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हमें लॉकडाउन की और अधिक सख्ती से पालना करनी होगी: मुख्यमंत्री गहलोत Divya Sandesh
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हमें लॉकडाउन की और अधिक सख्ती से पालना करनी होगी: मुख्यमंत्री गहलोत
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए जन अनुशासन पखवाड़ा एवं महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन लॉकडाउन जैसे सख्त कदमों का असर दिखने लगा है, लेकिन संक्रमण की स्थिति एवं मृत्यु दर अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। ऎसे में हमें लॉकडाउन की और अधिक सख्ती से पालना करने के साथ ही सामाजिक व्यवहार में संयम और अनुशासन को लगातार बरकरार रखना होगा। तभी हम कोविड के खतरे को कम कर पाएंगे।
गहलोत शुक्रवार देर रात को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड संक्रमण, लॉकडाउन तथा संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य संबंधित विषयों पर उच्च स्तरीय समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संकट की इस घड़ी में लोगों का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास सुनिश्चित किए हैं, लेकिन शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण का काफी प्रसार हुआ है। युवा वर्ग, गर्भवती महिला, और बच्चे भी संक्रमण की चपेट में आए हैं। ऎसी विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदेशभर में चिकित्सा सुविधाओं को और मजबूत बनाना है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि चिकित्सा विभाग जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी स्तर तक स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम आगेे बढ़ाएं। पहली और दूसरी लहर के अनुभव के आधार पर तीसरी लहर के लिए पुख्ता तैयारियां सुनिश्चित की जाएं। ��हलोत ने कहा कि ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी के मामले सामने आना चिंताजनक है। इसके उपचार में किसी तरह की कमी नहीं रहे और लोगों को इससे बचाव के लिए जागरूक भी किया जाए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सैम्पलिंग बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, आगामी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सीचसी एवं पीएचसी स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं को योजनाबद्ध ढंग से मजबूत किया जाएगा।
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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि संक्रमण की स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन की सख्ती से पालना प्रदेश के हित में है। उन्होंने कहा कि जीवन रक्षा के लिए वैक्सीनेशन के काम को गति देना भी बेहद जरूरी है।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार कर लिया गया है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर भी ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से सबक लेते हुए तीसरी लहर के लिए योजना बनाई जा रही है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जयपुर में संक्रमण की स्थिति और आगामी समय में जरूरी कदमों से अवगत कराया। प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार ने लॉकडाउन की पालना की स्थिति और उल्लंघन पर की गई कार्रवाई की जानकारी दी।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अखिल अरोरा ने बताया कि तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए चिकित्सा संस्थानों में प्राथमिक एवं द्वितीय स्तर के साथ ही तृतीय स्तर की चिकित्सा सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि डोर-टू-डोर सर्वे का पहला चरण पूरा हो गया है और दूसरे चरण में भी 60 प्रतिशत भाग कवर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस महामारी के इलाज के लिए गाइडलाइन जारी करने के साथ ही दरें तय कर दी गई हैं। उपचार के लिए 20 अस्पताल चिन्हित किए गए हैं। इनके चिकित्सकों को उपचार एवं सर्जरी के लिए जरूरी ट्रेनिंग भी दे दी गई है।
बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञों आरयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भणडारी तथा डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि दूसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है। अस्पताल और चिकित्सा संसाधन अभी भी मरीजों के दबाव का सामना कर रहे हैं। दूसरे देशों के अनुभव बताते हैं कि दूसरी और तीसरी लहर में ज्यादा ��ंतर नहीं रहने की आशंका है। ऎसे में लॉकडाउन जैसे कदमों को जारी रखना उचित होगा। हमें पहली लहर के बाद कोविड प्रोटोकॉल की पालना में हुई लापरवाही के अनुभव से सबक लेते हुए सख्त कदम जारी रखने के साथ-साथ आगामी आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर अभी से तैयारियों में जुटना होगा।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी वीसी से जुड़े।
