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vlogrush · 6 months ago
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साहसी बच्चों की कहानियाँ: साहस और संकल्प की प्रेरणाएँ
बच्चों की साहसी कहानियां बच्चों के साहस और संकल्प की अद्भुत कहानियां पढ़ें। इन प्रेरणादायक कथाओं से सीखें कि कैसे छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। साहसी बच्चों की यह संग्रह हर उम्र के पाठकों को प्रेरित करेगा। साहस केवल वयस्कों का गुण नहीं है��� दुनिया भर में ऐसे कई बच्चे हैं जिन्होंने अपने असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प से न केवल अपने जीवन में, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया है।…
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satyaparkashworld · 1 year ago
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helputrust · 12 days ago
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लखनऊ, 11.01.2025 | भारत माता के सच्चे सपूत व "जय जवान, जय किसान" का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी की 59वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “लाल बहादुर शास्त्री जी केवल एक उत्कृष्ट नेता नहीं थे, बल्कि उनकी ईमानदारी, दृढ़ता और सेवा भावना ने देश को एक नई दिशा प्रदान की । उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे नेता वही होते हैं, जो जनता की भलाई के लिए समर्पित हों । उनके द्वारा दिया गया नारा "जय जवान, जय किसान" केवल एक वाक्य नहीं था, बल्कि यह भारत के सैनिकों और किसानों के प्रति उनके अटूट सम्मान और आभार का प्रतीक है । उन्होंने भारतीय सेना और किसानों के महत्व को समझते हुए इन दोनों को राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया का आधार बनाया । एक साधारण जीवन जीते हुए उन्होंने असाधारण कार्य किए । उनका मानना था कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और उन्होंने इसे अपने जीवन में पूरी तरह अपनाया । आज, उनकी पुण्यतिथि पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके आदर्शों और सिद्धांतों का पालन करेंगे । आइए, हम सभी उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करें और उनके सपनों के भारत का निर्माण करें ।”
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skdruhela · 10 months ago
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असाधारण शौर्य, उद्यम, पर्यटन, कला, संस्कृति एवं वास्तुशिल्प के लिए विख्यात, वीर-वीरांगनाओं की भूमि “राजस्थान” के स्थापना दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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jayshrisitaram108 · 1 year ago
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💐आज का विचार💐
दुनियां में हर कोई साधारण से असाधारण होने की पात्रता रखता है यहाँ अनेकों ऐसे उदाहरण है जिन्होंने शून्य से यात्रा प्रारम्भ की और फिर शिखर तक जा पहुंचे
॥ जय श्री राधे कृष्ण ॥
🌺🌷सुप्रभात🌷🌺
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somnathpall · 2 years ago
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प्रशन :- ओशो, क्या कुछ आत्माएं शरीर छोड़ने के बाद भटकती रह जाती हैं?
कुछ आत्माएं निश्चित ही शरीर छोड़ने के बाद एकदम से दूसरा शरीर ��्रहण नहीं कर पाती हैं। उसका कारण ? उसका कारण है। और उसका कारण शायद आपने कभी न सोचा होगा कि यह कारण हो सकता है।
दुनिया में अगर हम सारी आत्माओं को विभाजित करें, सारे व्यक्तित्वों को, तो वे तीन तरह के मालूम पड़ेंगे। एक तो अत्यंत निकृष्ट, अत्यंत हीन चित्त के लोग; एक अत्यंत उच्च, अत्यंत श्रेष्ठ, अत्यंत पवित्र किस्म के लोग; और फिर बीच की एक भीड़ जो दोनों का तालमेल है, जो बुरे और भले को मेल-मिलाकर चलती है।
जैसे कि अगर डमरू हम देखें, तो डमरू दोनों तरफ चौड़ा है और बीच में पतला होता है। डमरू को उलटा कर लें। दोनों तरफ पतला और बीच में चौड़ा हो जाए, तो हम दुनिया की स्थिति समझ लेंगे। दोनों तरफ छोर और बीच में मोटा - डमरू उलटा । इन छोरों पर थोड़ी-सी आत्माएं हैं। निकृष्टतम आत्माओं को भी मुश्किल हो जाती है नया शरीर खोजने में और श्रेष्ठ आत्माओं को भी मुश्किल हो जाती है नया शरीर खोजने में। बीच की आत्माओं को जरा भी देर नहीं लगती। यहां मरे नहीं, वहां नई यात्रा शुरू हो गई। उसके कारण हैं। उसका कारण यह है कि साधारण, मीडियाकर, मध्य की जो आत्माएं हैं, उनके योग्य गर्भ सदा उपलब्ध रहते हैं।
