A completely obscene footage of an incident in a state was circulated on social media and those who filmed the footage should be subjected to bizarre punishments.
मानव हा असा सजीव प्राणी आहे, त्याला सुख, दुःख, वेदना, आनंद अशा सर्वच कृतींचा गाढा अभ्यास आहे. या सर्व कृतियुक्त जीवनाचा गाढा अभ्यास असून सुद्धा आपल्या भारत देशात विचित्र घटना घडत असतात. भारतात अशा विचित्र कृतींना आळा घालण्याकरीता पूर्णतः विचित्र शिक्षेचा विचार भारतीय कायद्यात रुजायला पाहिजे. भारतीय कायद्यात विचित्र कृती करणाऱ्यास विचित्र शिक्षा न देता जर सर्वसाधारण शिक्षा दिल्यास अशा विचित्र…
कुत्र्यासोबत अनैसर्गिक कृत्य : आरोपी चकवा देऊन पळून गेला…
मुंबई : माणूस कधी उच्च पातळीवर जाईल आणि कधी अगदी नीच पातळीवर जाईल सांगता येणार नाही. असेच एक धक्कादायक उदाहरण मुंबईत घडले आहे. रस्त्यावर भटक्या कुत्र्यासोबत एका विकृत व्यक्तीने अनैसर्गिक कृत्य केले आहे. हा लाजिरवाणी प्रकार मुंबईतील अंधेरीच्या आंबोली परिसरात घडला आहे. याप्रकरणी मिथिलेश दास या नावाच्या 45 वर्षाच्या आरोपली पोलिसांनी ताब्यात घेतले आहे. त्याच्याविरुद्ध आंबोली पोलिसात गुन्हा दाखल…
दुसऱ्या पत्नीपासून सुटका मिळवण्यासाठी पतीने केले ‘हे’ भयानक कृत्य, पण म्हणतात ना ‘देव तारी त्याला कोण मारी’
दुसऱ्या पत्नीपासून सुटका मिळवण्यासाठी पतीने केले ‘हे’ भयानक कृत्य, पण म्हणतात ना ‘देव तारी त्याला कोण मारी’
दुसऱ्या पत्नीपासून सुटका मिळवण्यासाठी पतीने केले ‘हे’ भयानक कृत्य, पण म्हणतात ना ‘देव तारी त्याला कोण मारी’
मंदसौर : मध्य प्रदेशातील मंदसौरमध्ये एक धक्कादायक घटना उघडकीस आली आहे. पत्नीपासून सुटका मिळावी आणि कायद्याच्या कचाट्यात अडकू नये यासाठी एका व्यक्तीने वेगळीच शक्कल लढवली. त्याने आपल्या पत्नीला विषारी सापाच्या दंशाने मारण्याचा प्रयत्न केला. यासाठी सहा तासात दोनवेळा सर्पदंश केला. पण म्हणतात…
लगातार बदलते सामाजिक परिवेश एवं पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता हुआ प्रभाव भारतीय कानून व्यवस्था को बदलने पर मजबूर करती रहती है। सामाजिक बदलाव का ही परिणाम है कि आज हमें 1860 से चली आ रही भारतीय दण्ड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को लाना पड़ा है। एक समय था, जब परिवार का कोई लड़का अपने मां बाप से अपनी शादी की बात करने से शर्माता था, वहीं आज, लड़का तो छोड़िए लड़कियां भी खुलेआम समलैंगिक विवाह पर चर्चा करने को तैयार है। यह मूल रूप से युवा संतति के मानसिक सोंच का पाश्चात्यीकरण है। कहीं-कहीं तो महिलाओं के बीच समलैंगिक शादियां भी सुनने को भी मिल रही है जो समाचारों में,अक्सर सुर्खियां बनी हुई रहती है। अब समाज जब इस स्तर तक परिपक्व हो चुका है कि विहित कानून में त्रुटियों के स्वर सुनाई पड़ने लगते है। उन्ही कानूनों में से एक कानून बलात्कार से संबंधित भी है जो लिंगभेद के आधार पर सजा तय करती है।
भारतीय न्याय संहिता में बलात्कार के मायने
अब आइए भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 जो बलात्कार के अपराध को परिभाषित करती है उसके अहम बिंदुओं पर दृष्टिपात करते है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार को परिभाषित करती है।
धारा 63 के अनुसार-
63. कोई पुरुष,
(क) किसी महिला की योनि, उसके मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में अपने लिंग का किसी भी सीमा तक प्रवेशन करता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(ख) किसी महिला की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में ऐसी कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग, जो लिंग न हो, किसी भी सीमा तक अनुप्रविष्ट करता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(ग) किसी महिला के शरीर के किसी भाग का इस प्रकार हस्तसाधन करता है जिस���े कि उस महिला की योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेशन कारित किया जा सके या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(घ) किसी महिला की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है,