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प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए जन अनुशासन पखवाड़ा एवं महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन लॉकडाउन जैसे सख्त कदमों का असर दिखने लगा है, लेकिन संक्रमण की स्थिति एवं मृत्यु दर अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। ऐसे में हमें लॉकडाउन की और अधिक सख्ती से पालना करने के साथ ही सामाजिक व्यवहार में संयम और अनुशासन को लगातार बरकरार रखना होगा। तभी हम कोविड के खतरे को कम कर पाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड संक्रमण, लॉकडाउन तथा संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य संबंधित विषयों पर उच्च स्तरीय समीक्षा की।
राज्य सरकार ने संकट की इस घड़ी में लोगों का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास सुनिश्चित किए हैं, लेकिन शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण का काफी प्रसार हुआ है। युवा वर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी संक्रमण की चपेट में आए हैं। ऐसी विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदेशभर में चिकित्सा सुविधाओं को और मजबूत बनाना है। निर्देश दिए कि चिकित्सा विभाग जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी स्तर तक स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम आगे बढ़ाएं। ��हली और दूसरी लहर के अनुभव के आधार पर तीसरी लहर के लिए पुख्ता तैयारियां सुनिश्चित की जाएं।
ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी के मामले सामने आना चिंताजनक है। इसके उपचार किसी तरह की कमी नहीं रहे और लोगों को इससे बचाव के लिए जागरूक भी किया जाए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सैम्पलिंग बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, आगामी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं को योजनाबद्ध ढंग से मजबूत किया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि संक्रमण की स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन की सख्ती से पालना प्रदेश के हित में है। उन्होंने कहा कि जीवन रक्षा के लिए वैक्सीनेशन के काम को गति देना भी बेहद जरूरी है।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार कर लिया गया है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर भी ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से सबक लेते हुए तीसरी लहर के लिए योजना बनाई जा रही है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने जयपुर में संक्रमण की स्थिति और आगामी समय में जरूरी कदमों से अवगत कराया। प्रमुख सचिव गृह श्री अभय कुमार ने लॉकडाउन की पालना की स्थिति और उल्लंघन पर की गई कार्रवाई की जानकारी दी।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अखिल अरोरा ने बताया कि तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए चिकित्सा संस्थानों में प्राथमिक एवं द्वितीय स्तर के साथ ही तृतीय स्तर की चिकित्सा सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि डोर-टू-डोर सर्वे का पहला चरण पूरा हो गया है और दूसरे चरण में भी 60 प्रतिशत भाग कवर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस महामारी के इलाज के लिए गाइडलाइन जारी करने के साथ ही दरें तय कर दी गई हैं। उपचार के लिए 20 अस्पताल चिन्हित किए गए हैं। इनके चिकित्सकों को उपचार एवं सर्जरी के लिए जरूरी ट्रेनिंग भी दे दी गई है।
बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञों आरयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी तथा डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि दूसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है। अस्पताल और चिकित्सा संसाधन अभी भी मरीजों के दबाव का सामना कर रहे हैं। दूसरे देशों के अनुभव बताते हैं कि दूसरी और तीसरी लहर में ज्यादा अंतर नहीं रहने की आशंका है। ऐसे में लॉकडाउन जैसे कदमों को जारी रखना उचित होगा। हमें पहली लहर के बाद कोविड प्रोटोकॉल की पालना में हुई लापरवाही के अनुभव से सबक लेते हुए सख्त कदम जारी रखने के साथ-साथ आगामी आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर अभी से तैयारियों में जुटना होगा।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुबोध अग्रवाल, पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी वीसी से जुड़े।
