जिगर की क्षति: कॉकटेल से लेकर ऑन-द-रॉक तक; कितनी शराब आपके लिवर के लिए बहुत ज्यादा है?
जिगर की क्षति: कॉकटेल से लेकर ऑन-द-रॉक तक; कितनी शराब आपके लिवर के लिए बहुत ज्यादा है?
शराब और लीवर: शरीर के सबसे स्थायी अंगों में से एक, यकृत में क्षतिग्रस्त ऊतकों को बदलने के लिए नए, स्वस्थ ऊतक को पुन: उत्पन्न करने की उल्लेखनीय और असाधारण क्षमता होती है। शब्द “शराब से संबंधित यकृत रोग” (एआरएलडी) अत्यधिक शराब के सेवन से जिगर की क्षति का वर्णन करता है। अलग-अलग डिग्री और संबंधित लक्षणों की एक श्रृंखला है।
यद्यपि यकृत स्वास्थ्य पर शराब के प्रभाव व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न…
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Wei Wuxian: ♬♫ सजाऊँगा लुट कर भी ♫ तेरे बदन की डाली को ♫ लहू जिगर का दूँगा ♫ हंसीं लबों की लाली को ♫♬
Wen Yuan: Brother Xian! Brother Xian! Save me! Brother Rich! Save me!
Wei Wuxian: *Stops singing*.... Don't worry A Yuan. Brother Rich knows how to heal! *Resumes singing* ♬♫ है वफ़ा क्या ♫♬~~~~~~~
Wen Yuan: !!!!!! Uncle Wen! Uncle Wen! Save me! Save me! Grandma! Save me!!
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बातों से ये ज़ख्म-ए-जिगर कैसे सिल जाए
चाहे मेरी जान जाए चाहे मेरा दिल जाए
How can this wound of the heart be stitched with just words ?
Even if I have to lose my life, even if I have to lose my heart.
-Heera Panna(1973)
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Me with my जान-ए-जिगर, जान-ए-मन @sunflowerwhimsy 😌💖🌺
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जाने- ए -जिगर ओ, जाने -ए - जाना
हमने जबसे तुम्हें है जाना
जिंदगी कैसी बनती हसीन
ये है हमने जाना
Written by : me
Had a little fun with the words hehe 🫶
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बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
ना ख़बर, ना ख़्याल, ना शिकन है दिल में मेरे,
फ़िर क्यूंँ आई है ये पुरानी कोई ख़बर बनके ज़हन में मेरे,
ढलते सूरज के साथ ढली पहरों की ठहर बनके,
बड़े दिनों बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
अब तो तौबा करली है आदतों से कितनी,
अब तो तौबा करली है ख़्वाबों के मिट्टी के महल बनाने से,
ये लंबे दौर की लहरें ले डुबा है ज़मीर के ख़ज़ाने मेरे कितने,
अब तो किनारे ही रह जाने की दरख़्वास्त है मेरी,
सुनने–सुनाने के किस्से यूंँ किस से जताऊंँ,
अब तो तौबा करली है लफ्ज़ों से ही ज़बान ने मेरी,
ना ख़बर, ना ख़्याल, ना शिकन है दिल में मेरे,
तब भी बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
लगता है क़िस्मत बड़ी ख़फ़ा है मुझसे,
कितना डर–डर के जिया है जिगर मेरा हर दम,
अपना हर ग़म छुपाया है मुस्कुराहट के पर्दों में मैंने,
दूर ही रहता हूंँ इन टूटे शीशों से बनी बदनुमा दुनिया से,
हर पल ये भीड़ बताती है मुझे,
ऐ बंदे, बर्बादी बड़ी खड़ी है इस राह पर तेरे,
पर इस राह पर तो मुझे अपना सच दिखता है,
बर्बादी ही सही, सच तो रहे,
कफ़न ही सही, पर सर पर बंँधे,
पर सामना सिर्फ़ करना चाहता हूंँ इसका ज़माने के सामने,
अपनों के शायद मर्म को सह ना पाऊंँगा,
बड़ा बुज़दिल जो हुंँ कहीं मर ही जाऊंँगा,
आज हर सही–ग़लत का हिसाब करने आयी है इस ज़माने का पूरे,
बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे
–शशि
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नजर से बढ़ कर कोई शैय नहीं बशर के लिए
बशर्त कुछ रंग–ओ–नज़ारे भी हो नजर के लिए
इलाज की नहीं हाजत दिल–ओ–जिगर के लिए
बस तेरी एक नज़र काफ़ी है उम्र भर के लिए
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Jagjit Singh – Chak Jigar Ke Lyrics in Hindi & English with Meaning (Translation) | | Ghazal | Nadeem Parmar | चाक जिगर के #JagjitSingh #Ghazal #HindiKala
Lyrics with Meaning: https://hindikala.com/hindi-literature/ghazal-in-hindi/jagjit-singh-chak-jigar-ke-lyrics-in-hindi-and-english-with-meaning-translation-ghazal/