मैं आपको कहना चाहूंगा कि जैसे ही आदमी मरता है, मरते ही उसके सामने सैकड़ों लोग संभोग करते हुए, सैकड़ों जोड़े दिखाई पड़ते हैं, मरते ही । और जिस जोड़े के प्रति वह आकर्षित हो जाता है, वहां गर्भ में प्रवेश कर जाता है। लेकिन बहुत श्रेष्ठ आत्माएं साधारण गर्भ में प्रवेश नहीं कर सकतीं। उनके लिए असाधारण गर्भ की जरूरत है, जहां असाधारण संभावनाएं व्यक्तित्व की मिल सकें। तो श्रेष्ठ आत्माओं को रुक जाना पड़ता है। निकृष्ट आत्माओं को भी रुक जाना पड़ता है, क्योंकि उनके योग्य भी गर्भ नहीं मिलता। क्योंकि उनके योग्य मतलब अत्यंत अयोग्य गर्भ मिलना चाहिए, वह भी साधारण नहीं है। तो श्रेष्ठ और निकृष्ट, दोनों को रुक जाना पड़ता है। साधारण जन एकदम जन्म ले लेता है, ���सके लिए कोई कठिनाई नहीं है। उसके लिए निरंतर बाजार में गर्भ उपलब्ध हैं। वह तत्काल किसी गर्भ के प्रति आकर्षित हो जाता है।
सुबह मैंने बारदो की बात की थी। बारदो की प्रक्रिया में मरते हुए आदमी को यह भी कहा जाता है कि अभी तुझे सैकड़ों जोड़े भोग करते हुए, संभोग करते हुए दिखाई पड़ेंगे। तू जरा सोचकर, जरा रुककर, जरा ठहरकर गर्भ में प्रवेश करना। जल्दी मत करना, ठहर, थोड़ा ठहर ! थोड़ा ठहरकर किसी गर्भ में जाना। एकदम मत चले जाना।
जैसे कोई आदमी बाजार में खरीदने गया है सामान। पहली दुकान पर ही प्रवेश कर जाता है। शो रूम में जो भी लटका हुआ दिखाई पड़ जाता है, वही आकर्षित कर लेता है। लेकिन ब��द्धिमान ग्राहक दस दुकान भी देखता है उलट-पलट करता है, भाव-ताव करता है, खोजबीन करता है, , फिर निर्णय करता है। नासमझ जल्दी से पहले ही जो उसकी आंख में पड़ जाती है चीज, वहीं चला जाता है।
तो बारदो की प्रक्रिया में मरते हुए आदमी से कहा जाता है कि सावधान! जल्दी मत करना। जल्दी मत करना। खोजना, सोचना, विचारना, जल्दी मत करना। क्योंकि सैकड़ों लोग निरंतर संभोग में हैं। सैकड़ों जोड़े उसे स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। और जो जोड़ा उसे आकर्षित कर लेता है - और वह जोड़ा उसे आकर्षित करता है जो उसके योग्य गर्भ देने के लिए क्षमतावान होता है।
तो श्रेष्ठ और निकृष्ट आत्माएं रुक जाती हैं। उनके लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है कि जब उनके योग्य गर्भ मिले। निकृष्ट आत्माओं को उतना निकृष्ट गर्भ दिखाई नहीं पड़ता, जहां वे अपनी संभावनाएं पूरी कर सकें। श्रेष्ठ आत्मा को भी नहीं दिखाई पड़ता !
निकृष्ट आत्माएं जो रुक जाती हैं, उनको हम प्रेत कहते हैं। और श्रेष्ठ आत्माएं जो रुक जाती हैं, उनको हम देवता कहते हैं। देवता का अर्थ है, वे श्रेष्ठ आत्माएं जो रुक गई। और प्रेत का अर्थ, भूत का अर्थ है, वे आत्माएं जो निकृष्ट होने के कारण रुक गई। साधारण जन के लिए निरंतर गर्भ उपलब्ध है। वह तत्काल मरा और प्रवेश कर जाता है। क्षण भर की भी देरी नहीं लगती। यहां समाप्त नहीं हुआ, और वहां वह प्रवेश करने लगता है।
जो आत्माएं रुक जाती हैं, क्या वे किसी के शरीर में प्रवेश करके उसे परेशान कर सकती हैं?
इसकी भी संभावना है। क्योंकि वे आत्माएं, जिनको शरीर नहीं मिलता, शरीर के बिना बहुत पीड़ित होने लगती हैं । निकृष्ट आत्माएं शरीर के बिना बहुत पीड़ित होने लगती हैं। श्रेष्ठ आत्माएं शरीर के बिना अत्यंत प्रफुल्लित हो जाती हैं। यह फर्क ध्यान में रखना चाहिए। क्योंकि श्रेष्ठ आत्मा शरीर को निरंतर ही किसी न किसी रूप में बंधन अनुभव करती है और चाहती है कि इतनी हलकी हो जाए कि शरीर का बोझ भी न रह जाए। अंततः वह शरीर से भी मुक्त हो जाना चाहती है, क्योंकि शरीर भी एक कारागृह मालूम होता है। अंततः उसे लगता है कि शरीर भी कुछ ऐसे काम करवा लेता है, जो न करने योग्य हैं। इसलिए वह शरीर के लिए बहुत मोहग्रस्त नहीं होता। निकृष्ट आत्मा शरीर के बिना एक क्षण नहीं जी सकती है। क्योंकि उसका सारा रस, सारा सुख शरीर से ही बंधा होता है।
शरीर के बिना कुछ आनंद लिए जा सकते हैं। जैसे समझें, एक विचारक है। तो विचारक का जो आनंद है, वह शरीर के बिना भी उपलब्ध हो जाता है। क्योंकि विचार का शरीर से कोई संबंध नहीं है। तो अगर एक विचारक की आत्मा भटक जाए, शरीर न मिले, तो उस आत्मा को शरीर लेने की कोई तीव्रता नहीं होती, क्योंकि विचार का आनंद तब भी लिया जा सकता है। लेकिन समझो कि एक भोजन करने में रस लेने वाला आदमी है, तो शरीर के बिना भोजन करने का रस असंभव है। तो उसके प्राण बड़े छटपटाने लगते हैं कि वह कैसे प्रवेश कर जाए। और उसके योग्य गर्भ न मिलता हो, तो वह किसी कमजोर आत्मा में— कमजोर आत्मा से मतलब है ऐसी आत्मा, जो अपने शरीर की मालिक नहीं है—उस शरीर में वह प्रवेश कर सकता है, किसी कमजोर आत्मा की भय की स्थिति में।
और ध्यान रहे, भय क�� एक बहुत गहरा अर्थ है। भय का अर्थ है जो सिकोड़ दे। जब आप भयभीत हो��े हैं, तो आप सिकुड़ जाते हैं। जब आप प्रफुल्लित होते हैं, तो आप फैल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति भयभीत होता है, तो उसकी आत्मा सिकुड़ जाती है और उसके शरीर में बहुत जगह छूट जाती है, जहां कोई दूसरी आत्मा प्रवेश कर सकती है। एक नहीं बहुत आत्माएं भी एकदम से प्रवेश कर सकती हैं। इसलिए भय की स्थिति में कोई आत्मा किसी शरीर में प्रवेश कर सकती है। और करने का कुल कारण इतना होता है कि उसके जो रस हैं, वे शरीर से बंधे हैं। वे दूसरे के शरीर मैं प्रवेश करके लेने की वह कोशिश करती है। इसकी पूरी संभावना है, इसके पूरे तथ्य हैं, इसकी पूरी वास्तविकता है। इसका यह मतलब हुआ कि एक तो भयभीत व्यक्ति हमेशा खतरे में है। जो भयभीत है, उसे खतरा हो सकता है। क्योंकि वह सिकुड़ी हुई हालत में होता है। वह अपने मकान में, अपने घर के एक कमरे में रहता है, बाकी कमरे उसके खाली पड़े रहते हैं। बाकी कमरों में दूसरे लोग मेहमान बन सकते हैं।
