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Agriculture Supervisor Recruitment 2023
Rajasthan Agriculture Supervisor Recruitment 2023 : राजस्थान एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती 2023 का इंतजार खत्म हो गया है राजस्थान एग्रीकल्चर सुपरवाइजर के 430 पदों पर भर्ती की जाएगी l इसमे नॉन टीएसपी क्षेत्र के लिए 385 पद और टीएसपी क्षेत्र के लिए 45 पद रखे गए है l राजस्थान एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती 2023 के लिए प्रस्ताव राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को भेजा जाएगा l इसके बाद राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड…
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पाकिस्तान में भुखमरी के जैसे हालात बने हैं वो दिखाता है कि आजादी के बाद प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने आत्मनिर्भर भारत की सोच से जो निर्णय लिए एवं बड़े-बड़े कल कारखानों, इस्पात कारखानों, बांधों के निर्माण के साथ भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने की सोच रखी वो कितनी आवश्यक थी।
नेहरू जी ने पहली पंचवर्षीय योजना का 45% फंड कृषि, सामुदायिक विकास, सिंचाई और ऊर्जा पर खर्च किया था। नेहरू जी के कार्यकाल में भाखड़ा नांगल बांध, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी परियोजना, नागार्जुन सागर बांध जैसी बड़ी सिंचाई परियोजनाएं बनीं। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट एवं इंडियन कांउसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च जैसे संस्थानों को विकसित किया एवं नई कृषि विश्वविद्यालय खोले।
इसी का परिणाम है कि आजादी के 75 वर्ष में भारत मजबूत हुआ है जबकि भारत के साथ ही आजाद हुआ पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है एवं आज वहां गृहयुद्ध के हालात बन चुके हैं।
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डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेस पाठ्यक्रम में प्रवेश: 08 नवम्बर तक आवेदन करें
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Smart Agriculture: Aapake Liye Rojagaar ke Dwar
परिचय भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष स्थान है। यहां की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। बदलते समय के साथ खेती में भी तकनीकी परिवर्तन हो रहे हैं और इसे अब "स्मार्ट एग्रीकल्चर" के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल खेती के तरीकों में क्रांति ला रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है। स्मार्ट एग्रीकल्चर से तात्पर्य है ऐसी तकनीकें और प्रणालियां जो पारंपरिक कृषि को अधिक प्रभावी, उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाती हैं। इस आधुनिक कृषि प्रणाली ने रोजगार के कई नए द्वार खोले हैं, विशेष रूप से उन युवाओं के लिए जो आधुनिक तकनीक और नवाचार में रुचि रखते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर क्या है? स्मार्ट एग्रीकल्चर या स्मार्ट खेती आधुनिक प्रौद्योगिकी और कृषि के सम्मिलन का एक ऐसा मॉडल है जिसमें सटीक उपकरणों, सेंसर, ड्रोन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत किसानों को जमीन की उपजाऊता, मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति और बाजार के रुझानों के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। इससे कृषि के सभी पहलुओं को सही ढंग से मॉनिटर कर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत आधुनिक यंत्रों और नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिससे किसानों को अपने खेतों की बेहतर देखभाल करने में मदद मिलती है। इससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है बल्कि पानी, खाद, बीज और अन्य संसाधनों का सही उपयोग भी सुनिश्चित होता है।
खेती में रोजगार के अवसर स्मार्ट एग्रीकल्चर के बढ़ते प्रसार के साथ खेती में रोजगार के अवसरों में भी व्यापक विस्तार हुआ है। पहले जहां कृषि में मुख्य रूप से शारीरिक श्रम का महत्व था, अब तकनीकी ज्ञान रखने वाले युवाओं के लिए भी यहां संभावनाएं खुल रही हैं। नीचे कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की जा रही है, जहां स्मार्ट एग्रीकल्चर के माध्यम से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं:
प्रौद्योगिकी आधारित कृषि उपकरणों का निर्माण और वितरण
स्मार्ट एग्रीकल्चर में विभिन्न प्रकार के सेंसर, ड्रोन्स, और स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इन उपकरणों के निर्माण, वितरण और मरम्मत के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। युवा उद्यमी इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं या बड़े उद्योगों से जुड़ सकते हैं जो ऐसे उपकरणों का निर्माण और विपणन करते हैं।
