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OLA Electric scooter को घर में आसानी से REPAIR करें?
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#उपभोक्ता फोरम#उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे करें?#कंज्यूमर कोर्ट#कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत#ola electric problems#ola electric scooter hindi#ola electric scooter motor repair#ola electric scooter repair#ola electric service center#ola electric service issue#ola ka service centre#ola scooter service#ola scooter service center#ola scooter service cost#ola service center#ola service centre
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Zomato को अधूरा ऑर्डर डिलीवर करना पड़ा भारी, कोर्ट ने लगाया 15 हजार रुपए जुर्माना; जानें पूरा मामला
TamilNadu News: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में रहने वाले एक शख्स ने ऑनलाइन ऑर्डर कर खाना मंगवाया था। लेकिन खाने की अधूरी डिलीवरी के बाद ग्राहक को संतुष्टि नहीं हुई। उसने संबंधित फूड ऐप को इसकी जानकारी दी। लेकिन वहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जिसके बाद ग्राहक ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद अब कंज्यूमर फोरम ने जोमैटो पर 15 हजार का जुर्माना ठोका है। ऑनलाइन डोसा और उथप्पम…
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भक्त को कराया 14 साल इंतजार, तिरुपति मंदिर को 50 लाख रुपये जुर्माने का आदेश!
Delhi: यह पहला ऐसा मामला है कि जब किसी भक्त ने टीटीडी की सेवा में कमी के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दायर किया हो। करीब नौ दशक पहले टीटीडी की शुरुआत हुई थी। कंज्यूमर कोर्ट ने टीटीडी को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा। http://dlvr.it/SXkyTJ
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शराब के शौकीन जरा सावधान हो जाइये |ओल्ड मोंक की बोतल में निकला तैरता हुआ कीड़ा
धनारी बस स्टैंड स्थित इंग्लिश वाइन शॉप से 2 जनवरी को दो लोगों ने ओल्ड मोंक का हाफ खरीदा | घर पहुंचने के बाद बोतल को हिला के देखा तो देखा उसमे 1 कीड़ा शराब के ऊपर तैर रहा था | बोतल सील्ड पैक्ड थी इस कीड़े को बोतल में देखकर शॉकड हो गए | इसकी शिकायत उपभोक्ता ने ओल्ड मोंक के कस्टमर केयर में भी की लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया ये कहा कि कीड़ा निकाल कर फेंक दो और एन्जॉय करो जब ओल्ड मोंक वालों ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया तो उन्होंने धनारी थाने शिकायत की तो धनारी थानाध्यक्ष ने कार्यवाही का आश्वासन देकर वापिस भेज दिया जब देखा के पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं तो मामला कंज्यूमर कोर्ट में ऑनलाइन रजिस्टर कर दिया | उपभोक्ता का कहना हैं कि कैसे ये लोग लोगो की ज़िन्दगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं | कैसे शराब के ठेकेदार लोगों की ज़िन्दगियों को नीलाम कर रहे हैं | जब मामला तूल पकड़ा तो कंपनी के अधिकारियों द्वारा उपभोक्ता के ऊपर दबाव बनाया जा रहा हैं| अब देखना ये है कि ऊंट किस करवट बैठता हैं | Read Full Article - https://thenewupdates.com/शराब-के-शौकीन-जरा-सावधान-ह/ #oldmonk #oldmonkrum #oldmonkpremiumrum #worminoldmonk
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चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट का अमेजोन और क्लाउडटेल को जुर्माना भरने का आदेश
चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट का अमेजोन और क्लाउडटेल को जुर्माना भरने का आदेश
