#फेक ऐप्स
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फेस्टिवल सीजन की ऑनलाइन सेल: सावधानी से खरीदारी करें! कहीं जेब न हो जाएगी खाली!
फेस्टिवल सीजन की शुरुआत होते ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजन, मिंत्रा आदि पर सेल शुरू हो जाती है। लोग अपनी पसंद की चीजों की खरीदारी करने के लिए उत्साहित होते हैं। लेकिन इसी दौरान साइबर ठग भी सक्रिय हो जाते हैं और आपकी जेब पर डाका डालने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाते हैं। ऐसे में ऑनलाइन खरीदारी करते समय सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो आपको ऑनलाइन…
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Dating Apps पर कहीं आपके साथ तो नहीं हो रहा स्कैम? इन 5 तरीकों से जानें प्रोफाइल असली है या नकली
डेटिंग ऐप्स पर लोगों के साथ फर्जीवाड़े के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अगर आप भी ��िसी ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो फेक प्रोफाइल का पता लगाने के लिए ये 5 ट्रिक आजमा सकते हैं। from India TV Hindi: paisa Feed https://ift.tt/Lq3tF2n via IFTTT from Blogger https://ift.tt/lgINWMG via IFTTT
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सावधान! ये Whatsapp, YouTube ऐप्स आपके एंड्रॉयड फोन में भेज सकते हैं खतरनाक वायरस
सावधान! ये Whatsapp, YouTube ऐप्स आपके एंड्रॉयड फोन में भेज सकते हैं खतरनाक वायरस
आपके एंड्रॉयड फोन पर एक नए वायरस की खतरा मंडरा रहा है। यह वायरस आपके फोन में कब प्रवेश कर जाएगा, आपको भनक तक नहीं लगेगी, क्योंकि यह पॉपुलर ऐप्स के फेक वर्जन के माध्यम से डिवाइसेज में भेजा जा रहा है। Meta ने एक रिपोर्ट में इस खतरे के बारे में चेताया है। Meta की ओर से हाल ही में जारी की गई तिमाह�� एडवरसरिएल थ्रेट रिपोर्ट 2022 (Quarterly Adversarial Threat Report 2022) में इस मालवेयर के बारे में…
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सावधान! ये Whatsapp, YouTube ऐप्स आपके एंड्रॉयड फोन में भेज सकते हैं खतरनाक वायरस
सावधान! ये Whatsapp, YouTube ऐप्स आपके एंड्रॉयड फोन में भेज सकते हैं खतरनाक वायरस
आपके एंड्रॉयड फोन पर एक नए वायरस की खतरा मंडरा रहा है। यह वायरस आपके फोन में कब प्रवेश कर जाएगा, आपको भनक तक नहीं लगेगी, क्योंकि यह पॉपुलर ऐप्स के फेक वर्जन के माध्यम से डिवाइसेज में भेजा जा रहा है। Meta ने एक रिपोर्ट में इस खतरे के बारे में चेताया है। Meta की ओर से हाल ही में जारी की गई तिमाही एडवरसरिएल थ्रेट रिपोर्ट 2022 (Quarterly Adversarial Threat Report 2022) में इस मालवेयर के बारे में…
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हर घंटे करें ऑनलाइन हजारों की कमाई! आपको चाहिए बस एक सस्ता स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन
हर घंटे करें ऑनलाइन हजारों की कमाई! आपको चाहिए बस एक सस्ता स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन
नई दिल्ली:HN/ अगर आप भारत में रहते हैं और आपके खर्च लगातार बढ़ रहे हैं जिनकी वजह से आप परेशान रहते हैं तो आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है. दरअसल गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जिनकी मदद से आप आसानी से हजारों रुपये की कमाई कर सकते हैं वो भी हर घंटे. हालांकि इसके लिए आपको थोड़ी रिसर्च जरूर करनी पड़ेगी क्योंकि गूगल प्ले स्टोर पर कई सारे फेक ऐप्स भी हैं जिनकी मदद से कमाई नहीं की जा सकती है…
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गूगल प्ले स्टोर पर BAN हुए ये 3 जरूरी ऐप्स, यूजर��स की सेफ्टी के लिए माना जा रहा था इन्हें खतरा