कृषि सलाहकार सेवाएं
कृषि सलाहकार सेवाएं एक और प्रमुख क्षेत्र है, जहां तकनीकी ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के नए अवसर हैं। स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य, बीज के चयन, जल प्रबंधन, फसल की देखभाल और बाजार की जानकारी देने वाले कृषि सलाहकारों की मांग बढ़ी है। यदि किसी व्यक्ति के पास कृषि और तकनीक का ज्ञान है, तो वे इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
डेटा एनालिसिस और कृषि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट
स्मार्ट एग्रीकल्चर में सेंसर और अन्य उपकरणों से लगातार डेटा उत्पन्न होता है। इस डेटा का सही ढंग से विश्लेषण करना और इसके आधार पर निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। डेटा एनालिसिस के क्षेत्र में कृषि तकनीशियनों की मांग तेजी से बढ़ी है। साथ ही, ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की भी आवश्यकता है जो किसानों के लिए अनुकूल ऐप्स और सॉफ्टवेयर विकसित कर सकें। ये ऐप्स किसानों को मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति, बाजार के दाम आदि की सटीक जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उनकी खेती को और बेहतर बनाया जा सके।
कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स तकनीक
ड्रोन्स का इस्तेमाल कृषि में तेजी से बढ़ रहा है। फसलों की निगरानी, कीटनाशक का छिड़काव, और अन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन ऑपरेटर्स, मेनटेनेंस इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए यहां रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके अलावा, रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल भी कृषि में बढ़ रहा है, जिससे फसलों की देखभाल और उत्पादन की प्रक्रिया को स्वचालित किया जा रहा है।
सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और ग्रीन जॉब्स
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता पर जोर दिया जा रहा है। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए कृषि की तकनीकों का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट्स, पर्यावरण वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ी है। ग्रीन जॉब्स के रूप में इसे देखा जा सकता है।
कृषि उत्पादों का प्रोसेसिंग और मार्केटिंग
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत बेहतर उत्पादन प्राप्त होने पर उसे प्रोसेस कर बाजार में बेचना भी महत्वपूर्ण है। कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों के लिए यहां अपार संभावनाएं हैं। स्मार्ट मार्केटिंग तकनीकों का उपयोग करके किसान अपने उत्पादों को सही कीमत पर बेच सकते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन
कृषि में पानी का सही उपयोग करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन तकनीकों के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में सटीक सिंचाई प्रणाली और जल प्रबंधन सेवाओं की मांग बढ़ी है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों और इरिगेशन इंजीनियरों की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर में रोजगार के अवसरों की संभावनाएं स्मार्ट एग्रीकल्चर में न केवल तकनीकी विशेषज्ञों के लिए बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर हैं। वे जो अपने खेतों में नई तकनीकों को अपनाक�� उत्पादन में वृद्धि करना चाहते हैं, वे भी इस क्रांति के हिस्सेदार बन सकते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में वित्तीय सेवाओं, बीमा, और कृषि से जुड़ी कानूनी सेवाओं में भी रोजगार की संभावनाएं हैं। सरकार और निजी क्षेत्र की ओर से भी इस क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है, जिससे रोजगार के अवसर और भी बढ़ेंगे।
निष्कर्ष स्मार्ट एग्रीकल्चर न केवल कृषि के तरीके को बदल रहा है, बल्कि यह एक नया रोजगार क्षेत्र भी बना रहा है। "खेती में रोजगार के अवसर" अब केवल पारंपरिक श्रमिकों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमियों और नवाचारकर्ताओं के लिए भी इसमें असीमित संभावनाएं हैं। भारत जैसे देश में, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, स्मार्ट एग्रीकल्चर रोजगार के नए द्वार खोलकर युवाओं को बेहतर भविष्य की दिशा में ले जा रहा है।