यदि आप किसी दुकान, शोरूम, मॉल आदि से या ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म से MRP पर प्रोडक्ट खरीदते हैं और अलग से टैक्स वसूला जाए तो यह बिल्कुल गलत है। चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट ने एक मामले में 49.90 रुपए GST के रूप में अलग से वसूलने को सेवा में कोताही और गलत व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होना बताया है। ऐसे में अमेजोन सेलर्स प्राइवेट लिमिटेड के दिल्ली और कर्नाटक स्थित ऑफिस को शिकायतकर्ता से वसूले 49.90 रुपए…
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Hyundai Creta मालिक के लिए आया सुप्रीम फैसला, कंपनी को देना होगा 3 लाख रुपये जुर्माना! जानें मामला
Hyundai Creta मालिक के लिए आया सुप्रीम फैसला, कंपनी को देना होगा 3 लाख रुपये जुर्माना! जानें मामला
Hyundai Creta कार में एक तकनीकी गड��बड़ी का आना कंपनी को महंगा पड़ गया। राज्य उपभोक्ता आयोग से चला एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला कार के मालिक के पक्ष में सुनाया है और कंपनी को मुआवजा देने को कहा है। एक कस्टमर ने कंपनी के खिलाफ कंज्यूमर रिड्रेसल कमिशन में मामला दर्ज करवाया था कि उनकी कार के एक्सीडेंट के दौरान एयरबैग नहीं खुलने से उन्हों छाती और सिर में…
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रिलायंस फ्रेश स्टोर पर शिक्षक से 30 रुपये के उत्पाद के लिए 35 रुपये, अब उपभोक्ता अदालत ने स्टोर पर जुर्माना लगाया | रिलायंस फ्रेश स्टोर में एक शिक्षक को 30 रुपये के उत्पाद के लिए 35 रुपये कमीशन का जुर्माना भरना पड़ता है
रिलायंस फ्रेश स्टोर पर शिक्षक से 30 रुपये के उत्पाद के लिए 35 रुपये, अब उपभोक्ता अदालत ने स्टोर पर जुर्माना लगाया | रिलायंस फ्रेश स्टोर में एक शिक्षक को 30 रुपये के उत्पाद के लिए 35 रुपये कमीशन का जुर्माना भरना पड़ता है
हिंदी समाचार स्थानीय हरियाणा रोहतक रिलायंस फ्रेश स्टोर पर शिक्षक से 30 रुपये के उत्पाद के लिए 35 रुपये, अब कंज्यूमर कोर्ट ने स्टोर पर लगाया जुर्माना रोहतकएक घंटे पहले लिंक की प्रतिलिपि करें शिकायत शिक्षक ललित कुमार। हरियाणा के रोहतक जिले में एक ईमानदार आपत्तिकर्ता ने अपने पांच रुपये के लिए पांच साल तक लड़ाई लड़ी। इस मामले में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने शहर के रिलायंस फ्रेश स्टोर पर…
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश-स्टेट और नेशनल कंज्यूमर फोरम में खाली वैकेंसी आठ हफ्ते में भरें Divya Sandesh
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश-स्टेट और नेशनल कंज्यूमर फोरम में खाली वैकेंसी आठ हफ्ते में भरें
नई दिल्ली नेशनल कंज्यूमर फोरम में वेकेंसी न भरे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की है। अदालत ने कहा कि तमाम वादों के बावजूद वेकेंसी नहीं भरी गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह वैकेंसी को आठ हफ्ते में भरें। केंद्र सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट ने आठ हफ्ते का वक्त दिया है कि वह नेशनल कंज्यूमर फोरम में जो तीन पद खाली हैं उसे भरें।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के विधायी प्रभाव को देखे। अदालत ने कहा कि सरकार सिर्फ कानून बनाने के पीछे भागती है लेकिन लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में नहीं देखती। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में जिला, राज्य कंज्यूमर फोरम में स्टाफ और मेंबर की कमी के मामले में संज्ञान ले रखा है।