गूगल प्ले स्टोर पर BAN हुए ये 3 जरूरी ऐप्स, यूजर्स की सेफ्टी के लिए माना जा रहा था इन्हें खतरा
हाइलाइट्स Google Play Store पर अब नहीं मिलेंगे ये ऐप्स यूजर्स नहीं कर पाएंगे इन्हें डाउनलोड सेफ्टी पर्पज के लिए किया गया है बैन नई दिल्ली। फेक और खतरनाक ऐप्स पर गूगल लगातार कार्रवाई करता रहता है। अब Google Play Store पर कुछ ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह उन यूजर्स की सेफ्टी के लिए है जो कि ऐप्स को गूगल स्टोर से डाउनलोड करते हैं। कुछ समय पहले गूगल ने करीब 150 से ज्यादा ऐप्स पर कार्रवाई की थी।…
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#Android apps#fake apps#google play store#Headlines#how to check apps#Latest News#Malicious Android Apps#News#News in Hindi#security firm kaspersky#न्यूज़ Samachar
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कोविड -19 की वैक्सीन पंजीकरण के लिए सभी फेक ऐप्स से, जान लें सरकार की बताई ये जरूरी बातें
कोविड -19 की वैक्सीन पंजीकरण के लिए सभी फेक ऐप्स से, जान लें सरकार की बताई ये जरूरी बातें
हाइलाइट्स: वैक्सीन के लिए सिर्फ कॉइन वेबसाइट पंजीकरण के लिए कोई भी CoWIN मोबाइल ऐप नहीं CoWIN ऐप केवल सभी्रेट्रेटर्स के लिए ही देश में कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में कोविद -19 वैक्सीन अभियान का दूसरा फेज शुरू हो गया है। कोरलाइन कोरोना वर्नर्स के बाद अब आम नागरिकों को कोविड -19 की वैक्सीन दी जा रही है। यदि आप ऐसे में कोविड -19 की वैक्सीन के लिए पंजीकरण करने जा रहे हैं तो आपको यह जानना काफी आवश्यक…
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#केविन मोबाइल एप्लिकेशन#कोविड -19 टीका#कोविद -19 वैक्सीन#कोविन#गूगल प्ले स्टोर#ताजा खबर#मुख्य बातें#समाचार#समाचार समचार#स्वास्थ्य मंत्रालय#हिन्दी में समाचार
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SBI ने अकाउंट होल्डर्स को दी वॉर्निंग, आ गया ‘बैंकिंग वायरस’ सांकेतिक तस्वीर नई दिल्ली स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ओर से कस्टमर्स के लिए एक एडवाइजरी शेयर की गई है और उन्हें खतरनाक बैंकिग वायरस से अलर्ट किया गया है। Cerberus नाम के खतरनाक मैलवेयर की मदद से अकाउंट होल्डर्स को निशाना बनाया जा रहा है। यह मैलवेयर फेक एसएमएस भेजकर यूजर्स को बड़े ऑफर्स के बारे में जानकारी देता है और अनजान लिंक्स पर क्लिक करवाने या फिर ऐप्स डाउनलोड करने के बाद उन्हें शिकार बना लेता है। ऐसे ऐप्स का मकसद अकाउंट होल्डर्स के पैसों पर हाथ साफ करना है। …
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आपको बिना बताए अकाउंट से पैसे निकाल रहे हैं ये ऐप, तुरंत करें डिलीट वरना हो सकता है नुकसान
चैतन्य भारत न्यूज आज के समय में हमारे 90 प्रतिशत काम मोबाइल के जरिए ही पूरे हो जाते हैं। लोग अपने काम के कई ऐप्स डाउनलोड करके उसी से अपनी कई जरूरतों को पूरा कर लेते हैं। लेकिन कई बार ये ऐप्स खतरनाक भी साबित हो जाती हैं। आपने ऐप्स के जरिए फोन का डाटा चुराने की खबरें तो अक्सर सुनी ही होगी। लेकिन इन दिनों एक ऐसी ऐप सामने आई है जो आपका अकाउंट भी खाली ��र सकती है। बिना यूजर परमीशन कट जाते हैं पैसे जी हां... प्ले स्टोर पर एक ऐसी ऐप को स्पॉट किया गया है, जो यूजर्स के अकाउंट को खाली कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, सिक्यॉर-डी टीम के द्वारा एक नई रिसर्च की गई जिसमें ‘ai.type’ नाम की ऐसी ऐप पाई गई है, जो बिना यूजर की परमिशन के उसकी प्रीमियम डिजिटल सर्विसेज खरीद सकती है। ऐसे में यूजर को यह पता भी नहीं चलता है कि उसने कोई प्रीमियम कंटेंट सर्विस खरीदी है और उसके पैसे कट