कभी-कभी श्रेष्ठ आत्माएं भी शरीर में प्रवेश करती हैं, कभी-कभी। लेकिन उनका प्रवेश बहुत दूसरे कारणों से होता है। कुछ कृत्य हैं करुणा के, जो शरीर के बिना नहीं किए जा सकते। जैसे समझें, एक घर में आग लगी है, एक घर में आग लग गई है। और कोई उस घर में आग को बचाने को नहीं जा रहा है। भीड़ बाहर घिरी खड़ी है, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती कि आग में बढ़ जाए। और तब अचानक एक आदमी बढ़ जाता है। और वह आदमी बाद में बताता है कि मुझे समझ में नहीं आया कि मैं किस ताकत के प्रभाव में बढ़ गया। मेरी तो हिम्मत न थी और वह बढ़ जाता है, और आग बुझाने लगता है, और आग बुझा लेता है, और किसी को बचाकर बाहर निकल आता है। और वह आदमी खुद कहता है कि ऐसा लगता है कि मेरे हाथ की बात नहीं है यह, कुछ किसी और ने मुझसे करवा लिया है। ऐसी किसी घड़ी में जहां कि किसी शुभ कार्य के लिए आदमी हिम्मत न जुटा पाता हो, कोई श्रेष्ठ आत्मा भी प्रवेश कर सकती है। लेकिन ये घटनाएं कम होती हैं।
निकृष्ट आत्मा निरंतर शरीर के लिए आतुर रहती है। उसके सारे रस उनसे बंधे हैं और यह बात भी ध्यान में रख लेनी चाहिए कि मध्य की आत्माओं के लिए कोई बाधा नहीं है, उनके लिए निरंतर गर्भ उपलब्ध हैं।
इसीलिए श्रेष्ठ आत्माएं कभी-कभी सैकड़ों वर्षों के बाद ही पैदा हो पाती हैं। और यह भी जानकर हैरानी होगी कि जब श्रेष्ठ आत्माएं पैदा होती हैं, तो करीब-करीब पूरी पृथ्वी पर श्रेष्ठ आत्माएं एक साथ पैदा हो जाती हैं। जैसे कि बुद्ध और महावीर भारत में पैदा हुए आज से पच्चीस सौ वर्ष पहले। बुद्ध, महावीर दोनों बिहार में पैदा हुए। और उसी समय बिहार में छह और अदभुत विचारक थे। उनका नाम शेष नहीं रह सका, क्योंकि उन्होंने कोई अनुयायी नहीं बनाए और कोई कारण न था, वे बुद्ध और महावीर की ही हैसियत के लोग थे। लेकिन उन्होंने बड़े हिम्मत का प्रयोग किया। उन्होंने कोई अनुयायी नहीं बनाए। उनमें एक आदमी था प्र��ुद्ध कात्यायन, एक आदमी था अजित सकंबल, एक था संजय वेलट्ठीपुत्त, एक था मक्खली गोशाल, और लोग थे। उस समय ठीक बिहार में एक साथ आठ आदमी एक ही प्रतिभा के, एक ही क्षमता के पैदा हो गए। और सिर्फ बिहार में, एक छोटे-से इलाके में सारी दुनिया के। ये आठों आत्माएं बहुत देर से प्रतीक्षारत थीं और मौका मिल सका तो एकदम से भी मिल गया।
और अक्सर ऐसा होता है कि एक श्रृंखला होती है अच्छे की भी और बुरे की भी उसी समय यूनान में सुकरात पैदा हुआ थोड़े समय के बाद, अरस्तू पैदा हुआ, प्लेटो पैदा हुआ। उसी समय चीन में कनफ्यूशियस पैदा हुआ, लाओत्से पैदा हुआ, मेन्शियस पैदा हुआ, च्वांगत्से पैदा उसी समय सारी दुनिया के कोने-कोने में कुछ अद्भुत लोग एकदम से पैदा हुए। सारा पृथ्वी कुछ अदभुत लोगों से भर गई। ऐसा प्रतीत होता है कि ये सारे लोग प्रतीक्षारत थे, प्रतीक्षारत थीं उनकी आत्माएं: और एक मौका आया और गर्भ उपलब्ध हो सके, और जब गर्भ उपलब्ध होने का मौका आता है, तो बहुत से गर्भ एक साथ उपलब्ध हो जाते हैं। जैसे कि फूल खिलता है एक फूल का मौसम आया है, एक फूल खिला; और आप पाते हैं कि दूसरा खिला और तीसरा खिला फूल प्रतीक्षा कर रहे थे और खिल गए। सुबह हुई, सूरज निकलने की प्रतीक्षा थी और कुछ फूल खिलने शुरू हुए, कलियां टूटी, इधर फूल खिला, उधर फूल खिला । रात भर से फूल प्रतीक्षा कर रहे थे, सूरज निकला और फूल खिल गए।
ठीक ऐसा ही निकृष्ट आत्माओं के लिए भी होता है। जब पृथ्वी पर उनके लिए योग्य वातावरण मिलता है, तो एक साथ एक श्रृंखला में वे पैदा हो जाते हैं। जैसे हमारे इस युग ने भी हिटलर और स्टेलिन और माओ जैसे लोग एकदम से पैदा किए। एकदम से ऐसे खतरनाक लोग पैदा हुए, जिनको हजारों साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ी होगी। क्योंकि स्टैलिन या हिटलर या माओ जैसे आदमियों को भी जल्दी पैदा नहीं किया जा सकता.....
अकेले स्टैलिन ने रूस में कोई साठ लाख लोगों की हत्या की अकेले एक आदमी ने और हिटलर ने अकेले एक आदमी ने कोई एक करोड़ लोगों की हत्या की हिटलर ने हत्या के ऐसे साधन ईजाद किए, जैसे पृथ्वी पर कभी किसी ने नहीं किए थे। हिटलर ने इतनी सामूहिक हत्या की, जैसी कभी किसी आदमी ने नहीं की थी। तैमूरलंग और चंगीजखान सब बचकाने सिद्ध हो गए।
हिटलर ने गैस चेंबर्स बनाए उसने कहा, एक-एक आदमी को मारना तो बहुत महंगा है। एक-एक आदमी को मारो, तो गोली बहुत महंगी पड़ती है। एक-एक आदमी को मारना महंगा है, एक-एक आदमी को कब्र में दफनाना महंगा है। एक-एक आदमी की लाश को उठाकर गांव के बाहर फेंकना बहुत महंगा है। तो कलेक्टिव मर्डर, सामूहिक हत्या कैसे की जाए!