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेख�� ने कहा कि हाल में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट 2021 बना है उसके आलोक में नियुक्ति होगी। अदालत ने कहा कि नेशनल कंज्यूमर फोरम में जो कुल वैकेंसी है उसमें आपने जब 4 की नियुक्ति की है तो तीन और नियुक्ति क्यों नहीं हो सकती है। आपने पहले भी कहा था कि नेशनल कंज्यूमर फोरम की वेकेंसी भरी जाएगी लेकिन नहीं भरी गई। उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत पर सुनवाई नहीं हो पा रही है क्योंकि फोरम में वेकेंसी के कारण केस पेडिंग है। हम इस बात का कोई कारण नहीं देख रहे हैं कि केंद्र सरकार को वैकेंसी भरने के लिए और वक्त क्यों चाहिए।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी खिंचाई की कि उन्होंने अपने हलफनामा में कंज्यूर फोरम में वैकेंसी का ब्यौरा नहीं दिया है। कोर्ट सलाहकार गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि कुछ राज्यों ने कंज्यूमर प्रोटेक्ट एक्ट को नोटिफाई भी नहीं किया है। बेंच ने तब कहा कि अगर राज्य सरकारों ने दो हफ्ते में रील्स को नोटिफाई नहीं किया तो केंद्र सरकार के मॉडल रूल्स राज्यों पर लागू हो जाएंगे। अदालत ने कहा कि कंज्यूमर कोर्ट में बड़ी संख्या में वैकेंसी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजयों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह दो हफ्ते में वैकेंसी के बारे में विज्ञापन दे। जिन राज्यों ने अभी तक सेलेक्शन कमिटी नहीं बनाई है वह चार हफ्ते में कमिटी का गठन करें।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि आठ हफ्ते में वेकेंसी को भरा जाए और अगर आदेश का पालन नहीं होता है तो फिर संबंधित राज्य के चीफ सेक्रेटरी और केंद्र सरकार के कंज्यूमर मामले के सेक्रेटरी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने पेश होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान उक्त आदेश पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट को कुछ राज्यों की ओर से कहा गया कि सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार से सलाह करना होता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को नकार दिया और कहा है कि चार मेंबरों से ज्यादा की नियुक्ति में केंद्र से सलाह का प्रावधान किया गया है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट की धारा-42 कहती है कि अगर चार सदस्य से ज्यादा की नियुक्ति है तो फिर केंद्र से सलाह की दरकार है। जो विधायी प्रावधान है उसके तहत प्रेसिडेंट और चार सदस्य की नियुक्ति करनी है और जब चार से ज्यादा मेंबरों की नियुक्ति करनी है तभी केंद्र से मशविरा की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में गोपाल शंंकरनारायन को मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था और राज्यों से कहा है कि वह वेकेंसी के बारे कोर्ट सलाहकार शंकरनारायन को अपडेट स्थित के बारे में अवगत कराएं।
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फर्जी हेयर क्रीम प्रोडक्ट का विज्ञापन करना मलयालम अभिनेता को पड़ा भारी, लगा जुर्माना
फर्जी हेयर क्रीम प्रोडक्ट का विज्ञापन करना मलयालम अभिनेता को पड़ा भारी, लगा जुर्माना
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Updated Wed, 06 Jan 2021 12:53 AM IST अनूप मेनन – फोटो : Twitter पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी। *Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP! केरल के एक कंज्यूमर कोर्ट ने हेयर क्रीम प्रोडक्ट के विज्ञापन में गलत दावा करने को लेकर एक मलयालम अभिनेता को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल अभिनेता ने इस हेयर प्रोडक्ट के असर के बारे में जाने बिना ही…
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बड़ी खुशखबरी! अगर लॉकडाउन के दौरान चुकाई है EMI तो आपको मिलेगा कैशबैक
बड़ी खुशखबरी! अगर लॉकडाउन के दौरान चुकाई है EMI तो आपको मिलेगा कैशबैक
cashback
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि एमएसएमई लोन, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया और उपभोग लोन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज पर ब्याज) को माफ किया जाएगा.
