#असमानताओं
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24.02.2023, लखनऊ | संत गुरु रविदास जी की जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने संत गुरु रविदास जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया ।
इस अवसर पर श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "संत रविदास जी एक प्रेरणास्त्रोत थे जो समाज को उन्नति और समृद्धि की ओर प्रेरित करते थे । उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से धर्म, समाज, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बखूबी प्रकट किया । उनके गीत और दोहे समाज को अच्छे और उचित कार्यों की ओर प्रेरित करते थे । संत रविदास जी ने जातिवाद, भेदभाव, और अन्य सामाजिक असमानताओं का खात्मा करने के लिए प्रयास किए । उनका संदेश था कि हर व्यक्ति को समानता और न्याय के अधिकार होने चाहिए । उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से लोगों को समझाया कि धर्म का असली अर्थ मानवता में सेवा करना है । उनके जीवन और कार्यों से हमें यह सीख मिलती है कि वास्तव में धर्म का अर्थ अच्छाई को बढ़ावा देना है । उनके प्रेरणा��ायक संदेशों से हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा मिलती हैं |"
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिम्मेदार पूंजीवाद की आवश्यकता पर दिया जोर
मैक्सिको सिटी, 19 अक्टूबर 2024। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्वाडलजारा के चैंबर ऑफ कॉमर्स में आयोजित टेक लीडर्स राउंडटेबल की अध्यक्षता करते हुए कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौतियां केवल विकास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सभी के लिए समान अवसर पैदा करने की भी जरूरत है। उन्होंने जिम्मेदार पूंजीवाद के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आर्थिक असमानताओं को पाटने और…
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Ambedkar Quotes; डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के अनमोल विचार, जो आपको जिंदगी बदल देंगे
Ambedkar Quotes; डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के अनमोल विचार, जो आपको जिंदगी बदल देंगे #Ambedkar #Quotes
Ambedkar Quotes: भारत के सबसे प्रमुख समाज सुधारकों में से एक, अंबेडकर को भारत की जाति व्यवस्था द्वारा उत्पन्न असमानताओं के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए जाना जाता है। एक दलित परिवार में जन्मे, अंबेडकर अपने समुदाय के शोषण और भेदभाव को देखते हुए बड़े हुए, जिससे उन्हें समानता के लिए आजीवन धर्मयुद्ध शुरू करने के लिए प्रेरणा मिली। बाबा साहेब की पहचान एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के…
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नारायण गुरु: जीवन परिचय
नारायण गुरु: जीवन परिचय -प्रारंभिक जीवन (1856-1875) नारायण गुरु का जन्म 20 अगस्त 1856 को केरल के चेम्पाझंथी नामक छोटे गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम नारायणन वज्हुथीदाथु था। वे एक एझावा परिवार में पैदा हुए थे, जो उस समय निम्न जाति के रूप में देखा जाता था। उनके माता-पिता मडन असन और कुन्झम्मा थे। प्रारंभिक जीवन में ही नारायण गुरु ने समाज की जातिगत असमानताओं को देखा और उनसे प्रभावित हुए। उनके परिवार…
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क्या कभी ये हालात बदलेंगे ? by Prem
किताब के बारे में... इस किताब में लेखक ने हमारे समाज के वर्तमान हालातों, राजनीतिक परिवर्तनों, और सामाजिक असमानताओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। पुस्तक में सवाल उठा�� गए हैं कि क्या समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और अन्याय के खिलाफ हम कभी सशक्त कदम उठा पाएंगे? लेखक ने विचार किया है कि कैसे सामूहिक प्रयासों और जागरूकता के माध्यम से हम इन जटिल मुद्दों का समाधान खोज सकते हैं।
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आज श्री शिवनन्दन यादव (सेवानिवृत अभियन्ता), श्री सुभाष यादव (रामपुर) व श्री कैलाश चौधरी (पैक्स अध्यक्ष) के शिष्टाचार मुलाकात किया तथा समाज में फैली सामाजिक असमानताओं आदि पर चर्चा किया :...✍️🪴💝
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"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।"
वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता एवं असमानताओं को दूर करके स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देने तथा हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाये जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की समस्त देश व प्रदेश वासियों को हार्द���क शुभकामनाएं ।
आइये, इस दिवस पर एक-दूसरे को उत्तम स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार लेने के प्रति जागरूक करने का संकल्प करें ।
#विश्व_स्वास्थ्य_दिवस_2024
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𝙂𝙪𝙧𝙪 𝙍𝙖𝙫𝙞𝙙𝙖𝙨 𝙅𝙖𝙮𝙖𝙣𝙩𝙞
Guru Ravidas Jayanti is a festival celebrated to mark the birth anniversary of Sant Ravidas, a revered saint, poet, and social reformer in the Bhakti movement. Guru Ravidas was born in the 15th century in Varanasi, India. His teachings emphasized the equality of all humans regardless of caste, creed, or gender, and he spoke out against the prevailing caste-based discrimination and social inequalities.