जाते। जानकारों ने बताया कि, यह ऐप बैकग्राउंड में काम करता था। इस ऐप में यूजर को बिना कुछ पता चले फेक ऐड व्यूज लिया जाता था। इतना ही नहीं बल्कि ये ऐप डिजिटल खरीदारी भी कर सकता था, जिसके चलते यूजर के अकाउंट से पेमेंट की जा रही थी। प्ले स्टोर पर जून में हो गई थी ब्लॉक सिक्यॉर-डी ने बताया कि, इस ऐप को खतरनाक बैकग्राउंड ऐक्टिविटी के कारण प्ले स्टोर से जून में ही ब्लॉक करके हटा दिया गया था। हालांकि, जिन यूजर्स ने इस ऐप को अपने फोन से अनइंस्टॉल नहीं किया है, वह इसके खतरनाक अटैक का शिकार हो सकते हैं। जरुरी जानकारी आप अपने फोन में इनस्टॉल सभी ऐप्स के बारे में अच्छे से जानकारी रखें और फोन को समय-समय पर अपडेट भी करते रहें। यदि आपसे कभी अनजाने में कोई भी ऐप इनस्टॉल हो गई हो तो आप उसे तुरंत डिलीट कर दें। एक और बात ध्यान रखें कि आप अपने फोन में सिर्फ वो ही ऐप्स रखे जो आपकी ज्यादा जरुरत की हो। ये भी पढ़े... जानें कैसे भारतीय WhatsApp में घुसी इजरायली एजेंसी? कौन-कौन हुए इस जासूसी के शिकार? 13 लाख भारतीयों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डेटा चोरी, ऑनलाइन बेच रहे हैकर्स यदि आप भी हुए हैं ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार, तो ऐसे कीजिए शिकायत जांच एजेंसी ने किया रोमांस घोटाले का खुलासा, शादी और रोमांस के नाम पर लोगों से वसूले 322 करोड़ Read the full article
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मजाक ही सही लेकिन छिपे हैं कई खतरेहालिया घटनाओं की बात करें तो कुछ दिनों से फेसबुक के डेटा लीक होने के मामले में सोशल मीडिया पर खबर चल रही है कि फेसबुक पर ये पता करने के लिए कि आपका आकांउट सेफ है या नहीं bff टाइप करें। अगर bff लिखने पर लेटर ग्रीन हो जाते हैं तो मान लें कि आपकी जानकारी सेफ है।जल्द ही ये खबर भी झूठी निकली और इसका मजाक उड़ रहा है। इस तरह से तेजी से तैरती ये खबरें भले ही ऐसे मौकों पर मजाक का विषय हों लेकिन इसके इतर इनसे कितने तरह के खतरे जुड़ें हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।जिससे ये दावा किया गया कि इससे किसी भी तरह के काले धन में शामिल ये नोट तुरंत जानकारी दे देगा। ना जाने कितने मीडिया चैनलों ने इस खबर को तेजी से दिखाया और सरकार ने वाह-वाही बटोरी। लेकिन कुछ ही समय बाद सारी कहानी पलट गई है खबर झूठी निकली।मीडिया की वफादारी पर चोट करती फेक न्यूजसवाल ये नहीं है कि इन खबरों से कितना नुकसान होता है या नहीं? जरुरी सवाल ये है कि इस तरह से ये खबरें कब तक आपका और हमारा पीछा करेंगी? साथ ही खबरों की सत्यता को लेकर लोगों में भरोसा है उस पर कितना असर होगा?खासतौर से मीडिया वर्ग सोशल मीडिया के इस दौर में खबरों के बाजार में अपनी वफादारी से कितना खिलवाड़ कर रहे वो आने वाला वक्त ही बताएगा।अफवाह कहिए या फेक न्यूज, जब दुनिया में टेलीफोन के तार तक नहीं थे, तब भी ऐसी खबरों ने अपना रास्ता खुद ही खोज लिया। लेकिन मौजूदा समय में ऐसी खबरें सोशल मीडिया के जरिए तेजी से फैलती हैं। सालों पहले ऐसी खबरों का असर सीमित होता होगा, लेकिन अब इंटरनेट और चैट ऐप्स के चलते इनकी पहुंच दुनियाभर में है। किसी भी फेक न्यूज़ के पीछे एक फर्जी पहचान होती है, जिसे फर्जी जानकारी के जरिए किसी खास मकसद के लिए बनाया जाता है।
नोटबंदी हो या दंगे, किसी की भी पटकथा लिखती हैं फेक खबरें
ये पहला मौका नहीं है जब फेक न्यूज ने लोगों की आम जिंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित किया हो। चाहे नोटबंदी हो या फिर किसी इलाके में दंगा भड़कना हो। सबके पीछे फेक न्यूज का हाथ मिलेगा। आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले हुई नोटबंदी में खबर आई थी कि 2000 के जारी नोटों में चिप या सैंसर लगे हुए हैं।
