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⛪ 🇮🇳 The Afghan Church is an Anglican Church in Mumbai, India, built by the British to commemorate the dead of the First Afghan War and their disastrous 1842 retreat from Kabul. The imposing edifice was constructed using locally available buff-coloured basalt and limestone. Inside it is known for its wide gothic arches and beautiful stained glass windows and is surely a sight to behold, for the lovers of architecture as week as those seeking history! ⏳👣 #india_91 #exploringindia #ig_indiashots #Lifeinalane #Ig_cameras_united #dailylifeindia #ourindia #indiadiaries #igramming_india #indiantraveller100 #photographers_of_india #pic_stand #indiaflare #repostingindia #pics_capture #pic_stand #royalsnappingartists #photo_storee #indian_attractions #india_clicks #igers_india #beautifulindia #lonelyplanetindia #repostindia #indiaexploregram #traveldiaries #TourismIndia #igers_India #webstagram #instaindia37 (at Afghan Church)
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हिंदू खतरे में है? कैसे नकली समाचार तंत्र भय का माहौल बनाने के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाता है
सोशल मीडिया गलत सूचनाओं को फ़ैलाने का सुविधाजनक माध्यम बन गया है। नकली समाचार कई गुना बढ�� गए हैं। इसकी बड़ी संख्या सांप्रदायिक प्रकृति और अनिश्चित लहजे वाली जानकारी की है, जो धार्मिक स्तर पर अलगाव पैदा करना चाहती है। ऑल्ट न्यूज़ ने देखा है कि पिछले कुछ महीनों में, मुसलमानों और ईसाईयों को निशाना बनाने के लिए व्यवस्थित, परस्पर जुड़े और संगठित प्रयास चल रहे हैं। दोनों समुदायों को अपराधी और नैतिक स्तर पर दिवालिया दिखाया जा रहा है, जबकि लगातार हिंदू समुदाय को शिकार के रूप में चित्रित किया जा रहा है। तोड़-मरोड़ और झूठ के सहारे गलत सूचना का हथियार की तरह उपयोग करके और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर इसका प्रयास किया जा रहा है।
1. ‘साजिद’ के यौन उत्पीड़न से 9-वर्षीय को बचाने की झूठी खबर
“9-वर्षिया एक लड़की को सतर्क लोगों ने बलात्कार से बचाया। बच्ची के साथ जो व्यक्ति पकड़ा गया, वह साजिद है। यूपी पुलिस उसे जेल में कुछ समय डालने के लिए कृपया इस आदमी को गिरफ्तार करे!” यह संदेश एक वीडियो के साथ प्रसारित किया गया था जिसमें एक बच्ची के रोने और आते-जाते लोगों द्वारा एक युवक की पिटाई होते देखा गया है। इसे शेयर करने वालों का कहना था कि दोषी व्यक्ति जिसका नाम साजिद है, के द्वारा बच्ची का यौन शोषण होने ही वाला था, लेकिन उसे समय पर बचा लिया गया। इसके वीडियो को कुंवर अजयप्रताप सिंह @sengarajay235 नाम के एक अकाउंट से ट्वीट किया गया है, जिसे पीएम मोदी द्वारा फॉलो किया जाता है। एक और ट्वीटर उपयोगकर्ता @goyalsanjeev ने भी इसे ट्वीट किया जिसे पियूष गोयल के कार्यालय द्वारा फॉलो किया जाता है।
दोषी व्यक्ति का नाम साजिद नहीं, बल्कि गोकुल रामदास है। ऑल्ट न्यूज़ से जिंझना पुलिस थाने के निरीक्षक ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर चल रहे दावे झूठे हैं।
2. “2016 में 95% बलात्कार के लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं”
पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने आंकड़ों का एक सेट ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने दावा किया कि 2016 में बलात्कार के 95% अपराधी मुस्लिम थे और इनकी 96% शिकार गैर-मुस्लिम महिलाएं थीं। ट्वीटर पर हेगड़े को पीएम मोदी फॉलो करते हैं। यह संदेश सोशल मीडिया में व्यापक रूप से शेयर किया गया था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) जो भारत में हुए अपराध डेटा को संरक्षित रखने की प्रमुख संस्था है, ने ऑल्ट न्यूज़ के साथ बातचीत में इस दावे को झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “यह पूरी तरह से गलत आंकड़ा है और तथ्यों की पूर्णतया गलत प्रस्तुति है क्योंकि एनसीआरबी अभियुक्तों और पीड़ितों के धर्म संबंधी आंकड़े एकत्र नहीं करता। यह दुर्भावनापूर्ण प्रचार है, जिसका कानून-पालन करने वाले नागरिकों द्वारा मुकाबला करने की जरूरत है। संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी गई है।” (अनुवाद)