On Guru Ravidas Jayanti, followers and admirers of Guru Ravidas commemorate his life and teachings through various activities such as devotional singing, readings of his poetry, processions, and community service. It is observed with great reverence, particularly among the followers of the Ravidassia religion and other devotees of Guru Ravidas across India and around the world.
The date of Guru Ravidas Jayanti varies each year as it is determined according to the Hindu lunar calendar. Typically, it falls in the month of Magh, which usually corresponds to January or February in the Gregorian calendar.
👉 𝐉𝐨𝐢𝐧 𝐁𝐚𝐜𝐡𝐩𝐚𝐧 𝐒𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥, 𝐃𝐚𝐭𝐢𝐚
📚Admissions are Open for the Academic Year 2024-2025
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गुरु रविदास जयंती भक्ति आंदोलन में श्रद्धेय संत, कवि और समाज सुधारक संत रविदास की जयंती के रूप में म��ाया जाने वाला त्योहार है। गुरु रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में भारत के वाराणसी में हुआ था। उनकी शिक्षाओं में जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी मनुष्यों की समानता पर जोर दिया गया और उन्होंने प्रचलित जाति-आधारित भेदभाव और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ बात की।
गुरु रविदास जयंती पर, गुरु रविदास के अनुयायी और प्रशंसक भक्ति गायन, उनकी कविताओं का पाठ, जुलूस और सामुदायिक सेवा जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं। यह विशेष रूप से भारत और दुनिया भर में रविदासिया धर्म के अनुयायियों और गुरु रविदास के अन्य भक्तों के बीच बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
गुरु रविदास जयंती की तारीख हर साल बदलती रहती है क्योंकि यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती है। आमतौर पर, यह माघ महीने में आता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी या फरवरी से मेल खाता है।
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चुनाव से पहले कोई लोक लुभावन घोषणा नहीं, इतना कॉन्फिडेंस कहां से लाए पीएम मोदी?
नई दिल्ली: कल के बजट में एक बाद कॉमन थी। बजट सत्र से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी। दूसरी तरफ बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा कि जब जुलाई हमारी सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी तो विकासित भारत का विस्तृत रोडमैप पेश किया जाएगा। यही नहीं, अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने कोई लोकलुभावन घोषणा भी नहीं की। तो बड़ा सवाल है कि आखिर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जिसे कुछ ही दिनों में आम चुनाव में जाना है, इतना भरोसे में कैसे है? दरअसल, इस भरोसा के पीछे तमाम वजहें हैं लेकिन एक जो सबसे अहम है वो है बिखरा विपक्ष। इसके अलावा सरकार के तमाम वो सुधार जिससे उसे भरोसा है कि देश की जनता लगातार तीसरी बार उसे ही चुनेगी। मोदी के कॉन्फिडेंस का राज क्या? पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी दोनों ही 2024 के चुनाव के लिए मजबूत दावे कर रहे हैं। इसके पीछे जो सबसे कारण है वो है राम मंदिर का निर्माण। भगवा दल का सबसे अहम चुनावी मुद्दा 22 जनवरी को अयोध्या में पूरा हो चुका है। खुद पीएम मोदी मुख्य यजमान बनकर राम मंदिर में बाल राम की प्राण प्रतिष्ठा कर चुक��� हैं। राम के लहर पर बीजेपी उत्तर भारत में विपक्ष पर बड़ी बढ़त की तैयारी में