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Finance ministry issues guidelines for interest waiver on loan | केंद्र सरकार करेगी मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर ब्याज का भुगतान, आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
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Finance ministry issues guidelines for interest waiver on loan | केंद्र सरकार करेगी मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर ब्याज का भुगतान, आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
नई दिल्ली22 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले वित्त मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन
इस स्कीम से सरकार पर करीब 6500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा
केंद्रीय कैबिनेट ने लोन मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज पर ब्याज के भुगतान वाली स्कीम को मंजूरी दे दी है। इस स्कीम का आम आदमी तक लाभ पहुंचाने के लिए वित्त मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इसके तहत चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर का भुगतान केंद्र सरकार करेगी। आज हम आपको वित्त मंत्रालय की गाइडलाइंस की जानकारी देने जा रहे हैं।
किनको मिलेगा लाभ?
एमएसएमई लोन
एजुकेशन लोन
हाउसिंग लोन
कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन
क्रेडिट कार्ड ड्यू
ऑटो लोन
प्रोफेशनल्स का पर्सनल लोन
कंजप्शन लोन
कितनी अवधि का लाभ मिलेगा?
जिन लोगों ने 1 मार्च से 31 अगस्त 2020 के दौरान लोन मोरेटोरियम का लाभ लिया है। उनको इस अवधि की ब्याज पर ब्याज का भुगतान नहीं करना होगा।
कितनी राशि तक के लोन पर लाभ मिलेगा?
29 फरवरी 2020 तक जिन पर 2 करोड़ रुपए या इससे कम का लोन बकाया था, उन्हें इस स्कीम का लाभ मिलेगा। यदि किसी इंडिविजुअल पर दो करोड़ से ज्यादा का लोन है तो उनको इसका लाभ नहीं मिलेगा।
मोरेटोरियम ना लेकर ईएमआई देने ��ालों को कोई लाभ मिलेगा?
जिन लोगों ने मोरेटोरियम नहीं लिया है, उनको भी इस योजना का लाभ मिलेगा।
क्या कॉरपोरेट को भी मिलेगा लाभ?
नहीं। ब्याज पर ब्याज के भुगतान वाली स्कीम का लाभ केवल इंडिविजुअल और एमएसएमई लोन को मिलेगा।
कौन उठाएगा ब्याज पर ब्याज के भुगतान का बोझ?
ब्याज पर ब्याज के भुगतान का बोझ केंद्र सरकार उठाएगी। इससे सरकार पर करीब 6500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
कैसे मिलेगा लाभ?
चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर का जो बोझ उपभोक्ता पर पड़ेगा, बैंक वह राशि उपभोक्ता के खाते में जमा करेंगे।
बैंकों को ब्याज का भुगतान कैसे मिलेगा?
ब्याज के अंतर को उपभोक्ता के खाते में जमा करने के बाद बैंक इस राशि के लिए केंद्र सरकार के पास दावा करेंगे।
कब से मिलेगा इस स्कीम का लाभ?
इस मामले में अब 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसी दिन इस स्कीम के लागू होने को लेकर अंतिम फैसला होगा।
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कहीं आपके पास तो नहीं है Samsung का यह फोन? अचानक टूट रहा है इसका कैमरा ग्लास, कोर्ट पहुंचा मामला Divya Sandesh
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कहीं आपके पास तो नहीं है Samsung का यह फोन? अचानक टूट रहा है इसका कैमरा ग्लास, कोर्ट पहुंचा मामला
कैमरा ग्लास टूटने से जुड़े एक मामले ने दिग्गज टेक कंपनी Samsung को कठघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल, सैमसंग पर आरोप हैं कि उसने सभी Galaxy S20 मॉडल्स (जिसमें Ultra और FE मॉडल्स भी शामिल हैं) के कैमरे में खराब ग्लास का इस्तेमाल किया, जो अचानक टूट जाता है।
एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों यूजर्स ने Samsung पर डिफेक्टेड कैमरा ग्लास के साथ फोन बेचने का आरोप लगाया है। कंपनी ने पिछले साल फरवरी में Galaxy S20, Galaxy S20 Plus और Galaxy S20 Ultra को लॉन्च किया, उसके बाद इसमें Fan Edition को जोड़ा था।
