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Pakistani Doctor Indicted on Terrorism Charge in US After Pledging Allegiance to Islamic State
Pakistani Doctor Indicted on Terrorism Charge in US After Pledging Allegiance to Islamic State
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(फोटो प्रतिनिधित्व के लिए प्रयुक्त)
28 साल के मुहम्मद मसूद ने संयुक्त राज्य में “लोन वुल्फ” आतंकवादी हमलों का संचालन करने की इच्छा व्यक्त की।
PTI वाशिंगटन
आखरी अपडेट: 16 मई, 2020, 10:33 AM IST
एक पाकिस्तानी डॉक्टर को एक संघीय अमेरिकी भव्य जूरी द्वारा इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी समूह के प्रति निष्ठा और अमेरिका में “लोन वुल्फ” आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की इच्छा व्यक्त की गई है।
अभिय…
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बसंत पंचमी स्नान पर्व पर इस तरह रहेगी पुलिस व्यवस्था
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बसंत पंचमी स्नान पर्व पर इस तरह रहेगी पुलिस व्यवस्था
स्नान पर्व की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हेतु संपूर्ण मेला क्षेत्र को 09 जोन एवम 25 सेक्टरों (01 जीआरपी तथा 01 यातायात के सेक्टर सहित) में बांटकर पुलिस बल की ड्यूटी लगाई जा चुकी है।
प्रत्येक जोन में प्रभारी अधिकारी के रूप में अपर पुलिस अधीक्षक और सेक्टरों में पुलिस उपाधीक्षक को नियुक्त किया गया है।
जोन का विवरण:-
प्रथम जोन – हर की पैड़ी सेक्टर: हर की पैड़ी, हरिद्वार, मंशा देवी
द्वितीय जोन – गौरीशंकर सेक्टर: नील धारा, गौरीशंकर
तृतीय जोन – भूपतवाला सेक्टर: भीमगोडा, भूपतवाला, रायवाला, सप्तसरोवर
चतुर्थ जोन – पंतद्वीप सेक्टर : पंतद्वीप, लालजी वाला, रोड़ी, बेलवाला
पंचम जोन – कनखल सेक्टर : कनखल, बैरागी, दक्ष द्वीप
षष्ठम जोन – ज्वालापुर क्षेत्र सेक्टर : ज्वालापुर, रानीपुर, मायापुर
सप्तम जॉन – ऋषिकेश सेक्टर : ऋषिकेश, लक्ष्��ण झूला, मुनि की रेती, नीलकंठ
अष्ठम जोन – यातायात सेक्टर : सम्पूर्ण मेला क्षेत्र हाई वे
नवम जॉन – जीआरपी सैक्स्टर : जीआरपी
जल पुलिस स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं के गंगा में पैर फिसल कर बहने और डूबकर मृत्यु होने की घटनाओं पर अंकुश लगाए जाने हेतु जल पुलिस, SDRF और आपदा राहत दल की सम्मिलित ड्यूटी सभी आवश्यक उपकरणों और बोट सहित 06 संवेदनशील स्थानों पर लगाई गई है:-
हर की पैड़ी
भूमा निकेतन
प्रेमनगर आश्रम
जटवाड़ा पुल
नमामि गंगे घाट चंडी घाट
ऋषिकेश के मुख्य घाटों
बम निरोधक दस्ता वर्तमान समय मे आतंकवादी घटनाओं के दृष्टिगत बम निरोधक दस्ते की 07 टीमों की ड्यूटी मेला क्षेत्र में लगाई गई है। उक्त टीमें किसी भी बम को निष्क्रिय करने के आधुनिक उपकरणों से लैस रहेंगी।
घुड़सवार पुलिस मेला क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये घुड़सवार पुलिस की 02 श���फ्टों में 2-2 घोड़ों सहित 09 स्थानों पर तैनाती रहेगी।
अग्निशमन सेवा मेले के दौरान अग्निकांड से सुरक्षा के लिये अग्निशमन पुलिस की 15 टीमें हरिद्वार में और 05 टीमें ऋषिकेश क्षेत्र में संवेदनशील स्थानों पर समस्त अग्निशामक उपकरणों/वाहनों सहित 24 घण्टे पारी वार नियुक्त रहेंगी।
चैकिंग-फ्रिस्किंग एवं अभिसूचना संकलन मेला क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की विध्वंसक वस्तु अथवा अवैध अस्त्र-शस्त्र न ला सके इसके लिये विभिन्न स्थानों में अभिसूचना इकाई की 12 अलग-अलग टीमें हैंड हेल्ड मैटल डिटेक्टर और डोर फ्रेम मैटल डिटेक्टर सहित दिन-रात चैकिंग-फ्रिस्किंग और अभिसूचना संकलन का कार्य करती रहेंगी।
खोया-पाया सेल स्नान पर्व की भीड़ में अपने परिजनों से बिछुड़ कर गुम हो जाने वाले लोगों की खोजबीन के लिये 03 स्थानों 1. गंगा सभा प्रसारण केंद्र, 2. नगर नियंत्रण कक्ष, 3. रेलवे स्टेशन हरिद्वार पर खोया-पाया केंद्रों की व्यवस्था की गई है।
थर्मल स्क्रीनिंग और सैम्पलिंग टीम की सहयोगी टीम मेला क्षेत्र में कोविड संक्रमण के दृष्टिगत श्रद्धालुओं थर्मल स्क्रीनिंग और सैम्पलिंग करने वाली स्वास्थ्य विभाग की 18 टीमों के साथ सहयोग के लिए 18 पुलिसकर्मियों को भी नियुक्त किया गया है।
संचार व्यवस्था सम्पूर्ण स्नान पर्व के दौरान मेला नियंत्रण भवन में संचार पुलिस बल के लगभग 96 अधिकारी-कर्मचारी मुस्तैदी से 24 घण्टे निर्बाध रेडियो संचार व्यवस्था बनाये रखने क��� उत्तरदायित्व निभाएंगे। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को मुनि की रेती और ट्रैफिक ग्रिड सहित 05 ग्रिडों में विभाजित कर संचार व्यवस्था बनाई गई है।
सीसीटीवी कैमरा रेडियो संचार व्यवस्था के अतिरिक्त संचार पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों के नेटवर्क को संभालने का कार्य भी किया जाएगा। मेला क्षेत्र में सतर्क दृष्टि बनाये रखने के लिये वर्तमान में मैपिंग किये गए 1150 निजी/ संस्थागत कैमरों के साथ-साथ 96 पुलिस कैमरों का प्रयोग भी किया जाएगा।
16 फरवरी, 2021 को बसन्त पंचमी स्नान पर्व पर लगने वाला अन्य पुलिस बल:-
नागरिक पुलिस बल : 1690 अधिकारी-कर्मचारी
अर्धसैनिक बल/उत्तराखंड PAC कुल 17 कम्पनी, 02 प्लाटून: BSF : 03 कम्पनी, CISF : 02 कम्पनी, CRPF : 03 कम्पनी, ITBP : 02 कम्पनी SSB : 02 कम्पनी उत्तराखंड PAC: 05 कम्पनी, 02 प्लाटून
SDRF : 02 टीमें NSG: 01 टीम (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स) ATS : 02 टीम (आतंकवाद निरोधक दस्ता)
यातायात पुलिस : 153 अधिकारी-कर्मचारी।
अभिसूचना इकाई: 47 अधिकारी-कर्मचारी होमेगार्डस: 1300 अधिकारी-कर्मचारी
उक्त सभी ड्यूटियां आज ब्रीफिंग के बाद शुरू हो गई हैं।
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भारत और ब्रिटेन ने द. एशिया में सीमा पार आतंक पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर दिया जोर
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए भारत और ब्रिटेन के संयुक्त कार्य समूह की 14वीं बैठक 21-22 जनवरी को वर्चुअल माध्यम से हुई थी। इसमें दक्षिण एशिया में सीमा पार आतंकवाद सहित व्यापक रूप से आतंकवाद के वैश्विक खतरे से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत और ब्रिटेन आतंकवाद के हर प्रारूप की कड़ी निंदा करता है। कार्यसमूह की बैठक में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज्म) महावीर सिंघवी और ब्रिटेन सरकार में सुरक्षा और आतंकवाद प्रतिरोधी कार्यालय के महानिदेशक टॉम हर्ड ने विशेषज्ञों के संबंधित अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं द्वारा उत्पन्न खतरों की समीक्षा की और इससे निपटने के संबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया।
दोनों पक्षों ने आतंकवाद-रोधी क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया। इसमें कट्टरपंथ व हिंसक अतिवाद का मुकाबला करना, आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना, आतंकवाद के लिए इंटरनेट के उपयोग पर लगाम लगाना, सहयोग व सूचना साझा करना, विमानन व समुद्री सुरक्षा और क्षमता निर्माण करना शामिल है।
इस दौरान कोविड-19 महामारी के दौरान आतंकवाद का मुकाबला करने की चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र और एफएटीएफ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर भी चर्चा की।
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FATF की ‘ग्रे सूची’ में बना रहेगा पाकिस्तान, आतंकियों की फंडिग रोकने में रहा नाकाम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. (फाइल फोटो)
खास बातें
वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया
पाकिस्तान आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा
FATF ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
नई दिल्ली:
आतंकवाद को धन उपलब्ध होने पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का बुधवार को निर्णय लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि FATF के मुताबिक वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
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इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘FATF ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है.’ अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है.