3. लखनऊ बलात्कार मामले में ‘खालिद’ और ‘इरफान’ के आरोपित होने के बारे में नकली समाचार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक नाबालिग लड़की के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार हुआ और अपराधियों ने इस घटना की फिल्म बनाई। यह घटना जुलाई 2018 की शुरुआत में लखनऊ में हुई थी। जल्द ही, सोशल मीडिया इस दावे से भर गया था कि इस घटना में दो अभियुक्तों के नाम खालिद और इरफान हैं, और उन्हें गिरफ्तार किया गया है। संदेश में कहा गया- “मंदसौर के बाद लखनऊ में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म… आरोपी खालिद और इरफान गिरफ्तार… वीडियो भी बनाई”
इस मामले में खालिद और इरफान के आरोपी होने का दावा झूठा निकला। एसएसपी लखनऊ, दीपक कुमार ने कहा है कि इस मामले में दो आरोपी भोला चंद्राकर और कुशमेष कनौजिया हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी चंद्राकर छत्तीसगढ़ का निवासी है, जबकि कनौजिया सीतापुर जिले से है। पीड़िता के आवाज़ उठाने के बाद दोनों को पकड़ा गया जब वे भागने की तैयारी में थे।
4. मंदसौर बलात्कार के आरोपी को छोड़ने की मांग करते मुसलमानों की नकली खबर
मंदसौर में जून 2018 में 8 वर्षीया बालिका के साथ क्रूर बलात्कार को सोशल मीडिया में बेशर्मीपूर्वक सांप्रदायिक घुमाव दिया गया था। हजारों यूजर्स ने एक संदेश साझा किया जिसके अनुसार मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने मंदसौर की सड़कों पर रैली निकालकर इस अपराध के दोषी को छोड़ने की मांग की, क्योंकि कुरान गैर-मुस्लिम महिलाओं के बलात्कार की इजाजत देता है। यह दावा इंडियाफ्लेयर (IndiaFlare) नामक वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख के माध्यम सामने आया था।
उपरोक्त तस्वीर फ़ोटोशॉप से छेड़छाड़ की हुई है। तस्वीर वास्तव में मंदसौर की है, लेकिन रैली पीड़िता के समर्थन में थी और आरोपी के लिए कठोर सजा की मांग कर रही थी। लेख में गलत तरीके से यह दावा भी किया गया था कि पीड़िता के समर्थन में एक भी मुस्लिम समूह सड़क पर नहीं उतरा।
5. हिंदुत्व के मुकाबले इस्लाम को बड़ा बताते हुए मदरसा शिक्षक की फोटोशॉप तस्वीर
जून 2018 में, एक तस्वीर सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर की गई थी। इसमें एक शिक्षक स्पष्ट रूप से ब्लैक बोर्ड पर छात्रों को बता रहा है कि कैसे इस्लाम हिंदुत्व से बेहतर धर्म है।
उम्मीद के अनुसार, यह तस्वीर भी फ़ोटोशॉप में छेड़छाड़ करके बनाई हुई थी। यह तस्वीर गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम हुसैनी नामक मदरसा की है। अप्रैल 2018 में कई समाचार संगठनों ने तस्वीर के साथ इसकी कहानी की रिपोर्टिंग की थी। आउटलुक के एक लेख में बताया गया था, “यह मदरसा आधुनिक शिक्षा का केंद्र बन गया है, जहां अरबी और अंग्रेजी के साथ, संस्कृत भी पढ़ाई जाती है”। लेख में आगे लिखा था, “इस मदरसा की विशेषता है कि संस्कृत एक मुस्लिम शिक्षक द्वारा सिखलाई जा रही है। शायद, यह पहली बार है कि मदरसा में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है।”
6. बुरका नहीं पहनने पर महिला के बाल काटने का झूठा दावा
