#उत्तर प्रदेश में हत्या
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उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक महिला ने प्रेमी की मां को मार डाला
उत्तर प्रदेश के मेरठ में अवैध प्रेम संबंध का विरोध करने पर एक महिला ने प्रेमी की मां की कथित तौर पर चाकू से गोदकर हत्या कर दी। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार आरोपी महिला सोनी चार बच्चों की मां है और अपने पति से अलग रह रही है। उसने बताया कि मृतक महिला की पहचान दीपाली के रूप में हुई है। पुलिस अधीक्षक (नगर) आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि शुक्रवार देर शाम मेडिकल थाना की पुलिस को एक…
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पंचकूला में दिल दहला देने वाली घटना: युवक की चाकू मारकर हत्या, पुलिस ने शुरू की जांच
पंचकूला में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना पंचकूला के सेक्टर 27 के सामने घग्गर नदी के किनारे हुई। पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान बिंदर के रूप में हुई है, जो बरवाला का रहने वाला है और मूल रूप से उत्तर प्रदेश का निवासी है। पुलिस के अनुसार, घटना की रात बिंदर और आरोपी युवक शराब पी रहे थे, जिसके ब��द दोनों में बहस हुई। आरोपी युवक ने गुस्से…
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पति की हत्या में पत्नी और गोद लिए बेटे का चौंकाने वाला खुलासा: उत्तर प्रदेश के इटावा का मामला
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उत्तर प्रदेश में मतदान के बीच दलित लड़की की रेप के बाद हत्या, बोरे में मिला शव; जानें परिजन क्या बोले
उत्तर प्रदेश में मतदान के बीच दलित लड़की की रेप के बाद हत्या, बोरे में मिला शव; जानें परिजन क्या बोले #BreakingNews #news #Samachar #RightNews #RightNewsIndia
Uttar Pradesh News: यूपी उपचुनाव के लिए वोटिंग चल रही है। इसी बीच करहल में वोटिंग के बीच दलित लड़की की हत्या की खबर आई। लड़की की हत्या का आरोप समाजवादी पार्टी के नेता पर लगा है। करहल में दलित लड़की की हत्या पर बीजेपी नेता ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। बीजेपी के करहल प्रत्याशी अनुज प्रताप ने दलित लड़की की हत्या का आरोप सपा पर लगाया है। उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया है कि गुंडागर्दी और मानवता को…
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छत्तीसगढ़ समेत 4 राज्यों में लूट करने वाला फहीम यूपी में गिरफ्तार
लखनऊ, 2 नवंबर 2024। छत्तीसगढ़ समेत 4 राज्यों में लूट की वारदात करने वाला गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद जिले की पुलिस ने पकड़ा है। लुटेरे का नाम फहीम एटीम है। पुलिस ने उसके ऊपर ढाई लाख रुपये का ईनाम घोषित कर रखा था। फहीम एटीएम मूल रुप ये मुरादाबाद के कांठ इलाके का रहने वाला है। वह लूट, हत्या और डकैती जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त रहा है। 29 मई 2023 को सीतापुर जेल से…
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विश्व भारती विश्वविद्यालय में छात्रा की मौत, हॉस्टल में पहुंची पुलिस, विद्यार्थियों ने किया विरोध
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर की हत्या का मामला अभी थमा नहीं है। अब राज्य के बोलपुर के विश्व भारती विवि में उत्तर प्रदेश की एक छात्रा की संदिग्ध मौत हाे गई। पुलिस जब जांच के लिए छात्रावास में पहुंची तो अन्य छात्राओं ने जमकर विरोध किया। विवि के अधिकारी ने बताया कि विवि के इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड क्राफ्ट तीसरे वर्ष की छात्रा 24 वर्षीय अनामिका सिंह ने गुरुवार रात को अपने छात्रावास के कमरे में…
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"जात देख कर की गई हत्या", अखिलेश का यूपी सरकार पर आरोप
सुलतानपुर में हाल ही में हुए एनकाउंटर को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से गर्मी बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अखिलेश ने कहा कि राज्य में पुलिस द्वारा एनकाउंटर जाति देख कर किए जा रहे हैं, और इसका मुख्य उद्देश्य विशेष समुदाय को निशाना बनाना है। उन्होंने इसे सामाजिक…
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी : कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है
यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भाद्रपद महीने के आठवें दिन पड़ता है। इसे गोकुल अष्टमी भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि , भगवान कृष्ण का जन्म वर्तमान समय के मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका जन्म एक कालकोठरी में और कृष्ण पक्ष की अंधियारी आधी रात को हुआ था ।
मान्यताओं के अनुसार, कंस मथुरा का शासक था। उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव जी को कारागार में डालकर रखा था क्योंकि उसे यह श्राप मिला था कि देवकी की कोख से उत्पन्न होने वाली आठवीं सन्तान एक पुत्र रूप में होगी जो कंस का वध करेगी। अतः आठवें पुत्र के इंतजार में उसने जेल में ही उत्पन्न देवकी के सात सन्तानों की हत्या कर दी थी। दैवीय लीला से जब आठवें पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो योगमाया ने वहां उपस्थित सभी पहरेदारों को गहन निद्रा में डाल दिया और वासुदेव जी को निर्देश दिया कि अभी ही वह कारागार से बाहर निकल कर पुत्र को यमुना जी के रास्ते से ले जाकर गोकुल पहुंचा दें।
वासुदेव व देवकी को सारी बात समझ में आ चुकी थी कि यही प्रभु अवतरण हैं जिनके हाथों कंस का वध होगा। वैसा ही सब कुछ हुआ। समय आने पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हाथों कंस का अंत हुआ।
इसी कारण इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है और देश भर में इस दिवस को उत्सव की भांति मनाया जाता है।