इससे पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिए भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘मामूली कदम’ उठाए लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही.
उसने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए.’ आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.
VIDEO: पाकिस्तान को FATF की कड़ी चेतावनी
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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Top Current Affairs 24 June 2020 in Hindi
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Top Current Affairs 24 June 2020 in Hindi
24 June , Current Affairs 2020 in Hindi
नीति आयोग, भारत के लिए एक निम्न-कार्बन परिवहन प्रणाली के लिए मार्ग विकसित करने के लिए किस अंतर-सरकारी संगठन के सहयोग से “डीकार्बोनाइजिंग ट्रांसपोर्ट ऑफ इंडिया” नामक परियोजना शुरू करेगा? अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच
निकारागुआ गणराज्य में एल्डो चावरिया अस्पताल के पुनर्निर्माण के लिए, भारत सरकार की ओर से किस इकाई द्वा��ा 20.10 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण बढ़ाया गया है? एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया
विभिन्न फर्मों द्वारा Jioप्लेटफार्मों में हाल ही में इक्विटी बिक्री के साथ, वर्तमान में RIL अब Jioप्लेटफार्मों में कितनी हिस्सेदारी का मालिक है? 77.30%
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर विशेष यूरेशियन समूह के 32 वें आभासी संस्करण में भारतीय अधिकारियों ने प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधियों सहित भाग लिया। यहबैठक किस अंतर-सरकारी संगठन के तत्वावधान में आयोजित की गई थी? वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
सामाजिक कार्यकर्ता विद्याबेन शाह, जिनका हाल ही में निधन हो गया, उन्हें किस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किया गया? 1992
हाल ही में, किस देश ने COVID-19 संकट के मद्देनजर भारत के सबसे कमजोर लोगों का समर्थन करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत के साथ 200 मिलियन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं? फ्रांस
विजय खंडूजा को जिम्बाब्वे गणराज्य में भारत के अगले राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। वह वर्तमान में किस मंत्रालय में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं? विदेश मंत्रालय
हाल ही में अमेरिकी सीनेट ने किस भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक को नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के निदेशक के रूप में नियुक्त किया है? सेथुरमन पंचनाथन
विश्व जल सर्वेक्षण दिवस (विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस) हर साल 21 ज��न को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस 2020 का विषय क्या है? हाइड्रोग्राफी इनेबलिंग ऑटानमस टेक्नॉलजीज़
RBI के अनुसार घोटाला करने वाले पंजाब महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक के ग्राहकों के लिए नई आहरण सीमा क्या होगी? 1 लाख / महीना रुपये
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भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं? इस देश में रहने वाले तथाकथित ब्रेनवाश किये हुए लिबरल हिन्दू और तथाकथित सेक्युलर लोग, मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत की दासता के फलस्वरूप उत्पन्न कनवर्टेड और प्रोग्राम्ड मुस्लिम और इसाई, जिन्हें अपनी जड़ों का भान नहीं है, जो षड़यंत्रकारियों और देशी विदेशी दुश्मनों के हाथ की कठपुतलियां बनकर अपने ही राष्ट्र को खोखला और खंडित करने के लिए जी जान से प्रयासरत हैं। ये सभी 1000 वर्षों की दासता और पिछले 75 वर्षों की कांग्रेस और कम्युनिस्ट अलगाववादियों और भारत की संप्रभुता और विराट गौरवमयी और प्राचीन संस्कृति को समूल नष्ट करने की इच्छा रखने वाले, दोगले, गद्दार और निकृष्टतम मनुष्य रुपी पिशाच हैं। इनके लिए इनके व्यक्तिगत छुद्र स्वार्थ, शत्रुओं के द्वारा फेंकी गयी बोटियाँ और प्रलोभन सबकुछ है, यह अपना जमीर और आत्मा गिरवी रख चुके हैं उनके क़दमों में और इस महान राष्ट्र को पददलित और नष्ट करने में लगे हुए हैं। यह सभी लोग, सदा से ही इस देश और इस महान संस्कृति को नष्ट करनेवाले, इसे पददलित और कुरूप करने वाले, इस राष्ट्र और इसकी समृद्धि और श्रेष्ठता से घृणा करनेवाले और इसे लूटने और बर्बाद करने की चाह रखनेवाले सभी आंतरिक और बाहरी लूटेरों, विदेशी आक्रान्ताओं, हमलावरों, और इस राष्ट्र की अखंडता और एकता को भंग करने के नीच इरादे रखनेवाले लोगों की हाथ की कठपुतली रहे हैं। पिछले 1000 वर्षों से, आज यह सभी लोग, इसाई और इस्लामिक राष्ट्रों और आतंकवादी संगठनों के हाथों की कठपुतलियां बनकर अपनी ही मातृभूमि और इसकी परम पूजनीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मलिन और कुरूप करने में मुख्य उपकरण बने हुए हैं। इस देश का दुर्भाग्य है की इसने अवतारों, श्रेष्ठतम मानवों और देशभक्त वीरों के साथ साथ बेहद शर्मनाक और नीच ��ोगों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने लाभ के लिए अपनी मातृभूमि का सौदा लुटेरों और वहशी जानवरों के साथ किया है और आज भी कर रहे हैं। आज यह महान देश अलगाववादियों, जाति, धर्म और वोट बैंक की राजनीति करके सत्ता में बने रहने की लिप्सा में हर जघन्य अपराध करनेवाले और राष्ट्र को खोखला करनेवाले भ्रष्ट और निकृष्ट राजनीतिज्ञों और उनके दलालों और गुलामों से सबसे ज्यादा त्रस्त है। यह दीमक की तरह इस देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक मूल्यों और विरासत को नष्ट करने के भयानक षड़यंत्र में लगे हुए हैं। यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है, इस देश को बाहरी दुश्मनों से ही नहीं इन आस्तीन के साँपों और गद्दारों से सबसे ज्यादा खतरा है, सबसे पहले इनका उपचार करना और राष्ट्र को इनकी गद्दारी और दुष्टत��� के पंजे से मुक्त करना सबसे प्राथमिक कार्य है।
यह सभी लोग ईसाइयत और इस्लामिक प्रभुत्व की आकांक्षा रखने वाले लोगों के गुलाम और तलवे चाटने वाले जीव बन गये हैं और उनके नीच और दूषित उद्देश्यों और इस राष्ट्र को संकट ग्रस्त रखने और इसे तोड़ने के दुर्भाग्य पूर्ण षड़यंत्र में सहयोगी हैं, सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए। जी हां, इस्लाम, ईसाइयत और कम्युनिज्म की बुनियाद में ही यह है, ऐसा इस्लाम और ईसाइयत के प्रवर्तकों की वजह से नहीं उनके माननेवाले लोगों के पागलपन, राजनैतिक महत्वकांक्षा, सत्ता और शक्ति के उन्माद की वजह से। हजारों साल के हमारे इतिहास में हमारे राष्ट्र ने कभी भी किसी भी मुल्क पर अपनी सत्ता और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए हमला नहीं किया है, हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा ने कभी भी किसी भी कौम और संप्रदाय के लोगों को हमारी संस्कृति, और मूल्यों को अपनाने के लिए किसी भी किस्म का कोई भी प्रयास बलपूर्वक, छल पूर्वक और षड्यंत्रपूर्वक नहीं किया है, यह हमारे खून और संस्कार में नहीं रहा कभी भी। यह अलग बात है की आज असंख्य लोग विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के प्रबुद्ध निवासी भारत और भारतीय संस्कृति और इसकी आध्यात्मिक विरासत को अपनाने और इसका अनुसरण करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। तमाम विकसित राष्ट्रों में लाखों लोग सनातन परंपरा