लेकिन सामूहिक हत्या भी करने के उपाय हैं। अभी अहमदाबाद में कर दी या कहीं और की, लेकिन ये बहुत महंगे उपाय हैं। एक-एक आदमी को मारो, बहुत तकलीफ ��ोती है, बहुत परेशानी होती है, और बहुत देर भी लगती है। ऐसे एक-एक को मारोगे, तो काम ही नहीं चल सकता। इधर एक मारो, उधर एक पैदा हो जाता है। ऐसे मारने से कोई फायदा नहीं होता।
तो हिटलर ने गैस चैंबर बनाए। एक-एक चैंबर में पांच-पांच हजार लोगों को इकट्ठा खड़ा करके बिजली का बटन दबाकर एकदम वाष्पीभूत किया जा सकता है। बस पांच हजार लोग खड़े किए, बटन दवा, वे गए। एकदम गए, इसके बाद हॉल खाली। वे गैस बन गए। इतनी तेज चारों तरफ से बिजली गई कि वे गैस हो गए न उनकी कब्र बनानी पड़ी, न उनको कहीं मारकर खून गिराना पड़ा। खून-वून गिराने का जुर्म हिटलर पर कोई नहीं लगा सकता ! अगर पुरानी किताबों से भगवान चलता होगा, तो हिटलर को बिलकुल निर्दोष पाएगा। उसने खून किसी का गिराया नहीं, किसी की छाती में छुरा मारा नहीं, उसने ऐसी तरकीब निकाली जिसका कहीं वर्णन ही नहीं था। उसने बिलकुल नई तरकीब निकाली, गैस चैंबर जिसमें आदमी को खड़ा करो, बिजली की गर्मी तेज करो, एकदम वाष्पीभूत हो जाए, एकदम हवा हो जाए, बात खतम हो गई। उस आदमी का फिर नामोल्लेख भी खोजना मुश्किल है, हड्डी खोजना मुश्किल है, उस आदमी की चमड़ी खोजना मुश्किल है। वह गया। , पहली दफा हिटलर ने इस तरह आदमी उड़ाए जैसे पानी को गर्म करके भाप बनाया जाता है। पानी कहां गया, पता लगाना मुश्किल है। ऐसा खो गया आदमी। ऐसे गैस चैंबर बनाकर उसने अंदाजन एक करोड़ आदमियों को गैस चेंबर में उड़ा दिया।
ऐसे आदमी को जल्दी जन्म मिलना बड़ा मुश्किल है। और अच्छा ही है कि नहीं मिलता। नहीं तो बहुत कठिनाई हो जाए। अब हिटलर को बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ेगी फिर बहुत समय लग सकता है अब हिटलर को दोबारा वापस लौटने के लिए। बहुत कठिन मामला है। क्योंकि इतना निकृष्ट गर्भ अब फिर से उपलब्ध हो। और गर्भ उपलब्ध होने का मतलब क्या है? गर्भ उपलब्ध होने का मतलब है उस मां और पिता की लंबी श्रृंखला दुष्टता का पोषण कर रही है-लंबी श्रृंखला । एकाध जीवन में कोई आदमी इतनी दुष्टता पैदा नहीं कर सकता कि उसका गर्भ हिटलर के योग्य हो जाए। एक आदमी कितनी दुष्टता करेगा? एक आदमी कितनी हत्याएं करेगा ? हिटलर जैसा बेटा पैदा करने के लिए, हिटलर जैसा बेटा किसी को अपना मां-बाप चुने इसके लिए सैकड़ों, हजारों, लाखों वर्षों की लंबी कठोरता की परंपरा ही कारगर हो सकती है। यानी सैकड़ों, हजारों वर्ष तक कोई आदमी बूचड़खाने में काम करते ही रहे हों, तब नस्ल इस योग्य हो पाएगी, बीजाणु इस योग्य हो पाएगा कि हिटलर जैसा बेटा उसको पसंद करे और उसमें प्रवेश करे।
ठीक वैसा ही भली आत्मा के लिए भी है। लेकिन सामान्य आत्मा के लिए कोई कठिनाई नहीं है। उसके लिए रोज गर्भ उपलब्ध है। क्योंकि उसकी इतनी भीड़ है और इतने गर्भ चारों तरफ उसके लिए तैयार हैं; और उसकी कोई विशेष, कोई विशेष उसकी मांगें नहीं हैं। ��सकी मांगें बड़ी साधारण हैं। वही खाने की, पीने की, पैसा कमाने की, काम-भोग की, इज्जत की, आदर की, पद की, मिनिस्टर हो जाने की, इस तरह की सामान्य इच्छाएं हैं। इस तरह की इच्छाओं वाला गर्भ कहीं भी मिल सकता है, क्योंकि इतनी साधारण कामनाएं हैं कि सभी की हैं। हर मां-बाप ऐसे बेटे को चुनाव के लिए अवसर दे सकता है।
लेकिन अब किसी आदमी को एक करोड़ आदमी मारने हैं, तो ऐसी आत्माओं को प्रतीक्षा करनी पड़ेगी ! और यदि किसी आदमी को ऐसी पवित्रता से जीना है कि उसके पैर का दबाव भी पृथ्वी पर न पड़े, इतने प्रेम से जीना है कि उसका प्रेम भी किसी को कष्ट न दे पाए, उसका प्रेम भी किसी के लिए बोझिल न हो जाए, तो फिर ऐसी आत्माओं को भी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।
(मैं मृत्यु सिखाता हूं )
||osho||
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hindifilmyduniya · 2 years ago
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Tiger Shroff Biography in Hindi
टाइगर श्रॉफ एक भारतीय फि��्म अभिनेता है , जो मुख्य रूप से हिन्दी फिल्मों में काम करते हैं |टाइगर श्रॉफ एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, डांसर और मार्शल आर्टिस्ट हैं | वह लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ के बेटे हैं | वह भारत में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं |टाइगर श्रॉफ भारतीय सिनेमा बॉलीवुड इंडस्ट्री के प्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रॉफ बेटे हैं। जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी प��चान पिता के बदौलत नहीं, अपनी अभिनय, डांस और एक्शन से अपनी एक अलग पहचान बनाए हैं। वह एक ऐसे बॉलीवुड अभिनेता है जिन्होंने बॉलीवुड मैं एंट्री करने के बाद बॉलीवुड का एक्शन सीन को ही बदल कर रख दिए।