मथुरा और वृन्दावन में कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी से 10 दिन पहले रासलीला, भजन, कीर्तन और प्रवचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ शुरू होता है यह उत्सव । रासलीलाएं कृष्ण और राधा के जीवन और प्रेम कहानियों के साथ-साथ उनकी अन्य गोपियों की नाटकीय रूपांतर पेश किए जाते हैं। पेशेवर कलाकार और स्थानीय उपासक दोनों ही मथुरा और वृन्दावन में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहां माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
पंचांमृत अभिषेक
अभिषेक के नाम से जाना जाने वाला एक विशिष्ट अनुष्ठान आधी रात को ह��ता है, जो कृष्ण के जन्म का सटीक क्षण माना जाता है। इस दौरान कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है। इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग (जिन्हें छप्पन भोग के नाम से जाना जाता है) अर्पित करते हैं। उनके लड्डू गोपाल स्वरूप को जन्म के बाद झूला झुलाते हैं और जन्म के गीत गाये जाते हैं।
नंदोत्सव
जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला नंदोत्सव एक खास कार्यक्रम है। कहते हैं कि जब कृष्ण के पालक पिता, नंद बाबा ने उनके जन्म की खुशी में गोकुल (कृष्ण का गाँव) में सभी को उपहार और मिठाइयां दीं। इस दिन, भक्त प्रार्थना करने और जरूरतमंदों को दान देने के लिए नंद बाबा के जन्मस्थान नंदगांव की यात्रा करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के समारोहों और खेलों में भाग लेते हैं जो कृष्ण के चंचल स्वभाव का सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
दही हांडी पर्व का महत्व
दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग धूम देखने को मिलती है। इस दौरान गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की कोशिश करती है ।
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है । भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्श���ने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है।
दही हांडी कार्यक्रम
दही हांडी कार्यक्रम, जो कृष्ण की मां यशोदा द्वारा ऊंचे रखे गए मिट्टी के बर्तनों से मक्खन चुराने की बचपन की शरारत से प्रेरित एक कार्यक्रम है। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी समारोह का एक और मुख्य आकर्षण है। इस कार्यक्रम में युवा, पुरुषों के समूह ऊंचाई से लटके हुए एक बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसमें दही या मक्खन होता है। यह अवसर वफादारी, बहादुरी और टीम वर्क को दर्शाता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक भी शामिल होते हैं, जो तालियां बजाते हैं और इस दृश्य का आनंद लेते हैं।
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही और मक्खन घर से चोरी करते थे और उसके साथ ही गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे । यही कारण है क�� गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था लेकिन कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे । भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं का स्मरण करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी ।
प्रभु की लीला कभी व्यर्थ नहीं होती है। उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
ऐसा मानते हैं कि पैसों के लिए गोपियाँ अपने घर के सारे दूध , दही और माखन मथुरा में जाकर कंस की राजधानी में बेच आतीं थीं। वे सब बलवान हो जाते थे जबकि ग्वाल बाल सीमित रूप में इसे प्राप्त कर पाते थे। तब प्रभु की बाल लीला ने माखन चोरी करने का निर्णय किया था ताकि ये सभी हृष्ट पुष्ट रहें और मथुरा तक ये न पहुंच सके।
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उत्तर प्रदेश में अपराधी जब चाहें, जहाँ चाहें गोली मारकर चले जाते हैं।
बीते दिन रायबरेली जनपद के पिछावरिया गाँव में अर्जुन पासी की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई। @Uppolice अभी भी इस घटना में उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
भीम आर्मी की मांग है कि अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए। साथ ही पीड़ित परिवार को सहयोग राशि एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी सुनिश्चित की जाए।
भीम आर्मी पीड़ित के न्याय की लड़ाई में उनके साथ खड़ी रहेगी।
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3 दिन पहले खरीदा चाकू, पहने काले कपड़े और नकाब… बीच सड़क पर प्रेमी की मां की गर्लफ्रेंड ने कर दी हत्या
उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रेम संबंधों का विरोध करने पर प्रेमिका ने प्रेमी की मां की चाकू से गोदकर हत्या कर दी. सरेराह महिला की हत्या से इलाके में दहशत फैल गई. पुलिस ने मौके से आरोपी प्रेमिका को गिरफ्तार किया है. हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद हुआ है. दोनों घरों में साफ-सफाई का काम करती थीं और उनके बीच पहले से विवाद चला रहा था. घटना मेरठ के मेडिकल थाना क्षेत्र के मंगल पांडेय नगर स्थित…
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Amethi में एक ही परिवार के चार लोगों की गोली मारकर हत्या ,CM योगी ने दिए ये आदेश
उत्तर प्रदेश के अमेठी(Amethi ) जिले में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें एक सरकारी शिक्षक सुनील कुमार, उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना शिवरतनगंज थाना क्षेत्र के भवानी नगर चौराहे पर हुई। पुलिस जांच कर रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। घर के कई राउंड फायरिंग अमेठी में हुई इस भयानक घटना में सुनील कुमार और उनके…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart63 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart64
आठवां अध्याय"
"तीर्थ तथा धाम क्या हैं?"