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COVID के बढ़ते मामलों के कारण अन्य राज्यों को ऑक्सीजन प्रदान क���ना व्यावहारिक रूप से असंभव है: केरल के सीएम ने केंद्र को बताया
COVID के बढ़ते मामलों के कारण अन्य राज्यों को ऑक्सीजन प्रदान करना व्यावहारिक रूप से असंभव है: केरल के सीएम ने केंद्र को बताया
केरल में बढ़ते COVID- 19 मामलों का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को केंद्र को लिखा, यह कहना कि अन्य राज्यों को ऑक्सीजन प्रदान करना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में, विजयन ने संकट के प्रबंधन के लिए कहा, राज्य ने 450 मीट्रिक टन बफर स्टॉक सुनिश्चित किया था और राष्ट्रीय ग्रिड पर दबाव डाले बिना ऑक्सीजन का प्रबंधन कर रहा था। “हालांकि, पड़ोसी…
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ACS एवं जयपुर जिले के प्रभारी सचिव पंत ने दिए सख्ती बढ़ाने के दिए निर्देश Divya Sandesh
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ACS एवं जयपुर जिले के प्रभारी सचिव पंत ने दिए सख्ती बढ़ाने के दिए निर्देश
जयपुर। जयपुर जिले के प्रभारी सचिव तथा जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने अधिकारियों को कोरोना पॉजिटिविटी रेट के अनुसार सम्बंधित क्षेत्रों में सख्ती करने के निर्देश दिए हैं। पंत ने बुधवार को जयपुर विकास प्राधिकरण भव�� में आयोजित बैठक में जयपुर जिले में कोरोना नियंत्रण की विस्तृत समीक्षा करते हुए अधिकारियों को माइक्रो लेवल पर कार्य करने के निर्देश प्रदान किए।
पंत ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि शहरी क्षेत्र में वार्ड और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर टीमें बनाकर सर्वे करने के कार्य में तेजी लाएं, साथ ही जिले में कोविड सैम्पलिंग की संख्या बढाने और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
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जिले के प्रभारी सचिव ने इंदिरा रसोई योजना के तहत किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अस्पतालों और रैन बसेरों में लगातार खाने के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इसके अलावा मजदूरों और अन्य जरुरतमंदों को भी दोनो वक्त का खाना वितरित किया जा रहा है।
जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त गौरव गोयल ने बताया कि प्रशासन और मेडिकल विभाग द्वारा गठित टीमें जिले में आईएलआई मरीजों की पहचान के लिए डोर टू डोर सर्वे के माध्यम से डेटा एकत्रित किया जा रहा है। संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों को मेडिकल किट भी दिया जा रहा है। गोयल ने बताया कि प्रत्येक गांव में ग्रामीण कमेटियां बनाई जा रही हैं जो प्रशासन की मदद कर रही है।
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वाणिज्यिक कर आयुक्त रवि जैन ने आक्सीजन की उपलब्धता की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी है और पर्याप्त मात्रा में बफर स्टॉक उपलब्ध है।
जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा ने कहा कि बताया कि जिले में लगातार डोर टू डोर सर्वे कर आईएलआई मरीजों की पहचान का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे का एक राउंड पूरा भी हो गया है। नेहरा ने बताया कि गांवों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ ही सख्ती बढ़ाई जा रही है। बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और दोनों निगमों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
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वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड संक्रमण, लॉकडाउन तथा संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य संबंधित विषयों पर उच्च स्तरीय समीक्षा में निर्देश दिए कि प्रदेश में सीएचसी और पीएचसी स्तर पर कोविड उपचार की व्यवस्थाओं को युद्ध स्तर पर सुदृढ़ बनाया जाए। मॉडल सीएचसी में भर्ती सुविधाओं, ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने, शिशु गहन चिकित्सा इकाई स्थापित करने आदि कामों को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए। इससे हमें कोरोना की दूसरी लहर के साथ-साथ तीसरी लहर का मुकाबला करने में मदद मिल सकेगी। साथ ही, कोविड रोगियों को स्थानीय स्तर पर समुचित उपचार मिलने से जिला एवं संभागीय अस्पतालों पर दबाव कम हो सकेगा।
