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जानिए मकर संक्रांति का महत्त्व, इन मंत्रों के जाप से करें सूर्य देव की उपासना
चैतन्य भारत न्यूज धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिए से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन दान करना काफी शुभ माना गया है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को ही मकर संक्रांति कहते हैं। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का महत्व और इसके खास मंत्र। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मकर संक्रांति का महत्व इस दिन पुण्य काल के समय में तीर्थ स्नान, दान, जाप, हवन, तुलादान, गौदान, स्वर्ण दान का विशेष महत्व है। गरीबों को कंबल, ब्राह्मणों को खिचड़ी एवं तिल गुड़ का पात्र भरकर दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। स्नान के पूर्व शरीर पर तिल का उबटन लगाकर स्नान करने से आरोग्य की वृद्धि होती है। 'संक्रांति' का शाब्दिक अर्थ है, सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। अत: वह राशि जिसमें सूर्य प्रवेश करता है, संक्रांति के नाम से जानी जाती है। इसी तरह सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो ‘मकर संक्रांति’ होती है।
संक्रांति के खास मंत्र मकर संक्रांति को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः Read the full article
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जानिए मकर संक्रांति का महत्त्व, इन मंत्रों के जाप से करें सूर्य देव की उपासना
चैतन्य भारत न्यूज धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिए से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन दान करना काफी शुभ माना गया है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को ही मकर संक्रांति कहते हैं। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का महत्व और इसके खास मंत्र। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मकर संक्रांति का महत्व इस दिन पुण्य काल के समय में तीर्थ स्नान, दान, जाप, हवन, तुलादान, गौदान, स्वर्ण दान का विशेष महत्व है। गरीबों को कंबल, ब्राह्मणों को खिचड़ी एवं तिल गुड़ का पात्र भरकर दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। स्नान के पूर्व शरीर पर तिल का उबटन लगाकर स्नान करने से आरोग्य की वृद्धि होती है। 'संक्रांति' का शाब्दिक अर्थ है, सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। अत: वह राशि जिसमें सूर्य प्रवेश करता है, संक्रांति के नाम से जानी जाती है। इसी तरह सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो ‘मकर संक्रांति’ होती है।
संक्रांति के खास मंत्र मकर संक्रांति को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः Read the full article
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मकर संक्रांति पर देशभर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में लगाई आस्था की डुबकी
चैतन्य भारत न्यूज वाराणसी. देश भर में आज मकर संक्रांति मनाई जा रही है। वैसे तो हर बार यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 02:07 बजे हुआ है, इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है। बुधवार सुबह से ही श्रद्धालु सूर्य की आराधना कर अर्घ दे रहे हैं और पवित्र नदियों में स्नान कर रहे हैं। प्रयागराज में भी बड़ी ही श्रद्धा और आस्था के साथ मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इस खास मौके पर संगम में श्रद्धालु डुबकी लगाने उतरे हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); काशी और हरिद्वार में आस्था की डुबकी हिंदू धर्म में मकर संक्रांति की काफी मान्यता है, जिसमें दान, पुण्य किया जाता है और देवताओं को याद किया जाता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी बुधवार सुबह हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, यहां गंगा आरती में हिस्सा लिया और गंगा स्नान कर दान किया। बुधवार तड़के से ही श्रद्धालु हरकी पैड़ी भी पहुंचने लगे थ���। इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। Varanasi: Devotees offer prayers and take holy dip in river Ganga on the occasion of #MakarSankranti. pic.twitter.com/qcazBU46Uc — ANI UP (@ANINewsUP) January 15, 2020 क्या है मकर संक्रांति? बता दें मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है। इस पर्व के साथ ही देवलोक में रात्रि काल समाप्त हो जाता है। इसके बाद से दिन की शुरूआत होती है। इसलिए इस दिन भगवान सूर्य की खास पूजा का विधान है। मकर संक्राति पर गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान, व्रत, कथा, दान और सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन गंगा माता भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। जबकि कुछ अन्य कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है। अपनी राशि के अनुसार इन वस्तुओं का करें दान मेष - गुड़ और लाल मसूर दान करें। वृष- सतनजा (सात अनाज ) और कंबल दान करें मिथुन- काला कंबल दान करें। कर्क- साबुत उड़द दान करें। सिंह- लाल मसूर और ऊनी वस्त्र दान करें। कन्या- चने की दाल और कंबल दान करें। तुला- काला कंबल दान करें। वृश्चिक- सतनजा (सात अनाज) दान करें। धनु- गुड़ और साबुत उड़द दान करें। मकर- साबुत उड़द और चावल का मिश्रण दान करें। कुंभ- काला कंबल और सरसों का तेल दान करें। मीन- साबुत उड़द दान करें। ये भी पढ़े... मकर संक्रांति आज, राशि के अनुसार इन चीजों को दान करना रहेगा फलदायी जानिए क्या है मकर संक्रांति और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार? इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानिए महत्व और सूर्य पूजा के खास मंत्र Read the full article
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जानिए क्या है मकर संक्रांति और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?