में दीक्षित होकर धर्मप्राण जीवन जीने की और अग्रसर हो रहें हैं, हमारी संस्कृति और परंपरा के उद्दात और परम मानवीय गुण सदा से पूरे विश्व में आदरणीय और अनुकरणीय रहे हैं, यह अपने प्रारंभ से लोगों के ह्रदय और आत्मा को प्रभावित करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं, आप स्वयं देख सकते हैं hindu russia world wide hindu temples सभी लोग स्वेच्छा से भारतीय आध्यात्मिक विरासत को अंगीकार करके जीवन के उच्चतम मूल्यों और रहस्यों का साक्षात्कार कर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं, प्रेम और करुणा के वशीभूत होकर, बिना किसी प्रलोभन, लालच या विवशता के, स्वेच्छा से लोग योग, ध्यान, तंत्र साधना पद्धतियों और उपासना के मार्गों पर चल रहे हैं। यह है प्रेम और श्रेष्ठता का प्रभाव, यदि आपमें कुछ भी बेहतर है तो वह लोगों के ह्रदय और आत्मा को स्वतः ही छुएगा और लोग उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे, आपको किसी पर कुछ भी आरोपित करने की जरुरत नहीं है, लेकिन यह बात इस देश के बाहर जन्म लिए सम्प्रदायों और उनके प्रभाव में जीने वाले गुलाम लोग कभी भी नहीं समझ पाए हैं और न समझ सकेंगे कभी भी। प्रेम ही जीवन का केंद्र है और सभी की आंतरिक आकांक्षा प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, स्वयं के सत्य को जानने के अलावा कुछ भी मनुष्य को समस्त दुखों और बंधनों से मुक्त नहीं कर सकता है, यही हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी खोज और देन है विश्व को, हमने सारे विश्व को जीवन जीने की कला और जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने की विधियाँ और साधन उपलब्ध कराएँ हैं। मनुष्यता के इतिहास में इतने महिमामयी आध्यात्मिक पुरुष, योगी और मुक्त पुरुष धरती पर कहीं जन्म नहीं लिए हैं, संपूर्ण विश्व में सभी धर्म और सम्प्रदायों के जनक और प्रवर्तकों ने धर्म की प्रेरणा हमारे मुक्त पुरुषों और हमारी पुन्य सलिला धरती से ग्रहण की है, जीसस अपने प्रकटीकरण और सूली लगने के उपरांत भारत में कश्मीर में ही अपना जीवन व्यतीत किये हैं मृत्यु पर्यंत, उनकी समाधी आज भी वहां मौजूद है। मुहम्मद साहब ने भी हमारे योगियों और साधकों से प्रेरणा ग्रहण की थी, उनके धर्म स्थल मक्का मदीना पर तीर्थयात्रियों द्वारा किये जाने वाले सारे संस्कार और क्रियायें हमारी संस्कृति से प्रेरित हैं, परिक्रमा से लेकर बिना सिले वस्त्र पहनने की परंपरा आदि सब यहाँ से ही लिया गया है, इस्लाम से पहले पूरा यूरोप और अरबिया प्रकृति पूजक था, स्वयं मुहम्मद एक प्रकृति पूजक परिवार से थे इस्लाम के उद्भव के पूर्व 360 मूर्तियों और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करने वाले लोगों में से थे।
दूसरों पर शासन करने और उन्हें अपना गुलाम बनाने या उनकी संस्कृति और जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की भावना, इच्छा और उद्देश्य हमारे यहाँ कभी भी नहीं रहा है। हम सदा से ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और धन, धान्य और समृद्धि से भरपूर रहें हैं, हमें कभी ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी है, यही हमारी संस्कृति और राष्ट्र की विशेषता है जो इसे विश्व में सबसे मूल्यवान और अनूठा बनाता है और दूसरों के लिए इर्ष्या और नफरत की वजह, लोग क्यूँ खुद को इतना विकसित नहीं करना चाहते? भारत को कोई कभी नहीं मिटा पाया और न कभी भी मिटा पायेगा, यह विश्व की आध्यात्मिक राजधानी थी, है और सर्वदा रहेगी , जब तक इस धरती पर जीवन है। लेकिन हमारी यही सभी खूबियां, गुणवत्ता और अतुलनीय संपत्ति और समृद्धि दुनिया के तमाम लूटेरों, ठगों, लालची और विस्तार और वैभव के आकांक्षियों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी ने इन तमाम दुर्दांत ठगों, लूटेरों, उपनिवेशवादियों और हमलावरों को इस धरती पर आक्रमण करने और इसे अपना निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया है, और हमारे ही देश के गद्दारों और नीच लोगों ने इस लूट और बर्बादी में सहयोग किया है और आज भी यही कर रहे हैं ईसाइयत और इस्लाम, यह दोनों सम्प्रदाय पूरी दुनिया में अपनी बर्बरता, क्रूरता और अमानवीय सोच और कारनामों की वजह से पनपे हैं इनका उद्देश्य अपना प्रचार और प्रसार और बाकी सब का विनाश है, जो इनकी तरह नहीं है, या इन जैसे वहशी, पागल दरिन्दे, अंधे और अज्ञानी और मूढ़ बनने को राजी नहीं हैं। इन दोनों सम्प्रदायों के लोग धार्मिक नहीं है, वे राजनैतिक महत्वकांक्षा से भरे हैं और सारी दुनिया को अपनी वहशत और दहशत के रंग में रंगना चाहते है, और काफी हद तक कामयाब भी हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस्लाम और ईसाइयत के माननेवाले अपने ही पैगंबरों के खिलाफ रहे है उनके जीवन भर, एक को सूली दे दी, और दूसरे को उम्र भर खत्म करने का षडयंत्र रचते रहे और उनकी मृत्यु के बाद उनके सारे परिवार की हत्या कर दी। इनके माननेवालों ने जब ���पने प्रवर्तकों के साथ ही ऐसा किया तो बाकी लोगों के साथ क्या कर सकते थे, इस्लाम हत्या, लूट, बलात्कार के बल पर फैला है और इसाइयों का तरीका पहले यही था अब बदल गए है अब वो दान, कुटिलता, अभावग्रस्त और उपेक्षित लोगों के शोषण और उनपर दया दिखाने के नाटक को, अपने संप्रदाय में कन्व��्जन के लिए इस्तेमाल करके लोगो को अपने संप्रदाय का हिस्सा बनाने का और लोगों को अपनी ही जड़ों से नफरत करने और उनकी सोच और दृष्टि को विकृत करने का नीच और दुष्टता भरा कार्य कर रहे है। इन दोनों संप्रदाय के मानने वालों ने पिछले 2000 वर्षों में करोड़ों निर्दोष और मासूम लोगों की हत्या की है और लोगों को बलपूर्वक अपने संप्रदाय में शामिल किया है, इन्होंने दूसरी सभ्यता और संस्कृतियों को समूल नष्ट कर दिया अपनी सत्ता और विस्तार की हवस को पूरा करने के लिए। इनका पूरा इतिहास खून खराबे, लूट, हत्या, खूनी जिहाद और बलात्कार से भरा है, सिर्फ अपनी संख्या बढ़ाने और अपने उन्माद और पागलपन से लोगों का जीवन और संस्कृति नष्ट करते हुए, यह आज भी कायम है, यह भयानक हत्यारी सोच है और बेहद घृणास्पद और अमानवीय है। दूसरों की तो छोड़िए यह अपनी ही कौम के लोगो की हत्या और बलात्कार में संलग्न है, सीरिया, यमन, इराक़, ईरान, अफ्रीका, अरब और अन्य इस्लामिक देशों में यह अपने ही कौम के लोगों की हत्या कर रहे है, पूरी धरती पर सबसे विकृत और पाशविक कौम है यह, और ऊपर से बदगुमान और झूठा प्रचार की यह शांतिप्रिय लोग हैं। यह दोनों संप्रदाय धरती को नरक बनाए हुए है, पिछले 2000 सालों से, हमारी संस्कृति को भी नष्ट करने के लिए और यहां के मूल निवासियों को आतंक, लालच, और अन्य अमानवीय तरीके से परिवर्तित करके अपने सम्प्रदायों के विस्तार में लगे हुए है, यह बेहद घृणित और शर्मनाक है, हत्या, बलात्कार, आबादी का विस्फोट, कन्वर्शन, जिहाद, आतंकवाद इनके उपकरण है इनके विस्तार और सत्ता के लिए। इसाई, मिशनरी और चर्च के माध्यम से और इस्लामी लोग अपने धार्मिक उन्माद, लव जेहाद, जनसंख्या विस्फोट, और गैर कानूनी कब्जा करके राष्ट्र के राष्ट्र लील गए है। एक कबीले से शुरू हुआ था इस्लाम और आज धरती पर 57 देश इस्लामिक है, सब के सब जोर जबरदस्ती, लूट, हत्या और बलात्कार के दम पर, यही इनकी हकीकत और तरीका है विस्तार का। इसी सब की बदौलत ईसाइयत और इस्लाम मानने वालों की आबादी इस धरती पर सबसे अधिक है। इनका काम ही है विश्व की श्रेष्ठ और महान संस्कृतियों की हत्या और विलोपन और इनकी बर्बर और असभ्य पशुवत कबीले वाली मानसिकता और जीवन व्यवहार का विस्तार। इन हिंसक, बर्बर और हमलावर और हत्यारी कौमों के बाद सनातन परंपरा के लोग इस धरती पर सबसे अधिक संख्या में है, साथ ही यह धरती पर सबसे शांतिप्रिय और सुसंस्कृत सभ्यता और विचार रखने वाले लोग है, जो इन कुत्सित मानसिकता के लोगों को खटकते हैं।
हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जब इन सभी का अस्ति��्व था ही नहीं, यह सभी हमारी संस्कृति के ज्ञान और विकास के सामने, सभी हमलावर कौमें आज भी आदिम बर्बर युग की मानसिकता में जी रहे है, लेकिन अब यह सबसे आधुनिक युद्ध तकनीक और हमले के गुप्त और ज्यादा भयानक हथियारों से हमारी संस्कृति और विरासत को नष्ट करने में संलग्न है, इन्हे रोकना और अपनी देव संस्कृति और मूल्यों की रक्षा हमारा परम धर्म है। भारतवर्ष पर पहले भी हमले हुए हैं और आज भी हमारी संस्कृति के विद्रूपण और विलोपन की सारी कोशिशें इन्ही लोगो द्वारा या इनके दलालों और गुलामों द्वारा की जा रही हैं, यह पहले भी असफल हुए और हमेशा रहेंगे, लेकिन पूरा विश्व इनकी शैतानियत और हैवानियत से पीड़ित और त्रस्त है। हमे इनके नीच इरादों और षडयन्त्रों को नष्ट करना होगा, यही पूरी मानवता के हित में है, वर्ना यह पूरे विश्व को अपनी बिमारियों से ग्रस्त और त्रस्त कर रहे हैं, यह बेहद उन्माद ग्रस्त और विक्षिप्त लोग हैं, इनके नीच इरादों में इन्हें सफल नहीं होने देना ही सम्पूर्ण मानव जाति के हित में है। आज इस्लाम, हमारे अलावा इसाईं देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि सभी को अपनी जहालत और जिहाद का शिकार बना रहा है, सारी दुनिया आज इस्लामिक जिहाद और आतंकवाद से बुरी तरह त्रस्त है, यह लोग जहाँ भी जाते है, हत्या, लूट, बलात्कार, जनसँख्या विस्फोट आदि हथियारों का इस्तेमाल करके वहां के मूल निवासियों का जीना दूभर कर रहे हैं। यह लोग, इन सभी देशों में शरणार्थी की हैसियत से आये थे, उन तमाम देशों से, जहाँ इस्लाम और शरिया का प्रभुत्व है से भागकर अपनी जान बचाकर, जहाँ मुसलमान ही मुसलमान की हत्या और बलात्कार कर रहे हैं, सीरिया, यमन, ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफ्रीका, और सभी इस्लामिक देश वहां वो एक दुसरे का ही खून बहा रहे हैं और भागकर दुसरे देशों में शरण की भीख मांगते हैं। दुसरे राष्ट्रों द्वारा इन्हें शरण देने पर ही, कुछ समय के अंदर यह वहां की सरकार कानून और व्यवस्था को मिटाकर अपना कानून और व्यवस्था बनाने की मांग करने लगते हैं, इसी वजह से कुछ देशों ने इस्लाम को और मुसलमानों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्कों में से चीन और जापान में मुसलमानों को स्थायी नागरिकता नहीं दी जाती है, और न ही उन्हें कोई विशेषाधिकार दिए जाते हैं, ऐसा, अमेरिका और रूस में भी किया जा रहा है। आज सारे विश्व में इसाई और इस्लामिक देशों के बीच खूनी संघर्ष कई दशकों से चल रहा है, और वजह है, सत्ता और संसाधनों पर आधिपत्य और अपने संप्रदाय का प्रभुत्व कायम करने की महत्वाकांक्षा, दूसरे संप्रदाय के लोगों को कन्वर्ट करके या हत्या करके अपने संप्रदाय में करना। यह लोग बेहद क्रूर और हेवानियत भरे कारनामे अंजाम दे��े में सैकड़ों वर्षों से लगे हुए हैं और यह आज भी जारी है, और पता नहीं यह हैवानियत का खेल कब रुकेगा और कब इन दुराग्रही, लालची, दुष्ट, अंधे और मूर्ख लोगों की आँखें खुलेगी। दुनिया के बहुत सारे देश इनकी असलियत पहचान कर इनसे अपने राष्ट्र और जनता को सुरक्षित करने के लिए इनका बहिष्कार और देश निकाला कर दिया है, यहाँ तक की पूरी तरह मुसलमान अरब मुल्कों से भी पाकिस्तान और अन्य मुल्कों के संदिग्ध मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जा रहा है। अभी हाल ही मे श्रीलंका में इस्लामिक आतंकवादियों ने करीब 350 लोगों को बम विस्फोट से उड़ा दिया, आज श्रीलंका में इस्लाम को माननेवालों के खिलाफ बेहद गुस्सा और नफरत है, वहां की मस्जिदों को बंद कर दिया गया है और वहां बाहर से आये हुए सभी मुसलमानों को उनके मूल स्थान, जैसे पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों की और जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, बाहर भेजा जा रहा है। ऐसा म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ किया गया और ऐसा संपूर्ण विश्व में हो रहा है, कोई भी इनके साथ रहम, प्रेम और मानवता दिखने की भयानक कीमत चुकाने के लिए तैयार नहीं है, यह लोग बेहद कृतघ्न और अमानवीय सिद्ध हो ��हे हैं। धरती को इनके दुष्ट और आतयायी पंजे से बचाना पूरी मानवता के हित में है, और हमे इसके लिए जागरूक और समर्थ होना पड़ेगा और इनके शैतानी इरादों को नष्ट करना होगा, आज यह सिर्फ भारत की नहीं पूरी विश्व की समस्या है, और इसे हम सबको मिलकर निर्मूल करना है, तभी यह विश्व एक परिवार की तरह, सारी विविधताओं और संस्कृतियों का महान आयोजन और समारोह बन पायेगा। आज सनातन परंपरा विश्व के सभी शांतिप्रिय और जीवन के उच्चतर आयामों को जीने की अभिलाषा रखने वाले और जीवन के परम सत्य की खोज करने वाले सभी जिज्ञासुओं, भक्तों और साधकों के लिए सबसे प्रथम और अंतिम गंतव्य बन चुका है। आज विश्व में सभी विकसित और विकासशील राष्ट्र, रूस, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस और अफ्रीका में अनगिनत लोग सनातन परंपरा को अंगीकार करके जीवन की मधुरता और आंतरिक सत्य को प्राप्ति की दिशा में गतिमान हो रहे हैं, बिना किसी प्रचार, प्रलोभन या बल प्रयोग के, यही हमारी सनातन परंपरा और भारतीय संस्कृति का प्रभाव है, यह सभी के ह्रदय और आत्मा को छूती है और उन्हें आंतरिक रूपंतार्ण में सहयोगी होकर जीवन के परम सत्य को उपलब्ध करने में सहयोगी बनती है जो मनुष्य जीवन धारण करने के परम उद्देश्य और लक्ष्य है। आइये अपनी 15000 वर्षों से अधिक प्राचीन और सर्वोत्तम मानवीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को इन दुराग्रही, आततायी और दुष्ट और जाहिल बर्बर लोगों से सुरक्षित करें और जो पिछले हज़ार साल में इस देश और पूरे विश्व में हुआ है उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना और आशंका को निर्मूल करें और पुनः सनातन धर्म और परंपरा को पु��्ट और पुनर्स्थापित करें इसके सम्पूर्ण गौरव और वैभव में।
हमारी संस्कृति एक वैश्विक संस्कृति है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम" का उपदेश और सन्देश दिया, हमारी संस्कृति सभी के कल्याण और उत्थान की प्रेरणा और संकल्प से युक्त है, यही इसे विश्व की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों से महान बनाती है, आओ इसके गौरव की पुनः प्रतिष्ठा करें। हमारा देश भारत आज विश्व में पुनः प्रतिष्ठा पा रहा है, एक सुदृढ़ और प्रभावी नेतृत्व में और हमें इसे पुनः इसके प्राचीन गौरव और महिमा के साथ पुनः स्थापित करने से कोई भी नहीं रोक सकता है, हमें यह संकल्प करना होगा की हमारे राष्ट्र की गरिमा और गौरव और अखंडता अक्षुण्ण बनी रहे। हमारी भावना और प्रार्थना समस्त विश्व के कल्याण और उत्थान के लिए - ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा- कश्चिद्दुः- खभाग्भवेत्- । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (उपनिषद् से साभार, संस्कृत भाषा में) Meaning in Hindi (हिंदी अर्थ) - ॐ सब सुखी हों सब स्वस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें कोई प्राणी दुःखी ना हो ।। हमारे जीवन की प्रभावना और उद्देश्य - असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ हे परम, हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो । मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥ जय माँ भारती, जय भारत भूमि, जय भारतवर्ष, जय हिन्द Read the full article