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जान-ए-मन जान-ए-जिगर, होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
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आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रँग करूँ खून-ए-जिगर होने तक
खून-ए-जिगर होने तक खून-ए-जिगर होने तक
हम ने माना के तगा कुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएंगे हम तुम को खबर होने तक
तुम को खबर होने तक तुम को खबर होने तक
ग़म-ए-हस्ती का असद किससे हो कुज़-मर्ग-ए-इलाज
शमा हर रँग में जलती है सहर होने तक
- मिर्जा गालिब
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वो जिगर ही नहीं,
जिसमे दम न हो,
बेटा अगर तू बदमाश है,
तो हम भी सरीफ नहीं…
वो जिगर ही नहीं,
जिसमे दम न हो,
बेटा अगर तू बदमाश है,
तो हम भी सरीफ नहीं…
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तुम न आए थे तो हर इक चीज़ वही थी कि जो है
आसमाँ हद्द-ए-नज़र राहगुज़र राहगुज़र शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
और अब शीशा-ए-मय राहगुज़र रंग-ए-फ़लक
रंग है दिल का मिरे ख़ून-ए-जिगर होने तक
चम्पई रंग कभी राहत-ए-दीदार का रंग
सुरमई रंग कि है साअत-ए-बेज़ार का रंग
ज़र्द पत्तों का ख़स-ओ-ख़ार का रंग
सुर्ख़ फूलों का दहकते हुए गुलज़ार का रंग
ज़हर का रंग लहू रंग शब-ए-तार का रंग
आसमाँ राहगुज़र शीशा-ए-मय
कोई भीगा हुआ दामन कोई दुखती हुई रग
कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है
अब जो आए हो तो ठहरो कि कोई रंग कोई रुत कोई शय
एक जगह पर ठहरे
फिर से इक बार हर इक चीज़ वही हो कि जो है
आसमाँ हद्द-ए-नज़र राहगुज़र राहगुज़र शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
~ फैज़
Before you came things were just what they were:
the road precisely a road, the horizon fixed,
the limit of what could be seen,
a glass of wine was no more than a glass of wine.
With you the world took on the spectrum
radiating from my heart: your eyes gold
as they open to me, slate the color
that falls each time I lost all hope.
With your advent roses burst into flame:
you were the artist of dried-up leaves, sorceress
who flicked her wrist to change dust into soot.
You lacquered the night black.
As for the sky, the road, the cup of wine:
one was my tear-drenched shirt,
the other an aching nerve,
the third a mirror that never reflected the same thing.
Now you are here again—stay with me.
This time things will fall into place;
the road can be the road,
the sky nothing but sky;
the glass of wine, as it should be, the glass of wine.
English Translation by Naomi Lazard
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हँसी छुपा भी गया और नज़र मिला भी गया
ये इक झलक का तमाशा जिगर जला भी गया।
- मुनीर नियाज़ी।
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Koi mere dil se poochhe tere teer-e-neem kash ko
Yeh khalish kahan se hoti jo jigar ke paar hota
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
Ghalib
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विक्की विद्या का वो वाला गाना 'मेरे महबूब' का वीडियो हुआ रिलीज़
मुंबई, 23 सितंबर: आगामी फिल्म ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो'(Vicky Vidya Ka Woh Wala Video) के निर्माताओं ने अभिनेता राजकुमार राव और त्रिप्ति डिमरी पर आधारित नया गाना मेरे महबूब (Mere Mehboob)रिलीज कर दिया है। सचिन-जिगर की जोड़ी द्वारा रचित इस गाने में ऊर्जावान बीट्स और धुनों का मिश्रण है, जिसे शिल्पा राव और सचेत टंडन ने गाया है और प्रिया सरैया ने इसके बोल लिखे हैं। यह गाना एक कामुक और…
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केहदु तुमसे या ना कहूँ तुमसे?
कि कितने खूबसूरत हो तुम, ओ जान-ए-जिगर
चंद्रमा तुम्हारी ख़ूबसूरती का बस एक साया है |
-me
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