गौर करने वाली बात यह है कि अब यह मामला कोर्ट पहुंच चुका है। मुकदमे में कहा गया है कि Galaxy S20 के लिए महंगे दाम वसूलने के बावजूद सैमसंग ने इस खामी को वारंटी के तहत कवर करने से इनकार कर दिया।
कंपनी ने कंज्यूमर-प्रोटेक्शन बिल का उल्लंघन कियारिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मुकदमा 27 अप्रैल को दायर किया गया था और इसमें सैमसंग पर खराब ग्लास वाले गैलेक्सी S20 फोन बेचकर कई उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी, वारंटी भंग करने और कई कंज्यूमर-प्रोटेक्शन कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। उपयोगकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि सैमसंग ने वारंटी के तहत समस्या को कवर करने से इनकार कर दिया, भले ही इसके कर्मचारियों को इस दोष के बारे में जानकारी थी। जिन ग्राहकों को यह समस्या हुई है वे अधिकतर अमेरिका के रहने वाले हैं।
ग्लास टूटने पर ‘बुलेट होल’ पैटर्न बन जाता हैरिपोर्ट की मानें, तो सैमसंग के Galaxy S20 स्मार्टफोन के रियर कैमरे का ग्लास बिना किसी बाहरी दवाब और साधारण इस्तेमाल पर ही टूट जाता है। स्मार्टफोन को बैक कवर में सुरक्षित रखे जाने के बावजूद ऐसा कई ग्राहकों के साथ हो चुका है। कैमरा के ग्लास टूटने के बाद इसपर ‘बुलेट होल’ पैटर्न (गोली का निशान) बन जाता है। मुकदमे में कहा गया है कि ग्राहकों को फोन ठीक कराने के लिए $400 और जिन्होंने सैमसंग केयर बीमा लिया हुआ है उन्हें $100 खर्च करने पड़ रहे हैं।
खरीदारों के पक्ष में जा सकता है मामलायदि मुकदमा आगे बढ़ता है और निर्��य खरीदारों के पक्ष में जाता है तो इन सभी उपयोगकर्ताओं को मुआवजा मिल सकता है। मुआवजा मूल्य के नुकसान और आगे के नुकसान दोनों को कवर कर सकता है। हालांकि, उपयोगकर्ताओं को भारी भुगतान की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इन मामलों में दावों को आमतौर पर वकील की लागत और दावेदारों की संख्या से लचीला किया जाता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि दावेदारों को रिपेयर को कवर करने जितना मुआवजा मिल जाए।
एपल को पछाड़ कर सबसे बड़ी कंपनी बनी सैमसंग यदि सही है, तो यह दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियों में से एक बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना कदम है, लेकिन इसने सैमसंग को अधिक फोन बेचने से नहीं रोका। वास्तव में, सैमसंग ने दुनिया के सबसे बड़े स्मार्टफोन निर्माता के रूप में एपल से ताज वापस ले लिया है।
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जानिए कैसे रियल एस्टेट एक्ट ने बदल दी कारपेट एरिया की परिभाषा
रियल एस्टेट एक्ट में डिवेलपर्स के लिेए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि जो भी फ्लैट वह बेचेंगे, उसका उन्हें कारपेट एरिया बताना होगा। आज हम आपको कारपेट एरिया की परिभाषा और कैसे यह घर ग्राहकों और प्रॉपर्टी की कीमतों को प्रभावित करेगा, इसके बारे में बताएंगे।
प्रॉपर्टी का एरिया तीन तरीकों से कैलकुलेट किया जाता है-कारपेट एरिया, बिल्ड-अप एरिया और सुपर बिल्ड-अप एरिया। इसलिए जब भी बात प्रॉपर्टी खरीदने की आती है तो आप क्या चुकाएंगे और आपको क्या मिलेगा, इसके बीच काफी फर्क होता है। इसलिेए हैरानी की बात नहीं कि बिल्डरों के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में ज्यादातर मामले धोखाधड़ी और फ्लैट के साइज के हैं। रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डिवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) के प्रावधानों के मुताबिक यह अब डिवेलपर की ड्यूटी है कि वह घर खरीददारों को कारपेट एरिया के बारे में बताएं और कीमतें भी उसके आधार पर तय करें, सुपर-बिल्ड-अप एरिया पर नहीं।
(महाराष्ट्र RERA के चेयरमैन गौतम चटर्जी ने कहा, अब यह सभी बिल्डर्स के लिेए अनिवार्य है कि वे अपार्टमेंट का साइज कारपेट एरिया (चार दीवारों के बीच का एरिया) के आधार पर बताएं। इस्तेमाल होने वाले इल एरिया में टॉयलेट एवं किचन भी शामिल होंगे। इससे पारदर्शिता आएगी, जो पहले नहीं थी।)
RERA के तहत कारपेट एरिया: इसमें क्या-क्या आएगा?