यह स्पष्ट है कि भविष्य की खेती तकनीकी नवाचारों पर आधारित होगी, और इसके साथ ही रोजगार के नए रूप सामने आएंगे। स्मार्ट एग्रीकल्चर एक ऐसी ही दिशा है, जो रोजगार के साथ-साथ समृद्धि की ओर भी ले जा रही है।
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(अपडेट) सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही रूक सकता है किसानों का पलायन : द्रौपदी मुर्मू
रांची, 20 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड के प्रति मेरा विशेष लगाव है। धरती आबा बिरसा मुंडा की धरती पर आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से बहुत स्नेह मिला है। राज्यपाल के तौर पर मैंने यहां कई वर्षों तक काम किया है। वे शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह को…
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कॉरिडोर-2 के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी-बर्रा-8 एलिवेटेड सेक्शन में शुरू ह��आ पियर कैप परिनिर्माण (इरेक्शन); कंपनी बाग चौराहा के पास रखा गया पहला पियर कैप। लगभग 4.50 किमी लंबे एलिवेटेड सेक्शन में रखे जाने हैं कुल 121 पियर कैप्स।
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jamshedpur rural- संत नंदलाल के छात्रों ने कीताडीह स्थित सोना देवी यूनिवर्सिटी का किया शैक्षणिक भ्रमण
घाटशिला: घाटशिला स्थित संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर के कक्षा 12वीं के विज्ञान संकाय के छात्रों ने मंगलवार को कीताडीह स्थित सोना देवी यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक भ्रमण किया. इस दौरान छात्रों को यूनिवर्सिटी के मानविकी, एग्रीकल्चर और मैनेजमेंट विभागों के विभागाध्यक्षों ने विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न कोर्सेज की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में बीबीए, बीसीए, इंजीनियरिंग, एमबीए,…
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हरियाणा में ग्रुप-C के 356 पदों पर निकली बंपर भर्ती, जानें कैसे करें आवेदन?
हरियाणा में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए खुशखबरी है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) तरफ से विभागों के लिए 356 पोस्ट के लिए आवेदन मांगे हैं। सबसे ज्यादा पोस्ट ग्रुप-7 में निकाली गई है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) की ओर से 133 पोस्ट के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इसमें एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर, फॉरेस्ट रेंजर, मार्केटिंग ऑफिसर के पद शामिल हैं। ग्रुप-3 में विभिन्न विभागों में…
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मेवाड़ विश्वविद्यालय में स्कॉलरशिप स्कीम की डेट बढ़कर 14 अगस्त हुई
मेवाड़ विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के समय से ही ध्येय वाक्य ‘पुअर टू पुअरस्ट’ और ‘रीच्ड टू अनरीच्ड’ तक पहुंच बनाकर वंचितों को शिक्षा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी के तहत मेवाड़ विश्वविद्यालय और मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन ने देश भर के 100 गरीब विद्यार्थियों को बेहतर हायर एजुकेशन देने के उद्देश्य से विभिन्न कोर्सेस में शत-प्रतिशत स्कॉलरशिप प्रोग्राम शुरु किए हुए है।
पहले चरण में स्टूडेंट्स के काफी अच्छे रिस्पांस को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाकर 14 अगस्त कर दी गई है और ऑनलाइन परीक्षा तिथि 17 अगस्त निर्धारित की गई है। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए छात्रों को मेवाड़ विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mewaruniversity.org पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा । यह स्कॉलरशिप स्कीम बीटेक, बीबीए-एमबीए (एकीकृत), बीएचएम, बीफॉर्मा, बीएससी (एग्रीकल्चर), बीएमएलटी, बीआरआईटी, बीओटीटी, बीओटी, बीपीटीए बीए-एलएलबी, बीबीए-एलएलबी आदि पाठ्यक्रमों के लिए मान्य होगी।
इस स्कॉलरशिप स्कीम का लाभ जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, विद्या��ारती, डीएवी स्कूल और दूसरे बोर्ड के स्कूलों में 12 वीं पास विद्यार्थियों को मिलेगा। इसमें ट्यूशन फीस (पंजीकरण शुल्क, परीक्षा शुल्क) और छात्रावास शुल्क (मेस समेत) का 50 प्रतिशत मेवाड़ विश्वविद्यालय द्वारा वहन किया जाएगा और शेष 50 प्रतिशत फीस मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन द्वारा विद्यार्थियों को प्रदान की जाएगी। इस स्कॉलरशिप स्कीम का फायदा उठाने के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, डीएवी, विद्या भारती में पढ़ाई करने वाले 12 वीं पास विद्यार्थियों को 80 प्रतिशत या उससे अधिक जबकि अन्य स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक होना अनिवार्य है। इसके अलावा 12वीं पास उन्हीं विद्यार्थियों को शामिल किया जाएगा जो आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के तबके से आते है। संबंधित विद्यार्थियों को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा पारित ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के समय जमा करना होगा। विद्यार्थियों को ऑनलाइन एंट्रेस एग्जाम पास करना अनिवार्य होगा जिसमें मिले अंक और पर्सनल इंटरव्यू के आधार पर उनका चयन होगा। मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक मिश्रा का कहना है कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की पढ़ाई से लेकर अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों समेत सभी पक्षों पर कार्य करते हुए उनका सर्वांगीण विकास किया जाता है। ऐसे में इस स्कॉलरशिप स्कीम के माध्यम से पात्र विद्यार्थियों को काफी लाभ पहुंचेगा।
To know more details: https://www.mewaruniversity.org/pages/Motilal_Oswal.aspx
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Krishi Budget 2024: किसानों पर कितनी मेहरबान हुई निर्मला सीतारमण? जाने आज के बजट में किसानों को क्या मिली सौगात
Krishi Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज मंगलवार 23 जुलाई को संसद में अपना लगातार 7वां बजट पेश कर रही हैं। 2024-25 के बजट को मोदी 3.0 सरकार की कार्ययोजना माना जा रहा है, जिसमें अगले पांच वर्षों में भारत के विकास की रूपरेखा तैयार की जाएगी। सरकार ने आज जारी बजट में कृषि (एग्रीकल्चर) और उससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए दिए। पिछले साल 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे। यानी इस…
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कृषि मंत्री ने वन्य जीवों से फसल क्षति की समस्या के निराकरण को लेकर अधिकारियों को ठोस नीति बनाने के दिए निर्देश
देहरादून: प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सोमवार को कैंप कार्यालय में कृषि विभाग की विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बैठक के दौरान केंद्र पोषित योजनाओं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना,परम्परागत कृषि विकास योजना, सम मिशन आन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, रेनफेड एरिया डैवेजपमेंट, सममिशन ऑन एग्रीकचर मैकेनाइजेशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, स्वाईल हैल्थ…
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संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी ने दी नौकरी
संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी ने दी नौकरी
मथुरा। कृषि के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त फार्मरफेस आर्गेनिक टेक्नोलाजी प्रा.लि. कंपनी ने संस्कृति विश्वविद्यालय के 13 विद्यार्थियों को आनलाइन हुई चयन प्रक्रिया के बाद अपनी कंपनी में नौकरी दी है। भारत की कृषि क्षेत्र में काम करने वाली इस कंपनी के अधिकारियों ने प्लेसमेंट रिक्रूटमेंट ड्राइव के अंतर्गत संस्कृति विवि के 13 विद्यार्थियों का चयन किया। विश्वविद्यालय की सीईओ डा. मीनाक्षी शर्मा ने विद्यार्थियों की इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनकी मेहनत, पढ़ाई के प्रति गंभीरता और लगन की सराहना की है। कंपनी के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कंपनी कृषि के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देती है और एग्रीमार्ट एवं रिसर्च का काम करती है। फार्मरफेस जैविक सब्जियों की खेती और थोक बिक्री के क्षेत्र में काम करने वाली एक अग्रणी कंपनी है जहां किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले जैविक उर्वरक, जैविक कीटनाशक, कवकनाशी, कृषि मशीनरी, नवीनतम कृषि तकनीक, बाजार मूल्य के अनुसार सर्वोत्तम फसल चयन प्रदान किया जाता है। एक खिड़की के नीचे वैज्ञानिक सहयोग और बाजार भी। कंपनी अपनी अनुभवी टीम की मदद से किसानों की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। फार्मरफेस ऑर्गेनिक टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट��यूट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्ट्रार, कॉर्पोरेट अफेयर मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत है। कंपनी बिहार और उत्तर प्रदेश में सब्जी उत्पादन और थोक बिक्री सेवाएँ चला रही है। कंपनी भारत के अधिकांश शहरों में ये सेवाएं प्रदान करने के लिए टीम के साथ काम कर रही है। परियोजना क्षेत्र में कंपनी के पास जैविक सब्जी की खेती के लिए 50 कृषि स्नातक और 20 एमबीए (विपणन) जनशक्ति हैं। आनलाइन हुई चयन प्रक्रिया के बाद संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर के बीएससी की छात्रा सुप्रिया कुमारी, नैना सिंह, आरती चौधरी, अल्का शर्मा, छात्र अविनाश कुमार, आकाश सैनी, राजू कुमार, धीरेंद्र सिंह, शिवांशु मिश्रा, बाला इंगेश्वर, कृष्ण कुमार, संजीत कुमार को आफर लेटर प्रदान किए गए हैं। विवि के कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी ने चयनित छात्र-छात्राओं को उनके प्लेसमेंट पर बधाई देते हुए कहा कि अपने ज्ञान और कौशल से नियोक्ता कंपनी के विकास में अपना सारा श्रम समर्पित करें। कंपनी की प्रगति ही आपके यश में वृद्धि करेगी।