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दुनिया के 10 सबसे खतरनाक बॉर्डर 1. भारत और पकिस्तान के बीच का बॉर्डर दो परमाणु राष्ट्र लगभग 2,900 किलोमीटर (1,800 मील) की सीमा को सांझा करते हैं और यहां का मौसम भी अपने चरम पर रहता है. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद ब्रिटिश राज से आजादी मिलने के बाद 1947 के विभाजन के बाद शुरू हुआ था. विभाजन के बाद दोनों देशों ने 3 घातक युद्ध देखे. विभिन्न इलाकों और अप्रचलित क्षेत्रों के कारण, यह दुनिया की सबसे जटिल सीमाओं में से एक है. क्या आप जानते हैं कि भारत द्वारा 150,000 फ्लडलाइट स्थापित करने के कारण यह अंतरिक्ष से देखी जाने वाली एकमात्र सीमा है. 2. साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया के बीच का बॉर्डर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच की सीमा लगभग 250 किलोमीटर (160 मील) लंबी है. इस क्षेत्र को DMZ या कोरियाई डेमिलीटराइज्ड (Korean Demilitarized Zone) जोन के रूप में जाना जाता है. यह सीमा 1953 में उत्तरी कोरिया, चीन और संयुक्त राष्ट्र के बीच समझौते द्वारा स्थापित की गई थी. क्या आप जानते हैं कि यह 2 लाख सैनिकों के साथ दुनिया की सबसे ज्यादा सैनिकों से घिरी हुई सैन्य सीमा है. दोनों देशों के बीच की सीमा शांति वार्ता और बातचीत करने के लिए ए��� बफर के रूप में कार्य करती है. यह सीमा अपनी उच्च अस्थिर प्रकृति के कारण दुनिया में सबसे खतरनाक मानी जाती है. 3. इरान और इराक के बीच का बॉर्डर दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक इराक और ईरान के बीच की सीमा है, जो Shatt-al-Arab नदी से तुर्की तक है. इस सीमा को परिभाषित किए हुए सैकड़ों वर्ष हो गए हैं लेकिन इस क्षेत्र में विशेष रूप से नदी के उपयोग को लेकर विवाद चल रहा है. 1980 में, इराक ने ईरान पर अवैध रूप से इराकी क्षेत्र पर कब्जा करने और मिसाइलों का शुभारंभ करने का आरोप लगाया था. आठ साल के बाद दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र शांति समाधान पर हस्ताक्षर किए. 4. यमन और सऊदी अरब के बीच का बॉर्डर सऊदी अरब और यमन की सीमा 1,800 किलोमीटर (1,100 मील) है. यह सीमा कंक्रीट से भरी हुई 10 फीट की ऊंचाई पर बनी एक संरचना है. इसको 2003 में आतंकवाद और घुसपैठ को रोकने के लिए बनाया गया था. सऊदी अरब में तस्करी वाले हथियार, अल कायदा के आतंकवादियों और आर्थिक शरणार्थियों (इथियोपिया, यमन और सोमालिया से) में वृद्धि देखी गई है, जिसने सरकार को बॉर्डर बनाने के लिए प्रेरित किया. यमन ने इसका विरोध किया और कहा कि यह सीमा चरवाहों के अधिकारों का उल्लंघन है. मार्च 2015 से दोनों देशों के बीच आधिकारिक तौर पर युद्ध चल रहा है. 5. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का बॉर्डर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा को डुरंड लाइन कहा जाता है और 1,510 मील तक फैली हुई है. दोनों देशों में आतंकवाद की वजह से सीमा पर भी लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती है. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा दुनिया में सबसे अस्थिर है. यह सीमा दोनों देशों के बीच पश्तून जातीय मातृभूमि को विभाजित करती है. इस विभाजन के कारण ही सीमाओं में विवाद हैं. ऐतिहासिक रूप से, अफगान ने पाकिस्तान को पश्तून क्षेत्र में घेरा लगाने से रोक दिया था. इसलिए इस सीमा के पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सेना द्वारा कई हमले होते रहते हैं. 6. चीन और उत्तरी कोरिया के बीच का बॉर्डर 900 मील पर स्थित ये बॉर्डर दुनि या के सबसे खतरनाक बॉर्ड्स में से एक है. यह दो नदियों, तुमेन (Tumen) और यालू (Yalu) और साथ ही पेक्तु (Paektu) पहाड़ों से अलग किया गया है. पिछले दशक में, दोनों देशों ने बाड़ (fence) और दीवारों का निर्मा�� शुरू कर दिया है. चीन में उत्तरी कोरियाई आप्रवासियों के कारण क्षेत्रीय विवाद चिंता का विषय बन गया है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार कोरिया में खराब आर्थिक स्थिति के कारण हजारों उत्तरी कोरियाई शरणार्थियों ने दोनों देशों के बीच इस सीमा को पार करने की कोशिश की थी. इन सभी शरणार्थियों को पकड़ लिया गया और खूब प्रताड़ित करने के बाद इन्हें वापस भेज दिया गया था. 7. भारत और बांग्लादेश के बीच का बॉर्डर भारत और बांग्लादेश 4,156 किमी (2,545 मील) लंबी सीमा को साझा करते हैं, जो दुनिया में सबसे लम्भी सीमा में से एक है. सीमा की छिद्रपूर्ण प्रकृति के कारण, यहां कई अवैध गतिविधियां होती रहती हैं. भारत के लिए मुख्य समस्या भारत से बांग्लादेश तक पशुधन, खाद्य पदार्थों और दवाओं की अवैध तस्करी का सामना करना है. भारत को बांग्लादेश से भारत में अवैध प्रवासन की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. आप्रवासन के उच्च स्तर के कारण, भारतीय सीमा सुरक्षा बलों के लिए shoot-on-sight की पोलीसी का आदेश दिया गया है. भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) और सीमा गार्ड बांग्लादेश के बीच सीमावर्ती संघर्ष भी चलता रहता है. 8. नाइजर और चाड के बीच का बॉर्डर नाइजर और चाड सीमा सबसे घातक आतंकवादी संगठन - बोको हरम में से एक है. नाइजर और चाड के आस-पास का पूरा क्षेत्र बोको हरम के कारण असुरक्षित और अस्थिर है. हम आपको बता दें कि दोनों देश 1,196 किमी की सीमा साझा करते हैं. सीमाओं के पास के कई क्षेत्र असुरक्षित और बेहद दूरस्थ हैं. नाइजर और चाड बलों ने बोको हरम से लड़ने के लिए एक साथ मिलकर दुनिया में सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक बनाई है. यह सीमा हिंसा, हमलों, तस्करी इत्यादि का अनुभव करती है. 9. संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको के बीच का बॉर्डर संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको की सीमा भी दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक है. सीमा की लंबाई 3,145 किमी (1,954 मील) है. मेक्सिको से संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध सीमा पार करना अमेरिकी सरकार के लिए एक समस्या रही है. सीमा पर दीवार बनाने की योजना अमेरिका की है. सीमा के रियो डी ग्रांडे घाटी क्षेत्र को अमेरिका में सबसे खतरनाक सीमा क्षेत्र माना जाता है. एल पासो (El Paso), टेक्सास (Texas) को 2011 में संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे खतरनाक सीमावर्ती शहर का नाम दिया गया है. अमेरिकी सीमा के साथ तिजुआना (Tijuana) और सियुडद जुआरेज़ (Ciudad Juarez) के दो मेक्सिकन शहर देश के सबसे खतरनाक शहर बन गए हैं. इन दो सीमावर्ती शहरों में दवाओं की तस्करी, ड्रग कार्टेल हिंसा, हथियारों की हिंसा और homicides जैसे अपराधों की उच्चतम दर देखने को मिलती है. 10. इज़राइल और सीरिया के बीच का बॉर्डर इज़राइल और सीरिया के बीच सीमा विवाद कई सालों से चला आ रहा है. आतंकवाद में बढ़ती अस्थिरता के चलते इजरायल और सीरिया की सीमा खतरनाक है. 1920 के दशक की शुरुआत में, ब्रिटेन ने सीरियाई पक्ष को फ्रांस में देकर सीमाएं खींचीं थी. इस सीमा को फिलिस्तीन के ब्रिटिश संधि और सीरिया के फ्रांसीसी आदेश द्वारा तैयार किया गया था. ��ोनों देशों के बीच विवाद गोलन हाइट्स (Golan Heights) नामक एक क्षेत्र के कारण है. 1981 में, इज़राइल ने गोलान हाइट्स लॉ के तहत गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था. संयुक्त राष्ट्र इस क्षेत्र को इजरायली के कब्जे के रूप में मानता है. दोनों देशों ने कई युद्ध लड़े हैं और आज भी युद्ध चल ही रहा है.