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सावधान! इन ऐप्स को तुरंत अपने मोबाइल से करें डिलीट, चुरा लेंगे प्राइवेट डेटा
सावधान! इन ऐप्स को तुरंत अपने मोबाइल से करें डिलीट, चुरा लेंगे प्राइवेट डेटा
Google अकसर अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम से मैलवेयर ऐप्स को हटाता है, जो किसी न किसी तरह से Android यूजर्स के लिए खतरा साबित होते हैं। Google Play वर्तमान में भी कई खतरनाक ऐप्स से लैस है, जो इस बात से साबित होता है कि एक पॉपुलर एंटी मैलवेयर कंपनी ने गूगल प्ले स्टोर पर मिलने वाले ऐसे ऐप्स की लिस्ट के बारे में अलर्ट किया है, जिनमें वायरस है। ये फेक ऐप्स यूजर्स का निजी और अहम डेटा चुराने का काम करते…
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सावधान! भूलकर भी न इंस्टॉल करें ये ऐप्स हो सकता है भारी नुकसान अगर आप बिना चेक किए किसी फेक ऐप का इस्तेमाल करते हैं तो इससे हैकर्स आपके फोन में सेंधमारी कर सकते हैं Source link
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क्या Covid-19 वायरस लैब में बनाया गया है? जानें क्यों हटाया Facebook ने इस दावे वाले पोस्ट से बैन Divya Sandesh
#Divyasandesh
क्या Covid-19 वायरस लैब में बनाया गया है? जानें क्यों हटाया Facebook ने इस दावे वाले पोस्ट से बैन
नई दिल्ली। Facebook ने एक बड़ा दावा किया है। कंपनी का कहना है कि वो के मानव निर्मित या लैब में निर्मित होने के दावे वाले पोस्ट को नहीं हटाएगा। कंपनी ने पहले इस तरह के कंटेंट पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। लेकिन अब इस प्रतिबंध को हटा लिया गया है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के वायरस की उत्पत्ति की जांच के आदेश के बाद Facebook ने अपनी नीतियों में बदलाव किया है।
अमेरिका की मीडिया कंपनी पोलिटिको के अनुसार, Facebook न तो उस पोस्ट की पहुंच को प्रतिबंधित करेगा और न ही उसकी ��ीमा को सीमित करेगा जिसमें दावा किया गया है कि कोरोनावायरस एक लैब में बनाया गया था। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया, “COVID-19 की उत्पत्ति में चल रही जांच और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स के परामर्श से, हम अब इस पोस्ट को नहीं हटाएंगे जिसमें दावा किया गया है कि COVID-19 हमारी ऐप्स से मानव निर्मित है। हम स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ काम करना जारी रख रहे हैं। महामारी के इस दौरान नियमित रूप से हमारी नीतियों को अपडेट करें क्योंकि नए फैक्ट्स और ट्रेंड्स सामने आते हैं।”
पॉलिसीज को रिन्यू किया गया है और यह थ्योरी कि कोरोनावायरस को एक लैब में बनाया गया था, कोई फेक न्यूज नहीं है। अमेरिकी सरकार द्वारा COVID-19 की उत्पत्ति की पूरी जांच की घोषणा की गई और उसके बाद Facebook ने अपनी नीतियों में बदलाव किया। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के बाद ही इस जांच का आदेश दिया गया था जिसमें कहा गया था कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन वैज्ञानिकों को 2019 में COVID-19 जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दिसंबर महीने में Facebook ने घोषणा की थी कि वो उन सभी पोस्ट्स को अपने प्लेटफॉर्म से रिमूव कर देगा जो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी दे रहे हैं। इनमें वैक्सीन सिक्योरिटी, साइड इफेक्ट्स से सबंधित झूठे दावे पोस्ट शामिल थे। साथ ही कई पोस्ट में कोरोनावायरस को लेकर गलत सूचनाएं भी दी गई थीं। इसी के चलते ही कंपनी ने इस तरह की पोस्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था।