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किसान अब आसानी से बनवा सकते है किसान क्रेडिट कार्ड, इन दस्तावेजों के आधार पर : Kisan Credit Card Document
News Desk | Kisan Credit Card Document : किसानों को खेती में लगने वाले पैसों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की गई इस योजना के तहत किसानों को क्रेडिट कार्ड बनाकर दिया जाता है जिसके बाद किसान लोन के लिए आवेदन कर सकते है और लाभ ले सकते है इस क्रेडिट कार्ड को बनाने के लिए किसी भी प्रकार का फीस नहीं देना पड़ता है इस कार्ड का लाभ किसानों को फ्री में दिया जाता है बस इसे बनाने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है ।
इतने साल के लिए मान्य होता है किसान क्रेडिट कार्ड
किसानों को जो किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर दिया जाता है उस कार्ड को 5 साल के लिए मान्य माना जाता है इसके साथ ही इस कार्ड पर अगर किसान लोन लेते है तो उन किसानों को सरकार 2 फीसदी की छूट प्रदान करती है इसके साथ ही किसान लोन की र���शि को समय पर जमा कर देते है तो उन्हे 3 फीसदी की छूट प्रदान की जाती है इस योजना का लाभ हर एक किसान को दिया जा सकता है । सभी किसानों को दिया जाता है लाभ इस योजना को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एन्ड रूरल डेवलपमेंट के माध्यम से संचालित किया जाता है जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ सभी किसानो को दिया जाता है जिसमे मौखिक पट्टेदार किसान, बटाईदार किसान और किरायेदार किसानों को भी शामिल किया गया है साथ ही ऐसे किसान जो पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे है उन्हें भी इस कार्ड के जरिये लोन की राशि प्रदान की जाती है । किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैनकार्ड, आवेदन करने वाले किसान का एक फोटो, एड्रैस के संबंध में कोई दस्तावेज और खेती के जमीन के दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है इन दस्तावेजों के आधार पर किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आवेदन कर सकते है और लोन की राशि का लाभ ले सकते है । इस प्रकार कर सकते है आवेदन किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ काफी सारे बैंको में दिया जाता है जिसका लाभ लेने के लिए आपको बैंक की आधिकारिक वेबसाइट जो किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ देती है वहाँ पर जाकर आवेदन करना होता है जिसमे आपको अपने डिटेल को डालकर फॉर्म को सबमिट करना होता है साथ ही इस योजना का लाभ 18 वर्ष से लेकर 75 वर्ष की आयु वाले किसानों को दिया जाता है । Read the full article
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किलिंग गांव की हिना शर्मा को मिला पोस्ट ग्रेजुएट थीसिस अवार्ड 2023, मेज टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने किया सम्मानित
Mandi News: जिला मंडी की चच्योट तहसील के छोटे से किलिंग गांव की हिना शर्मा को मनिहर पोस्ट ग्रेजुएट थीसिस अवार्ड 2023 से मेज टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवाजा गया। यह अवार्ड मेज मक्का पर राष्ट्रीय सम्मेलन में दिया गया, जो लुधियाना में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सहयोग से आयोजित किया गया। हिना शर्मा को यह अवार्ड एमएससी श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किया गया। हिना शर्मा ने यह शोध कार्य…
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छोटी/कम जमीन में अधिक पैदावार तथा कमाई वाली फसलें - DeHaat गाइड
भारतीय कृषि (Indian Agriculture) की बात करें तो छोटी जमीन पर खेती करना एक आम चुनौती है। लेकिन, इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता भी हमारे पास है। ‘DeHaat: Seeds to Market’ आपको इस दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर है। हम आपको अपनी कम जमीन के माध्यम से अच्छी पैदावार वाली फसलों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यदि आप भी एक किसान हैं और अपनी खेती की आय को बढ़ने के इच्छुक हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है।