“यह तरीका है कि यदि बुर्का न पहनो, तो गोद में बेटी को लेकर बैठी महिला को बाल काट कर दंडित किया जाता है। और ये कायर कहते हैं कि वे दुनिया को जीतेंगे? ये मूर्ख मुजाहिद पृथ्वी पर सबसे डरपोक प्राणी हैं, वे केवल असहाय इंसानों को यातना दे सकते हैं। वे असली पुरुषों का सामना नहीं कर सकते हैं” (अनुवाद) 26 जून, 2018 को एक सोशल मीडिया यूजर सिंह सिंह (@HatindersinghR) ने एक वीडियो के साथ इसे ट्वीट किया था। ट्वीट में दावा किया गया था कि एक महिला के बाल काट दिए गए क्योंकि उसने बुर्का पहनने से इनकार कर दिया था और वीडियो में एक पुरुष को महिला के बाल काटते दिखाया गया था।
ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की। गूगल पर “man cuts off woman’s hair” (महिला के बाल काटता पुरुष) की-वर्ड (key words) डालकर खोज की गई तो गूगल पर लेखों की एक सूची आ गई। इनमें एक लेख डेली पाकिस्तान द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसमें कहा गया है कि यह कथित तौर पर एक ऐसे व्यक्ति का वीडियो है जो उसके भतीजे के साथ मिलकर उसके साथ धोखा करने पर, अपनी पत्नी के बाल काट रहा है। आगे की जांच में, ऑल्ट न्यूज को जानकारी मिली कि इस घटना की सूचना पुर्तगाल के कई वेबसाइटों द्वारा दी गई है। यह दावा किया गया है कि घटना विवाहेत्तर संबंध में हुए विवाद के कारण हुई है। यही कारण है कि ट्विटर में किए गए दावों का ऐसा कोई संदर्भ नहीं मिला- कि यह एक मुस्लिम जोड़ी है और बुर्का पहनने से इनकार करने पर उसके बाल काट दिए गए थे।
7. रजिया बानो बन जाती है शर्मा जी- नफरत उगलने वाला एक नकली प्रोफाइल उजागर
“हिंदुस्तान का शेर जिसने *** का बदला लिया” किसी “रजिया बानो” के दुर्भावनापूर्ण फेसबुक पोस्ट द्वारा मंदसौर में बच्ची से बलात्कार के भयावह मामले के आरोपी को लेकर खुशी जाहिर की गई कि उसने कठुआ की पीड़िता के बलात्कार का बदला लिया। पोस्ट ने सुझाव दिया कि मंदसौर बलात्कार मामले में शिकार हिंदू और कथित बलात्कारी मुस्लिम होने से कठुआ का बदला पूरा हो गया जहां मामला इसके ठीक उलट था।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह एक नकली प्रोफ़ाइल है। उदाहरण के लिए, वह विश्वविद्यालय जहां रजिया बानो पढ़ाने का दावा करती है, पाकिस्तान में है ही नहीं, यह फिलीपींस में है। इसके अलावा मई 2018 में एक फेसबुक पोस्ट ने इस रजिया बानो की पहचान का खुलासा किया। एक पोस्ट से पूछा गया “क्या हाल है दोस्तों” तो जवाब में यह पूछा गया कि नाम क्यों बदल लिया है। टिप्पणियों में से एक में, इस व्यक्ति को “शर्मा जी” के रूप में संब���धित किया जाता है, जबकि एक और टिप्पणी म��ं यह व्यक्ति “पवन” के रूप में संबोधित किया जाता है।
कर्नाटक के बारे में सांप्रदायिक उत्तेजक गलत सूचना
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव मई 2018 में हुआ था। चुनाव के दौरान गलत सूचनाओं कि की बाढ़-सी आ गई थी, जो चुनाव समाप्त होने के बाद और नई सरकार बनने तक निरंतर जारी रही। इन सभी मामलों में, मुसलमानों और ईसाइयों को आक्रामकों और योजनाकारों के रूप में पेश किया गया था, जो राज्य में कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस-जेडीएस सरकार के समर्थन और संरक्षण में आनंदित थे।
चुनाव से पहले गलत जानकारी
1.अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो कांग्रेस नेता ‘बिना रुके हिंदुओं का खून बहाने’ का वादा करते हैं
‘बैंगलोर (चामराजपेट) से कांग्रेस उम्मीदवार ज़मीर अहमद बिना रुके हिंदुओं का खून बहने का वादा करते हैं यदि कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए वोट दिया गया और वह मंत्री बन गए।’ यह उत्तेजक संदेश एक वीडियो के साथ चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा था। वीडियो में, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार ज़मीर अहमद खान अपने चुनाव अभियान के दौरान नागरिकों को उर्दू में संबोधित करते हुए दिख रहे हैं। इस संदेश के साथ यह वीडियो ट्विटर पर उपयोगकर्ता कमल लोचन महंता द्वारा पोस्ट ���िया गया था। महंता, उसके ट्विटर प्रोफाइल के अनुसार शिकागो में रहने वाला स्वघोषित हिंदू राष्ट्रवादी हैं, जिन्हें ‘पीएम नरेंद्रमोदी द्वारा फॉलो किया जाता है’।