है। पार्टी इसके लिए कोशिश भी शुरू कर चुकी है। कई राज्यों से आम लोगों को राम मंदिर के दर्शन के लिए लाया जा रहा है। विपक्ष भी दबी जुबान में ये मान रहा है कि भगवा दल को इसका फायदा हो सकता है। बिखरे विपक्ष भी कर रहा है काम आसान पीएम मोदी का सामना करने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया गया था। लेकिन चुनाव आते-आते इसके मुख्य कर्ता-धर्ता ही बीजेपी में शामिल हो गए। बिहार में नीतीश के बीजेपी में शामिल होने के बाद राज्य में भगवा दल को बढ़त हासिल हो गई है। दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस का हाथ बंगाल में छोड़ दिया है। यानी एक वक्त जो लग रहा था कि इसबार पीएम मोदी को तगड़ी टक्कर मिल सकती है। उसकी सूरत फिलहाल तो नजर नहीं आ रही है। यही नहीं, विपक्ष तो अभी कई राज्यों में सीट शेयरिंग पर भी अटका है। दूसरी तरफ बीजेपी को कुछ राज्यों में छोड़ दें ज्यादातर जगहों पर अकेले ही लड़ना है। ऐसे में कमजोर और बिखरे विपक्ष के कारण उसे ज्यादा परेशानी नहीं होगी। राम लगाएंगे बेड़ा पार इसके अलावा बीजेपी को राम मंदिर निर्माण का बड़ा फायदा मिलने वाला है। पार्टी के घोषणापत्र में हर बार राम मंदिर का मुद्दा रहता था। विपक्ष तो बीजेपी एक समय तंज कसता था कि मंदिर वही बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। अब 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी काफी जोश में है। पार्टी को इसका फायदा पूरे उत्तर भारत में मिलने की उम्मीद है। पार्टी इसके अलावा आर्टिकल 370 का भी जमकर जिक्र करती है। यानी राम के जरिए भगवा दल को जीत की आस दिख गई है। शायद इसीलिए बजट में को लोकलुभावन योजना भी नहीं दिखी। लाभार्थी योजना का बीजेपी उठाएगी लाभ पीएम नरेंद्र मोदी अपने लगभग हर कार्यक्रम और सभा में इसका जिक्र जरूर करते हैं। कोरोना के काल से 80 करोड़ों लोगों को केंद्र सरकार मुफ्त अनाज मुहैया करा रही है। यही लाभार्थी हैं जो बीजेपी के कोर वोटर भी बन गए हैं। इसी की बदौलत बीजेपी ने कई राज्यों में चुनावी बिसात बिछाई और उसे कामयाबी भी मिली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने बजट भाषण में इसका जिक्र किया था। बीजेपी ऐसे लाभार्थियों के जरिए मजबूती के साथ आगे बढ़ने का तरीका ढूंढ चुकी है। गर्वनेंस मॉडल से मिलेगी जीत पीएम मोदी सरकारी योजनाओं को लागू करने में बिचौलियों के नहीं रहने की बात अक्सर करते हैं। यानी सरकारी लाभ सीधे जरूरतमंदों के खाते में जाता है। बिचौलिया गायब। चाहे किसान सम्मान निधि की बात हो या अन्य मदों में डायरेक्ट ट्रांसफर। सरकार अपने बेहतर गर्वनेंस मॉडल के जरिए ��्रष्टाचार रोकने का दावा करती है। इसके अलावा बीजेपी भाई-भतीजावाद से खुद को दूर रखने का वादा करती है। पार्टी सामाजिक न्याय के जरिए जीत का रास्ता सुनिश्चित करने के लिए जोर लगा रही है। निर्मला ने अपने बजट भाषण में कहा कि हमारे शासन में पारदर्शिता है, इस बात का भरोसा है कि पात्र लोगों तक फायदे पहुंचाए जा रहे हैं। संसाधनों का उचित वितरण होता है। समाज में चाहे किसी का भी दर्जा हो, सभी को अवसर मिलते हैं। हम व्यवस्थागत असमानताओं को दूर कर रहे हैं... हम केवल खर्च पर ध्यान नहीं देते, बल्कि परिणामों पर जोर देते हैं, ताकि सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाया जा सके। पीएम मोदी के वो चार स्तंभ पीएम मोदी ने ओबीसी जाति जनगणना की काट ढूंढने के लिए चार जातियों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था गरीब, महिलाएं, युवा और किसान उनके चार जातियां हैं। इस बार के बजट में भी इन चारों जातियों के लिए निर्मला ने कुछ न कुछ जरूर दिया है। यानी बीजेपी ने 2024 के लिए अपने वोटर वाला… http://dlvr.it/T2CCVS