छोटी जमीन पर खेती की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
Challenges and Opportunities in Farming on Small Land: -
छोटी जमीन पर खेती करते समय किसानों को अक्सर उत्पादन (Production) में सीमितता का सामना करना ��ड़ता है। लेकिन, उचित योजना और तकनीकों के उपयोग से इस सीमित जगह को भी अधिकतम उत्पादकता का स्थान बनाया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming), मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-layer Farming), और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) जैसी नवीन तकनीकें इसमें सहायक हो सकती हैं।
अधिक पैदावार और आय के लिए नवीन तकनीकों का महत्व
Importance of Innovative Techniques for Higher Yield and Income:-
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), और एक्वापोनिक्स (Aquaponics) जैसी तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार लाती हैं। इन तकनीकों को अपनाकर क��सान बाजार (Farmer Market) में बेहतर स्थान प्राप्त कर सकते हैं और अपने उत्पादों को उचित मूल्य (Fair Price Sale) पर बेच सकते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको छोटी जमीन पर अधिक पैदावार और आय (Higher production and income on small land) प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकों से परिचित कराएंगे। पढ़ें, DeHaat’ का यह ब्लॉग पूरा और अपने खेती के सपनों को साकार बनायें।
उन्नत बुआई तकनीकें और फसल चयन
कृषि क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के साथ, उन्नत बुआई तकनीकें (Advanced Sowing Techniques) और सही फसल चयन (Crop Selection) का महत्व बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि कैसे ये तकनीकें और चयन आपकी खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की फसलें जो कम जमीन में अधिक लाभ देती हैं।
छोटी जमीन पर अधिकतम उत्पादन (Maximizing Production) और लाभ (Profit) प्राप्त करने के लिए, फसलों का सही चयन अत्यंत आवश्यक है। ऐसी फसलें जो कम जगह में उगाई जा सकती हैं और अच्छी आय देती हैं, उनमें शामिल हैं:
मूली (Radish): यह तेजी से उगने वाली फसल है जो कम समय में तैयार होती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है।
बैंगन (Eggplant): यह फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और इसे वर्ष भर बोया जा सकता है।
मिर्च (Chili): यह उच्च मूल्य वाली फसल है जो छोटे क्षेत्र में भी अच्छी आय दे सकती है।
धनिया (Coriander): यह फसल जल्दी उगती है और इसकी पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में होता है।
केला (Banana): यह फसल लंबे समय तक फल देती है और इसकी खेती से नियमित आय हो सकती है।
पपीता (Papaya): यह फसल कम समय में उगती है और इसके फलों की बाजार में अच्छी मांग होती है।
मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों का चयन।
फसलों का चयन करते समय मौसम (Weather) और मिट्टी के ��्रकार (Soil Type) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए:
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) में बाजरा और मूंगफली अच्छी उपज देती हैं।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में गेहूं और चना जैसी फसलें बेहतर उपज देती हैं।
बीजों की गुणवत्ता और उनका प्रबंधन।
बीजों की गुणवत्ता (Seed Quality) और उनके प्रबंधन (Management) से फसलों की उपज में काफी अंतर आता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और उन्हें सही तरीके से भंडारित (Storage) करना फसल की सफलता के लिए अनिवार्य है।
इन तकनीकों और चयनों का उपयोग करके आप अपनी कम जमीन से भी अधिकतम उत्पादन (Maximum production from less land) और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। खेती की और अधिक उन्नत तकनीकों और फसलों के चयन के बारे में जानने के लिए, हमारे इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।
सिंचाई और जल प्रबंधन
जमीन चाहे छोटी हो या बड़ी, अच्छी फसल के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन (irrigation and water management) बेहद अहम है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में 50% से भी ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है! आइए देखें कैसे हम जल संरक्षण की तकनीकों (water conservation techniques) और आधुनिक सिंचाई पद्धतियों (modern irrigation methods) को अपनाकर कम पानी में भी अच्छी पैदावार (high yield) ले सकते हैं।