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टाइगर श्रॉफ का जन्म
टाइगर श्रॉफ एक भारतीय अभिनेता, और मार्शल कलाकार हैं जिनका जन्म 2 मार्च 1990 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था। उनका असली नाम जय हेमंत श्रॉफ है। वह प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ और निर्माता आयशा दत्त के बेटे हैं।
टाइगर श्रॉफ का परिवार
टाइगर श्रॉफ का जन्म बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता प्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रॉफ हैं, और उनकी माँ आयशा दत्त हैं, जो एक फिल्म निर्माता हैं। उनकी कृष्णा श्रॉफ नाम की एक छोटी बहन है, जो एक फिल्म निर्माता है और एक फिटनेस कंपनी भी चलाती है। टाइगर के दादा एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, और उनकी नानी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जे ओम प्रकाश की बेटी थीं। टाइगर अपने परिवार के काफी करीब हैं और अक्सर अपने माता-पिता और बहन के बारे में तस्वीरें और पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं।
टाइगर श्रॉफ की शिक्षा
टाइगर श्रॉफ ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई जुहू में स्थित बेसेंट मोंटेसरी स्कूल से पूरी की थी , और आगे की पढ़ाई उन्होंने मुंबई में अमेरिकन स्कूल ���फ बॉम्बे से पूरी की थी | इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए टाइगर ने ��मिटी यूनिवर्सिटी नोएडा उत्तर प्रदेश में अपना एडमिशन लिया।
टाइगर श्रॉफ का फिल्मी करिअर
टाइगर श्रॉफ ने 2014 में कृति सनोन के साथ फिल्म “हीरोपंती” से अभिनय की शुरुआत की। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, और उनके प्रदर्शन को दर्शकों और आलोचकों दोनों ने सराहा।
इसके बाद उन्होंने 2016 में फिल्म “बाघी” में अभिनय किया, जो एक व्यावसायिक सफलता भी थी। उन्होंने 2018 में सीक्वल “बाघी 2” के साथ अपनी सफलता की लय को जारी रखा, जो उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक बन गई।
2019 में, टाइगर ने ऋतिक रोशन के साथ फिल्म “वॉर” में अभिनय किया, जिसने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े और अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक बन गई।
2021 में, उन्होंने “बाघी 3” फिल्म में अभिनय किया, जो एक व्यावसायिक सफलता भी थी। उन्होंने “मुन्ना माइकल,” “ए फ्लाइंग जट्ट,” और “स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2” जैसी अन्य फिल्मों में भी अभिनय किया है।
अभिनय के अलावा, टाइगर अपने असाधारण नृत्य कौशल के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें विभिन्न नृत्य रूपों में प्रशिक्षित किया गया है और उन्होंने कई फिल्मों और स्टेज शो में अपने कौशल का प्रदर्शन किया हैं |
टाइगर श्रॉफ की गर्लफ्रेंड
टाइगर श्रॉफ की गर्लफ्रेंड दिशा पटानी हैं | टाइगर दिशा पटानी को 6 सालों से डेट कर रहे हैं | दिशा पटानी और टाइगर को कई जगहों पर एक साथ देखा गया हैं | दोनों एक — दूसरे से प्यार करते हैं |
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Tiger Shroff and Disha Patani
More Information- https://hindifilmyduniya.in/
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drrupal-helputrust · 9 hours ago
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री उदय प्रताप सिंह
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के ��ंयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित ��क घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा  कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, ��िसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उन��े जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहे���गी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है  बेशक, पर  धुन  अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना  प्रियतम  ढूँढ़  रही  है, वो  लगते  थे  बड़े  अलग  से, कहते  थे  वो  सारे  जग  से, बूँद-बूँद  रस  के  झरने  से पूरा  घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से  संगीत नहीं है, सद्भावना  विहीन  है  वो  मीत  नहीं  है, आँसू न जिसका शब्द शब्द  चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो ��र बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री उदय प्रताप सिंह