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राज्य सरकार अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर प्रत्येक परिस्थिति में सीमा सुरक्षा बल के साथ खडी है तथा जवानों की तन-मन-धन प्रत्येक प्रकार से सहायता को तत्पर है। मुझे सीमा पर सैनिकों के बीच आकर अत्यन्त प्रसन्नता महसूस हो रही है। प्रदेश की जनता आपके साथ खडी है तथा आपकी सहायता के लिए राज्य की जनता तथा प्रदेश की सरकार किसी प्रकार की कमी नहीं रखेगी। वह प्रत्येक परिस्थिति में आपके साथ है तथा सरकार का पूरा सहयोग जवानों के लिए है। सीमा सुरक्षा बल का जज्बा अभूतपूर्व है तथा वे देश की सेवा को हमेशा तत्पर रहते है। पश्चिमी सीमा पर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जवानों का हौसला कभी कम नहीं होता है चाहे 50 डिग्री तापमान वाली भीषण गर्मी हो अथवा 1 डिग्री तापमान वाली कडकडाती ठंड हो। वर्तमान हालात चुनौती पूर्ण है लेकिन सीमा सुरक्षा बल की मुश्तैदी के चलते प्रदेश तथा देश की जनता पूरी तरह से आश्वस्त है, चाहे आतंकवाद से मुकाबला करना हो अथवा नक्सलवाद का चुनौती पूर्ण कार्य हो। देश की जनता तथा सभी राजनैतिक दलों ने इस समय जो एकता का परिचय दिया उससे पूरे विश्व में भारत की एकजुटता का संदेश गया है एवं हमारे दुश्मन को भी पांव पीछे हटाने को मजबूर होना पडा। प्रदेश की सरकार किसी भी परिस्थिति में सीमा की सुरक्षा को तत्पर है तथा विपत्ति के समय सरकार सीमा सुरक्षा बल तथा जवानों के साथ खडी है। किसी भी प्रकार की सहायता के लिए राज्य की सरकार तथा जिला प्रशासन पीछे नहीं हटेगा। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर बाबलियान चौकी (जैसलमेर) पर जवानों को संबोधित किया।
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How is the रोष ! Extreme sir ! (#Pulwama)
पुलवामा के शहीदों के बारे में बातचीत करते हुए जब एक टेलिविज़न ऐंकर ने एक भूतपूर्व सैन्य अधिकारी से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा के कुछ उनके (ख़ुद के) जैसे बदनसीब सैनिक भी होते हैं जो ऐसे टेलिविज़न कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए ज़िंदा रह जाते हैं। एक सैनिक की शहादत के बारे में ऐसी भावनात्मक बात एक दूसरा सैनिक ही कह सकता है। उनके जवाब के अनोखेपन ने हृदय को मानो झकझोर कर रख दिया और कुछ पुरानी स्मृतियाँ मन में जीवंत हो उठीं।
मेरा गृह शहर किशनगंज। छात्रजीवन में मेरी और मेरे कुछ दोस्तों की दिनचर्या का एक नियमित हिस्सा था कि हम किशनगंज रेलवे स्टेशन की एक बेंच पर कुछ वक़्त ज़रूर गुज़ारते थे। स्टेशन पर बैठकर देश के विभिन्न कोनों से होते हुए हमारे शहर से गुज़रने वाली रेलगाड़ियाँ तथा उनपर चढ़ने-उतरने वाले यात्रियों को देखना हमारे लिए एक मज़ेदार अनुभव होता था, क्यूँकि वह हमें एक छोटे शहर में रहने के बावजूद पूरे देश से जुड़े होने का अहसास दिलाता था। तब हमें यह नहीं मालूम था कि हमारी ये आदत एक दिन हमें एक अविस्मरणीय अनुभव दे जाएगी।
वर्ष 1999। कारगिल में युद्ध के बादल मँडराने लगे। देश के विभिन्न भागों में तैनात सैनिक टुकड़ियों को कश्मीर की तरफ़ कूच करने का आदेश दे दिया गया। किशनगंज से होकर गुज़रने वाली गाड़ियों के स्वरूप में भी परिवर्तन हो गया। सवारी गाड़ियों में कई यात्री अब वर्दियों में नज़र आने लगे। जो मालगाड़ियाँ पहले गेहूँ, चावल, सिमेंट और इस्पात ढोती थीं, अब उनके ऊपर तोप, जीप और अन्य सैन्य साज़ो-सामान दिखने लगे। इन मालगाड़ियों पर युद्ध उपकरणों के साथ सैनिक भी आरूढ़ होते थे। कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठ पर पूरा देश रोष में था, और देशभक्ति से लबरेज़ भी। हम भी कश्मीर की ओर उन्मुख ओजस्वी सैनिकों को रोज़ अपनी आँखों से देख रहे थे और ये जुड़ाव कुछ इस तरह बढ़ चला था कि हमलोग रोज़ घंटों स्टेशन पर ऐसी रेलगाड़ियों के इंतज़ार में बैठे रहते थे। फिर एक दिन ये अहसास हुआ कि सिर्फ़ हम ही उन्हें नहीं देखते थे, उनकी निगाहें भी हम पर होती थी। शायद वो निगाहें हमसे कहती थीं “चिंता मत करो, हम हैं ना।” और हमलोग जवाब में मन ही मन शायद कहना चाहते थे कि हम आपके पराक्रम को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन ईश्वर से सिर्फ़ एक प्रार्थना है कि विजयोपरांत आपकी वापसी की यात्रा के भी साक्षी बनें।
फिर अचानक एक दिन जब ऐसी ही एक मालगाड़ी काफ़ी धीमी गति से किशनगंज स्टेशन से गुज़र रही थी और उसपर सवार सैनिक स्टेशन पर मौजूद लोगों की तरफ़ देख रहे थे, स्वतः, हम दोस्तों के मुँह से निकला “भारत माता की” और इसका उत्तर सैनिकों की तरफ़ से समवेत स्वर में आया “जय”! अब बारी उनकी थी लेकिन उनके उद्घोश का उत्तर सिर्फ़ हम दोस्तों ने नहीं बल्कि स्टेशन पर मौजूद सारे जनसमूह ने दिया। देखते ही देखते सारा वातावरण सैनिकों की सिंह गर्जना और स्थानीय लोगों के नारों से गुंजायमान हो उठा। और यह तब तक चलता रहा जब तक की गाड़ी का आख़िरी डब्बा स्टेशन से गुज़र नहीं गया। और उस लम्हे में हमें यह अहसास हुआ कि हमारे सैनिकों के लिए वर्दी सिर्फ़ एक रोज़गार का अवसर नहीं बल्कि उनका धर्म है, गर्व है, जुनून है। वरना युद्धभूमि की ओर जाते हुए भी इतना उत्साह और चेहरे पर गर्वमिश्रित मुस्कान वो लाते कहाँ से हैं।
पुलवामा की कायरतापूर्ण घटना को अंजाम देकर आतंकियों और उनके सरपरस्तों ने हिंदुस्तान के सीने पर एक बहुत ही गहरा ज़ख़्म दिया है। साथ ही उन्होंने साबित कर दिया है कि ऑडीओ/विडीओ मेसजेज़ में उनकी बड़ी-बड़ी गीदड़ भभकियों के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं है हमारे जवानों के पौरुष का सामने से मुक़ाबला करने की। और मेरे शहीद सैनिकों के परिवारों का हौसला तो देख���, जो अपने दूसरे बेटों और बेटियों को देशसेवा में अर्पित करने के लिए अभी से तैयार हैं।
पुलवामा हमले के तार हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से साफ़-साफ़ जुड़े हैं। ये वही पाकिस्तान है जिसके पेशावर में जब कुछ वर्ष पूर्व एक स्कूल पर हमला करके आतंकियों ने कई बच्चों की हत्या कर दी थी तब पूरा हिंदुस्तान उनके दर्द में उनके साथ नम आँखों से खड़ा था, यहाँ तक की हमारे कवियों ने इस बर्बर कृत्य को अपनी कविताओं में कुछ इस तरह व्यक्त किया था:
बड़े सहमे हैं सब, स्कूल से लौटे नहीं बच्चे
भला कैसे बचें आतंक के इस शूल से बच्चे
खुदा रहने के क़ाबिल अब नहीं दुनिया रही तेरी
ये कह कर सो गए क़ब्रों में प्यारे फूल से बच्चे ।
(दिनेश रघुवंशी की मुक्तक)
इसके विपरीत पाकिस्तान भारत विरोधी आतंकी संगठनों को खुलेआम अपनी सरज़मीं का इस्तेमाल करने दे रहा है। और आज जब हिंदुस्तान लहूलुहान हुआ है तो ये पाकिस्तान हमेशा की तरह ये मानने से ही इंकार कर रहा है कि इसमें उसकी कोई संलिप्तता है। साथ ही वो भारत से हमेशा की तरह सबूत माँगने का नाटक कर रहा है, जो जब मुहैया कराए जाते हैं तो नकार दिए जाते हैं। और इसलिए कहता हूँ कि बस अब बहुत हुआ। अमेरिका ने लादेन को पाकिस्तान में घुस कर मारने से पहले कौन से सबूत उसे सौंपे थे। हाँ मैं जानता हूँ कि हम अमेरिका नहीं हैं। लेकिन अब वक़्त आ गया है अपने आप को सामरिक एवं अन्य मापदंडों पर सशक्त बनाने का और अपनी ‘soft state’ वाली छवि से बाहर निकलने का। सामरिक शक्ति, तकनीक एवं सटीक ख़ुफ़िया जानकारी के बल पर अमेरिका अगर 12000 किलोमीटर दूर आकर पाकिस्तान में बैठे लादेन का सफ़ाया कर सकता है तो हम भी ऐसा ही कुछ क्यूँ नहीं कर सकते। बहुत हुआ हमारी फ़िल्मों में दाऊद को घसीट कर भारत लाना, अब हम हक़ीक़त में चाहते हैं कि पाकिस्तान की गोद में बैठे भारत के सारे दुश्मनों को उनके गिरेबाँ पकड़ कर भारत में लाया जाए, चाहे हो हाफ़िज़ सईद हो, चाहे मसूद अजहर हो।