कारपेट एरिया या नेट यूजेबल एरिया वह स्पेस होता है, जिसमें कारपेट फैलाया जा सकता है। बिल्ड-अप एरिया में कारपेट एरिया के अला��ा प्राधिकारियों द्वारा मंजूर किए गए बाकी एरिया जैसे बाहरी व अंदरूनी दीवारें, बालकनी इत्यादि आते हैं। वहीं सुपर-बिल्ड-अप एरिया में कारपेट एरिया, बिल्ड-अप एरिया और बैलेंस एरिया जैसे सीढ़ियां, लॉबी, गैलरी आते हैं, जिसे पूरी बिल्डिंग इस्तेमाल करती है।
(RERA के मुताबिक कारपेट एरिया किसी अपार्टमेंट का इस्तेमाल होने वाला एरिया होता है, जिसमें बाहरी दीवारों का एरिया, सर्विस शाफ्ट, बालकनी और वरांडा एरिया शामिल नहीं होते। फ्लैट के अंदर की दीवारों का एरिया इसका हिस्सा होता है।)
आसान भाषा में कहें तो :- आरआईसीएस के साउथ एरिया के हेड दिग्बिजॉय भौमिक के मुताबिक एक अपार्टमेंट की बाहरी दीवारों के अंदर कुछ भी, लेकिन बालकनी, बरामदा या खुले छत और शाफ्ट को छोड़कर वह कारपेट एरिया है। उन्होंने कहा, बालकनी एरिया भी इसमें शामिल नहीं होगा, चाहे वह सिर्फ फ्लैट के लिए ही क्यों न हो। लिफ्ट लॉबी, सीढ़ियां या घर के अंदर आने से पहले वाला एरिया भी इसमें शामिल नहीं होगा। इसके अलावा किचन या शौचालय से हवा को बाहर फेंकने वाला कॉमन या एक्सक्लूसिव शाफ्ट भी इसका हिस्सा नहीं है। लेकिन वॉक-इन वॉडरॉब इसमें शामिल होगा।
अजमेरा रियलिटी के डायरेक्टर धवल अजमेरा ने कहा, कई प्रोमोटर कारपेट एरिया के बारे में जानकारी देने के बजाय बिल्ड-अप एरिया के बारे में बताते हैं, जो बिल्ड-अप एरिया से कम होता है। अब ग्राहकों के लिए एक स्पष्ट परिभाषा है, वह भी फ्लैट के असली माप के साथ।
क्यों जरुरी है कारपेट एरिया के बारे में जानना :-
शेलट्रैक्स के सीईओ संदीप सिंह ने कहा, अब ग्राहकों को अपने फ्लैट का सही माप पता चलेगा, जिसकी वह बिल्डर से मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। अब उन्हें यह भी मालूम होगा कि फ्लैट का कौन सा हिस्सा कारपेट एरिया में और कौन सा वरांडा या छत में शामिल है। इसके अलावा अपने प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग करने में डिवेलपर्स को ज्यादा सख्त होना होगा, ताकि कारपेट एरिया की योजनाओं को सही तरीके से पेश किया जा सके।
1. पहले बिल्डर बालकनी, छत, वरांडा और खाली जगह को भी कारपेट स्पेस बता देते थे। यह चलन अब खत्म हो जाएगा।
2. कुछ मामलों में कॉर्नर या अन्य अपार्टमेंट्स कुछ लाभदायक या नुकसानदायक जगहों पर बने होते हैं। उन्हें कम या फिर ज्यादा कारपेट स्पेस मिलता है। जो लाभदायक जगह वाले अपार्टमेंट्स होते हैं, उनका कारपेट एरिया भी ज्यादा होता है और कीमत भी। जो अपार्टमेंट्स कुछ कारपेट एरिया खो देते हैं, वे कभी डिस्काउंट में नहीं दिए जाते, क्योंकि ‘गायब’ कारपेट एरिया सुपर-बिल्ड-अप एरिया ढक दिया जाता था।
3. अच्छा डिजाइन और कुशलता अब अहम होगी। पहले एक बेकार डिजाइन, जिसमें काफी कॉमन एरिया स्पेस इस्तेमाल हो��ा था, उसकी भी अच्छे डिजाइन जितनी कीमत होती थी। क्योंकि दोनों का बिल्ड-अप एरिया बराबर होता था और कापरेट एरिया अलग।
घर खरीददार निधि शर्मा ने कहा कि संपत्ति दर प्रति वर्ग फुट, निश्चित तौर पर ऊपर जाएगा, क्योंकि कुल मूल्य कम विभाजक (कारपेट एरिया, सुपर बिल्ड-अप एरिया के खिलाफ) से भाग किया जाएगा। फिर भी यह जरूर पता चल जाएगा कि हमें क्या मिलेगा। अब हमें 700 स्क्वेयर फुट के नाम पर 500 स्क्वेयर फुट अपार्टमेंट नहीं मिलेगा।