vimeo
जैसा कि ऊपर पोस्ट किए गए वीडियो में देखा और सुना जा सकता है, 00:51 से 1:00 मिनट तक ज़मीर अहमद खान कह रहे हैं, “लिखवा लेना, मेरे को मिनिस्टर बनाया गया तो 5 साल के अन्दर ऐसे कारनामे करके दिखाऊंगा गिनीज रिकॉर्ड में नाम आएगा”। इसकी बजाय, दावा किया गया कि कांग्रेस उम्मीदवार हिंदुओं के रक्तपात का वादा कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है और वह मंत्री बन जाते है। इसे बीजेपी समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किया गया था।
2. कर्नाटक में कांग्रेस रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया
सोशल मीडिया इस दावे से भरा था कि उत्तरी बेलगाम में कांग्रेस पार्टी की रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया गया। रैली का एक वीडियो जिसमें हरे रंग का एक झंडा देखा जा सकता है, यह संदेश कई सोशल मीडिया के प्लेटफार्मों- फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर फैलाया गया।
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इस रैली में लहराया गया झंडा पाकिस्तानी ध्वज नहीं था। यह वास्तव में आईयूएमएल (भारतीय संघ मुस्लिम लीग) का झंडा है, और पाकिस्तान के झंडे से अलग है। पाकिस्तानी ध्वज के बाईं तरफ एक सफेद पट्टी है। इसके अलावा, दोनों झंडे में रंग और चंद्रमा के कोण में भी अंतर है। अक्सर ही, पाकिस्तानी ध्वज और इस्लामिक बैनर को लेकर उलझन रहती है।
3. लिंगायत मसले में चर्च की भूमिका
“देखो देखो! #हिंदुओं से #लिंगायत को अलग करने की विभाजनकारी योजना के पीछे कथित रूप से #चर्च है। अनुमानत: सीबीसीआई के महासचिव द्वारा आर्चबिशप बैंगलोर को भेजे गए ईमेल का लीक… यह बहुत कुछ कहता है।” (अनुवाद) लिंगायतों को अलग धार्मिक दर्जा दिए जाने का जश्न मना रहे कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा कथित रूप से आर्चबिशप बैंगलोर को इस संदेश के साथ, लिखा ईमेल वितरित किया गया और कर्नाटक में “समृद्ध आत्मिक फसल” के लिए कड़ी मेहनत करने का आग्रह किया गया। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी उन लोगों में से थे जिन्होंने इस संदेश को रीट्वीट किया था।
ऑल्ट न्यूज़ ने बताया था कि कैसे यह नकली ईमेल है। कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के महासचिव बिशप थियोडोर मस्करेनहास ने दावों को फर्जी और शैतानी के रूप में खारिज कर दिया। एक स्पष्टीकरण में, मस्करेनहास ने कहा, “चुनावों की पूर्व सं��्या पर सोशल मीडिया और कर्नाटक में बहुत ही दुर्भावनापूर्ण नकली पत्र प्रसारित किया जा रहा है”। उन्होंने कहा कि “झूठे पत्र लिंगायत मुद्दे में चर्च की भागीदारी के बारे में भयानक आरोप बनाते हैं”।
कर्नाटक चुनाव के बाद गलत सूचना
विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद भी कर्नाटक के संबंध में गलत जानकारी की लहर जारी रही। इसका आधार राज्य में नवनिर्मित कांग्रेस-जेडीएस की सरकार और अल्पसंख्यक थे जो निशाना बने।
1. रांची में सार्वजनिक विवाद के वीडियो को कर्नाटक में हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा हमला के रूप में शेयर किया
“जो कोई भी सोचता है कि कांग्रेस को 2019 में वापसी करनी चाहिए, उसे इस वीडियो को देखना चाहिए। सरकार के गठन के बाद एक महीना बीता नहीं है और मुस्लिम बाजार में मुसलमान हिंदुओं और पुलिस को मार रहे हैं।” यह संदेश जून 2018 में एक वीडियो के साथ प्रसारित किया गया जिसमें एक बाइक सवार को मारने वाले पुरुषों का एक समूह दिखाया गया था, जिसके बाद एक हिंसक बवाल हुआ। दावा किया गया कि राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार के सत्ता संभालने के बाद से कर्नाटक में यह स्थिति है।
जिस भड़वे को लगता है कि देश में 2019 में कांग्रेस आना चाहिए कांग्रेसी चमचे को ये वीडियो देख लेना चाहिए कर्नाटक में 1महीना भी नही हुआ है सरकार बने और ये हालात है वीडियो में मुस्लिम बाजार में मुस्लिमो ने हिन्दू और पुलिस को कैसे दौड़ा दौड़ा कर पिट रहा है भारत में सुरक्षित रहना है pic.twitter.com/FIz5BpnNGd