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Widening income inequality in India and its impact on the rural economy 13 Nov 2023
भारत में, सबसे धनी 1% आबादी देश की कुल आय का लगभग 22% दावा करती है, जबकि निचले 50% को केवल 13% प्राप्त होता है। इसके अलावा, ग्रामीण भारत में आर्थिक मंदी के चिंताजनक संकेत हैं, जिन्हें वित्त मंत्रालय द्वारा अक्टूबर के लिए जारी नवीनतम मासिक आर्थिक रिपोर्ट में हल्के में लिया गया है। वित्त मंत्रालय की सबसे हालिया मासिक आर्थिक रिपोर्ट, जो अक्टूबर में प्रकाशित हुई थी, ने "मजबूत निजी मांग और खपत" के कारण भारत के विकास की संभावनाओं को "मजबूत" बताया। इसने चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 6.5% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया और जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) संग्रह और रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कार बिक्री के संबंध में सकारात्मक समाचार भी बताया।
हालांकि, सतह के नीचे, रिपोर्ट चिंताजनक रुझानों को प्रकट करती है। इस स्पष्ट "विकास" कहानी का एक बड़ा हिस्सा ऊपरी-मध्यम-आय वर्ग और उससे ऊपर के वर्गों द्वारा संचालित किया जा रहा है। ग्रामीण भारत में मंदी के स्पष्ट संकेत हैं, और यहां तक कि शहरी वेतनभोगी कार्यबल के कुछ वर्ग भी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
भारत की जीडीपी
भारत में चकाचौंधपूर्ण आय असमानता करोड़पतियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि से स्पष्ट है, जिसके 2026 तक दोगुना होने की उम्मीद है। यह ग्रामीण बाजारों में मजदूरी और खपत में ठहराव के साथ हो रहा है। भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने इस मुद्दे को हल करने की तात्कालिकता पर जोर दिया है, जिसमें कहा गया है कि "भारत की जीडीपी अच्छी तरह से बढ़ रही है, लेकिन यह सब शीर्ष पर जा रही है।" विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करती है। यह परेशान करने वाली असमानता धनी और गरीब के बीच आय अंतर में परिलक्षित होती है, जो COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से काफी बढ़ गया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में शीर्ष 10% आय अर्जक वर्तमान में निचले 50% की तुलना में 20 गुना अधिक आय अर्जित करते हैं। इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात है कि भारत का सबसे धनी 1% देश की कुल आय का लगभग 22% प्राप्त करता है, जिससे निचले 50% को केवल 13% ही मिल पाता है। ऑटोमोटिव और रियल एस्टेट क्षेत्र महत्वपूर्ण मांग असमानताओं को प्रदर्शित करते हैं। जबकि रिकॉर्ड कार बिक्री हुई है, एक करीबी परीक्षा से पता चलता है कि ये बिक्री मुख्य रूप से एसयूवी और लगभग 10 लाख रुपये और उससे अधिक की कीमत वाली कारों से प्रेरित है। इसके विपरीत, दोपहिया बाजार में बिक्री में समान उछाल नहीं आया है और अभी तक महामारी से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। दोपहिया बिक्री में ठहराव का सबसे स्पष्ट प्रभाव एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल सेगमेंट में देखा जाता है, जो दर्शाता है कि ग्रामीण उपभोक्ता खरीद निर्णय लेने में सतर्क हैं। यही प्रवृत्ति एंट्री-लेवल हैचबैक कार बाजार में देखी जाती है। Latest News Read Here Read the full article
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How does the Elucks digital currency differ from traditional fiat currencies?