तो उसके बारे में यह कहा जाएगा कि उसने बलात्संग किया है। बलात्कार के लिए सिर्फ पुरुषों को दोषी क्यों
उपरोक्त परिभाषा को ध्यान से देखे तो इस धारा के अंतर्गत महिलाएं अपराध में चाहे किसी भी स्तर तक शामिल हों, उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
लेकिन उसी परिभाषा में आगे जो कृत्य दर्शाए गए हैं उसे देखने से पता चलता है कि उपधारा (क) को छोड़ कर सभी बातें महिलाओं पर भी समान रूप से लागू होती है। मात्र 63(क) लैंगिक प्रवेशन (Penis Penetration) की बात करता है जो सिर्फ और सिर्फ पुरुष वर्ग पर लागू होता है। 63(क) में भी “या” के बाद देखे तो उल्लिखि��� कृत्य कोई भी महिला किसी पुरुष के साथ मिलकर किसी अन्य महिला के साथ करवा सकती है। 63(ख), 63(ग) एवं 63(घ) तो सीधे सीधे महिलाओं के विरुद्ध भी उसी प्रकार लागू है जिस प्रकार पुरुष के साथ।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 का लिंग-आधारित दृष्टिकोण:
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 63 के अंतर्गत बलात्कार की परिभाषा पुरुषों द्वारा किए जाने वाले कृत्यों तक ही सीमित है, खासकर योनि/किसी अंग विशेष में लिंग प्रवेशन (Penis Penetration) से संबंधित मामलों में। यह दृष्टिकोण पारंपरिक रूप से समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान मानसिकता का पुष्ट करता है, जहां अक्सर महिलाओं को पीड़ित पक्ष और पुरुषों को अपराधी पक्ष माना जाता रहा है।
ऐसा बहुत सा दृष्टांत देखने को मिल जाएगा जहां घटना तो पुरुष द्वारा किया गया है, लेकिन घटना को सुलभ/सुकर बनाने में महिलाओं की भूमिका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से महत्वपूर्ण रही है। परंतु कानूनी पेंचीदगी के चलते वैसी महिलाओं को इस धारा अंतर्गत दोषी ठहराए जाने का अभियोग संस्थापित नहीं होता है।
इससे आगे 63(ख), 63(ग), और 63(घ) पर नजर डाले तो कोई भी विकृतचित्त वाली महिला अपनी यौन इच्छाओं की तृप्ति या अन्य कारणों के लिए किसी अन्य महिला के साथ आसानी से यह कृत्य कर या करवा सकती है। हालांकि भारत में समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता नहीं है, लेकिन समाज का एक वर्ग समलैंगिक विवाह को वैध करने पर जोर देता रहा है। समलैंगिक यौन संबंधों को वैध करने हेतु कई संगठनों द्वारा न्यायालय में वाद भी लाए गए हैं, जो उनके भारत में प्रचलित मान्यता के विपरीत मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे में यह एक यक्ष प्रश्न है कि कोई महिला जो समलैंगिक यौन संबंधों में विश्वास रखती है किसी अन्य महिला के साथ अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जबरदस्ती नहीं कर या करवा सकती है क्या?
कुछ विद्जनों का यह तर्क है कि धारा 70 (गैंग रेप) भारतीय न्याय संहिता इस कमी को पूरा करता हुआ दिख रहा है। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि धारा 70 में अपराध को पूर्ण करने के लिए कम से कम एक पुरुष का अपराध की घटना में शामिल होना आवश्यक है। मान लिया जाए यदि दो महिलाएं मिल कर किसी अन्य महिला के साथ धारा 63(ख), 63(ग) या 63(घ) मे उल्लिखित कृत्य करती है तो वहाँ धारा 70 भी अपने अभियोग को पुष्ट करने में असहाय दिख रहा है। ऐसी स्थिति में प्रसंगत कानून में सिर्फ पुरुषों को ही अभियोग की बेड़ी में बांधना कहाँ तक न्यायपरख है?
