#uppstf #Uppolice #dgpup #lucknowpolice
#LawAndOrder #IndiaCoreNews
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hinduactivists · 10 months ago
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मालदीव ने कोरोना काल में भारतीय यात्रियों से करोड़ों की ठगी की है। कोविड के बाद जब लोग मालदीव घूमने निकले तो, मालदीव ने अपने यहाँ हर यात्री की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच कराई। जिसमें 60% लोगों को फर्जी पाजिटिव रिपोर्ट दी। फिर उन टूरिस्ट्स को जबरन क्वारंटाइन में रखकर डॉलर में पैसे वसूले। मालदीव के पास टापुओं के सिवा कुछ भी नहीं है। पहले इसे भारत के राजाओं ने बसाया था। जो आज मुस्लिम राष्ट्र है, हिंदू घृणा इनकी राष्ट्रनीति है। इसलिए भारत से संबंध खराब कर, अब चीन की गुलामी कर रहा है।
पाकिस्तान की आबादी 23 करोड़ है, तब भारत ने उसे घुटनों पर ला दिया। मालदीव की आबादी तो सिर्फ 5 लाख है। भारत को बस चुटकी बजाने की देर है। अच्छा है कि वहां अज्ञात लोग नहीं। बाकी आप समझदार हो।
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