हमें पुलवामा मामले में विश्व के लगभग 60 देशों का समर्थन मिलना हमारी कूटनीतिक विजय हो सकती है, लेकिन आतंकवाद और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जब सशस्त्र संघर्ष की बात होगी तो आपको अपने बलबूते पर ही लड़ाई लड़नी है। और यह सम्भव है। इज़्रेल का मॉडल आपके सामने है।
पुलवामा हमले की प्रतिक्रिया में भारत को कुछ कठोरतम एवं अभूतपूर्व क़दम उठाने की ज़रूरत है। पाकिस्तान से मोस्ट फ़���वर्ड नेशन का दर्जा और कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा एवं अन्य सहूलियतों का वापस लिया जाना बिल्कुल सही निर्णय हैं। अब ज़रूरत है पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करके उससे सभी प्रकार के व्यापारिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक रिश्ते ख़त्म कर देने की। व्यापार और वाणिज्य बंद हो जाने से अगर हमारी आर्थिक क्षति भी होती है तो स्वीकार्य है। रही बात सांस्कृतिक रिश्तों की, तो हमें राहत फ़तेह अली खान और आतिफ़ असलम के गाने हमारे सैनिकों और देशवाशियों के प्राण से ज़्यादा प्यारे नहीं हैं। इसके बाद शीघ्र-अतिशीघ्र आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर, चाहे वो सीमापार ही हों, सामरिक कार्यवाही की जाए। अगर इसकी परिणिति युद्ध में होती है तो ये भी स्वीकार्य है।
जब एक प्रधानमंत्री अपने शहीद सैनिकों के शवों की हाथ जोड़े दीर्घ परिक्रमा करता है तो उनके मन की वेदना के साथ उनका उनके अंतर्मन में किया गया कोई निश्चय स्वतः ज़ाहिर हो उठता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे देश का राजनैतिक नेतृत्व इस बार आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक निर्णायक लड़ाई लड़ेगा, जिसमें वो पूरी तरह से सक्षम भी है।
लेकिन सारी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सरकार और सेना की भी नहीं। देश सबका है और उसे उन्नत बनाना और महफ़ूज़ रखना हम सब का फ़र्ज़ है। सैनिक अपना कर्तव्य बख़ूबी निभा रहे हैं, यह अब हम पर है कि हम उनकी कुर्बनियों के लायक़ बनें। इसलिए ज़रूरी है कि हम जिस किसी भी क्षेत्र में कार्य करते हों, अपना काम पूरी ईमानदारी से करें ताकि भारत मज़बूत बने। अगर आप का काम एक जूते में कील ठोकना ही हो तो इसे भी पूरी लगन से करें। क्या पता आपके द्वारा लापरवाही से ठोका गया कोई कील युद्धभूमि में किसी जवान के लिए ज़िंदगी और मौत का सवाल बन जाए।
अंत में मैं पुलवामा के शहीदों की आत्माओं को साष्टांग नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि हम देशवासियों का रोम-रोम आप सबों का ऋणी है। ये देश आप सबों की शहादत का बदला ज़रूर लेगा और यथाशीघ्र लेगा।
तेरे ऊपर हुआ हर वार, अब तो वार है मुझ पर
मेरी ख़ातिर बहा तेरा लहू, उधार है मुझ पर
ना भूलूँगा कभी, और ना ही अब मैं भूलने दूँगा
गर भूल जाऊँ मैं कभी, धिक्कार है मुझ पर।
- अमरेश कुमार मिश्रा
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जनकल्याणकारी नीतियां भाजपा के विजय का वाहक बनेगी – श्री जे.पी. नड्डा लखनऊ 28 जनवरी 2019, भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव प्रभारी व केन्द्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में 74$ सीटों पर विजय के संकल्प के साथ चुनाव के मैदान जाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री ��रेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने गांव, गरीब, किसान, नौजवान, दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित, अगड़े, पिछड़े हर वर्ग के कल्याण के लिए कार्य किया है। माननीय नरेन्द्र मोदी जी की नेतृत्व में विश्व में भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आई हैै। श्री नड्डा ने आज चंदौली में लोकसभा संच की बैठक में उपस्थित सेक्टर संयोजकों को संबोधित करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किये। बैठक में वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर व मछली शहर लोकसभा क्षेत्र के सेक्टर संयोजक सम्मलित हुए। श्री नड्डा ने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आमजन मानस के बीच बेहतर छवि और केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जनहित में किये गये कार्यो और जनकल्याणकारी नीतियां भाजपा के विजय का वाहक बनेगी। उन्होंने कहा कि जहां 2014 में उत्तर प्रदेश में हमारी ताकत 36 लाख कार्यकर्ताओं की थी वहीं अब उ0प्र0 में हमारी एक करोड़ 80 लाख कार्यकर्ता मा0 नरेन्द्र मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने और केन्द्र में भाजपा की सरकार फिर से भारी बहुमत से बनाने के संकल्प के साथ चुनाव के मैदान में उतरेंगे। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का आहवाहन किया कि विपक्षी दलो की परवाह किये बिना लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाये। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा सभी दलों के लिए चुनौती है इसलिए सभी लोग गठजोड़ कर रहे हैं आज मोदी जी की लोकप्रियता और भाजपा के प्रति जनता में बढ़ते आकर्षण के कारण जो लोग आपस में कभी मिल नहीं सकते थे आज वह गठजोड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस गठजोड़ में मायावती अखिलेश को पूरी तरह से बबुआ बनाकर छोड़ेंगे। इस बार का चुनाव भारत के पानीपत की लड़ाई के समान है इस बार हम जीते तो कोई सामने खड़ा होने वाला नहीं रहेगा हमें अपना पूरा समय पार्टी के चुनाव अभियान पर लगाना चाहिए। पार्टी संगठन के द्वारा तय सारे अभियानों व कार्यक्रमों को जोरदार ढंग से सफल करें। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं का आहवाहन किया कि बूथ जीता तो चुनाव जीता के मंत्र को अपनाते हुए अपने-अपने बूथों पर पार्टी के विजय अभियान में जुट जाये। केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि माननीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जो काम हुआ है अब तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ। मोदी जी के नेतृत्व में छोटे-छोटे जगहों को भी एयरपोर्ट से जोड़ने का काम किया गया छोटी छोटी जगहों को रेल लाइनों से जोड़ने का काम किया गया रेल लाइनों में विद्युत वितरण विद्युतीकरण का काम हुआ। आज नक्सलवाद समाप्ति की ओर है आतंकवाद भी समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि मा0 नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और आमजन मानस के कल्याण के लिए क��ये गये कार्यो के बल पर भाजपा को 2014 से ज्यादा 2019 में बहुमत मिलेगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव, एमएलसी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष दर्शना सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल राजभर सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी व विधायक उपस्थित रहे।
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पाकिस्तान ने हाफिज सईद, मसूद अजहर और डॉन इब्राहम पर प्रतिबंध लगा दिया
पाकिस्तान ने हाफिज सईद, मसूद अजहर और डॉन इब्राहम पर प्रतिबंध लगा दिया
डिसक्लेमर:यह आर्टिकल एजेंसी फ़ीचर से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारताइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।
भाषा | अपडेट किया गया: 22 अगस्त 2020, 05:46:00 अपराह्न
(सज्जाद हुसैन) इस्लामाबाद, 22 अगस्त (भाषा) आंतरिक आतंकवाद वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था 'वित्तीय कार्रवाई कार्य बल' (एफएटीएफ) की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर आने की कोशिशों के तहत पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और हाफिज…
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कोरोना के बाद की दुनिया में हमें वैश्वीकरण की नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी: PM मोदी