जल संरक्षण
फलों और सब्जियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी देना ही समझदारी है। हर फसल को अलग मात्रा में पानी चाहिए।
जल संरक्षण की तकनीकें:
फसल जरूरत के अनुसार सिंचाई (मिट्टी जांच उपकरण) (crop water requirement, soil moisture meter)
मल्चिंग (सूखी घास/पुआल) - 30% तक पानी की बचत (mulching)
जल निकास - जमीन की सेहत के लिए जरूरी (drainage)
वर्षा जल संचयन (खेत के आसपास गड्ढे/तालाब) (rainwater harvesting)
आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ
पानी बचाना ही पैसा बचाना है! आधुनिक सिंचाई पद्धतियां कम पानी में ज़्यादा फसल उगाने में मदद करती हैं।
सिंचाई पद्धति (Irrigation method)
विवरण (Description)
लाभ (Benefits)
ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation)
पौधों की जड़ों के पास पानी की बूंदें टपकती रहें
50% तक पानी की बचत, कम खरपतवार (water saving, weeds)
स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)
पानी को हवा में छिड़का जाता है
पारंपरिक सिंचाई से कम पानी बर्बादी (water waste)
फरो सिंचाई (Furrow irrigation)
खेत में छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बहे
कम लागत (low cost)
दिलचस्प बात ये है कि ��ुनिया में उपयोग होने वाले मीठे पानी का 70% सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसलिए जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई अपनाना बहुत ज़रूरी है।
फसलों की देखभाल और बाजार तक पहुँच
फल लगने से लेकर बाजार तक पहुंचाने तक फसल की देखभाल अहम है। कीटों और रोगों से बचाव (pest and disease management), जैविक खेती (organic farming) अपनाना और सही बाजार का चुनाव अधिक पैदावार (high yield) और कमाई (income) सुनिश्चित करता है।
कीट और रोग प्रबंधन
नियमित जांच से शुरुआत करें ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों और रोगों का पता लगाया जा सके। रासायनिक दवाओं (chemical pesticides) के अत्यधिक प्रयोग से बचें। जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का इस्तेमाल करें, लाभकारी कीटों (beneficial insects) को बढ़ावा दें और फसल चक्र (crop rotation) अपनाकर रोगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।
गौर करें (Fact): भारत में फसल नुकसान का 30-40% हिस्सा कीटों और रोगों के कारण होता है। प्रभावी प्रबंधन से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जैविक खेती
पर्यावरण के अनुकूल खेती, स्वस्थ भोजन का उत्पादन, उर्वर भूमि (fertile soil) का निर्माण और बेहतर मुनाफा - ये हैं जैविक खेती के कुछ लाभ। साथ ही मिट्टी के जैविक पदार्थों (organic matter) में वृद्धि से जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है, जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जानें (Did You Know?): जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और पारंपरिक उत्पादों की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है। जैविक खेती अपनाकर आप न सिर्फ पर्यावरण बचाते हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करते हैं।
"किसानों की सफलता ही देश की सफलता है" - देहात (DeHaat)
अपनी फसल बेचने के लिए सही बाजार का चुनाव फायदेमंद है। आइए देखें कैसे बाजार अनुसंधान (market research) और सही चैनल चुनकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है
निष्कर्ष
छोटी जमीन में भी अधिक पैदावार और कमाई संभव है! सही फसल चयन, उन्नत खेती विधियों को अपनाने और फसल को उचित बाजार तक पहुँ���ाने से आप अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। देहात (DeHaat) हर कदम पर आपका साथी है। हम आपको बीजों से लेकर बाजार तक हर जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करते हैं।
DeHaat - Seeds to Market Imp Links:
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“अस्वीकरण (Disclaimer): इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
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छिन्नमस्तामा डिजिटल एग्रीकल्चर रूम स्थापना गरिने
राजविराज । कृषिलाई आधुनिकीकरण गरि उत्पादन बढाउने उदेश्यले छिन्नमस्ता गाउँपालिकाले थप एक कदम चालेको छ । पालिकाले कृषि सुचना तथा प्रशिक्षण केन्द्रको सहकार्यमा पालिकामा डिजिटल एग्रीकल्चर रूम स्थापना गर्न लागेको हो । कृषकहरूको समस्या समाधानको लागि डिजिटल भिलेज इन्टिएटिभ कार्यक्रम अन्तर्गत पालिकामा डिजिटल एग्रीकल्चर रुमको स्थापना गर्न लागेको पालिका अध्यक्ष विद्यानन्द चौधरीले जानकारी दिए । 'यस रूममा…
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