— Sunilkarmunge JaiHind #NAMO (@sunilkarmunge21) June 12, 2018
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो रांची, झारखंड का है। द पायनियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर केंद्र में चार साल की बीजेपी सरकार का जश्न मनाने के लिए आयोजित बाइक रैली के दौरान उत्तेजक नारे लगाए जाने के बाद संघर्ष शुरू हुआ था। भाजयुमो भाजपा का युवा संगठन है।
2. लिंगायत कैथोलिक चर्च की फ़ोटोशॉप तस्वीर
“हे कन्नड़ियों यह कर्णाटक में मिशनरियों द्वारा किया गया व्यापक काम है। ‘लिंगायत कोथोलिक’ क्या है? ये नृशंस मिशनरी निर्दोष गरीब हिंदुओं को बेवकूफ बना रहे हैं.. और वे कुछ पैसे के लिए गिर रहे हैं .. (@SushmaSwaraj) उम्मीद करते हैं कि आप इनके लिए वीजा मंजूरी नहीं दे रही हैं …” (अनुवाद) ��स संदेश के साथ एक चर्च की तस्वीर थी जिसे ‘लिंगायथ कैथोलिक चर्च’ का नाम दिया गया था। चर्च के नाम के नीचे “स्थापित : 16 अप्रैल, 2018 बैंगलोर, कर्नाटक” लिखा था। इसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था।
अप्रैल 2018 में बैंगलोर में स्थापित ‘लिंगायथ कैथोलिक चर्च’ के रूप में जारी तस्वीर वास्तव में महाराष्ट्र के पश्चिमी हिस्से में ठाणे जिले के तटीय शहर दहानू में स्थित चर्च की है। चर्च की तस्वीर से फोटोशॉप में छेड़छाड़ की गई थी।
3. व्यक्तिगत शत्रुता में हुए हमले का वीडियो हिंदुओं को मारने के रूप में शेयर किया गया
“कर्नाटक में हिन्दू कार्यकताओं को मारा जा रहा है … केंद्र मौन क्यों ???” फेसबुक पर प्रसारित एक वीडियो में कम से कम चार लोगों द्वारा एक दुकान के बाहर एक आदमी को निर्दयतापूर्वक मारते दिखाया गया था। दावा किया गया था कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार राज्य भर में हिंदुओं पर हमलों को लेकर आंख बंद की हुई थी।
ऑल्ट न्यूज ने पाया कि यह घटना बेंगलुरू में हुई थी और व्यक्तिगत शत्रुता का नतीजा थी। यह घटना राज्य में हिंदुओं पर एक आम हमले का प्रतिनिधित���व करती है, इस दावे में कोई सच्चाई नहीं थी।
पिछले कुछ महीनों में सांप्रदायिक उत्तेजक गलत सूचनाओं की बाढ़
पिछले कुछ महीनों में, कई पोस्ट ने अल्पसंख्यकों की आक्रामकता, धमकी और हमले का हिंदुओं को निशाना बनाने का चित्र दिखाया है। इनका असली निशाना प्राथमिक रूप से मुस्लिम समुदाय है, हालांकि ईसाईयों को भी निशाना बनाया गया है।
1. “अल्लाह की जीत, राम की हार”- कैराना के नए सांसद के लिए नकली उद्धरण
मई 2018 में आयोजित उपचुनाव में उत्तर प्रदेश के कैराना से राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की उम्मीदवार बेगम तबस्सुम हसन की प्रभावशाली जीत के बाद, हसन का एक बयान सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर आग की तरह फैलाया गया था। इस उद्धरण के अनुसार, हसन ने कहा था, “ये अल्लाह की जीत और राम की हार है”। ट्विटर पर कम से कम तीन वैसे लोगों ने इसे ट्वीट किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फॉलो किया जाता है।
ऑल्ट न्यूज ने तबस्सुम हसन से संपर्क किया जिन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन अफवाह फैलाई जा चुकी थी। इस नकली उद्धरण के अपलोड होने के बाद हजारों सोशल मीडिया उपयोगकर्ता इसे पहले ही शेयर कर चुके थे।
2. स्विट्जरलैंड में फुटबॉल संबंधी बर्बरता को रमजान के दौरान मुसलमानों के दंगों के रूप में शेयर किया
“रमजान के दौरान बर्मिंघम में मुस्लिम हिंसा!!! वे सड़कों पर खाने के लिए सड़क बंद करना चाहते हैं”। (अनुवाद) यह संदेश एक ऐसे वीडियो के साथ साझा किया गया था ज�� सड़क पर कारों पर हमला करने वाले दंगे को दिखाता है। दावा किया गया था कि यह घटना बर्मिंघम, यू.के. में हुई थी जब मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने बर्बरता का सहारा लिया, क्योंकि वो रमजान के दौरान उपवास तोड़ने के लिए ‘सड़कों पर खाना’ चाहते थे। यह वीडियो यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक पर प्रसारित किया गया।