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा  कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीर�� जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है  बेशक, पर  धुन  अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना  प्रियतम  ढूँढ़  रही  है, वो  लगते  थे  बड़े  अलग  से, कहते  थे  वो  सारे  जग  से, बूँद-बूँद  रस  के  झरने  से पूरा  घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से  संगीत नहीं है, सद्भावना  विहीन  है  वो  मीत  नहीं  है, आँसू न जिसका शब्द शब्द  चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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helputrust-harsh · 9 hours ago
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री उदय प्रताप सिंह
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा  कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है  बेशक, पर  धुन  अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना  प्रियतम  ढूँढ़  रही  है, वो  लगते  थे  बड़े  अलग  से, कहते  थे  वो  सारे  जग  से, बूँद-बूँद  रस  के  झरने  से पूरा  घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से  संगीत नहीं है, सद्भावना  विहीन  है  वो  मीत  नहीं  है, आँसू न जिसका शब्द शब्द  चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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deshbandhu · 11 hours ago
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Nehruji Ka Shaikshik Drishtikona
शिक्षा जगत में पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्थान निर्धारित करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, भारत की आर्थिक और विदेशी-नीति के प्रतिपादक के रूप में, राष्ट्र-निर्माता के रूप में, शिक्षाविद् के रूप में और मानवतावादी विश्वनेता के रूप में उनकी भूमिका का मूल्यांकन करना होगा। उनमें असाधारण साहस, नि:स्वार्थता, लक्ष्य के प्रति सच्चाई और अपने कार्य के प्रति सच्ची निष्ठा थी।
वह दूरदर्शी थे, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं में उनकी गहरी पहुंच थी। मनुष्य की गरिमा में उनका दृढ़ विश्वास था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नेहरू जैसे सक्षम व्यक्ति के चुनाव होने पर प्रसिध्द कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा, ''अपने 'राजसी-चरित्र', अदम्य साहस, और नैतिक सत्य-निष्ठा तथा बौध्दिक ईमानदारी के कारण नेहरू का 'युवा भारत के सिंहासन' पर असंदिग्ध अधिकार है।
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helputrust · 17 days ago
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श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, को यूएसए की मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा सामाजिक कार्य में पीएचडी (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई |
लखनऊ, 6 जनवरी 2025 | सामाजिक कार्य और जनसेवा में अपने अथक योगदान के लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल को यूएसए की मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठित मानद उपाधि डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (ऑनोरिस कौसा) प्रदान की गई । यह सम्मान उन्हें 5 जनवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इंडिया इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव 2025 फेलिसिटेशन एंड फेलोशिप प्रोग्राम के दौरान भव्य समारोह में प्रदान किया गया ।
इस ऐतिहासिक अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्यो की उपस्थिति रही, जिन्होंने समारोह की गरिमा बढ़ाई और श्री अग्रवाल को सम्मानित किया। इन गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे जस्टिस जेड. यू. खान, माननीय पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, श्री एस. बी. एस. त्यागी, आईपीएस, पूर्व संयुक्त पुलिस आयुक्त, नई दिल्ली, महामहिम जुआन कार्लोस मार्सन, माननीय राजदूत, भारत में क्यूबा गणराज्य, महामहिम श्री यावो एडेम अक्पेमाडो, उच्चायुक्त/कार्यवाहक, भारत में टोगो गणराज्य, राजदूत डॉ. दीपक वोहरा, माननीय विशेष सलाहकार, अफ्रीका (मेड इन भारत), डॉ. संदीप मारवाह, कुलाधिपति, एएएफटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, डॉ. राकेश कुमार खंडल, पूर्व कुलाधिपति, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी, एवं पूर्व कुलपति, यूपीटीयू, डॉ. एस. एन. पांडेय, माननीय कुलाधिपति, द ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी, नागालैंड, श्री ओरहान गलजस, निदेशक, रेडियो पैट्रिन नेटवर्क, तुर्की, डॉ. देवेंद्र शर्मा, माननीय कुल��ति, एचआरआईटी यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर डॉ. आर. के. सूरी, माननीय कुलपति, मोनाड यूनिवर्सिटी और हैप्पीनेस यूनिवर्सिटी, डॉ. आलोक गुप्ता, माननीय उप निदेशक, एनआईओएस, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. अतुल नासा, माननीय प्रो-वाइस चांसलर, एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम, डॉ. अफरोजुल हक, माननीय प्रो-वाइस चांसलर, एमआईयू, डॉ. जैनीस दरबारी, माननीय मानद कौंसुल जनरल, भारत में मोंटेनेग्रो, डॉ. विक गैफनी, स्वतंत्र शैक्षिक विद्वान, ऑस्ट्रेलिया, डॉ. पी. के. राजपूत, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कैडिला एवं सीयू, इटली के सीनेट सदस्य |