कारपेट एरिया की जानकारी ग्राहकों को कैसे फायदा पहुंचाएगी?
इसप्रवा के संस्थापक और सीईओ निभ्रंत शाह ने कहा कि प्रोजेक्ट साइट, लेआउट और प्लॉट के बारे में सटीक सूचना ग्राहक को सही फैसला लेने में मदद करेगी। ग्राहकों के लिए भी प्रॉपर्टी पर टैक्स देयता और अधिकारों को समझना आसान हो जाएगा। सुमेर ग्रुप के सीईओ राहुल शाह ने कहा, RERA की गाइडलाइंस के मुताबिक, बिल्डर को सटीक कारपेट एरिया की जानकारी देनी होगी, ताकि ग्राहकों को यह पता चल सके कि वह किसके लिए भुगतान कर रहे हैं। लेकिन कानून के तहत बिल्डरों को कारपेट एरिया के आधार पर फ्लैट बेचना अनिवार्य नहीं है। साईं एस्टेट कंसलटेंट्स के डायरेक्टर अमित वाधवानी ने कहा कि जागरूकता फैलाने के लिए कई कदम उठाए जाने बाकी हैं। उन्होंने कहा, सूचना फैलाने के लिए बैंकर्स, इन्वेस्टर्स, डिवेलपर्स और ब्रोकर्स को RERA पर अमल शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदलती परिभाषा को न सिर्फ अमल में लाना चाहिए बल्कि रियल एस्टेट बिरादरी को जमीनी स्तर पर काम भी करना चाहिए, ताकि पारदर्शिता आए और ग्राहकों को फायदा पहुंचे।
This article was originally published in English.housing.com
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नकली माल के सख्त कानून के चलते अब बेवक़ूफ़ नहीं बनेंगे खरीदार
नई दिल्ली। बाज़ारों में कालाबाजारी का माहौल तेज़ हैं। आज के समय में जहा हर व्यक्ति रोजगार कि तलाश में दर-दर भटक रहा हैं। ऐसे में वस्तुओं कि खरीदारी को लेकर सरकार ने एक बड़ा फैसला दे दिया है जनता के हित में, आपको बता दें इसी बीच भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण का नया कानून लागू कर दिया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 को 20 जुलाई से अधिसूचना जारी कर लागू कर दिया गया है यह कानून बेहद सख्त है और उपभोक्ता को ज्यादा ताकत देगा। जिससे ग्राहकों को कई प्रकार के लाभ भी मिलेंगे।
यह भी पढ़ें -सुसाइड, पत्नी के अफेयर से था परेशान
नए कानून Consumer Protection Act-2019 के तहत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह ली है। अगर सरकार के दावों की मानें तो अगले 50 साल तक ग्राहकों के लिए किसी नए कानून की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं। जो पुराने एक्ट में नहीं थे।
आइये जाने क्या हैं नए कानून की विशेषताएं
लोगो के बीच नए कानून के आने के बाद उपभोक्ता विवादों का समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा। नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) बनाया गया है। आपको बता दें कि नए कानून के मुताबिक नकली या जाली या मिलावटी सामान बेचने पर अब दुकानदार को छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और साथ ही उपभोक्ता को 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है। सामान्य मामले में उपभोक्ता को 1 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है।