ऑल्ट न्यूज ने छानबीन में पाया कि यह घटना बर्मिंघम, यू.के. में नहीं, बल्कि स्विट्जरलैंड के बेसल में हुई थी। इसके अलावा, इसका इस्लाम या मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। यह बर्बर प्रदर्शन बेसल और लुसेर्न फुटबॉल क्लबों के बीच एक फुटबॉल मैच को लेकर है, और यह हिंसा 19 मई को बिर्सस्ट्रैस, बेसल में हुई थी।
3. ‘पश्चिम बंगाल से आने वाली मुस्लिमों से भरी बस’ पर पाकिस्तानी ध्वज
“पश्चिम बंगाल (दीदी के राज) के मुसलमानों से भरी बस पाकिस्तान का ध्वज फहराते हुए पंजाब (कैप्टन अमरिंदर के राज) पहुंची। पाकिस्तान के ध्वज को देख कर पंजाब पुलिस ने क्या किया, सुनें”। उपरोक्त संदेश के साथ एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल था। इस वीडियो में एक बुजुर्ग व्यक्ति से दुर्व्यवहार किया जा रहा है। उन लोगों के मुताबिक जो उससे दुर्व्यवहार कर रहे हैं, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उसने बस पर पाकिस्तानी ध्वज फहराया है। ट्विटर अकाउंट @ExSecular उन लोगों में से थे जिन्होंने इस वीडियो को शेयर किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्विटर पर इन्हें फॉलो किया जाता है।
See below a tourist bus came from West Bengal of 'Didi'. It was full of 'M's'. A Pakistan flag was placed on the front. When it reached Punjab, it was 'suitably' treated by the public there pic.twitter.com/d6yNuTlMjG
— नारदमुनि (@NaMuGC) June 3, 2018
वीडियो में प्रदर्शित झंडा पाकिस्तान का ध्वज नहीं है। यह एक सामान्य ध्वज है जिसे उपमहाद्वीप में मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह घटना हरियाणा में मार्च 2018 में हुई थी।
4. तमिलनाडु के एनईईटी छात्रों वाली ट्रेन नमाजियों के कारण देर हुई
मई 2018 में, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर प्रसारित हुई जिसमें पुरुषों का एक समूह रेलवे ट्रैक पर नमाज पढ़ता है। इस तस्वीर के साथ यह संदेश था जिसमें कहा गया था- ‘रेल मार्ग नमाज के लिए अवरुद्ध है। दुख की बात है कि इस ट्रेन में यात्रा करने वाले छात्र देर हो गए और एनईईटी परीक्षाओं के लिए उपस्थित नहीं हो सके।’ यह संदेश तमिल भाषा में था।
pic.twitter.com/MDKEYU28QC
— ஜெகநாதன் ஜி जेगनाथन जी Jaganathan G (@yogees46) May 8, 2018
यह तस्वीर तमिलनाडु से नहीं है और एनईईटी परीक्षा से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसे जून 2017 में नई दिल्ली में क्लिक किया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के फोटो जर्नलिस्ट अनिन्द्य चट्टोपाध्याय ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अलविदा नमाज (रमजान की आखिरी प्रार्थना) की पेशकश करने वाले धर्मावलंबियों की यह तस्वीर ली, जिसे टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 23 जून, 2017 को प्रकाशित किया गया था।
5. मेरठ का पुराना, झूठा मामला मदरसा के अंदर बलात्कार की घटना के रूप में फैलाया गया
मई 2018 में, पत्रकारों से बात करने वाली एक युवा महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में प्रसारित हुआ। वीडियो में, महिला ने आरोप लगाया कि उसके साथ एक मदरसा के अंदर बलात्कार किया गया था, और उसे कैद करने वालों द्वारा जिन्होंने उसका और उसके विश्वास का दुरुपयोग किया, उसे इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव डाला गया था। इस वीडियो को कई दक्षिणपंथी अकाउंट और पेजों से शेयर किया गया।
मदरसे में रेप
मेरठ के मदरसे में इस हिन्दू बेटी से कई महीनो तक हुआ बलात्कार पर हमारा सारा मीडिया मौन ऐसा क्यों ? कोई पत्रकार इस पर नहीं बोलता, इस पर कोई बहस नहीं क्योंकि मामला मदरसे का है और मौलवी का है, अगर किसी मंदिर का होता और साधू संत का तब सारा मीडिया अगले 6 महीने तक समाचार चलाता और बताता की सारे साधू संत रेपिस्ट होते हैं मंदिरों को बंद करो