कार्यक्रम ने श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल के समाज के उपेक्षित समुदायों के प्रति उनकी असाधारण सेवा, सामाजिक सुधारों में उनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उनकी शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवा पहलों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को सम्मानित किया ।
समारोह को संबोधित करते हुए, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने मैरीलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रति अपनी गहन कृतज्ञता व्यक्त की । उन्होंने इस उपलब्धि को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की टीम और उन अनगिनत जीवनों को समर्पित किया, जिन पर उनकी पहलों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है ।
यह प्रतिष्ठित सम्मान श्री अग्रवाल की सामाजिक सेवा और जनसेवा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी योगदान और नेतृत्व को और सुदृढ़ करता है एवं दुनिया भर में व्यक्तियों और संगठनों को सामाजिक कल्याण के लिए प्रेरित करता है ।
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ravijjw · 1 day ago
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🌿 Discover the Magic of Trustherb Feronia elephantum–The Wood Apple! 🌿 #...
🌿 Meet the Trustherb Feronia Elephantum – Nature’s Tough Gem! 🌿 Have you heard of the Wood Apple, also known as Kaith or Elephant Apple? This incredible plant is a gift from nature, revered in many cultures for its unique properties. 🍂 The Plant: A hardy, drought-resistant tree that thrives in tropical climates. Its spiny branches and dense foliage make it a natural shield for wildlife and a perfect shade provider. Loved by elephants, hence its name – Elephant Apple! 🍏 The Fruit: A tough, woody shell that holds a treasure of soft, tangy pulp inside. Rich in vitamins C, B-complex, and minerals like calcium and phosphorus. Known for its medicinal properties – from boosting digestion to cooling the body during summer. The fruit’s sweet-and-sour flavor makes it a popular ingredient in chutneys, drinks, and traditional medicine. 💡 Fun Fact: Ancient Ayurvedic texts praise this fruit for its ability to detoxify and strengthen immunity. 🎥 Make sure to stay tuned as we explore the wonders of this lesser-known yet extraordinary plant. Like, follow, and share if you’re as amazed as we are! 🌱✨ 🌿 ट्रस्टहर्ब फेरोनिया एलीफैंटम से मिलें - प्रकृति का कठिन रत्न! 🌿 क्या आपने लकड़ी के सेब के बारे में सुना है, जिसे कैथ या हाथी सेब के ना�� से भी जाना जाता है? यह अविश्वसनीय पौधा प्रकृति का एक उपहार है, जो अपने अद्वितीय गुणों के लिए कई संस्कृतियों में पूजनीय है। 🍂 पौधा: एक कठोर, सूखा-प्रतिरोधी पेड़ जो उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है। इसकी कांटेदार शाखाएँ और घने पत्ते इसे वन्य जीवन के लिए एक प्राकृतिक ढाल और एक आदर्श छाया प्रदाता बनाते हैं। हाथियों को यह पसंद है, इसलिए इसका नाम है - एलीफेंट एप्पल! 🍏फल: एक सख्त, लकड़ी जैसा खोल जिसके अंदर नरम, तीखा गूदा का खजाना होता है। विटामिन सी, बी-कॉम्प्लेक्स और कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों से भरपूर। अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है - पाचन को बढ़ावा देने से लेकर गर्मियों के दौरान शरीर को ठंडा करने तक। फल का खट्टा-मीठा स्वाद इसे चटनी, पेय और पारंपरिक चिकित्सा में एक लोकप्रिय घटक बनाता है। 💡 मजेदार तथ्य: प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ विषहरण और प्रतिरक्षा को मजबूत करने की क्षमता के लिए इस फल की प्रशंसा करते हैं। 🎥 जब हम इस कम-ज्ञात लेकिन असाधारण पौधे के चमत्कारों का पता लगा रहे हैं तो हमारे साथ बने रहना सुनिश्चित करें। यदि आप भी हमारी तरह आश्चर्यचकित हैं तो लाइक, फॉलो और शेयर करें! 🌱✨ Wood Apple benefits Elephant Apple plant Medicinal plants Ayurveda herbs Kaith fruit benefits Feronia elephantum uses Wood Apple tree facts Healthy fruits in Ayurveda Tropical fruits Ancient fruits of India Detox fruits Digestion-boosting fruits Natural immunity boosters Sustainable plants #FeroniaElephantum #WoodApple #ElephantApple #AyurvedicPlants #MedicinalPlants #TropicalFruits #HealthyLiving #NatureLovers #Superfoods #ImmunityBoost #NaturalHealing #AncientWisdom #TraditionalMedicine #RareFruits #FruitFacts #SustainableLiving #PlantBased #OrganicFruits #WellnessJourney #ecofriendly आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और मसाले Trustherb.com पर ऑनलाइन खरीदें For more details click on below link https://trustherb.com/product/kaith/ Like and subscribe and follow our Below pages. Facebook Id / trustherb.com / trustherb.india Youtube / @trustherb CONTACT US:- E-mail ID [email protected] , WhatsApp: 0091-8890166645, www.TrustHerb.com
