छठ पूजा 2022 दिन 3 संध्या अर्घ्य: जानिए महत्व, पूजा विधि और सूर्य की पूजा करने का मंत्र
छठ पूजा 2022 दिन 3 संध्या अर्घ्य: जानिए महत्व, पूजा विधि और सूर्य की पूजा करने का मंत्र
छवि स्रोत: पीटीआई छठ पूजा के मौके पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए उमड़े श्रद्धालु
छठ पूजा 2022 दिन 3 संध्या अर्घ्य: छठ पूजा समारोह का तीसरा उत्सव संध्या अर्घ्य द्वारा चिह्नित किया जाएगा। इस वर्ष, सूर्य देव की पूजा को समर्पित पवित्र त्योहार 28 अक्टूबर को शुरू हुआ और 31 अक्टूबर को समाप्त होगा। भक्त अपने परिवारों की लंबी उम्र और खुशी के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। छठ पूजा के चार दिवसीय त्योहार के…
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West singhbhum pran pratishtha : चक्रधरपुर स्टेशन पंचवटी मंदिर में बजरंगबली की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान आरंभ, भव्य कलश यात्रा के साथ आरंभ हुए प्राण प्रतिष्ठा के विधान, जय बजरंग के उद्घोष से गूंजा शहर का कलश यात्रा मार्ग
रामगोपाल जेना/चक्रधरपुर : चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित पंचवटी मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मंगलवार को भव्य कलश यात्रा के साथ चार दिवसीय यज्ञानुष्ठान आरंभ हुए. शहर के पुरानाबस्ती स्थित सीढ़ी नदी छठ घाट से पूजा पाठ के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने कलशों में जल भरा. (नीचे भी पढ़ें)
पंडित अंनत पाठक व पंडित मनोरंजन पंडा के नेतृत्व में संकल्प पूजा के पश्चात श्रद्धालु…
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Chhath Puja 2023: छठ पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा
एकमात्र ऐसा त्यौहार जो भगवान को श्रद्धांजलि देता है जो पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा लाता है, छठ पूजा में कई अनुष्ठान शामिल हैं जिसमे वैदिक देवता-सूर्य की पूजा कार्तिकेय के महीने में 4 दिनों तक की जाती है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है।
मुख पृष्ठ पोस्ट छठ पूजा
छठ पूजा
छठ पूजा 2023 खरना मुहूर्त
शास्त्रों मे कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन ही खरना कहलाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है। एवं खरना के दिन के विन से ही महिलाएं शाम को मीठा भोजन कर व्रत की शुरूआत करती हैं।
खरना 2023 शुभ योग
नहाय खाय- 17 नवंबर, 2023
खरना मुहूर्त– 19 नवंबर, 2023 सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 26 मिनट
खरना…
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लोक आस्था, पवित्रता व सूर्य उपासना के महापर्व “छठ पूजा” के प्रथम अनुष्ठान “नहाय-खाय” की समस्त देश व प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
भगवान सूर्य देव व छठी मैया आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि एवं शांति लेकर आएं।
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🌞🚩✨️ *सूर्य उपासना के महापर्व छठ-पूजा के पावन प्रथम अनुष्ठान नहाए-खाए की सभी को हार्दिक बधाई और शुभेच्छाए!!* ✨️🪔🌞
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गुजरात पुल ढहने से 141 की मौत, 177 को बचाया गया: 10 अंक
गुजरात पुल ढहने से 141 की मौत, 177 को बचाया गया: 10 अंक
पांच सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति पुल गिरने की जांच करेगी
अहमदाबाद:
गुजरात के मोरबी में कल शाम ब्रिटिश काल का एक पुल गिरने से कम से कम 141 लोगों की मौत हो गई। जबकि अब तक 177 लोगों को बचा लिया गया है, कई अन्य लोगों के लिए तलाशी अभियान जारी है जो अभी भी लापता हैं।
अहमदाबाद से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित यह सस्पेंशन ब्रिज रविवार शाम 6.42 बजे उस समय गिर गया जब छठ पूजा के लिए कुछ अनुष्ठान करने…
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Hearty greetings to everyone on the auspicious occasion of #ChattPuja. May Bhagwan Suryanarayana bring happiness, prosperity, and good health in our lives.