हाल के वर्षों में, क्रिप्टोकरेंसी के उदय ने वित्तीय दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है, एलक्स इस डिजिटल क्रांति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। सरकारों द्वारा जारी और विनियमित पारंपरिक फिएट मुद्राओं के विपरीत, एलक्स एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जो ब्लॉकचेन न���टवर्क पर संचालित होती है, जो विशेषताओं और लाभों का एक विशिष्ट सेट पेश करती है। इस लेख में, हम एलक्स डिजिटल मुद्रा और पारंपरिक फिएट मुद्राओं के बीच बुनियादी अंतर का पता लगाते हैं।
विकेंद्रीकरण और नियंत्रण: प्राथमिक असमानताओं में से एक मुद्राओं के नियंत्रण और जारी करने में निहित है। पारंपरिक फ़िएट मुद्राएँ केंद्रीकृत होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा शासित और विनियमित होती हैं। दूसरी ओर, एलक्स एक विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करता है, जहां लेनदेन को नोड्स के नेटवर्क द्वारा सत्यापित और रिकॉर्ड किया जाता है, जो बिना किसी केंद्रीय प्राधिकरण के एक पारदर्शी और सुरक्षित प्रणाली प्रदान करता है।
सीमित आपूर्ति बनाम अनंत मुद्रण: फिएट मुद्राओं के विपरीत, एलक्स की एक निश्चित आपूर्ति सीमा होती है, जिसे आमतौर पर आधी घटनाओं जैसे तंत्रों के माध्यम से हासिल किया जाता है। यह सीमित आपूर्ति दृष्टिकोण कमी को बढ़ावा देता है, डिजिटल संपत्ति को मुद्रास्फीति के दबाव से बचाता है। इसके विपरीत, सरकारें अपनी इच्छानुसार फ़िएट मुद्राएँ मुद्रित कर सकती हैं, जिससे संभावित रूप से अत्यधिक धन आपूर्ति के कारण समय के साथ मूल्य की हानि हो सकती है।
सीमा रहित लेनदेन और कम शुल्क: एलक्स बैंकों और मुद्रा विनिमय सेवाओं जैसे महंगे मध्यस्थों की आवश्यकता को समाप्त करते हुए, घर्षण रहित सीमा पार लेनदेन को सक्षम बनाता है। यह सुविधा एलक्स को अंतरराष्ट्रीय प्रेषण और ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है, जिससे पारंपरिक मुद्रा हस्तांतरण से जुड़े समय और शुल्क दोनों में कमी आती है।
गुमनामी और गोपनीयता: एलक्स लेनदेन एक निश्चित स्तर की गुमनामी की पेशकश करते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को अपनी वित्तीय गोपनीयता बनाए रखने की अनुमति मिलती है। इसके विपरीत, पारंपरिक फिएट लेनदेन, अक्सर नियामक जांच के अधीन होते हैं, जिसमें सरकारों और वित्तीय संस्थानों के पास लेनदेन संबंधी जानकारी तक पहुंच होती है।
वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण: एलक्स दुनिया भर में बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कम बैंकिंग सुविधा वाली आबादी के लिए वित्तीय सेवाओं का प्रवेश द्वार प्रदान करता है। स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंच प्राप्त करके, व्यक्ति एलक्स पारिस्थितिकी तंत्र में भाग ले सकते हैं, उन आर्थिक अवसरों को अनलॉक कर सकते हैं जो पहले पहुंच से बाहर थे।
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INTERNATIONAL WOMEN'S DAY 2023 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ लैंगिक समानता के लिए चल रहे संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने और लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रगति और अभी भी किए जाने वाले कार्यों को प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करता है। 1. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 (IWD) प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है और यह महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का वैश्विक उत्सव है। 2. पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में मनाया गया था, और इसका आयोजन सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका द्वारा महिलाओं के मताधिकार और श्रम अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। 3. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023: “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” विषय के साथ, संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 का आयोजन उन महिलाओं और लड़कियों को सम्मानित और मनाता है जो परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी और डिजिटल के विकास में अग्रणी हैं। शिक्षा। 4. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अफगानिस्तान, रूस और यूक्रेन सहित कई देशों में एक आधिकारिक अवकाश है। 5. संयुक्त राष्ट्र 1975 से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है और लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक वार्षिक विषय निर्धारित करता है। 6. महिलाएं दुनिया की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं लेकिन फिर भी शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण असमानताओं का सामना करती हैं। 7. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, ग्लोबल जेंडर गैप को बंद करने में अनुमानित 135.6 साल लगेंगे। 8. महिलाओं के गरीबी में रहने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक है, और वे दुनिया के 796 मिलियन निरक्षर वयस्कों में से अधिकांश हैं। 9. इन चुनौतियों के बावजूद, हाल के वर्षों में महिलाओं ने उल्लेखनीय प्रगति की है, और पहले से कहीं अधिक महिलाएं नेतृत्व के पदों पर हैं। 10. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने, लैंगिक असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अधिक लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने का एक अवसर है। #iwd #internationalwomensday #womensday #breakthebias #women #womenempowerment #womensupportingwomen #womeninbusiness #girlpower #march #eachforequal #genderequality #femini (at Kanpur, Uttar Pradesh) https://www.instagram.com/p/CpicFvYyRb_/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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