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ध्यान दें अगर बेचे गए उत्पाद से उपभोक्ता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान होता है तो विक्रेता को सात साल की जेल और उपभोक्ता को 5 लाख रुपये तक मुआवजा मिल सकता है। यही नहीं अगर ऐसे सामान की वजह से उपभोक्ता की मौत हुई तो उसके परिजनों को 10 लाख रुपये तक मुआवजा मिल सकता है और विक्रेता को आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है। नए कानून में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी कार्रवाई की जाएगी। नए कानून में ऑनलाइन और टे��ीशॉपिंग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है। खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान इसमें है।
इसके अलावा एक कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन किया जाएगा जिसमें दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे। आपको बता दें कि PIL या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी। जिससे पहले के कानून में ऐसा नहीं था। कंज्यूमर फोरम में अब एक करोड़ रुपये तक के केस दाखिल हो पाएंगे। साथ ही स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये तक के केस की सुनवाई होगी। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर के केस की सुनवाई होगी।
उपभोक्ता कही भी मामला दर्ज करा सकते है
नए कानून में उपभोक्ता देश के किसी भी कंज्यूमर कोर्ट में मामला दर्ज करा सकेगा, भले ही उसने सामान कहीं और से ही क्यों न लिया हो| इसी तरह, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ग्राहकों की परेशानी सुनेगा. उदाहरण के लिए आपसे कोई दुकानदार अधिक मूल्य वसूलता है, आपके साथ अनुचित बर्ताव करता है या फिर दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री करता है. ऐसे हर मामले की सुनवाई करेगा|
गलत विज्ञापनों दिखाए जाने पर सख्ती
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में भ्रमित करने वाले विज्ञापनों और इसे करने वाले सेलेब्रिटी पर भी सरकार ने नकेल कसी है। भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को धारा 2(28) में रखा गया है। भ्रमित करने वाले विज्ञापन पर धारा 21 के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) कंपनी पर दस लाख तक का जुर्माना लगा सकता है। गंभीर मामलों में धारा 89 के तहत ये जुर्माना 50 लाख हो सकता है और पांच साल की जेल संभव है। बीते दिनों उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि इसके लागू हो जाने के बाद ग्राहकों के लिए अगले 50 सालों तक कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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हर्बल तेल का ऐड करने पर गोविंदा-जैकी श्रॉफ पर जुर्माना, पीड़ित का आरोप था- 15 दिन में दर्द नहीं गया
हर्बल तेल का ऐड करने पर गोविंदा-जैकी श्रॉफ पर जुर्माना, पीड़ित का आरोप था- 15 दिन में दर्द नहीं गया
बॉलीवुड डेस्क. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक कंज्यूमर कोर्ट ने गोविंदा और जैकी श्रॉफ पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों पर आरोप था कि इन्होंने एक दर्द निवारक तेल का प्रचार किया था, जिसका दावा था कि वह 15 में आराम देगा। हालांकि यह मामला 2013-14 मेंदर्ज हुआ था, जिसका फैसला अब आया है। इन दोनों के अलावा तेल बनाने वाली कंपनी पर भी जुर्माना लगाया गया है।
15 दिनों में पैसे वापसी का था…
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