जय हो सूर्य देव की, जय-जय हो छठी मैया की
छठ महापर्व की बहुत-बहुत बधाई।
लोक-आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व "छठ पूजा" के तृ��ीय अनुष्ठान "अस्ताचलगामी" भगवान भास्कर को "अर्घ्य" दिया जाता है।
भगवान " सूर्य देव " व "छठी मैया" हमारे सभी मित्रों, कुटुंब जनों और शुभचिंतकों के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि लाएं।
#छठपूजा #chhathmahaparv #chhathpooja #छठ_महापर्व #sundayvibes
🌄⛅🌅☀️🚶♀️🚶♀️🚴🚴♀️🚴♂️🚶♀️🏞️
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महिलाओं के अलावा पुरूष भी पूरी निष्ठा के साथ करते हैं व्रतसिद्धार्थनगर। लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज से नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो रहा है। इस महापर्व में छठी मैया के साथ भगवान भास्कर (सूर्य देव) की आराधना जरूर की जाती है। कार्तिक माह की षष्ठी को डूबते हुए सूर्य और सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परम्परा है। आपको बता दें कि बिना डाला या सूप पर अर्घ्य दिए छठ पूजा…
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Chhath Pooja 2022: सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा 28 अक्टूबर से
बिहार, नालंदा। पूर्वी भारत के सबसे बड़े त्यौहार Chhath Pooja 2022 छठ महापर्व का 28 अक्टूबर 2022 से आगाज होगा। चार दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार का अनुष्ठान बहुत ही कठिन माना जाता है।
इस पर्व में पवित्र स्नान, उपवास, पीने के पानी से दूरी बनाना, बहुत समय तक पानी में खड़ा रहना आदि अनेकों प्रकार के कठोर नियमों का श्रद्धालुओं द्वारा पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ पालन किया जाता है।
वर्तमान में केनरा बैंक बागपत क्षेत्र के सहायक महाप्रबंधक और नालंदा निवासी अश्विनी कुमार बताते है कि Chhath Pooja 2022 छठ त्यौहार बिहार, झारखण्ड़, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल का मुख्य त्यौहार है।
वर्तमान में इस क्षेत्र के प्रवासी लोगों के विश्वभर में फैल जाने और उनके सम्पर्क में आने वाले लोगों के द्वारा छठ पर्व को अपनाने के कारण इसको पूरे हिन्दुस्तान सहित लगभग-लगभग सम्पूर्ण विश्व के अंदर मनाया जाने लगा है।
बताया कि यह एक ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चलता आ रहा है। कहा कि छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मईया को समर्पित है।
कहा कि छठ महापर्व के व्रत को स्त्री-पुरूष बूढ़े-जवान सभी लोग रखते है। छठ महापर्व को सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।
बताया की छठ महापर्व के दौरान जो श्रद्धालुगण सच्चे मन से छठ मईया और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते है, उनकी सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
बताया कि छठ महापर्व में 28 अक्टूबर को नहाय-खाय, 29 अक्टूबर को खरना, 30 अक्टूबर को शाम का अर्ध्य व 31 अक्टूबर को सुबह का अर्ध्य दिया जाएगा।
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छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी ��ी सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
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छठ पूजा 2022 दिन 1: नहाय खाय चार दिवसीय उत्सव की शुरुआत; जानिए अनुष्ठान और महत्व
छठ पूजा 2022 दिन 1: नहाय खाय चार दिवसीय उत्सव की शुरुआत; जानिए अनुष्ठान और महत्व
छवि स्रोत: TWITTER/SANGAMTALS छठ पूजा 2022 दिन 1: नहाय ख
छठ पूजा 2022 दिन 1: नहाय खाय छठ के चार दिवसीय त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। शुभ त्योहार दिवाली के छह दिन बाद शुरू होता है। इस साल यह शुभ त्योहार 27 अक्टूबर से नहाय खाय के पारंपरिक समारोह के साथ शुरू हो रहा है, जो इस चार दिवसीय लंबे त्योहार के पहले दिन मनाया जाता है। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए सूर्य भगवान को धन्यवाद देने के लिए, भक्त…
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Jharkhand Giridih chaiti chhath - अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
गिरिडीह: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही 4 दिनों तक चलने वाले आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन के अनुष्ठान का समापन विधिवत रूप से हुआ. मौके पर गिरिडीह शहर के विभिन्न प्रमुख एवं वर्षों को पुराने छठ घाटों पर बड़ी संख्या में छठ व्रतियों ने पहुंचकर अस्ताचलगामी भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया. गिरिडीह के पुराने छठ घाट जो अरगाघाट में अवस्थित है वहां पर हमेशा की तरह सबसे ज्यादा भीड़…