बलात्कार के अपराधी सिर्फ पुरुष ही क्यों?
धारा 63(क) का आधार यह है कि बलात्कार को मुख्य रूप से शारीरिक शक्ति और लैंगिक प्रवेशन के परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। पुरुषों द्वारा किए गए अपराधों में अक्सर शारीरिक बल और लिंग का उपयोग किया जाता है, जो इस परिभाषा को बल प्रदान करता है। हालांकि, आधुनिक समाज में महिलाओं द्वारा भी परिभाषित अपराध किए जा सकते हैं, भले ही उस यौन क्रिया में लिंग का प्रयोग न हो। यह दृष्टिकोण समाज में मौजूद धारणाओं और कानूनी विचारों को तो प्रतिबिंबित करता है, लेकिन यह सभी प्रकार के अपराधों को न्यायसंगत ढंग से आच्छादित नहीं करता है। खासकर तब जब महिलाओं के द्वारा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहभागी होंने के तथ्यों का प्रकटीकरण होता है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 63 में निहित बलात्कार की परिभाषा के साथ पोक्सो एक्ट (यानी, "प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट, 2012") में निहित प्रावधान “प्रवेशन लैंगिक हमला” (Penetrative sexual assault) से तुलना करें तो जो तथ्य उभरकर सामने आते है उनका स्वरूप इस प्रकार है-
पोक्सो एक्ट की तुलना:
पोक्सो एक्ट का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करना है। इस एक्ट के तहत, बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न को एक गंभीर अपराध माना जाता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। इसमें दोषी व्यक्ति का लिंग कोई मायने नहीं रखता, केवल अपराध पर ध्यान दिया जाता है। यह दृष्टिकोण न्यायसंगत और प्रगतिशील माना जाता है, क्योंकि इसमें बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाले किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
पोक्सो एक्ट की धारा 3 “प्रवेशन लैंगिक हमला” (Penetrative sexual assault) को परिभाषित करता है जहां पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र का बालक होता है।
धारा 3. प्रवेशन लैंगिक हमला- कोई व्यक्ति, 'प्रवेशन लैंगिक हमला" करता है, यह कहा जाता है, यदि वह-
(क) अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक में उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(ख) किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(ग) बालक के शरीर के किसी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(घ) बालक के लिंग, योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या ऐसे व्यक्ति वा किसी अन्य व्यक्ति के साथ बालक से ऐसा करवाता है।
पोक्सो एक्ट में “कोई पुरुष” (A man) के स्थान पर “कोई व्यक्ति” (A person) शब्द का प्रयोग किया गया है जिसमें पुरुष और महिलाओं के बीच में कोई लक्षमन रेखा नहीं खींचा गया है।
इससे स्पष्ट है कि पोक्सो एक्ट अपराधी के लिंग पर आधारित नहीं बल्कि जुवएनाइल के साथ कारित लैंगिक अपराध पर आधारित है। वहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 केवल पुरुषों को ही बलात्कार का अभियोगी मानता है। इस अभियोग में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अपराध को सुकर बनने वाले पुरुष लिंग से विपरीत लिंग के किसी भी व्यक्ति को अपराध का अभियोगी नहीं मानता, जबकि दोनों ही परिस्थितियों में समान लैंगिक आपराध कारित हो रहा है, केवल पीड़िता के उम्र का अंतर अहम कारक है।
निष्कर्ष:
यह बात सही एवं सार्थक है कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 का वर्तमान स्वरूप पुरुष को अपराध के लिए कारक तत्व के रूप में प्रतिपादित करता है, भलेही प्रश्नगत पुरुष किसी अन्य लिंग के व्यक्तियों का सक्रिय या नेपथ्य सहयोग अपराध को कारित करने में क्यों न लिया हो या पुरुष से भिन्न लिंग के व्यक्ति धारा 63(ख), 63(ग) या 63(घ) के तहत किसी महिला के साथ कोई आपराधिक कृत्य क्यों न किया हो। यथोचित तो यह होता कि पोक्सो एक्ट की तरह ही भारतीय न्याय संहिता के इस वर्णित परिप्रेक्ष्य में अधिक व्यापक और लिंग-निरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाया जाता तो दोषियों को लिंग के आधार पर अपराध के दोष से विमुक्ति होने का राह बंद हो जाता। समाज में कानून की नजरों में सभी व्यक्ति एक समान है, यह एक प्रतिपादित तथ्य है। समानता का सिद्धांत सर्वोपरि है।