Posted by We Support RSS on Saturday, 14 April 2018
यह विशेष मामला कोई हालिया घटना नहीं, बल्कि अगस्त 2014 की थी, जब मेरठ से खबर उभरी थी कि एक महिला के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और जबरन धर्म-परिवर्तित किया गया था। आरोप लगाया गया था कि यह अपराध मदरसा के अंदर हुआ था। हालांकि उसी वर्ष बाद में, घटना में दिलचस्प मोड़ आया जब बलात्कार और जबरन धर्म-परिवर्तन का आरोप लगाने वाली महिला ने इस मामले को वापस ले लिया। उसने कहा कि उसके साथ ऐसा कोई अपराध नहीं किया गया था और वह अपनी मर्जी से अपने प्रेमी के पास गई थी, जो ��ूसरे धर्म से ताल्लुक रखता था। बाद में 2015 में, महिला ने उस आरोपी से विवाह कर लिया था।
यह सिर्फ हालिया दृश्य नहीं
उपरोक्त स���कलन नकली खबरों के उदाहरणों का वर्णन करता है जिनसे पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया त्रस्त है। ऑल्ट न्यूज ने देखा कि यह प्रवृत्ति जनवरी 2018 से ही उपरोक्त उदाहरणों की तरह है जब कुछ घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी। सोशल मीडिया पर तब से ये रुझान चल ही रहे हैं।
1. “सद्दाम, नदीम, फिरोज, आमिर, अशरफ ने गुरुग्राम में स्कूल बस पर हमला किया”
जनवरी 2018 में, फिल्म पद्मावत के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान, गुरुग्राम में एक स्कूल बस पर हमला किया गया था। इस हमले का एक वीडियो वायरल हो चला, जिसमें छोटे बच्चों को डरते हुए दिखाया गया क्योंकि बस पर पत्थर फेंके गए थे और देश भर में भारी आक्रोश हुआ था। इस वीडियो के साथ, एक संदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित होना शुरू हुआ, जिसमें था- “गुड़गांव में एक स्कूल बस पर पत्थर फेंकने के मामले में, करणी सेना के सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ को गिरफ्तार कर लिया गया है”। इस संदेश को प्रसारित करने वाले प्रमुख अकाउंट में से कम से कम तीन अकाउंट ऐसे थे जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं- जय (@Saffron_Rocks), जितेंद्र प्रताप सिंह (@jpsin1) और कुंवर अजयप्रताप सिंह (@sengarajay235)।
इस दावे की जांच करने के लिए ऑल्ट न्यूज ने पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम से बात की, जिन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली जानकारी बिल्कुल झूठी है और ऐसे किसी भी नाम से आरोपियों के वास्तविक नाम नहीं मिलते हैं जैसा कि सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है।
यह सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक था जिसमें मुस्लिम नामों को हिंसा के लिए जिम्मेवार ठहराया गया था। इसके बाद इस प्रवृत्ति का पालन किया जाता रहा है।
2. कासगंज हिंसा में हिंदू युवा के मौत की नकली खबर
26 जनवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश के कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। ��िरंगा फहराने में असफल होने पर हुई झड़प के बाद, दो समुदायों के बीच संघर्ष हो गया, जिसमें एक युवा, चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी। दुकानों में तोड़फोड़ हुई और बसों को आग लगाई गई थी। सोशल मीडिया पर रिपोर्ट फैलनी शुरू हुई कि गुप्ता के अलावा एक और युवा, राहुल उपाध्याय हिंसा में मारा गया था। इसे पोस्ट करने वालों में मेल टुडे के तत्कालीन प्रबंध संपादक अभिजीत मजूमदार भी शामिल थे।
इन ट्वीटों की भाषा और स्वर प्रकृति में भड़काऊ और सांप्रदायिक थे, यह बताते हुए कि मुसलमानों के हाथों संघर्ष में हिंदू युवाओं की मौत हो रही थी। हालांकि यह रिपोर्ट पूरी तरह झूठी साबित हुई। यूपी पुलिस ने एक आधिकारिक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया कि उपाध्याय जीवित है और झूठी अफवाहें फैलाने के लिए चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