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Chhath Puja | छठ पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा
एकमात्र ऐसा त्यौहार जो भगवान को श्रद्धांजलि देता है जो पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा लाता है, छठ पूजा में कई अनुष्ठान शामिल हैं जिसमे वैदिक देवता-सूर्य की पूजा कार्तिकेय के महीने में 4 दिनों तक की जाती है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है।
।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।छठ पूजा।
छठ पूजा
एकमात्र ऐसा त्यौहार जो भगवान को श्रद्धांजलि देता है जो पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा लाता है, छठ पूजा में कई अनुष्ठान शामिल हैं जिसमे वैदिक देवता-सूर्य की पूजा कार्तिकेय के महीने में 4 दिनों तक की जाती है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। महीने के छठवें दिन से ही उपवास (भोजन और पानी का सेवन न करना), सूर्यास्त को अर्घ्य देना और उगते सूरज को लंबे समय तक…
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महापर्व छठ
[11/12, 9:51 PM] Bipin Bihari: *_छठ पूजा: इतिहास, उत्पत्ति और संस्कार के सम्बन्ध में 10 अद्भुत तथ्य_*
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_भारत उपवासों और त्यौहारों का देश है। इसके अलावा यह एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आज भी प्राचीन परम्पराएं और संस्कृति मौजूद है। भारत में त्यौहार और प्रकृति का गहरा नाता है। छठ पूजा एक ऐसा त्यौहार है जो दिवाली के एक सप्ताह बाद नदियों के किनारे मनाया जाता है। यह पूजा सूरज देवता को समर्पित है जिस कारण इसे ‘सूर्यषष्ठी’ भी कहते है।_
_1. छठ पूजा क्यों मनायी जाती है?_
_यह पूजा सूर्य देवता और छठी मां (षष्ठी मां या उषा) को समर्पित है। इस त्यौहार के जरिये लोग सूर्य देवता, देवी मां उषा (सुबह की पहली किरण) और प्रत्युषा (शाम की आखिरी किरण) के प्रति अपनी कृत��्ञता प्रकट करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मान्यता है कि सूरज ऊर्जा का पहला स्रोत है जिसके जरिये पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है।_
_2. छठ पूजा से जुड़ी संस्कृति और परम्पराएं (चार दिन का त्यौहार)_
_यह एक ऐसा त्यौहार है जिसके नियमों को बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है। अतः खुद पर संयम व परहेज रखते हुये व्रती सबसे पहले अपने परिवार से अलग होते है ताकि वह अपनी शुद्धता और पवित्रता को बरकरार रख सके। इस त्यौहार में बिना नमक, प्याज, लहसुन आदि के प्रसाद और आहार (श्रद्धालुओं के लिए) बनाए जाते हैं। इस नियम को श्रद्धालुओं को निरंतर 4 दिन तक पालन करना पड़ता है।_
_3.छठ पूजा का पहला दिन (नहाए खाय/अरवा अरवाइन)_
_इस दिन व्रती गंगा नदी में स्नान करते हैं या फिर अपने आस पास मौजूद गंगा की किसी सहायक नदी में स्नान करते हैं। व्रती इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते हैं, जिसे कड्डू-भात कहा जाता है। यह खाना कांसे या मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है। खाना पकाने के लिए आम की लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है।_
_4. छठ पूजा का दूसरा दिन (लोहंडा और खरना)_
_इस दिन व्रती पूरे दिन के लिए उपवास रखते है और शाम को रसियो-खीर, पूरी और फलों से सूर्य देवता की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करते है। इसके बाद अगले 36 घंटों के लिए व्रती निर्जला व्रत रखते है।_
_5. छठ पूजा का तीसरा दिन (सांझ अर्घ्य)_
_व्रती नदी किनारे जाकर सूर्य को संध्या अर्घ्य देता है। महिलाएं इसके बाद पीले रंग की साड़ी पहनती हैं। इस दिन रात में, भक्त छठी मैया के लोक गीत गाते हैं और पांच गन्नों के नीचे मिट्टी के दीये जलाकर कोसी (कोसिया भराई) भरते हैं। ये पांच गन्ने पंचतत्व (भूमि, वायु, जल, अग्नि और आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं।_
_6. छठ पूजा का चौथा दिन_
_यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है जिसमें व्रती अपने परिवार और दोस्तों के साथ नदी किनारे सूर्य देवता को बिहानिया अर्घ्य (प्रातः काल की पूजा) देते हैं। अंतिम चरण में व्रती छठ पूजा के प्रसाद से अपना व्रत तोड़ते है।_
_7. छठ पूजा के विभिन्न चरण_