जयपुर सहित प्रदेश के जिन जिलों में संक्रमण की दर अधिक है, वहां माइक्रो कन्टेनमेंट जोन की व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाए। डोर-टू-डोर सर्वे और दवा किट के वितरण के काम को तेज किया जाए। कई बड़े निजी चिकित्सालयों में सिलेण्डर के माध्यम से ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था है। उन्हें पाइप लाइन के माध्यम से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा स्वयं के ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
कोविड रोगियों में ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आना चिंताजनक है। इसके लिए अस्पतालों में विशेष उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाए। इसकी दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय करने के निर्देश दिए।
गुजरात की ओर से आने व��ले चक्रवाती तूफान के दृष्टिगत सभी जिलों में विशेष व्यवस्था रखने के लिए निर्देशित किया जाए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि लैब टेक्नीशियन और रेडियोग्राफर की भर्ती को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की जरूरत है। इससे सीएचसी और पीएचसी में पर्याप्त पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना प्रक्रिया को और अधिक विकेन्द्रीकृत करने का सुझाव दिया।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने बताया कि समुद्री तूफान की तीव्रता को लेकर केन्द्रीय गृह सचिव तथा गुजरात के मुख्य सचिव के साथ लगातार सम्पर्क में हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रवेश के साथ ही इसकी तीव्रता में कमी आने के आसार हैं। प्रदेश के दक्षिण एवं उत्तरी भाग में कुछ स्थानों पर तेज हवाओं और भारी वर्षा का पूर्वानुमान है। इसके मद्देनजर ऑक्सीजन का अग्रिम उठाव कर जिलों के अस्पतालों में इसके पर्याप्त बफर स्टॉक तथा बिजली की वैकल्पिक आपूर्ति सहित अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली गई हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने बताया कि विगत चार-पांच दिन में जयपुर में कोरोना संक्रमण की पॉजीटिविटी दर 30 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत के आस-पास आ गई है। मृत्यु के मामलों में भी कुछ कमी आई है।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अखिल अरोरा ने बताया कि निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार की दरों का निर्धारण जल्द कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के उपचार की आवश्यक दवाओं की खरीद के लिए निविदा जारी कर दी गई है। निजी चिकित्सालयों में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थियों की मदद के लिए कार्मिक नियुक्त किए जाएंगे, जो मरीज के परिजनों को योजना का लाभ दिलाने में सहायता करेंगे। सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर आवश्यक मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही इंटरव्यू शुरू किए जाने की तैयारी की जा रही है।
उद्योग सचिव श्री आशुतोष एटी ने बताया कि तूफान के कारण जामनगर तथा हजीरा के संयंत्रों में ऑक्सीजन उत्पादन तथा इसके उठाव में कोई बाधा पहुंचने की सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन की नियमित पर्याप्त आपूर्ति मिलने की स्थिति में 17 अस्पतालों में 4 हजार ऑक्सीजन बेड अतिरिक्त बढ़ाए जा सकते हैं।
चिकित्सा सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि बीते कुछ दिनों से प्रदेश में एक्टिव केसों की संख्या में कुछ कमी आई है और यह घटकर 1 लाख 59 हजार के आस-पास आ गए हैं। केस दुगुने होने के समय में भी इजाफा हुआ है और डबलिंग टाइम 40 दिन हो गया है, जो कि कुछ दिन पहले 21 से 22 दिन तक आ गया था। रिकवरी रेट बढ़कर 81 प्रतिशत के आस-पास आ गई है। केस का दबाव कुछ कम होने से जिला एवं मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता में सुधार आया है। आरयूएचएस में भी नए एडमिशन की तुलना में डिस्चार्ज रोगियों की संख्या बढ़ी है।
राजस्थान हैल्थ एश्योरेंस एजेन्सी की सीईओ अरूणा राजोरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में रोगियों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए कॉल सेंटर स्थापित किया गया है। एक मई से अब तक 12,700 रोगियों ने योजना का लाभ लिया है। योजना में अब तक प्रस्तुत 94 करोड़ रूपए के दावों में से अधिकतर का भुगतान कर दिया गया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुबोध अग्रवाल, पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर, प्रमुख सचिव गृह श्री अभय कुमार, आयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार एवं एसएमएस अस्पताल के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने भी विचार व्यक्त किए।