चैतन्य भारत न्यूज लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व अक्सर लगातार 13 और 14 जनवरी को पड़ते हैं। इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को ही थी लेकिन मकर संक्रांति 15 जनवरी को है, क्योंकि ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 02:07 बजे है। इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
क्या है मकर संक्रांति? मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन की गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। जबकि कुछ अन्य कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है।
ये भी पढ़े... इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानिए महत्व और सूर्य पूजा के खास मंत्र संतान के खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है सकट चतुर्थी व्रत, जानें इसका महत्व और पूजन-विधि 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट Read the full article
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मकर संक्रांति आज, राशि के अनुसार इन चीजों को दान करना रहेगा फलदायी
चैतन्य भारत न्यूज 15 जनवरी को देशभर में 'मकर संक्रांति' का पर्व मनाया जाएगा। संक्रांति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण (जाना)'। इस साल 14 जनवरी को रात 2:06 बजे सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनेगी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इन चीजों का दान फलदायी बता दें साल में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं। जब पौष मास में सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश होता है तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। राशि बदलते ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होंगे। मकर संक्रांति के दिन प्रात: तिल से स्नान, तिल से हवन, तिल्ली से बने पदार्थों का दान और तिल का सेवन विशेष फलदायी होता है। साथ ही सूर्य के राशि बदलते ही मंगलकार्यों की भी शुरुआत हो जाती है। अलग-अलग नाम से मनाई जाती है 'संक्रांति' बता दें भारतीय पंचांग पद्धति की सभी तिथियां चंद्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित होती है। लेकिन मकर संक्रांति अकेला ऐसा पर्व है जिसे सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इस कारण हर साल यह पर्व 14 जनवरी को आता है और अन्य पर्वों की तारीख बदलती रहती है। मकर संक्रांति को भारत में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। पंजाब में इसे लोहडी, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति, गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में पोंगल, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं। अपनी राशि के अनुसार इन वस्तुओं का करें दान मेष - गुड़ और लाल मसूर दान करें। वृष- सतनजा (सात अनाज ) और कंबल दान करें मिथुन- काला कंबल दान करें। कर्क- साबुत उड़द दान करें। सिंह- लाल मसूर और ऊनी वस्त्र दान करें। कन्या- चने की दाल और कंबल दान करें। तुला- काला कंबल दान करें। वृश्चिक- सतनजा (सात अनाज) दान करें। धनु- गुड़ और साबुत उड़द दान करें। मकर- साबुत उड़द और चावल का मिश्रण दान करें। कुंभ- काला कंबल और सरसों का तेल दान करें। मीन- साबुत उड़द दान करें। ये भी पढ़े... जानिए क्या है मकर संक्रांति और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार? इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानिए महत्व और सूर्य पूजा के खास मंत्र संतान के खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है सकट चतुर्थी व्रत, जानें इसका महत्व और पूजन-विधि 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट Read the full article
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जानिए क्या है मकर संक्रांति और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?
चैतन्य भारत न्यूज लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व अक्सर लगातार 13 और 14 जनवरी को पड़ते हैं। इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को ही थी लेकिन मकर संक्रांति 15 जनवरी को है, क्योंकि ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 02:07 बजे है। इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
क्या है मकर संक्रांति? मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन की गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। जबकि कुछ अन्य कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है।
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