_छठ पूजा 6 पवित्र चरणों में पूरी होती है। पहला - शरीर और आत्मा की शुद्धता; दूसरा -अर्घ्य (सांझ और बिहानिया) के दौरान नदी के भीतर खड़ा होना जिसका मतलब है कि हमारा शरीर आधा पानी में और आधा पानी के बाहर होता है ताकि शरीर की सुषुम्ना को जगा सके। तीसरा - इस चरण में रेटिना और आँखों की नसों के द्वारा ब्रह्मांडीय सौर ऊर्जा को पीनियल, पिट्यूटरी और हाइपोथेलेमस ग्रंथियों (जिन्हें त्रिवेणी परिसर के रूप में जाना जाता है) में प्रविष्ट करवाया जाता है। चौथा -इस चरण में हमारे शरीर की त्रिवेणी परिसर सक्रिय हो जाती है। पांचवा - त्रिवेणी परिसर के सक्रिय होने के बाद रीढ़ की हड्डी तरंगित हो जाती है और भक्तो का शरीर लौकिक उर्जा से भर जाती है और कुंडलियां जागृत हो जाती है। छठा - यह शरीर और आत्मा की शुद्धि का अंतिम चरण है जिसमें शरीर रिसाइकिल होता है और समूचे ब्रह्माण्ड में अपनी ऊर्जा का प्रसार करता है।_
_8. छठ पूजा के पीछे वजह_
_रामायण और महाभारत दोनों में ही यह बात लिखी गयी है कि छठ पूजा सीता (राम के अयोध्याय लौटने पर) और द्रोपदी दोनों के द्वारा मनायी गई थी। इसके जड़ वेदो में भी समाहित है जिसमें मां उषा की पूजा का जिक्र है। इसमें कई मंत्र मां उषा को समर्पित है। यह भी लोक मान्यता है कि यह पूजा सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण द्वारा की गयी थी।_
_9. सामान्यतः व्रती, जिन्हें पर्वतिन (संस्कृत शब्द पर्व यानी अनुष्ठान या त्यौहार) कहा जाता है, महिलाएं होती है। लेकिन अब पुरुष भी बड़े पैमाने पर इस त्योहार में हिस्सा लेते देखे जा रहे हैं। श्रद्धालु अपने परिजनों के कल्याण और समृद्धि के लिए यह पूजा करते हैं। इस पूजा की धार्मिक मान्यता कितनी प्रसिद्ध है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस त्योहार के दौरान भारत में श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेन चलायी जाती है।_
_10. यह पर्व सभी बिहारी और प्रवासी बिहारियों द्वारा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मॉरिशस, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनदाद और टोबैगो, गयाना, सुरीनाम, जमैका, अमरीका, ब्रिटेन, आयरर्लैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, मकाऊ, जापान और इंडोनेशिया में मनाया जाता है_
[11/12, 10:08 PM] Santosh Prabhakar: || ये छठ पूजा जरुरी है ||
........ धर्म के लिए नहीं, अपितु ......
*ये छठ जरुरी है* :
हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं |
उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है |
*ये छठ जरुरी है* :
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं |
उस परिवार के लिये जो टुकड़ो में बंट गया है |
*ये छठ जरुरी है* :
उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों ���े बड़ा भी घर होता है |
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है |
*ये छठ जरुरी है* :
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है |
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है |
*ये छठ जरुरी है* :
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है |
*ये छठ जरुरी है* :
गागर , निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए |
*ये छठ जरुरी है* :
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए |
ये बताने के लिए कि , इस समाज में उनका भी महत्व है |
*ये छठ जरुरी है* :
उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमज़ोर समझते हैं |
*ये छठ जरुरी है , बेहद जरुरी* ||
बिहार के योगदान और बिहारियों के सम्मान के लिए |
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाये रखने के लिए |
परिवार तथा समाज में एकता के लिए
🙏🙏🙏🙏
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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ संपन्न, नीतीश ने की पूजा-अर्चना पटना: लोक आस्था का पर्व छठ शनिवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन अर्घ्य के बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर 'पारण' किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मुख्यमंत्री आवास में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की अराधना की।
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छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन ��ोता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैग���ी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
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