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गांवों में संक्रमण के तेजी से प्रसार को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार उपचार की पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर रही है। निर्देश दिए कि सीएचसी एवं पीएचसी तक कोविड उपचार की माकूल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 25 हजार नर्सिंगकर्मियों तथा एक हजार मेडिकल ऑफिसर्स की अस्थायी आधार पर तत्काल सेवाएं ली जाएं। आगामी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ब्लॉक स्तर पर कोविड कंसल्टेशन एवं कोविड केयर सेंटर के रूप में विकसित सीएचसी में आईसीयू एवं हाई फ्लो ऑक्सीजन के दस ��ेड के साथ ही इनमें शिशु गहन चिकित्सा इकाई की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
रविवार रात को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड संक्रमण, लॉकडाउन तथा संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य संबंधित विषयों पर उच्च स्तरीय समीक्षा की। कोविड रोगियों को स्थानीय स्तर पर ही ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके इसके लिए प्रत्येक पीएचसी पर पांच तथा सीएचसी पर 10 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराए जाएं। हमारा पूरा जोर इस बात पर होना चाहिए कि कैसे हम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करें।
राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को इलाज के भारी-भरकम खर्च से मुक्ति दिलाने के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना प्रारंभ की है। अधिकारियों को इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिए। यह कंट्रोल रूम योजना से जुड़ी तमाम शिकायतों का प्रभावी समाधान सुनिश्चित करे। कोविड रोगियों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आना चिंतनीय है, विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह द्वारा इसका विशेष अध्ययन करवाया जाए। ब्लैक फंगस बीमारी के पैकेज को भी मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना में शामिल करने के निर्देश दिए।
गुजरात से आने वाले समुद्री तूफान के मद्देनजर प्रदेशभर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू रखने और बफर स्टॉक तैयार करने के निर्देश दिए। तूफान के कारण अस्पतालों को बिजली आपूर्ति में व्यवधान नहीं आए। अस्पतालों में विद्युत जनरेटर की वैकल्पिक व्यवस्था रखने के निर्देश भी दिए। साथ ही आपदा प्रबंधन की टीमों को तूफान से संभावित असर वाले क्षेत्रों में तैनात किए जाने और हर स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि जिन जिलों में संक्रमण का प्रसार अधिक है, वहां पर जांच का दायरा बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही वहां दवा किट के वितरण एवं उपचार की व्यवस्थाओं को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण को नियंत्रित करने के ��िए लॉकडाउन की सख्ती से पालना कराने, टेस्टिंग तथा ट्रेसिंग पर और अधिक जोर दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सुदृढ़ करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जनसहयोग लेने का भी सुझाव दिया।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने गुजरात से आने वाले समुद्री तूफान के कारण जामनगर एवं हजीरा से ऑक्सीजन की आपूर्ति के प्रभावित होने की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार के उच्चाधिकारियों के साथ किए जा रहे समन्वय से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सभी जिला कलक्टरों को ऑक्सीजन सप्लाई बाधित न होने के लिए सभी स्तर पर आवश्यक तैयारियां रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर ने बताया कि समुद्री तूफान को देखते हुए एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ को अलर्ट कर दिया गया है। तूफान के मद्देनजर एसडीआरएफ की 10 टीमें गुजरात रवाना की गई हैं, जोकि सड़क मार्ग से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू रखने में मदद करेंगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने जयपुर जिले में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने की नई रणनीति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 1200 टीमें गठित की गई हैं, जोकि आने वाले दस से बारह दिनों में संदिग्ध रोगियों की ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट के लिए 11 लाख परिवारों के घर-घर सर्वे का काम करेंगी। इससे अधिक पॉजिटिव केस वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां कंटेनमेंट जोन और नो-मूवमेंट को और अधिक सख्ती से लागू किया जा सकेगा।