प्रश्न 45 तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताएँ।
उत्तर :- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें: पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण: जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान ��र श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान, धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में लिखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने 'बांधवगढ़' नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि. मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास ! आप गीता शास्त्र को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु ! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है।
परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 को पढ़। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों - अरबों - खरबों।
यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा ! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
• परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समा��ान इस प्रकार कियाः- > कहा कि हे धर्मदास ! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चौंका गॉरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया तथा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चौका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का ? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण स्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरु कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया। • धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास ! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
उनमें से एक यह भी थी कि :-
वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना"
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर की प्रधान के देवर की हत्या, पूरे गांव में भारी फोर्स तैनात
Kanpur Murder Case: उत्तर प्रदेश के कानपुर में दीवाली से एक दिन पहले खौफनाक घटना सामने आई है। बुधवार देर शाम पानी भरने आए ग्राम प्रधान के चचेरे देवर को गांव के ही एक युवक ने कुल्हाड़ी से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान एक ग्रामीण बीच बचाव करने पहुंचा, तो ���रोपी ने उसपर भी कुल्हाड़ी से हमला दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया। हत्या की सूचना पर पहुंची पुलिस और…
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प्रतापगढ़ में खेत में बेहोश मिली नाबालिग, गले में फंदा और नाक से बह रहा था खून
प्रतापगढ़, 7 अक्टूबर 2024। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के लीलापुर थाना क्षेत्र में एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की संदिग्ध परिस्थितियों में खेतों में बेहोशी की हालत में मिली। लड़की के गले में दुपट्टे से फंदा कसा हुआ था और उसकी नाक से खून बह रहा था। प्राथमिक जांच में माना जा रहा है कि दबंगों ��्वारा उसका अपहरण कर हत्या की कोशिश की गई। घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों ने तुरंत लड़की को जिला अस्पताल में…
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आठवां अध्याय"
"तीर्थ तथा धाम क्या हैं?"
प्रश्न 45 तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताएँ।
उत्तर :- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें: पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण: जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान पर श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान, धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में लिखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने 'बांधवगढ़' नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि. मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास ! आप गीता शास्त्र को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु ! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है।
परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्��ोक 23 को पढ़। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों - अरबों - खरबों।
यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा ! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
• परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समाधान इस प्रकार कियाः- > कहा कि हे धर्मदास ! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चौंका गॉरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया तथा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चौका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का ? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण स्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरु कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया। • धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास ! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
उनमें से एक यह भी थी कि :-
वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना"
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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आखिर अतीक-अशरफ तक कैसे पहुंचे थे हत्यारे, जांच आयोग ने मीडिया को क्यों लताड़ा?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2023 में 15 अप्रैल को माफिया और उसके भाई अशरफ को भारी पुलिसकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी हत्या कर दी गई थी। दोनों को कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय मारा गया था। तीन हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे और ताबड़तोड़ फायरिंग करके हत्या कर दी थी। मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था। गुरुवार को यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि इस हत्या में राज्य और पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं थी। यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। हालांकि, आयोग की रिपोर्ट में मीडिया पर सवाल जरूर उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती और बरेली जेल से अशरफ को लाने के दौरान पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। पुलिस रिमांड के दौरान भी दोनों की सुरक्षा में 21 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि मीडिया ने अतीक और अशरफ की बाइट लेने के लिए आत्मसंयम का परिचय नहीं दिया। इसी का फायदा उठाते हुए अतीक और अशरफ ने मीडिया को खूब उकसाया भी। अतीक को गुजरात से और अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाने तक मीडिया हर जगह पर मौजूद रही और लगातार लाइव कवरेज करती रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि 15 अप्रैल को जब अतीक और अशरफ को मेडिकल जांच के लिए ले जाया जा रहा था, तो मीडिया ने अतीक और अशरफ से नजदीकी तौर पर संपर्क किया। अतीक और अशरफ गेट नंबर 2 से आपातकालीन कक्ष की ओर जा रहे थे, तभी मीडिया माइक और कैमरे उनके चेहरे के सामने आ गए। अचानक से फ्लैश लाइट पड़ने के कारण सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को व्यावहारिक रूप से अंधा कर दिया था। दोनों से मीडिया कर्मियों को दूर रखने में पुलिस असर्थ हो गई थी। तीनों हमलावर मीडिया कर्मी बताकर उन सभी के बीच में आ गए और दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का लाइव टेलीकास्ट हुआ था। http://dlvr.it/TBMPWs
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