पटना /दलित समुदाय पर अन्याय बर्दाश्त नहीं, दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : जनक राम
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पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से पहले न्यूयॉर्क के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़, भारतीय दूतावास ने की कड़ी निंदा
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America News: अमेरिका के न्यूयॉर्क के एक मंदिर (BAPS Swaminarayan Temple) में तोड़फोड़ की घटना सामने आने के बाद भारत के वाणिज्य दूतावास ने इसकी कड़ी निंदा की है।
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सौजन्य गूगल
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी के व्यक्तिगत आवास पर गणपति पूजा में प्रधानमंत्री जी का शामिल होना क्या संविधान के प्रोटोकाल के विरुद्ध है ?
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टीवी कलाकार Simran Budharup ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर जानकारी दी उनके औ उनकी मम्मी के साथ लालबाग चा राजा गणेश पंड़ाल पर गलत व्यवहार किया गया है. गणेश उत्शव के दौरान अपनी मां के साथा दर्शन कर करने के लिए गईं Simran Budharup का अनुभव बेहद दी खराब रहा. जहा उनकी मां और उनके साथ स्टाफ द्वारा धक्का दिया गया और उनका फोन छीनने की कोशिश का गई. Simran Budharup ने इस घटना को लेकर इंस्टाग्राम पर एक…
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भारतीय न्याय संहिता का भारतीयकरण, भारतीय न्याय संहिता का अवलोकन व आंतरिक सुरक्षा और रोजगार के अवसर एवं भारतीय न्याय संहिता पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया।
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क्योंझर : काळी जादू केल्याच्या संशयातून एका दाम्पत्याची हत्या केल्याची धक्कादायक घटना ओडिसातील क्योंझर गावात घडली आहे. याप्रकरणी पोलिसांनी एका व्यक्तीला ताब्यात घेतले आहे. पोलीस आरोपीची अधिक चौकशी करत आहेत. बहदा मुर्मू आणि धानी मु्र्मू अशी मयत दाम्पत्याची नावे आहेत. रात्री अचानक आई-वडिलांचा ओरडण्याचा आवाज ऐकून मुलगी सिंगो ही बाहेर धावत…
बंगाल के बाद इंदौर हुआ शर्मसार , गोल्ड मेडलिस्ट महिला डॉक्टर के साथ आपराधिक कृत्य,आरोपी हुआ फरार !!!
डॉक्टर ने बताया कि इस घिनौने कार्य के खिलाफ उन्होंने अपने पति से कई बार विरोध किया, लेकिन उन्हें धमकाया गया और उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। मामला तब और गंभीर हो गया जब उनकी माँ नाहिद खान (Nahid khan) और बहन अस्म अनीस खान (Asma Anis Qureshi )भी इस कृत्य में शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें दहेज प्रताड़णा और मारपीट की गयी डॉक्टर ने इस भयावह अनुभव के कारण मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना किया…
सामने आया पत्नी के हत्यारे प्रवीण पांडेय का घिनौना कृत्य, लोग हैरान
कुंडा, प्रतापगढ़, 6 सितंबर 2024। ये तस्वीर प्रवीण पांडेय की है। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र में सिरप में जहरीला पदार्थ मिलाकर पत्नी की हत्या करने वाले प्रवीण पांडेय के घिनौने कृत्य से लोग स्तब्ध हैं। प्रवीण और उसकी पत्नी सन्नू के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। पत्नी को भरोसा दिलाने के लिए उसने वही जहरीली सिरप अपनी मां को भी पिला दी, लेकिन सन्नू को दी गई सिरप की मात्रा अधिक होने के कारण उसकी…