फिर इसी बीच कोरोनावायरस एक लैब से निकला है इस बात की खुलासा हो गया और फिर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी खुफिया एजेंसियों को इस बात की जांच में लगा दिया कि आखिर कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई है। फिर इसी बीच अमेरिका फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के पूर्व प्रमुख ने यह बताया कि वुहान में स्थिति एक लैब में इस वायरस को बनाया गया है। इसके सबूत तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं, शोधकर्ता इस बात को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाए हैं कि यह खतरनाक वायरस एक जानवर से इंसानों में आ रहा है। इसी बीच अमेरिका के पूर्व राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने इस बात का दावा किया है कि जितने भी सबूत अभी तक मिले हैं वो सभी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) से इस वायरस के निकलने के संकेत देते हैं।
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कहीं आपके स्मार्टफोन में फेक App तो नहीं, ऐसे करें पहचान
नई दिल्ली: अक्सर ऐसा होता है कि असली ऐप डाउनलोड करने के चक्कर में फेक वर्जन डाउनलोड हो जाता है, जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है, क्योंकि बड़ी संख्या में फेक ऐप्स बनाए जा रहे हैं और ऐसे में इनसे बच पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब परेशान होने की जरूरत नहीं है कि सही ऐप कौन सा है और फेक ऐप कौन सा है, क्योंकि आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देंगे जिसकी मदद से आप आसानी से यह जान सकते हैं कि फेक ऐप कौैन सा है।
किसी भी ऐप को सिर्फ ऑफिशल स्टोर से डाउनलोड करें, क्योंकि दूसरे जगहों पर काफी संख्या में फेक ऐप पाए जाते हैं। हालांकि कई बार ऑफिशल स्टोर पर भी फेक ऐप्स पाए जाते हैं, लेकिन वहां से इन्हें जल्द ही हटा दिया जाता है।ऐसे में ऑफिशल स्टोर ऐप्स डाउनलोड करने के लिए बेस्ट ऑप्शन है।
यह भी पढ़ें- Samsung Galaxy On8 की आज पहली बार होगी सेल, मिलेगा 1000 रुपये का कैशबैक
ऐप डाउनलोड करने के दौरान अगर स्पेलिंग गलत दिखे तो समझ लीजिए कि वो फेक ऐप है, क्योंकि ऐप डेवलपर ऐसी गलतियां नहीं करते हैं। साथ ही ऐप डाउनलोड करने से पहले रिव्यू जरूर पढ़ें, क्योंकि अगर फेक ऐप होगा तो रिव्यू में उसके फीचर को लेकर सब कुछ साफ लिखा होगा, जिससे की यह पता चल जाएगा कि ये ऐप पूरी तरह से फेक है। साथ ही कमेंट को भी जरूरत पढ़ें।
इतना ही नहीं, कई बार ऐप डाउनलोड कर लेते हैं, लेकिन उसे किस डेवलपर ने बनाया है यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं। ऐसे में गलत ऐप डाउनलोड हो जाता है, जिससे आपका डेटा भी लिंक हो सकता है। इसलिए डाउलोडिंग से पहले डेवलपर के बारे में अच्छे से जानकारी हासिल कर लें। वहीं ऐप डाउनलोड करने से पहले यह जरूर देख लें कि उस ऐप को कितने स्ट��र दिए गए हैं ताकि यह पता चल सकें कि कितने लोगों ने उसे कितने स्टार दिए हैं।
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कोरोना वायरस के नाम पर फ्रॉड, ये 5 टिप्स पता हों तभी बच पाएंगे आप सांकेतिक तस्वीर नई दिल्ली साइबर क्रिमिनल्स कोरोना वायरस महामारी का जमकर फायदा उठा रहे हैं और ढेर सारी ट्रिक्स आजमाकर इंटरनेट यूजर्स का फंसा रहे हैं। दुनियाभर में फेक COVID-19 वेबसाइट्स, ऐप्स और ट्रैकर्स लोगों का कंप्यूटर और बाकी डिवाइसेज हैक करने के लिए तैयार किए गए हैं। WHO की ओर से कहा गया है कि हैकर्स और अटैकर्स मैलिशस वेबसाइट्स और ऐप्स की मदद से फिशिंग अटैक्स कर रहे हैं। इसके अलावा रैंसम ईम्स की मदद से यूजर्स को निशाना बनाया जा रहा है। …
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