प्रमुख सचिव गृह श्री अभय कुमार ने कंटेनमेंट जोन की व्यवस्था तथा लॉकडाउन की पाबंदियों की पालना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिला कलक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां आर्मी की यूनिट हैं, वहां तूफान से बचाव के लिए उनकी मदद भी ली जा सकती है।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अखिल अरोरा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम किया जा रहा है। इसके लिए वहां ऑक्सीजन बेड, जांच सुविधाओं के विस्तार तथा मानव संसाधन के लिए योजना तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार की दर भी जल्द निर्धारित कर दी जाएगी। प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी श्री राजेश यादव एवं प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री दिनेश कुमार ने तूफान से बचाव की तैयारियों से अवगत कराया।
उद्योग सचिव श्री आशुतोष एटी ने ऑक्सीजन के उठाव, एयर लिफ्टिंग सेवा पुनः बहाल होने, समुद्री तूफान के कारण ऑक्सीजन के बफर स्टॉक आदि की जानकारी दी। चिकित्सा सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि प्रदेशभर में 345 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को कोविड कंसल्टेशन एवं कोविड केयर सेंटर के रूप में विकसित किया गया है। राज्य में विभिन्न स्रोतों से 6500 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध हो गए हैं, जिनसे ऑक्सीजन बेड की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि रेमडेसिविर एवं टोसिलिजुमाब दवाओं के आवंटन में सुधार हुआ है। ब्लैक फंगस बीमारी में काम आने वाली दवाओं की खरीद के लिए ग्लोबल ईओआई कर दिया गया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुबोध अग्रवाल, प्रमुख आवासीय आयुक्त श्रीमती रोली सिंह, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त श्री गौरव गोयल, वाणिज्यिक कर आयुक्त श्री रवि जैन, जयपुर कलक्टर श्री अंतर सिंह नेहरा, आयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार एवं एसएमएस अस्पताल के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने भी विचार व्यक्त किए।
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देश में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल Divya Sandesh
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देश में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल
गाजियाबाद। देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता की कमी के कारण कोरोना संक्रमितों की हो रही मौतों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में केंद्र सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है। ये याचिका मानवाधिकार कार्यकर्ता विष्णु कुमार गुप्ता द्वारा दाखिल की गई है। दाखिल याचिका में कहा गया है कि, “देश के जिला अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में न तो ऑक्सीजन प्लांट हैं और न ही ऑक्सीजन के भण्डारण की व्यवस्था, जबकि इन जगहों पर कम समय व कम खर्चे पर एक महीने में पीएसए प्लांट लगाये जा सकते हैं।”
“ऐसे एक प्लांट को लगाने में केवल उतनी लागत आती है, जितनी रकम कई अस्पताल हर वर्ष अपने लिये ऑक्सीजन ��रीदने में खर्च कर देते हैं।”
“हमारे देश में ऑक्सीजन का बफर स्टॉक न होने ��े ऑक्सीजन की किल्लत बनी हुई है। यदि सरकार ने आम आदमी के संविधान प्रदत्त जीवन जीने के अधिकार को ध्यान में रखते हुये विगत वर्ष के कोरोना संकट को देखते हुये ऑक्सीजन का बफर स्टॉक एवं उत्पादन / आपूर्ति पर ध्यान रखा जाता, तो ऐसी भयावह स्थिति पैदा नहीं होती।”
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एडवोकेट गुप्ता का कहना है कि, “सरकार इस महामारी का आंकलन करने में फेल हो गई है। कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर में आने की संभावना जतायी जा रही है, इसलिये सरकार का प्राथमिक दायित्व बन जाता है कि वर्तमान एवं भविष्य की ऑक्सीजन की स्थिति को देखते हुए अविलम्ब देश के सभी सरकारी जिला अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में पीएसए प्लांट लगवाना सुनिश्चित करे।”
“साथ ही कोरोना द्वारा जल्दी अपनी चपेट में लिये जा रहे हार्ट, कैंसर, हाइपरटेंशन व मधुमेह की बीमारी से ग्रसित बुजुर्गों, युवकों व नवयुवकों की जान बचाना भी सरकार का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।”
“इसलिए इनका प्राथमिकता के आधार पर तत्काल टीकाकरण कराये जाने के लिये भी केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आदेशित करने की प्रार्थना आयोग से की गई है।”
हालांकि इसी मसले पर एडवोकेट गुप्ता ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी उप्र की अति चिन्ताजनक स्थिति सुधारने और पीएसए प्लांट को लेकर पत्र भी भेजा है।
–आईएएनएस
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