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कोरोना के बाद की दुनिया में हमें वैश्वीकरण की नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी: PM मोदी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट ने विश्व को वर्तमान अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की सीमाओं से परिचित करा दिया है और पारदर्शिता, समानता तथा मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता को रेखांकित किया है. मोदी गुट निरपेक्ष (नैम) देशों के ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित कर ��हे थे. यह करीब 120 विकासशील देशों का मंच है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवता पिछले कई दशकों के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है और गुट निरपेक्ष आंदोलन (नैम) के सदस्य देश वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित करने में सहायता कर सकते हैं क्योंकि वे विश्व की सबसे नैतिक आवाज हैं. उन्होंने कहा, ‘इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा.’
किसी देश का नाम लिए बिना मोदी ने कहा, “आज जहां विश्व कोविड-19 से मुकाबला कर रहा है वहीं कुछ लोग दूसरे तरह के घातक विषाणु फैलाने में लगे हुए हैं. जैसे कि आतंकवाद. जैसे कि फर्जी खबरें और समुदायों और देशों को बांटने के लिए छेड़छाड़ कर तैयार किये गए वीडियो.”
मोदी ने कहा कि महामारी से मुकाबला करने के दौरान भारत ने यह दिखाया है कि लोकतंत्र, अनुशासन और निर्णायक क्षमता किस प्रकार एक साथ मिलकर सच्चे जनांदोलन का रूप ले लेते हैं. उन्होंने कहा कि मानवता एक बड़े संकट के दौर से गुजर रही है और इससे मुकाबला करने में गुट निरपेक्ष देश योगदान दे सकते हैं.
मोदी ने कहा, “मानवता कई दशकों के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है. इस समय गुट निरपेक्ष देश वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकते हैं. गुट निरपेक्ष देश हमेशा विश्व का नैतिक स्वर रहे हैं और इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा.”
इस वीडियो कान्फ्रेंस में एशिया, अफ्रीका, लातिन अमेरिका , कैरेबिया और यूरोप के सदस्य देशों के 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों ��र शासन प्रमुखों तथा अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी ने नैम कॉन्टैक्ट ग्रुप के सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारत के संस्थापक सदस्यों में शामिल होने के नाते इस संगठन के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संकट को देखते हुए घरेलू जरूरतों के बावजूद भारत ने करीब 120 देशों को दवा की आपूर्ति की जिनमें 59 गुट निरपेक्ष देश शामिल हैं.
मोदी ने कहा,‘‘भारत की सभ्यता पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप मे देखती है. हम अपने नागरिकों की देखभाल करने के साथ ही अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ा रहे है….भारत को दुनिया के औषधालय के तौर पर देखा जाता है, खासतौर पर किफायती दवाइयों के लिए.’’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद दुनिया को वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी.
प्रधानमंत्री ने कहा, “कोविड-19 ने हमें वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की सीमाओं से परिचित कराया है. कोविड-19 से उबरने के बाद के विश्व में हमें पारदर्शिता, समानता और मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी.”
उन्होंने कहा, “हमें ऐसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है जो आज के विश्व का बेहतर ढंग से प्रतिनिधित्व कर सकें. हमें केवल आर्थिक उन्नति ही नहीं बल्कि मानव कल्याण को भी प्रोत्साहित करना है. भारत ने लंबे समय तक इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है.” इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिज्जानी मोहम्मद बांदे, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष मूसा फाकी महामत, ईयू के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल आदि ने संबोधित किया.
सम्मेलन के बाद नेताओं ने एक घोषणा पत्र स्वीकार किया जिसमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत को रेखांकित किया गया. विदेश मंत्रालय ने बताया कि नेताओं ने सदस्य देशों की जरूरतों का पता लगाने के लिए ‘कार्य बल’ के गठन की घोषणा की.
(इनपुट: एजेंसी भाषा)
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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है
मुनिच: पेरिस, अफगान में आतंकी वित्तपोषण पर महत्वपूर्ण वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को पूरा करता है अध्यक्ष अशरफ गनी ने आरोप लगाया है पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने में अपनी विफलता। मिलते समय नैन्सी पेलोसी56 वें के किनारे पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष और कई अन्य सदस्य म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन, राष्ट्रपति गनी ने कहा: “हमने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कोई उल्लेखनीय विकास और…
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FATF की ‘ग्रे सूची’ में बना रहेगा पाकिस्तान, आतंकियों की फंडिग रोकने में रहा नाकाम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. (फाइल फोटो)
खास बातें
वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया
पाकिस्तान आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा
FATF ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
नई दिल्ली:
आतंकवाद को धन उपलब्ध होने पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का बुधवार को निर्णय लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि FATF के मुताबिक वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
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इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘FATF ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है.’ अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है.
इससे पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिए भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘मामूली कदम’ उठाए लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही.
उसने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए.’ आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.
VIDEO: पाकिस्तान को FATF की कड़ी चेतावनी
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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FATF Asks 150 Questions to Pakistan Seeks Answers Against Madrassas - पाकिस्तान पर FATF का शिकंजा कसा, 150 सवालों के जवाब 8 जनवरी तक मांगे
FATF Asks 150 Questions to Pakistan Seeks Answers Against Madrassas – पाकिस्तान पर FATF का शिकंजा कसा, 150 सवालों के जवाब 8 जनवरी तक मांगे
इस्लामाबाद:
आतंकी गतिविधियों को मिलने वाले धन की निगरानी करने वाली संस्था FATF ने प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े मदरसों के खिलाफ कार्रवाई पर पाकिस्तान से और अधिक स्पष्टीकरण तथा आंकड़े मांगे हैं. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने कुछ हफ्तों पहले पेरिस स्थित निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) को एक रिपोर्ट सौंप कर आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की…
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