3. कर्नाटक में परेश मेस्टा की मौत के सम्बंधित अफवाहें
जनवरी 2018 में कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़ जिले में 21 वर्षीय परेश मेस्टा की मौत का वर्णन करने के लिए सोशल मीडिया पर चलाए गए कुछ उत्तेजक संदेश थे- ‘सिर कटा’,’बधिया किया’ और ‘उबलता तेल चेहरे पर डाला’। क्षेत्र में सांप्रदायिक संघर्षों के बाद, उसके गायब होने के कुछ दिनों बाद, मेस्ता का बिगड़ रहा शरीर होनवार शहर की एक झील में पाया गया था। कर्नाटक की भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने इस मामले में नेतृत्व किया था। यह नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ द्वारा भी शेयर किया गया था।
SP under #SiddaramaiahRule has declared this as 'Samaanya Saavu' Hindu boy 21 yr old Paresh Mesta goes missing.when he was found, he was mutilated,castrated.burnt by boiling oil poured over his head & his head split dastardly with a weapon. pic.twitter.com/tmxkK6r2GS
— Shobha Karandlaje (@ShobhaBJP) December 10, 2017
ये उत्तेजक दावे दुर्भावनापूर्ण और मनगढ़ंत थे। फोरेंसिक मेडिसिन विभाग, मणिपाल जिसने पोस्ट-मॉर्टम का एक दस्तावेज जारी ��िया, परेश मेस्टा के उत्पीड़न और अंग-भंग के आरोपों का बिंदु-दर-बिंदु खंडन कर दिया।
कुछ तय फार्मूला के आधार पर हिंसा और अशांति फ़ैलाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है – मुस्लिम नाम वाले हिंसा के अपराधियों, खराब तस्वीरों, जाली पत्रों, विभिन्न संदर्भों के साथ प्रसारित वीडियो आदि से ये सरासर अफवाहों को फैलाते हैं। लगभग हर दिन, एक नया दावा प्रसारित किया जाता है और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से शेयर किया जाता है। यह प्रवृत्ति चुनाव के दौरान शीर्ष पर होती है, और आम दिनों में भी बिना रुके जारी रहती है। अगले कुछ महीनों में कई विधानसभा चुनाव सामने आएंगे और 2019 का आम चुनाव भी बहुत दूर नहीं हैं। इस लेख में उल्लिखित प्रवृत्ति से पता चलता है कि अल्पसंख्यकों के बहाने और गलत सूचनाओं के माध्यम से दैनिक आधार पर निरंतर ध्रुवीकरण के प्राथमिक उद्देश्य के साथ अगले वर्ष में यह एक महत्वपूर्ण चुनावी रणनीति होगी।
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The Hindi News हिंदू खतरे में है? कैसे नकली समाचार तंत्र भय का माहौल बनाने के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाता है appeared first on Hindi News.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/15810/
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🕌 A view of the balcony of the bhool bhullaya (Maze) at the bara imambara and that of the Lucknow city in the background, captured at sunset. The maze, a popular attraction, is possibly the only existing maze in India and came about unintentionally, as an architectural requirement, which was needed, to support the weight of the building constructed on marshy land. _______________________________________________________________________________________________ #india_91 #exploringindia #ig_indiashots #Lifeinalane #Ig_cameras_united #dailylifeindia #ourindia #indiadiaries #igramming_india #indiantraveller100 #photographers_of_india #pic_stand #indiaflare #repostingindia #pics_capture #pic_stand #royalsnappingartists #photo_storee #indian_attractions #india_clicks #igers_india #beautifulindia #lonelyplanetindia #repostindia #indiaexploregram #traveldiaries #TourismIndia #igers_India #webstagram #goseetravel (at Bara Imambara)
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