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9935nkdas · 6 days ago
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जीने की राह पुस्तक को पढ़कर और उसका पालन करके बेटे और बहुएँ अपने माता-पिता की असाधारण सेवा करेंगे।
🎧 आप पुस्तक पढ़ सकते हैं या आप हमारे आधिकारिक ऐप संत रामपाल जी महाराज से ऑडियो बुक सुन सकते हैं
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ainnewsone · 7 days ago
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय खेल और साहसिक कार्य पुरस्कार 2024 प्रदान किए?
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AIN NEWS 1: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2024 के राष्ट्रीय खेल और साहसिक कार्य पुरस्कार (National Sports and Adventure Awards 2024) को भव्य समारोह में राष्ट्रपति भवन में प्रदान किया। इस आयोजन में देश के शीर्ष एथलीटों और साहसिक कार्य में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया गया।
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कार्यक्रम का उद्देश्य इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य देश में खेल और साहसिक कार्य को बढ़ावा देना और उन व्यक्तियों को पहचान दिलाना है जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है। इस साल की पुरस्कार सूची में विभिन्न खेल श्रेण���यों के खिलाड़ियों और साहसिक कार्यों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों को शामिल किया गया है। सम्मानित व्यक्तित्व पुरस्कार समारोह में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रपति ने सभी विजेताओं को शुभकामनाएं दीं और उन्हें देश का गौरव बताया। उन्होंने खिलाड़ियों को प्रेरित करते हुए कहा कि उनके प्रयास देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। खेल और साहसिक कार्य का महत्व राष्ट्रपति ने खेल और साहसिक कार्य को केवल शारीरिक गतिविधि नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के पुरस्कार खिलाड़ियों और साहसी व्यक्तियों को उनके कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता के लिए मान्यता देते हैं। भविष्य की प्रेरणा कार्यक्रम में मौजूद सभी प्रतिभागियों ने इस आयोजन को प्रेरणादायक बताया। पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों और साहसिक व्यक्तियों ने अपने अनुभव साझा किए और युवा पीढ़ी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। English SEO-Boosting Paragraph:   President Droupadi Murmu honored the recipients of the National Sports and Adventure Awards 2024 at the Rashtrapati Bhavan. This prestigious event celebrated exceptional athletes and individuals excelling in adventure activities across India. The awards aim to recognize and encourage outstanding contributions to sports and adventure, inspiring the youth to pursue excellence. Recognized personalities shared their inspiring journeys, reflecting India's growing commitment to nurturing talent and promoting a culture of perseverance and success.   Read the full article
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sharpbharat · 11 days ago
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jamshedpur vivekananda jaynti-टेल्को में स्वर्णरेखा विकास ट्रस्ट ने मनायी स्वामी विवेकानंद की जयंती, स्वामी जी के उपदेश मान कर ही भारत स्वावलंबी बनाः सरयू राय, मात्र 39 साल की आयु में विवेकानंद ने सनातन के लिए असाधारण कार्य किये
जमशेदपुर: जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद का नाम लेने मात्र से ही एक सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आज भारत स्वावलंबी हुआ है तो स्वामी जी के उपदेशों पर अमल करने के कारण ही ऐसा हो पाया है. दरअसल, भारत के विकास के मूल में स्वामी का आधार है. उन्होंने 39 वर्ष की आयु में देश और विदेश में सनातन धर्म को प्रतिष्ठित करने के लिए जो कार्य किया, वह असाधारण है. वह स्वामी की…
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